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हम समानता को बढ़ावा कैसे दे सकते है?
Answer
- औपचारिक समानता की स्थापना :- समानता लाने की दिशा में पहला कदम असमानता और विशेषाधिकार की औपचारिक व्यवस्था को समाप्त करना होगा ।
- विभेदक बरताव द्वारा समानता :- समानता के सिंद्धात को यथार्थ में बदलने के लिए औपचारिक समानता या कानून के समक्ष समानता आवश्यक तो है, लेकिन पर्याप्त नहीं ।
- सकारात्मक कार्यवाई :-
सामाजिक समानता से क्या तात्पर्य है?
इसे सुनेंरोकेंसामाजिक सन्दर्भों में समानता का अर्थ किसी समाज की उस स्थिति से है जिसमें उस समाज के सभी लोग समान (अलग-अलग नहीं) अधिकार या प्रतिष्ठा (status) रखते हैं। सामाजिक समानता किसी समाज की वह अवस्था है जिसके अन्तर्गत उस समाज के सभी व्यक्तियों को सामाजिक आधार पर समान महत्व प्राप्त हो।
भारतीय लोकतंत्र में समानता से आप क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंसमानता व्यापक रूप से स्वीकृत आदर्श है, जिसे अनेक देशों के संविधान और कानूनों में सम्मिलित किया गया है। समानता की अवधारणा में यह निहित है कि सभी मनुष्य अपनी दक्षता और प्रतिभा को विकसित करने के लिए तथा अपने लक्ष्यों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए समान अधिकार और अवसरों के हकदार हैं।
समानता से आप क्या समझते हैं इसके विभिन्न रूपों पर चर्चा करें?
समानता के प्रकार या रूप (samanta ke prakar)
- प्राकृतिक समानता प्राकृतिक समानता का अर्थ है कि प्रकृति ने सभी व्यक्तियों को समान रूप से पैदा किया है, अतः सभी समान है।
- नागरिक समानता
- राजनीतिक समानता
- आर्थिक समानता
- कानूनी समानता
- सामाजिक समानता
- नैतिक समानता
समानता की स्थापना के लिए विशेष अधिकार क्यों आवश्यक है कोई दो आवश्यक कारण लिखिए?
इसे सुनेंरोकेंजहाँ पहले भेदभाव और दुर्व्यवहार से लोगों की रक्षा करने के लिए कोई कानून नहीं था, अब अनेक कानून लोगों के सम्मान तथा उनके साथ समानता के व्यवहार को सुनिश्चित करने के लिए मौजूद हैं। ___ समानता को स्थापित करने के लिए संविधान में जो प्रावधान हैं, उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं – प्रथम, कानून की दृष्टि में हर व्यक्ति समान है।
शैक्षिक अवसरों की समानता से आप क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंशैक्षिक अवसरों की समानता का अर्थ Meaning of Equality of educational opportunities. समानता का तात्पर्य अवसर की समानता से है। राज्य की ओर से सबको समान समझा जाए जाति, रंग, नस्ल, धर्म आदि के कारण किसी के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव (discrimination) ना किया जाए।
समानता की मुख्य विशेषता क्या है?
इसे सुनेंरोकेंसारांश में, हम कह सकते हैं कि समानता का भाव – जन्म, धर्म, नस्ल, रंग आदि के आधार पर विशेषाधिकार की अनुपस्थिति। बिना किसी भेदभाव के सभी व्यक्तियों को समान अधिकार की प्राप्ति। व्यक्तियों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए योग्य अवसरों की समान रूप में उपलब्धता है।
समानता का क्या अर्थ है समझाइए?
इसे सुनेंरोकेंसमानता का अर्थ किसी समाज की उस स्थिति से है, जिसमें सभी लोग समान अधिकार या प्रतिष्ठा रखते हैं। सामाजिक समानता में स्वास्थ्य की समानता, आर्थिक समानता व अन्य सामाजिक सुरक्षा के अलावा समान अवसर व समान दायित्व भी आता है। वास्तव में यही वह अवस्था है, जब हर व्यक्ति को समान महत्व दिया जाए।
समानता से आप क्या समझते हैं class 6?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर भारत का संविधान समानता के बारे में कहता है कि प्रत्येक व्यक्ति को समान अधिकार और समान अवसर प्राप्त हैं। लोग अपनी पसंद का काम चुनने के लिए स्वतंत्र हैं। सरकारी नौकरियों में सभी लोगों के लिए समान अवसर उपलब्ध हैं। सरकार सभी धर्मों को बराबर महत्त्व तथा सम्मान प्रदान करेगी।
राजनीतिक समानता से आप क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंराजनीतिक समानता का अभिप्राय है कि सभी नागरिकों को समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त हो । जैसे मत देने, शासन प्रक्रिया में भाग लेने का अधिकार । समाज में कोई ऐसा विशेष अधिकार युक्त वर्ग नहीं होगा, जिसका संपूर्ण शासन व्यवस्था पर अधिकार हो ।
भारतीय संविधान में अधिकार
- अधिकारों का महत्व
- अधिकारों का घोषणापत्र
- भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार
- समता का अधिकार
- स्वतंत्रता का अधिकार
- शोषण के विरुद्ध अधिकार
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
- सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार
इसे सुनेंरोकेंसमानता की प्राप्ति के लिए ज़रूरी है कि से सभी निषेध या विशेषाधिकारों का अंत किया जाए । चूँकि ऐसी बहुत सी व्यवस्थाओं को कानून का समर्थन प्राप्त है इसलिए यह ज़रूरी होगा कि सरकार और कानून असमानता की व्यवस्थाओं को संरक्षण देना बंद करे । 4 सकारात्मक कार्रवाई समाज में समतावाद को कैसे बढ़ावा देती है? इसे सुनेंरोकेंसकारात्मक कार्रवाई
का सिद्धांत सामाजिक आर्थिक रूप से वंचित लोगों के तरजीही उपचार के माध्यम से सामाजिक समानता को बढ़ावा देना है। अक्सर, ये लोग उत्पीड़न या गुलामी जैसे ऐतिहासिक कारणों से वंचित रह जाते हैं। समानता का प्रमुख कारण क्या है? इसे सुनेंरोकेंसमानता की अवधारणा एक राजनीतिक आदर्श के रूप में उन विशिष्टताओं पर ज़ोर देती है, जिसमें तमाम मनुष्य रंग, लिंग, वंश या राष्ट्रीयता के फ़र्क के बाद भी साझेदार होते हैं। समानता का दावा है कि समान मानवता के कारण सभी मनुष्य समान महत्त्व और सम्मान
पाने योग्य हैं।हम समानता को कैसे बढ़ावा दे सकते हैं?
समानता के अधिकार से क्या अभिप्राय है?
इसे सुनेंरोकेंभारत के संविधान में समानता के अधिकारों का स्थान भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 में इस अधिकार का वर्णन किया गया है। विधि के समक्ष समता के अधिकार का यह भी अर्थ है, कि जन्म या विचार या संप्रदाय के आधार पर किसी भी व्यक्ति का कोई विशेषाधिकार नहीं होगा तथा देश का सामान्य कानून सभी वर्ग के लोगों पर समान रूप से लगाया जाएगा।
समतावाद क्या है समानता को दूर करने के लिए विभिन्न दृष्टिकोणों की विवेचना कीजिए?
इसे सुनेंरोकेंसमतावाद का सिद्धांत सभी मनुष्यों के समान मूल्य और नैतिक स्थिति की संकल्पना पर बल देता है। समतावाद का दर्शन ऐसी व्यवस्था का समर्थन करता है जिसमें सम्पन्न और समर्थ व्यक्तियों के साथ-साथ निर्बल, निर्धन और वंचित व्यक्तियों को भी आत्मविकास के लिए उपयुक्त अवसर और अनुकूल परिस्थितियाँ प्राप्त हो सकें।
समानता का निष्कर्ष क्या है?
इसे सुनेंरोकें(1) समानता दो व्यक्तियों के बीच का ऐसा संबंध है, जिसे व्यक्ति अपनी मूल प्रकृति की समानता के चलते साझा करते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो समानता एक स्वाभाविक तत्व है। (2) अतः किसी व्यक्ति से जाति, धर्म, लिंग, नस्ल, अक्षमता या वर्ग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता। यह नैतिक रूप से गलत है।
सकारात्मक कार्यवाही समाज में शमशाबाद को कैसे बढ़ावा देती है?
इसे सुनेंरोकेंऐतिहासिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, सकारात्मक कार्रवाई के लिए समर्थन ने रोजगार और वेतन में असमानताओं को पाटने, शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने, विविधता को बढ़ावा देने और स्पष्ट अतीत की गलतियों को दूर करने, नुकसान पहुंचाने जैसे लक्ष्यों को प्राप्त करने की मांग की है।
सकारात्मक कार्यवाही समाज में समतावाद को कैसे बढ़ावा देती है?
स्वतंत्रता का निष्कर्ष क्या है?
इसे सुनेंरोकेंचूँकि स्वतंत्रता सामाजिक जीवन की सीमाओं से बँधी होती है, इसीलिए किसी व्यक्ति को वहीं तक स्वतन्त्रता प्रदान की जा सकती है जहाँ तक वह दूसरों की स्वतंत्रता में बाधक न हो । जहाँ एक व्यक्ति की स्वतंत्रता दूसरे व्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए खतरा पैदा कर सकती है, वही उस पर प्रतिबंध लगाना जरूरी हो जाता है ।