डाटा और सूचना से आप क्या समझते हैं? - daata aur soochana se aap kya samajhate hain?

डाटा और सूचना क्या है

कम्प्यूटर द्वारा प्रोसेस करने योग्य उपलब्ध सभी प्रकार की सामग्री डेटा कहलाती है। जिस डेटा पर प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी हो वह सूचना कहलाती है। दूसरे शब्दों में डाटा पर प्रक्रिया होने के बाद जो अर्थपूर्ण डेटा प्राप्त होता है, उसे सूचना कहते हैं। सूचना, वर्तमान और भविष्य के लिए निर्णय लेने में सहायक एवं मूल्यांकन के लिए आवश्यक सामग्री होती है।

कंप्यूटर के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

कौन-सा डिवाइस डीएमए चैनल का उपयोग करता है?

A. मॉडेम
B. नेटवर्क कार्ड
C. साउंड कार्ड
D. उपरोक्त सभी

प्रिंटर को सिस्टम यूनिट के साथ जोड़ने के लिए प्रयोग किया जाता है

A. यूएसबी पोर्ट
B. पैरेलल पोर्ट
C. सीरियल पोर्ट
D. नेटवर्क पोर्ट

इंटरनेट किस प्रोटोकॉल का इस्तेमाल करता है?

A. टीसीपी/आईपी
B. जावा
C. एचटीएमएल
D. फ्लैश

कम्प्यूटर के यूएसबी पोर्ट से किसे नहीं जोड़ा जा सकता है?

A. माउस
B. प्रिंटर
C. पेन ड्राइव
D. हार्ड डिस्क

व्हाइट बॉक्स टेस्टिंग को दूसरे किस नाम से पुकराते हैं।

(A) बेसिक पाथ टेस्टिंग
(B) ग्राफ टेस्टिंग
(C) डाटा फ्लो टेस्टिंग
(D) ग्लास बाक्स टेस्टिंग

Answer

ग्लास बाक्स टेस्टिंग

निम्नलिखित किस तकनीक में डाटा ट्रांसफर करने के लिए सोर्स डिवाइस और डेस्टिनेशन डिवाइस का लाइन ऑफ साइट में होना आवश्यक है

(A) LAN
(B) ब्लूटूथ
(C) WAN
(D) इन्फ्रारेड

माइक्रोपोसेसर किस पीढ़ी का कम्प्यूटर है?

(A) प्रथम
(B) द्वितीय
(C) तृतीय
(D) चतुर्थ

वह हैकर जो किसी के कम्प्यूटर से सूचनाओं को चुराता है, और उन्हें नष्ट कर देता है?

(A) व्हाइट हैट हैकर
(B) ब्लैक हैट हैकर
(C) हैकविस्ट
(D) कोई नहीं

इनमें से कौन-सा कम्प्यूटर सबसे छोटा है?

A. मिनी कम्प्यूटर
B. सुपर कम्प्यूटर
C. माइक्रो कम्प्यूटर
D. मेनफ्रेम

कम्प्यूटर भाषा JAVa के आविष्कारक कौन है?

(A) IBM
(B) माइक्रोसॉफ्ट
(C) सन माइक्रोसिस्टम
(D) इनफोसिस्टम

किसी प्रिंटर की विशेषता किस आधार पर तय की जाती है?

(A) डॉट प्रति वर्ग इंच
(B) डॉ प्रति इंच
(C) डॉट
(D) कोई नहीं

8-बिट का युग्म क्या कहलाएगा?

(A) बाइट
(B) वर्ड
(C) रिकॉर्ड
(D) कोई नहीं

कम्प्यूटर सिस्टम की घड़ी क्या है?

(A) एक सॉफ्टवेयर है जो टास्क बार पर समय दिखाती है और परिवर्तित नहीं की जा सकती
(B) एक टाइमिंग डिवाइस है जो कम्प्यूटर में सभी इन्स्ट्रक्शन इनपुट को प्रोसेस करती है
(C) एक टाइमिंग डिवाइस है जो कम्प्यूटर के ऑपरेशनों को सिंकोनाइज करने के लिए इलेक्ट्रिकल पल्स पैदा करती
(D) एक डिवाइस है जो कम्प्यूटर सिस्टम में सबसे नई और सबसे आधुनिक है

Answer

एक टाइमिंग डिवाइस है जो कम्प्यूटर के ऑपरेशनों को सिंकोनाइज करने के लिए इलेक्ट्रिकल पल्स पैदा करती

कैड शब्द का संबंध कम्प्यूटर में किससे है?

A. एकाउन्ट
B. डिजाइन से
C. मीडिया
D. साइन्स से

निम्नांकित में से कौन कम्प्यूटर का बिल्ट इन मेमोरी है?

A. EROM
B. ROM
C. RAM
D. PROM

उस कम्प्यूटर प्रोग्राम को क्या कहते हैं, जो आपके कम्प्यूटर सिस्टम की फंक्शनैलिटी को सीमित कर सकता है?

A. डिसीज
B. टॉरपीडो
C. वायरस
D. हरीकेन

कम्प्यूटर के यूएसबी पोर्ट से किसे नहीं जोड़ा जा सकता है?

A. माउस
B. प्रिंटर
C. पेन ड्राइव
D. हार्ड डिस्क

इनमें से कौन-सा कम्प्यूटर सबसे छोटा है?

A. मिनी कम्प्यूटर
B. सुपर कम्प्यूटर
C. माइक्रो कम्प्यूटर
D. मेनफ्रेम

इस पोस्ट में डाटा और सूचना क्या है Processed data is known as प्रोसेस्ड डेटा को……….के रूप में जाना जाता है डाटा क्या है हिंदी डाटा कलेक्शन क्या है सर्वे डाटा संग्रहण और विश्लेषण डेटा शब्द किस भाषा से लिया गया है  डाटा और सूचना से आप क्या समझते हैं? डेटा और सूचना के बीच क्या अंतर है? डाटा का क्या अर्थ है? डेटा किसे कहते हैं यह कितने प्रकार के होते हैं? कंप्यूटर से संबंधित काफी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है यह जानकारी फायदेमंद लगे तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और इसके बारे में आप कुछ जानना यह पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट करके अवश्य पूछे.

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डाटा क्या है?
असिध्द तथ्य अंक और सांख्यिकी का समूह, जिस पर प्रक्रिया करने से अर्थपूर्ण सूचना प्रप्ता होती है।

प्रक्रिया क्या है ?
डाटा जैसे- अक्षर, अंक, सकंख्यिकी या किसी चित्र को सुव्यवस्थित करना उनकी गणना करना प्रक्रिया कहलाती है। डाटा को संकलित कर, जाँचा जाता है और किसी क्रम में व्यवस्थित करनें के बाद संग्रहीत कर लिया जाता है, इसके बाद इसे विभिन्न व्यक्यि (जिन्हें सूचना की आवश्यकता है) को भेजा जाता है। प्रक्रिया में निम्नालिखित पदो का समावेश होता है।
गणना :-जोडना, घटाना, गुड़ा करना, भाग देना।
तुलना :बराबर , बड़ा छोटा, शून्य, धनात्मक ऋणात्मक ।
निर्णय लेना : किसी सर्त के आधार पर विभिन्न अवस्थाएँ।
तर्क: आवश्यक परिणाम को प्राप्त करने के लिए पदों का क्रम।
केवल स्ख्याओं (अंकों) की गणना को ही प्रक्रिया नहीं कहते हैं। कम्प्यूटर की सहायता से दस्तवेजो में त्रुटियाँ ढ़ूढ़ना, टैक्ट को व्यवस्थित करना आदि भी प्रक्रिया कहलाता है।

सूचना क्या है?
जिस डाटा पर प्रक्रिया हो चुकी हो,वह सूचना कहलाती है। अर्थपूर्ण तथ्य,अंक या सांख्यिकी सूचना होती है। दूसरो शब्दों में डाटा पर प्रक्रिया होने के बाद जो अर्थपूर्ण डाटा प्राप्त होता है, उसे सूचना कहतें। अनुरूपता की विभिन्न श्रेणियों का गुण रखने वाली उपयोगी सामग्री होती होती है-सूचना निम्नालिखित कारणों से अति-आवश्यक और साहायक होती है-
(a) यह जानकारी
(b) यह वर्तमान और भविष्य के लिए निर्यय लेने में सहायता करती है
(c) यह भविष्य का मूल्यांकन करने में सहायक है।

सूचना के गुण
हम जानते है कि सूचना किसी प्रणाली के लिए अति अवश्यक कारक हैं इस लिए सूचना में अग्रलिखित गुण होने चाहियेः
(a) अर्थपूर्णता
(b) विस्मयकारी तत्व
(c)पूर्व जानकारी से सहमति
(d)पूर्व जानकारी में सुधार
(e) संक्षिप्तता
(f)शुध्दता या यथार्थता
(g)समयबध्ता
(h) कार्य-संपादन में सहायक

डेटा संचार (Data Communication)

डेटा संचार दो या दो से अधिक कंप्यूटर केन्द्रों के बीच डिजिटल (ऐसी प्रणाली जिसमे मुख्य से डाटा अदान-प्रदान के लिए अंक का उपयोग किया जाता है) या एनालॉग (ऐसी प्रणाली जिसमे विद्युत संकेतों का प्रयोग डाटा अदान-प्रदान के लिए किया जाता है) डेटा का स्थान्तरण है, जो आपस मे संचार चेनल से जुड़ा होता है.

डेटा संचार के लाभ

-    डेटा को भौतिक रूप से भेजने मे तथा सेट तैयार करने मे लगने वाले समय की बचत

-    आधुनिक कंप्यूटर के प्रोसेसिंग शक्ति तथा संग्रहण क्षमता का पूर्ण उपयोग.

-    फाइल से सूचनाओं की तीव्र प्राप्ति.

-    फाइलों के नक़ल से बचाव

-    कम खर्च मे डेटा का अदान-प्रदान

संचार चेनल के प्रकार -

१. सिम्पलेक्स चेनल (Simplex Channel) -

A————>B

इसमें डाटा का प्रवाह बस इक ही दिशा मे होता है. जैसे – रेडियो स्टेशन से रेडियो सिग्नल श्रोताओं के पास पहुचता है, पर श्रोता वापस उस सिग्नल को रेडियो स्टेशन नहीं भेज सकता. इसमें सिग्नल बस A से B की दिशा मे ही जाता है.

२. अर्द्ध डुप्लेक्स चेनल (Half Duplex Channel)-

————————->

A                                              B

<————————-

इस चेनल मे डाटा का प्रवाह दोनों दिशाओ मे होता है. परन्तु एक समय मे किसी एक ही दिशा मे डाटा का प्रवाह होता है. अर्थात A से  B की ओर या फिर  B से  A की ओर. जैसा टेलीफोन मे होता है.

३. पूर्ण डुप्लेक्स चेनल (Full Duplex Channel)-

——————————->

A <—————————-B

——————————->

B —————————->A

इस  चेनल मे डाटा का प्रवाह दोनों दिशाओं मे एक साथ होता है. एक ही समय मे डेटा A से B की ओर  या  B से  A की ओर भेजा जाता हैं. जैसा के कंप्यूटर इन्टरनेट सेवा मे होता है.

डेटा कम्यूनिकेशन माध्यम (Data Communication Medium)

एक कंप्यूटर से टर्मिनल या टर्मिनल से कंप्यूटर तक डाटा के प्रवाह के लिए किसी माध्यम की अवश्यकता होती हैं जिसे कम्यूनिकेशन लाइन या डाटा लिंक कहते हैं. ये निम्न प्रकार के होते है –

  • स्टैंडर्ड टेलीफोन लाइन (Standard Telephone Line)
  • को-एक्सेल केबल (Coaxial-Cable)
  • माइक्रोवेव ट्रांसमिशन (Microwave Transmission)
  • उपग्रह संचार (Satellite Communication)
  • प्रकाशीय तंतु (Optical Fiber)

स्टैंडर्ड टेलीफोन लाइन (Standard Telephone Line) – यह व्यापक रूप से उपयोग होने वाला डाटा कम्यूनिकेशन माध्यम हैं. इसके ज्यादा प्रभावी रूप से होने का कारण यह है की इसे जोड़ना सरल हैं तथा बड़ी मात्रा मे टेलीफोन केबल लाइन उपलब्ध है. ये दो तांबे के तार होते हैं जिनपर कुचालक की एक परत चढ़ी होती हैं.

को-एक्सेल केबल (Coaxial-Cable)- यह उच्च गुणवत्ता के संचार के माध्यम है. ये जमीन या समुन्द्र के नीचे से ले जाए जाते हैं. को-एक्सेल केबल के केन्द्र मे एक ठोस तार होता हैं जो कुचालक से चारों तरफ घिरा होता हैं. इस कुचालक के ऊपर तार की एक जाली होती हैं जिसके भी ऊपर एक और कुचालक की परत होती हैं. ये टेलिफोन तार की तुलना मे बहुत महगा होता है पर ये अधिक डेटा को ले जा सकता हैं. इसका उपयोग केवल टीवी नेटवर्क या फिर कंप्यूटर नेटवर्क मे किया जाता हैं

माइक्रोवेव ट्रांसमिशन (Microwave Transmission) –इस सिस्टम मे सिग्नल खुले जगह से होकर रेडियो सिग्नल की तरह संचारित किये जाते हैं. यह स्टैंडर्ड टेलिफोन लाइन और को-एक्सेल केबल की तुलना मे तीव्र गति से संचार अदान प्रदान करता हैं. एक सिस्टम मे डाटा एक सीधी रेखा मे गमन करती है तथा एंटीना की भी आवश्कता होती हैं. लगभग तीस किलोमीटर पर एक रिले स्टेशन की भी जरुरत होती है. इसका उपयोग टीवी प्रसारण और सेलुलर नेटवर्क मे किया जाता हैं.

उपग्रह संचार (Satellite Communication)- उपग्रह संचार तीव्र गति के डेटा संचार का माध्यम है. यह लंबी दूरी के संचार के लिए आदर्श माना जाता हैं. अंतरीक्ष मे स्थित उपग्रह को जमीन पर स्थित स्टेशन से सिग्नल भेजा जाता है. उपग्रह उस सिग्नल का विस्तार कर दूसरे जमीनी स्टेशन को पुनः भेजता है. एक सिस्टम मे विशाल डेटा के समूह को कम समय मे अधिकतम दूरी पर भेजा जाता हैं. इसका उपयोग उपग्रह फोन, टीवी, इन्टरनेट और कई वैज्ञानिक कारण से किया जाता हैं.

प्रकाशीय तंतु (Optical Fiber)- यह एक नई तकनीक हैं जिसमे धातु के तार या केबल के जगह विशिष्ट प्रकार के ग्लास या प्लास्टिक तंतु का उपयोग किया जाता हैं. ये बहुत ही हलकी और और बहुत ही तेजी से डाटा अदान प्रदान करने मे कारगर होती हैं. यह प्रकाश को आधार बना कर उसी के माध्यम से डाटा को भेजती है. यह पूर्ण आंतरिक परावर्तन के सिद्धांत पर कार्य करता हैं. यह रेडियो आवृति अवरोधों से मुक्त होता हैं. आज हरेक छेत्र मे इसका उपयोग किया जाता हैं. आपने बहुत से जगह टेबल पर रखा पतले पतले तारो से लाइट निकलने वाला सजाने का सामान देखा होगा ये उसी के सिद्धांत पर काम करता हैं.

डाटा मॉडल

          यह उन विचारों का संग्रह है जो डाटाबेस के स्ट्रक्चर के वर्णन करने में किये जा सकते हैं अर्थात् इसका उपयोग डाटा का वर्णन करने, डाटा के मध्य संबंधों का वर्णन करने इन्टरफेस, डाटा सिमेन्टिक्स और कन्सिस्टैन्सी कन्सट्रैन्ट्स का वर्णन करने के कार्य के लिए होता है। डाटा मॉडल तीन समूहों में विभाजित होता है-

1. ऑब्जक्ट बेस्ड लॉजिकल मॉडल-
इसका उपयोग विचार संबंधी व्यू स्तर पर डाटा का वर्णन करने के लिए किया जाता है। ये निम्न प्रकार के होते हैं-
-इन्टीटी रिलेशनशिप मॉडल
-ऑब्जक्ट ओरिइन्टेड मॉडल
-बाइनरी मॉडल
-सिमेन्टिक्स डाटा मॉडल
-फंक्शनल डाटा मॉडल

2. रिकॉर्ड बेस्ड लॉजिकल मॉडल-
इसका प्रयोग भी विचार संबंधी(conceptual) व्यू स्तर पर डाटा का वर्णन करने हेतू होता है। यह स्थाई फार्मेट रिकॉर्ड टाइप में प्रयोग किया जाता है। प्रत्येक रिकॉर्ड टाइप में एट्रीब्यूट्स की संख्या या फिल्ड्स होती हैं और हर फिल्ड निश्चित लंबाई की होती है। इसमें तीन मॉडल होते हैं-
-रिलेशनल मॉडल
-नेटवर्क मॉडल
-हाइरारिकल मॉडल

3.फिजिकल डाटा मॉडल-
इसका प्रयोग, आन्तरिक स्तर पर न्यूनतम स्तर पर डाटा का वर्णन करने हेतु किया जाता है।
(1)इंटिटि- यह वास्तविक दुनिया की वस्तुओं को दर्शाती है।
(2)एट्रीब्यूट- यह उपभोक्ता का नाम, पता आदि जैसी इंटिटि का वर्णन करता है।
(3) इंटिटि सेट- यह एट्रीब्यूट्स और फिल्ड्स का संग्रह है।
(4)रिलेशनलशीप- यह इंटिटिज के मध्य परस्पर संबंधों को दर्शाता है।
(5)रिलेशनलशीप सेट- एक ही प्रकार की रिलेशनलशीप का समूह है। दो इंटिटि सेट के मध्य के संबंध को रिलेशनलशीप सेट कहते हैं।

डीबीएमएस की संरचना(आर्किटेक्चर)

यह तीन स्तरों से बनता है-

1.आन्तरिक स्तर(Internal level)
इस स्तर में, यह डाटाबेस के भौतिक संग्रहण संरचना का वर्णन करता है। वह डाटा संग्रहण की पूर्ण जानकारी का और डाटाबेस के लिए एक्सेस पाथ का वर्णन करता है। वह यह भी निर्धारित करता है कि कौन सी इन्डेक्सेस मौजूद हैं, स्टोर किए गए रिकॉर्ड किस क्रम में हैं आदि।

2.बाहरी स्तर(External level)
इस स्तर में, डाटा व्यक्तिगत यूजर द्वारा उपयोग में लाया जाता है। यह डाटाबेस के उस भाग का वर्णन करता है जो यूजर के लिए उपयोगी होती है। यह डाटाबेस की सूची को यूजर से छिपाता है। यह स्तर अलग -अलग यूजर के लिए अलग -अलग होता है।

3.विचार संबंधी स्तर(Conceptual level)
इस स्तर में, पूर्ण डाटाबेस की संरचना का वर्णन होता है। इसमें बाहरी स्तर से विचार संबंधी स्तर तक की मैपिंग होती है, और विचार संबंधी स्तर से आन्तरिक स्तर तक की मैपिंग होती है। यह स्तरों के मध्य जानकारी के रूपान्तरण की प्रक्रिया है।

विचार संबंधी – आंतरिक मैपिंग 
यह, कॉन्सेप्चुअल व्यू को और स्टोर किए जा चुके डाटाबेस के मध्य अनुकूलता को परिभाषित करता है। यह ये निर्धारित करता है कि कॉन्सेप्चुअल रिकॉर्ड्स और फिल्ड्स आन्तरिक स्तर पर कैसे प्रदर्शित किए जा सकते हैं। अगर स्टोर किए जा चुके डाटाबेस की संरचना बदलती है या डाटाबेस में कोई परिवर्तन किया जाता है, तब इसके अनुसार ही कॉन्सेप्चुअल-आन्तरिक मैपिंग को भी परिवर्तित किया जाना चाहिए, ताकि कॉन्सेप्चुअल स्कीमा अनुकूल रहे।

बाहरी-कॉन्सेप्चुअल मैपिंग
यह एक विशिष्ट बाहरी व्यू और कॉन्सेप्चुअल व्यू के मध्य परस्पर अनुकूलता को परिभाषित करता है। एक ही समय पर बाहरी व्यू की कोई भी संख्या मौजूद हो सकती है, किसी भी संख्या में यूजर्स दिए गए एक बाहरी व्यू को आपस में बाँट सकते हैं।

स्कीमॉस और इंटेन्सेस 

डाटाबेस का वर्णन डाटाबेस स्कीमा कहलाता है, जो डाटाबेस डिजाइन के दौरान निर्धारित किया जाता है, और जिसके अधिक आवृति से बदलने की आशंका नहीं होती। डिस्प्ले किये गये स्कीमा को स्कीमा डिजाइन कहा जाता है। एक स्कीमा चित्र स्कीमा के केवल कुछ ही पहलुओं को दर्शाता है जैसे रिकॉर्ड टाइप्स के नाम, डाटा आइटम्स, और कन्सट्रैन्ट्स के कुछ प्रकार। डाटाबेस का वास्तविक डाटा अधिक आवृत्ति से बदलता है – क्योंकि हमें हर समय नये रिकॉर्ड की आवश्यकता होती है। डाटाबेस में एक विशिष्ट समय बिन्दु पर रखे डाटा को डाटाबेस में इन्सटेन्स कहा जाता है। इसे डाटाबेस स्टेट या स्नैपशॉट भी कहा जाता है। हर समय जब हम रिकॉर्ड को इन्सर्ट या डिलिट करते हैं या रिकॉर्ड में डाटा आईटम की वेल्यू को बदलते हैं तो डाटाबेस की एक स्टेट को दूसरी स्टेट में बदलते हैं, जिसे डाटाबेस स्टेट कहते हैं।
स्वतंत्रता(independence)
नॉन-डीबीएमएस सिस्टम पर लागू किए गए एप्लीकेशन्स डाटा आश्रित होते हैं अर्थात् वह तरीका जिससे सेकेण्डरी स्टोरेज पर संगठित किया जाता है, और उसे एक्सेस करने की तकनीक, दोनों ही बातें विचाराधीन एप्लीकेशन की आवश्यकताओं द्वारा वर्णित की जाती है। डाटा संगठन और वह एक्सेस तकनीक, एप्लीकेशन तर्क और कोड में बनाई जाती है। स्टोरेज स्ट्रक्चर या एक्सेस तकनीक को एप्लीकेशन को प्रभावित किए बिना परिवर्तित करना असंभव है। परन्तु डाटा स्वतंत्रता दो कारणों से महत्वपूर्ण है-
1) अलग -अलग एप्लीकेशन को एक ही डाटा के अलग -अलग व्यू की आवश्यकता होगी, जिसके लिए संगठन डाटाबेस की रचना करता है।
2) डीबीए को बदलती आवश्यकताओं को ध्यान में रखतचे हुए स्टोरेज स्ट्रक्चर या एक्सेस तकनीक को परिवर्तित करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।
डाटा स्वतंत्रता के प्रकार

(अ)तर्कसंगत डाटा स्वतंत्रता
तर्कसंगत डाटा स्वतंत्रता, बाहरी स्कीमा और एप्लीकेशन प्रोग्राम को परिवर्तित किए बिना ही, आन्तरिक स्कीमा को परिवर्तित करने की क्षमता – को कहते हैं। कॉन्सेप्चुअल स्कीमा को, रिकॉर्ड या डाटा आईटम को हटाने अथवा डाटाबेस का विस्तार करने के लिए, परिवर्तित किया जाता है-परन्तु एडीशन और डिलीशन बाहरी न्यू पर कोई प्रभाव नहीं डालता।
(ब)भौतिक डाटा स्वतंत्रता
भौतिक डाटा स्वतंत्रता, कॉन्सेप्चुअल अथवा बाहरी स्कीमा में, कोई भी परिवर्तन किए बिना, आन्तरिक स्कीमा को परिवर्तित करने की क्षमता – को कहते हैं। आन्तरिक स्कीमा में परिवर्तन इसलिए आवश्यक होते हैं क्योंकि कुछ भौतिक फाईलों को पुनर्गठित किया जाना होता है। इसलिए, डाटा स्वतंत्रता में, जब स्कीमा किसी स्तर पर परिवर्तित की जाती है, तो अगले उच्च स्तर की स्कीमा अपरिवर्तित रहती है, केवल दो स्तरों के मध्य की मैपिंग परिवर्तित होती है। इसलिए उच्च स्तर स्कीमा को रिफर करने वाले एप्लीकेशन्स प्रोग्राम्स को परिवर्तित करने की आवश्यकता नहीं होती है।

.डाटा डेफिनेशन लेंग्वेज

इसका उपयोग डाटा स्ट्रक्चर, टेबल, व्यू और इन्डाइसिस को परिभाषित करने हेतु होता है। इसमें डाटा डिक्शनरी भी होती है।

2.डाटा मेनिप्यूलेशन लेंग्वेज(डीएमएल)
इसका प्रयोग डाटा के इन्सर्शन, डिलिशन, मॉडिफिकेशन के लिए, टेबल से जानकारी को रिट्राइव करने के लिए होता है। यह दो प्रकार की होती है-
(अ) प्रोसिजरल डीएमएल
इसमें यूजर व्यक्तिगत रिकॉर्ड्स प्राप्त करता है या आब्जेक्ट्स को डाटाबेस से प्राप्त करता है और उसेअलग से प्रोसेस करता है। यूजर यह निर्धारित करता है कि उसे किस प्रकार का डाटा चाहिए और कैसे।
(ब) नॉन-प्रोसिजरल डीएमएल
इसमें यूजर यह निर्धारित करता है कि उसे किस प्रकार का डाटा चाहिए, पर यह निर्धारित नहीं कर सकता कि वह डाटा कैसे प्राप्त किया जाए।

3.डाटा कंट्रोल लेंग्वेज इसका उपयोग यूजर को डाटाबेस तक एक्सेस करने में नियंत्रित करने के लिए होता है। डाटाबेस को सभी सुरक्षाऐं डाटा कंट्रोल लिंग्वेज द्वारा प्रदान की जाती हैं।

डाटाबेस सिस्टम एनवायरमेंट

डाटाबेस एक जटिल सॉफ्टवेयर सिस्टम है। डाटाबेस और डीबीएमएस केटलॉग सामान्यतः डिस्क पर स्टोर रहते हैं। डिस्क उस ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा नियंत्रित होता है जो इसके इनपुट और आउटपुट का नियंत्रण करता है। डीबीएमएस के मुख्य कम्पोनेंट्स-
(1)डीडीएल कंपायलर
(2)रन टाईम डाटाबेस प्रोसेसर
(3)क्वैरी कंपायलर
(4)प्री-कंपायलर

  रिलेशनल डाटाबेस मैनेजमेण्ट सिस्टम(आरडीबीएमएस) एक सॉफ्टवेयर है जो कि रिलेशनल डाटाबेस को मैनेज करता है। रिलेशनल डाटाबेस, डाटाबेस का एक प्रकार है जो कि रिलेशनल मॉडल पर आधारित है। आरडीबीएमएस आर्किटेक्चर के दो मुख्य अंग हैं, कर्नल जो कि सोफ्टवेयर है और डाटा डिक्शनरी जो कि सिस्टम लेवल डाटा स्ट्रक्चर से बनी है जिसे कर्नल डाटाबेस को मैनेज करने के लिए उपयोग करता है।

आरडीबीएमएस की विशेषताऐं
1. रिलेशनल डाटा मैनेजमेण्ट मॉडल ने सभी पेरेन्ट-चाइल्ड रिलेशनशीप को मिटा दिया और इसके स्थान पर उसने डाटाबेस में सभी डाटा को डाटा वेल्यूस की साधारण रो-कॉलम सारणियों की तरह दर्शाया।
2.रिलेशन, डाटा वेल्यूस की रो-कॉलम सारणियों के समान है। सारणी की पंक्तियों को ट्यूपल्स कहा जाता है और कॉलम को एट्रीब्यूट्स कहा जाता है।
3.हर टेबल का अपना स्वतंत्र अस्तित्व होता है और इनमें कोई फिजिकल रिलेशनशिप नहीं होती है।
4.रिलेशनल मॉडल पर आधारित अधिकतर डाटा मैनेजमेण्ट सिस्टम्स में एसक्यूएल और क्यूबीई जैसी क्वैरी लैंग्वेजेस के लिए एक बिल्ट इन सपोर्ट होता है।
5.डाटा मैनेजमेण्ट रिलेशनल मॉडल, सैट थ्योरी पर आधारित है।
6.रिलेशनल मॉडल के साथ उपयोग में आने वाला यूजर इन्टरफेस नॉन-प्रोसिजरल है।

रिलेशनल डाटाबेस की संरचना
रिलेशनल मॉडल डाटाबेस को रिलेशन्स के संग्रह की तरह दर्शाता है। जब रिलेशन को टेबल की तरह देखा जाता है तो टेबल में प्रत्येक पंक्ति(row),संबंधित डाटा वेल्यूज के संग्रह को दर्शाती है। टेबल का नाम और कॉलम के नामों का प्रयोग हर पंक्ति के वेल्यूज के अर्थ को समझाने के लिए होता है। औपचारिक रिलेशन मॉडल शब्दों में, एक पंक्ति को ट्यूपल कहा जाता है, एक कॉलम को एट्रीब्यूट कहा जाता है और टेबल को रिलेशन कहा जाता है। एक कॉलम में आ सकने वाली वेल्यूस के प्रकार का वर्णन करने वाले डाटा टाईप को डोमेन कहा जाता है।

रिलेशनल डाटाबेस स्कीमा
एक रिलेशनल डाटाबेस, रिलेशन्स की संख्या से बना हुआ हो सकता है। डाटाबेस के स्ट्रक्चर का निरूपण कॉन्सेप्चुअल स्कीमा के उपयोग द्वारा किया जाता है जो डाटाबेस के पूर्ण लॉजिकल स्ट्रक्चर का वर्णन है। एक कॉन्सेप्चुअल स्कीमा को व्यक्त करने की सामान्य विधियाँ निम्न हैं-
अ. शॉर्ट टेक्स्ट स्टेटमेंट, जिनमें प्रत्येक रिलेशन का नाम होता है और इसके एट्रीब्यूट्स का नाम कोष्ठक में बाद में लिखा जाता है।
ब. एक ग्राफिकल प्रस्तुति जिसमें प्रत्येक रिलेशन को एक आयत द्वारा दर्शाया जाता है, जिसमें रिलेशन के एट्रीब्यूट होते हैं।

रिलेशनल कन्स्ट्रैन्ट्स और की
एक रिलेशन में, एक डाटा की पंक्ति को, उस पंक्ति में स्टोर की जा चुकी डाटावेल्यूज के आधार पर रिट्राइव करने की क्षमता होनी चाहिए। टेबल में अंडरलाइन किया गया एट्रीब्यूट उस पंक्ति को अद्वितिय रूप से पहचानता है। ये एट्रीब्यूट की कहलाता है। एट्रीब्यूट का कोई समूह, जो रिलेशन में हर ट्यूपल को अद्वितिय रूप से पहचानता(identify) है, उसे सुपर की कहा जाता है। एक कंपोजिट की वह प्राइमरी की है जो एक से अधिक एट्रीब्यूट से बनी है। फॉरेन की डाटाबेस में वह रिलेशन है जो उसी डाटाबेस में अन्य रिलेशन की प्राइमरी की(key) की तरह काम करता है। फॉरेन की का प्रयोग दो सारणियों और रिलेशन्स के बीच संबंधों को दर्शाता है। कन्स्ट्रैन्ट्स वह नियम है, जो उन वेल्यूस को सीमित करता है जो डाटाबेस में उपस्थित हो सकती है। कॉड्स के रिलेशनल डाटा मॉडल में ऐसे कन्स्ट्रैन्ट्स शामिल हैं जो डाटाबेस में डाटा की मान्यता को जांचने के लिए उपयोग किये जाते हैं। कन्स्ट्रैन्ट्स तीन प्रकार के होते हैं-
-एंटीटी इंटीग्रीटी
-रिफ्रेन्शियल इंटीग्रीटी
-फंक्शनल डिपेंडेंसी

रिलेशनल एलजेब्रा

यह एक प्रोसिजरल क्वैरी लैंग्वेज है । यह ऑपरेशन्स के ऐसे समूह से मिलकर बनती है, जो एक या दो रिलेशन पर इनपुट की तरह कार्य करते हैं और परिणाम प्राप्त करने के लिए नए रिलेशन्स की रचना करते हैं । मूल ऑपरेशन्स हैं-
1.सलेक्ट ऑपरेशन 
इसे एक ऐसा ट्यूपल चुनने के लिए उपयोग में लाया जाता है, जो एक दी गई शर्त(कंडीशन) को पूरा करता हो । इसे सिग्मा नोटेशन से दर्शाया जाता है।

2.प्रोजेक्ट ऑपरेशन
यह एक यूनरी ऑपरेटर है, प्रोजेक्ट ऑपरेशन टेबल में से कुछ कॉलम्स को सलेक्ट करता है और अन्य को छोड़ देता है। इसे पाई नोटेशन से दर्शाया जाता है।

3.सेट ऑपरेशन
यह उस ट्यूपल को दोनों रिलेशन्स में ज्ञात करता है। इस यूनियन ऑपरेशन को सेट थ्योरी की तरह U से दर्शाया जाता है। सेट ऑपरेशन के प्रकार निम्न हैं-

अ)यूनियन ऑपरेशन
इस स्थिति में कहा जा सकता है कि दोनों रिलेशन में ट्यूपल उपस्थित हैं। इसे U द्वारा दर्शाया जाता है।

(ब)सेट इन्टरसेक्शन ऑपरेशन
इसमें केवल वे ट्यूपल्स शामिल हैं जो दोनो रिलेशन्स में मौजूद(कॉमन) हैं।

(स)सेट डिफरेन्स ऑपरेशन
इस स्थिति में हम देखते हैं कि ट्यूपल एक रिलेशन में तो उपस्थित है परन्तु दूसरे में नहीं। इसे (-) से दर्शाया जाता है।

4.कार्टिसिअन प्रोडक्ट 
यह ऑपरेशन हमें दो रिलेशन्स से मिली जानकारी को जोड़ने की अनुमति देता है। इसे X द्वारा दर्शाया जाता है।

5.रिनेम ऑपरेशन
यह रिलेशन नेम या एट्रीब्यूट नेम को या फिर दोनों को रिनेम कर सकता है।

6.नेचुरल ज्वाइन ऑपरेशन
यह एक बाइनरी ऑपरेशन है। यहाँ ये सलेक्शन और कार्टिसिअन प्रोडक्ट को एक ऑपरेशन में मिला देता है। इसे JOIN चिन्ह द्वारा दर्शाया जाता है।

टपल रिलेशनल कैल्कुलस
एक कैल्कुलस एक्सप्रेशन यह निर्धारित करता है कि क्या रिट्राइव किया जाना है, वह यह निर्धारित नहीं करता कि कैसे रिट्राइव करना है। रिलेशनल कैल्कुलस को एक नॉन-प्रोसिजरल लैंग्वेज माना जाता है। यह रिलेशनल एलजेब्रा से अलग होता है जहां हमें रिट्राइव रिक्वेस्ट निर्धारित करने के लिए ऑपरेशन का क्रम(सिक्वेंस) लिखना होता है, इस कारण इसे क्वैरी निर्दिष्ट करने के एक प्रोसिजरल तरीके की तरह माना जा सकता है।

डोमेन रिलेशनल कैल्कुलस

     डोमेन रिलेशनल कैल्कुलस, टपल रिलेशनल कैल्कुलस से भिन्न है क्योंकि इसमें प्रयुक्त होने वाले वेरियबल के टाइप भिन्न-भिन्न होते हैं, यहाँ वेरियबल ट्यूपल पर रेन्ज नहीं करते अपितु वेरियबल एट्रीब्यूट के डोमेन से सिंगल विल्यू पर रेन्ज करते हैं।

इन्टीटी रिलेशनशिप मॉडल

          इन्टीटी रिलेशनशिप मॉडल, वास्तविक दुनिया के बोध(पर्सेप्शन) पर आधारित है जो ऑब्जेक्ट्स के समूह से बनता है।इन्टीटी रिलेशनशिप मॉडल(ई-आर) के मूल घटक(कम्पोनेन्ट्स) हैं-

1. इन्टीटी
यह एक स्थान कॉन्सेप्ट, घटना, व्यक्ति, वस्तु को प्रदर्शित करता है। इन्टीटी के प्रकार निम्न हैं- -स्ट्रॉग इन्टीटी सेट
वह इन्टीटी सेट जिसमें प्राइमरी की होती है, उसे स्ट्रॉग इन्टीटी सेट कहते हैं। यह एक स्वतंत्र इन्टीटी सेट है।
-वीक इन्टीटी सेट
वह इन्टीटी सेट जिसमें प्राइमरी की नहीं होती है, उसे वीक इन्टीटी सेट कहते हैं। यह एक डिपेन्डेन्ट इन्टीटी सेट है।
-एसोसिएटिव इन्टीटी
एसोसिएटिव इन्टीटी वह इन्टीटी टाइप है जो एक या कई इन्टीटी टाइप्स के इन्सटेंसेस को जोड़ती है और इसमें वे एट्रीब्यूटभी होते हैं जो उन इन्टीटी इन्सटेंसेस के बीच रिलेशन्स के लिए विशिष्ट होते हैं।

2. एट्रीब्यूट
हर इन्टीटी टाइप के साथ एक एट्रीब्यूट्स का सेट जुड़ा होता है। एक एट्रीब्यूट इन्टीटी टाइप की कोई विशेषता या गुण होता है जो ऑर्गेनाइजेशन के लिए महत्वपूर्ण होता है। एट्रीब्यूट के प्रकार निम्न हैं- -सिन्गल वैल्यूड एट्रीब्यूट
सिन्गल वैल्यूड एट्रीब्यूट वह एट्रीब्यूट है जो कि एक इन्टीटी इन्सटेंस के लिए एक ही वैल्यू ग्रहण कर सकता है।
-मल्टीवैल्यूड एट्रीब्यूट
मल्टीवैल्यूड एट्रीब्यूट वह एट्रीब्यूट है जो कि एक इन्टीटी इन्सटेंस के लिए एक से अधिक वैल्यूस ग्रहण कर सकता है।
-स्टोर्ड एट्रीब्यूट
स्टोर्ड एट्रीब्यूट वह एट्रीब्यूट है जो डाटाबेस में स्टोर्ड होते हैं।
-डिराइव्ड एट्रीब्यूट
डिराइव्ड एट्रीब्यूट वह एट्रीब्यूट है जिसकी वैल्यू संबंधित एट्रीब्यूट वैल्यूस द्वारा ज्ञात की जा सकती है।

3. रिलेशनशिप
रिलेशनशिप वे तत्व हैं जो एक ई-आर मॉडल के विभिन्न कम्पोनेन्ट्स को एक-दूसरे से जोड़े रहते हैं। रिलेशनशिप एक या अधिक इन्टीटी टाईप्स के इन्सटेंसेस के मध्य वह संबंध है जो ऑर्गेनाइजेशन के लिए महत्व रखता है।रिलेशनशिप इन्टीटी टाईप्स के मध्य सार्थक संबंध है।

रिलेशनशिप की डिग्री

रिलेशनशिप की डिग्री, उस रिलेशनशीप में सम्मिलित इन्टीटी टाइप्स की संख्या है। ई-आर मॉडल में तीन सर्वाधिक सामान्य रिलेशनशिप्स हैं-
-यूनरी रिलेशनशिप
यूनरी रिलेशनशिप, सिंगल इन्टीटी टाइप के इन्सटेंसेस के मध्य रिलेशनशिप है।
-बाइनरी रिलेशनशिप
दो इन्टीटी टाइप के इन्सटेंसेस के मध्य बाइनरी रिलेशनशिप, डाटा कॉडलिंग में उपयोग होने वाली सर्वाधिक सामान्य रिलेशनशिप है ।
-टर्नरी रिलेशनशिप
टर्नरी रिलेशनशिप एक ही समय पर तीन इन्टीटी टाइप के इन्सटेंसेस के मध्य रिलेशनशिप है।

एट्रीब्यूट इन्हेरिटेन्स 
एट्रीब्यूट इन्हेरिटेन्स वह गुण है जिसके द्वारा सबटाइप इन्टीटीज़, सुपरटाइप के सभी एट्रीब्यूट्स की वैल्यू को इन्हेरिट करती है। यह महत्वपूर्ण गुण सुपरटाइप एट्रीब्यूट्स को सबटाइप्स में रिडण्डेटली शामिल करने को आवश्यक बना देता है। दो प्रक्रियाऐं जो सबटाइप-सुपरटाइप रिलेशनशिप के लिए एक मेन्टल मॉडल की तरह कार्य करती हैं, वे हैं- जनरलाइजेशन और स्पेशियलाइजेशन

1.जनरलाइजेशन
इसमें हायर-लेवल इन्टीटी सेट और एक या अधिक लोअर लेवल इन्टीटी सेट के मध्य की रिलेशनशिप होती है। जनरलाइजेशन अधिक स्पेशियलाइज्ड इन्टीटी टाइप्स के सेट से एक अधिक जनरल इन्टीटी टाइप डिफाइन करने की प्रक्रिया है। इस प्रकार जनरलाइजेशन एक बॉटम-अप प्रक्रिया है।

2.स्पेशियलाइजेशन
यह एक टॉप-डाउन प्रक्रिया है। जनरलाइजेशन के विपरित, स्पेशियलाइजेशन सुपरटाइप के एक या अधिक सबटाइप्स को परिभाषित करने और सुपरटाइप-सबटाइप रिलेशनशिप की रचना करने की प्रक्रिया है।

एग्रीगेशन
ई-आर मॉडल की एक कमी यह भी है कि रिलेशनशिप्स के मध्य रिलेशनशिप व्यक्त करना संभव नहीं है। इस समस्या का समाधान करने का सर्वोच्च तरीका है एग्रीगेशन। एग्रीगेशन एक सब्सट्रेक्शन है जिसके द्वारा रिलेशनशिप्स को हायर लेवल इन्टीटीज़ की तरह समझा जाता है।

डाटा और सूचना से क्या समझते हैं?

डाटा को संकलित कर जाँचा जाता है और किसी क्रम में व्यवस्थित करनें के बाद संग्रहीत कर लिया जाता है इसके बाद इसे विभिन्न व्यक्यि (जिन्हें सूचना की आवश्यकता है) को भेजा जाता है। प्रक्रिया में निम्नलिखित पदो का समावेश होता है। गणना :-जोडना घटाना गुड़ा करना भाग देना । तुलना : बराबर बड़ा छोटा शून्य धनात्मक ऋणात्मक ।

डेटा और सूचना में क्या अंतर है?

यदि हम आसान भाषा में समझे तो, डाटा एक अयस्क है, जिसे रिफाइन करने के बाद हमें लोहा यानी इंफॉर्मेशन प्राप्त होता है.

डाटा डाटा से आप क्या समझते हैं?

डाटा ऐसा स्थान संग्रहित करने वाला पूरक है जिसको कम्प्यूटर या मोबाईल के सी॰ पी॰ यू॰ मेमोरी में स्थान दिया जाता है। जिसमे यह रक्षित रहता है। तथा किसी प्रोग्राम को शुरु करने गति देने और स्थगित करने के कार्य में डाटा एक माध्यम की तरह प्रयोग किया जाता है। डाटा शब्द का पहला उपयोग 1940 मे अंग्रजी मे किया गया था।

डाटा का क्या महत्व है?

विविध मंत्रालयों में बिखरे हुए डाटा सेट को समेकित करके नागरिकों को बेहतर अनुभूति प्रदान कर सकती है।

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