भय से मुक्ति और शक्ति की प्राप्ति के लिए हनुमान जी के इन मंत्रों का करें जाप
हनुमान जी की पूजा मेें यहां दिए गए कुछ मंत्रों का जाप करने से भक्तों के सभी प्रकार के दुख आैर संकट हमेशा के लिये दूर हो सकते हैं।
भय मुक्त करती है बजरंगबली की पूजा
ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी शीघ्र प्रसन्न होने वाले देव हैं, और जो भी श्रद्घा भाव से उनकी आराधना करता है वो भय या किसी भी तरह के डर से मुक्त हो जाता है। सबसे खास बात ये है कि हनुमान जी को प्रसन्न करना बेहद सरल है। कोई भी बाधा उनके स्मरण से ही दूर हो जाती है। हनुमान जी सभी सिद्धियों के दाता भी माने जाते हैं। उन्हे प्रसन्न करके कोई भी सिद्धि आैर शक्ति को प्राप्त की जा सकती है। सूर्य के शिष्य हनुमान जी बेहद ज्ञानी भी हैं।
हनुमान साधना के नियम
ये सच है कि हनुमान क्रोध ना करने वाले और सहज प्रसन्न होने वाले देवता है, परंतु उनकी साधना करने के पूर्व कुछ नियमों के बारे में अवश्य जान लें। बिना इन नियमों का पालन करे आप बजरंग बली को प्रसन्न तो नहीं ही कर पायेंगे उनके कोप के भी भागी बन सकते हैं।
1- पूजन के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।
2- सेवा भावना रखें और क्रोध व अहंकार से दूर रहें।
3- हनुमान जी को घी के लड्डू का प्रसाद चढ़ायें।
4- तामसिक भोजन का परित्याग करें।
5- मंगलवार को हनुमान जी का व्रत होता है उस दिन नमक सेवन न करें।
हनुमान जी की साधना में इनका रखें ध्यान
हनुमान जी की पूजा करने वाले कुछ बातों का विशेष ध्यान रखें तो वे आसानी से उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं।
1- हनुमान जी को श्री राम से अत्यंत प्रेम है इसीलिए तुलसीदास उन्हें बेहद प्रिय थे। राम नाम के स्मरण करने से ही तुलसी को हनुमान सहज प्राप्त हो गये थे। अत: रामायण का पाठ नित्य करें और पूजन का समय बार-बार न बदलें।
2- हनुमान चालीसा में तुलसीदास ने भी कहा है कि राम रसायन तुम्हरे पासा, यहां राम रसायन राम नाम के जाप को ही कहा गया है। बस इसे अस्मरण रखें आप हनुमान जी के चहेते बन जायेंगे।
3- हनुमान चालीसा का पाठ करने से भी पवन पुत्र प्रसन्न होते हैं इसलिए रोज इसका 11 बार पाठ करने से उनका आर्शिवाद अवश्य मिलेगा।
हनुमान के प्रिय मंत्र
इसके साथ ही हनुमान साधना के कुछ तांत्रिक प्रयोग व मंत्र हैं जिनको साधकर हनुमान जी को प्रसन्न किया जा सकता हैं। नीचे ऐसे ही कुछ बीज मंत्रों बताये गए हैं। शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से लाल आसन पर हनुमान जी की प्रतिष्ठित मूर्ति करके उसके सामने घी का दीपक जला कर लाल चंदन की माला अथवा मूंगे की माला पर नित्य 11 माला 40 दिन फेरने से भी उनकी सिद्धि प्राप्त हो सकती है। साथ ही इन मंत्रों का जाप करें।
– ऊँ हुँ हुँ हनुमतये फट्।
-ऊँ पवन नन्दनाय स्वाहा।
– ऊँ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट।
– नमो भगवते आन्जनेयाये महाबलाये स्वाहा
– ओम नमों हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमित विक्रमाय प्रकटपराक्रमाय महाबलाय सूर्य कोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।
– ओम नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसहांरणाय सर्वरोगाय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।
– ओम नमो हनुमते रुद्रावतराय वज्रदेहाय वज्रनखाय वज्रसुखाय वज्ररोम्णे वज्रनेत्राय वज्रदंताय वज्रकराय वज्रभक्ताय रामदूताय स्वाहा।
Edited By: Molly Seth
इस विधि से हनुमान जी की दिव्य बलवान शक्तियों का अपने मन व शरीर में करवाएं प्रवेश
हनुमान जी शक्ति व साहस के प्रतीक हैं। जब मनुष्य दुश्मनों से घिरा हुआ हो और चारों तरफ से निराश हो चुका हो तो उसे गोस्वामी तुलसीदास रचित ‘बजरंग बाण’ पूरी श्रद्धा व पवित्र मन से पढ़ना चाहिए। इसके पढऩे से शरीर में हनुमान जी की शक्तियों का विकास होने...
हनुमान जी शक्ति व साहस के प्रतीक हैं। जब मनुष्य दुश्मनों से घिरा हुआ हो और चारों तरफ से निराश हो चुका हो तो उसे गोस्वामी तुलसीदास रचित ‘बजरंग बाण’ पूरी श्रद्धा व पवित्र मन से पढ़ना चाहिए। इसके पढऩे से शरीर में हनुमान जी की शक्तियों का विकास होने लगता है और मन की संकल्प शक्ति में बढ़ौतरी होती है। इसके पढऩे से मनुष्य निर्भीक हो जाता है।
तांत्रिक-मांत्रिक क्षेत्रों में भी बजरंग बाण का विशेष महत्व है। शारीरिक व्याधि, घर में भूत-प्रेत आपदा की बाधाएं, मानसिक परेशानियों आदि के निवारण के लिए बजरंग बाण रामबाण की तरह है। जहां इसका नियमित पाठ होता है उस घर में कभी दैवी आपदा-बाधा नहीं आती। साधक को चाहिए कि वह अपने सामने हनुमान जी का चित्र और यदि हनुमान यंत्र मिल सके तो उसे भी या चित्र
या मूर्ति रख ले और पूरी भावना तथा आत्मविश्वास के साथ उनका मानसिक ध्यान करे। वह यह विचार करे कि हनुमान जी की दिव्य और बलवान शक्तियां मेरे मन व शरीर में प्रवेश कर रही हैं। यह शक्ति मेरी मन की शक्ति को बढ़ाने में सहायक बने। धीरे-धीरे इस प्रकार अभ्यास करने से उपासक के मन का शक्ति द्वार खुलने लगता है और एकाग्रता पर नियंत्रण होने लगता है। जब ऐसा अनुभव हो तो समझना चाहिए कि बजरंग बाण सिद्ध हो गया।
हनुमान जी की पूजा में इत्र, सुगंधित द्रव्य तथा गुलाब के फूलों का प्रयोग नहीं किया जाता।
उपासक स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण कर बैठे। यदि लाल लंगोट पहने हो तो सर्वोत्तम माना जाता है।
हनुमान साधना में हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के सामने तेल का दीपक जलाना चाहिए और उन्हें गुड़ मिश्रित चने का भोग लगाना चाहिए। उपासना करने वाला अपना आसन ऊनी वस्त्र का ही बिछाए और मन में हनुमान जी का ध्यान करे। धीरे-धीरे उपासक स्वयं महसूस करेगा कि उसके शरीर में एक नई चेतना, एक नया जोश और नई शक्ति का प्रवेश हो रहा है।
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बच्चों की नजर उतारने, शांत और गहन निद्रा के लिए रात्रि को अकेले यात्रा करते समय भूत-बाधा दूर करने तथा अकारण भय को दूर करने के लिए बजरंग बाण आश्चर्यजनक सफलता देता है। किसी भी महत्वपूर्ण कार्य पर जाने से पूर्व भी यदि इसका पाठ किया जाए तो उसमें निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी।
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