घायल बाज को देखकर साँप मन ही मन क्यों खुश हुआ होगा? - ghaayal baaj ko dekhakar saanp man hee man kyon khush hua hoga?

घायल बाज को देखकर साँप खुश क्यों हुआ होगा?

घायल बाज को देखकर साँप खुश हुआ होगा क्योंकि घायल बाज उसे किसी प्रकार का आघात नहीं पहुँचा सकता था।

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बाज ज़िंदगी भर आकाश में ही उड़ता रहा फिर घायल होने के बाद भी वह उड़ना क्यों चाहता था?

बाज ज़िंदगी भर आकाश में ही उड़ता रहा, फिर घायल होने के बाद भी वह उड़ना चाहता था क्योंकि अपने अतीत की ऊँची उड़ान भरने के सुख को वह मरने तक भूलना नहीं चाहता था। इसलिए जीवन के अंतिम क्षणों में भी उसकी उड़ने की इच्छा बलवती थी, वह आकाश के असीम विस्तार को पाना चाहता था।

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यदि स कहानी के पात्र बाज और साँप न होकर कोई और होते तब कहानी कैसी होती? अपनी कल्पना से लिखिए।

यदि इस कहानी के नायक बंदर और मगरमच्छ होते तो कहानी निम्न संकेत बिंदुओं कै आधार पर होती-
● बंदर का एक बरगद के पेड़ पर रहना।
● मगरमच्छ का तालाब के किनारे निवास।
● बंदर का पेड़ों की डालियाँ फाँदना, लंबी छलाँगे मारना, अपने मन से दूर जंगलों में घूमकर आना, मन चाहे व मनभावन फल खाना।
● मगरमच्छ का घंटों एक ही स्थान पर पड़े रहना, छोटा-मोटा शिकार करना, कभी-कभार तालाब में जाना, सीमित दायरे में रहना।
● एक दिन बंदर का लंगूर द्वारा घायल हो जाना, बिल्कुल चल न पाना, थककर एक पेड़ के नीचे बैठ जाना।
● मगरमच्छ का वहीं पर बैठे होना। बंदर को देखकर सहानुभूति दिखाना व लंबी छलाँगों को बेकार बताना।
● बंदर का उसकी बातें सुनकर परेशान हो जाना व हर संभव प्रयत्न करना कि वहाँ से किसी तरह भागे और पेड़ों की डालियों पर जाकर बैठे।
● बंदर का जोर से पेड़ की डाली की ओर छलाँग लगाना।
● धप्प से नदी में गिर जाना।
● नदी की लहरों द्वारा आखों से ओझल हो जाना।
● मगरमच्छ का उस पर हैरान होना व उसे मूर्ख बताना, लेकिन यह सोचना कि पेड़ों की स्वच्छता कैसी होगी?
● मगरमच्छ द्वारा छलाँग लगाने का प्रयास लेकिन भारी शरीर का ऊपर न उठना और चोट खाकर गिरना।
● अपने सीमित दायरे को बेहतर कहना।
● नदी द्वारा बंदर की प्रशंसा का गीत गूँजना।
● मगरमच्छ का अपना-सा मुँह लेकर रह जाना।

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लेखक ने इस कहानी का शीर्षक कहानी के दो पात्रों के आधार पर रखा है। लेखक ने बाज और साँप को ही क्यों चुना होगा? आपस में चर्चा कीजिए।

इस कहानी में दो नायक हैं साँप और बाज। इन दोनों नायकों का लेखक ने कुशलता से चुनाव किया है। आकाश असीम है और बाज उस असीम का प्रतीक है जो स्वतंत्र भाव से आकाश की ऊँचाइयों को पा जाना चाहता है। दूसरी और साँप है जो अपनी ही बनाई सीमाओं में बंद है, उसने स्वयं ही अपने लिए परतंत्रता का दायरा कायम किया है। साथ ही लेखक ने यह भी दर्शाया है कि बाज वीर है घायल होने पर भी लंबी उड़ान की चाह रखता है जबकि साँप कायर है जो गुफा से बाहर निकलना ही नहीं चाहता।
इस प्रकार यह स्पष्ट होता है कि लेखक ने इन दोनों नायकों के माध्यम से स्वतंत्रता-परतंत्रता एवं वीरता-कायरता के भावों को प्रकट करना चाहा है।
यही कहानी बंदर और मगरमच्छ के द्वारा भी प्रस्तुत की जा सकती है क्योंकि बंदर स्वतंत्र व निरंतर विचरण करने वाला प्राणी है। उसके लिए कोई सीमा रेखा नहीं जबकि मगरमच्छ अपने सीमित दायरे में कभी धरती व कभी पानी में जीवन व्यतीत करता है, आलसी व धीमी गति से चलने वाला प्राणी है।

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क्या पक्षियों को उड़ते समय सचमुच आनंद का अनुभव होता होगा या स्वाभाविक कार्य में आनंद का अनुभव होता ही नहीं? विचार प्रकट कीजिए।

प्रकृति ने पक्षियों को पंख इसलिए दिए ताकि वे हवा में उड़ते हुए आकाश के विस्तार को देख सकें व उसकी ऊँचाइयों को पा सकें। पक्षी चहचहाते हुए, कलरव करते हुए जब उड़ते हैं तो उन्हें बहुत आनंद आता है। जबकि पंख होते हुए भी कुछ पक्षी जैसे बतख, शतुरमुर्ग आदि अधिक उड़ान नहीं भर पाते। उनका सुख व आनंद नाममात्र ही होता है।
सभी पक्षी स्वाभाविक क्रियाओं को भी आनंदपूर्वक ही पूरा करते हैं जैसे चिड़िया घोंसला बनाते हुए तिनका-तिनका एकत्रित करने में भी आनंदित होती है। पक्षी अपने बच्चों को दाना खिलाने व सुरक्षित स्थान देने में भी आनंद का ही अनुभव करते हैं।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि पक्षी भले ही लंबी उड़ान भरने में अधिक आनंदित होते हों लेकिन स्वाभाविक क्रियाएँ भी उन्हे आनंद प्रदान करती हैं।

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घायल होने के बाद भी बाज ने यह क्यों कहा, “मुझे कोई शिकायत नहीं है।” विचार प्रकट कीजिए।

बाज को अपने जीवन में विस्तार और वीरता में ही आनंद की प्राप्ति हुई थी इसीलिए तो घायल अवस्था में साँप की गुफा में गिरने पर उसने यही कहा कि भले ही मेरी मृत्यु पास है परंतु मुझे अपने जीवन से कोई शिकायत नहीं। मैंने जिंदगी को जी भरकर जिया है। दूर-दूर तक उड़ानें भरी हैं, आकाश की असीम ऊँचाइयों को छुआ है। इस प्रकार उसने व्याख्यान दिया कि जीवन भर उसने असीम सुख भोगा है जबकि साँप ने अँधेरी व सीलनभरी गुफा में ही सारा जीवन व्यतीत किया है।

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घायल बाज को देखकर सांप खुश क्यों हुआ होगा लिखिए?

घायल बाज को देखकर साँप खुश क्यों हुआ होगा? Answer: घायल बाज को देखकर सांप इसलिए खुश हुआ होगा क्योंकि वह अब सांप का सामना नहीं कर सकता था। अब उसे बाज से डरने की आवश्यकता नहीं थी।

घायल बाज को देखकर सांप ने उससे क्या कहा पाठ के आधार पर बताइए?

बाज को अपने जीवन में विस्तार और वीरता में ही आनंद की प्राप्ति हुई थी इसीलिए तो घायल अवस्था में साँप की गुफा में गिरने पर उसने यही कहा कि भले ही मेरी मृत्यु पास है परंतु मुझे अपने जीवन से कोई शिकायत नहीं। मैंने जिंदगी को जी भरकर जिया है। दूर-दूर तक उड़ानें भरी हैं, आकाश की असीम ऊँचाइयों को छुआ है।

प्रश्न 2 बाज जिंदगी भर आकाश में ही उड़ता रहा फिर घायल होने के बाद भी वहक्यों चाहता था उड़ना?

बाज ज़िंदगी भर आकाश में ही उड़ता रहा, फिर घायल होने के बाद भी वह उड़ना चाहता था क्योंकि अपने अतीत की ऊँची उड़ान भरने के सुख को वह मरने तक भूलना नहीं चाहता था। इसलिए जीवन के अंतिम क्षणों में भी उसकी उड़ने की इच्छा बलवती थी, वह आकाश के असीम विस्तार को पाना चाहता था

बाज ने साँप को दुर्भाग्यशाली क्यों कहा?

क्योंकि वह अपनी ही बनाई पराधीनता में कैद था। उसने आकाश की ऊँचाइयों को कभी न पाया था।

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