गाँधीजी चक्की पर क्या पीसते थे? - gaandheejee chakkee par kya peesate the?

आश्रम में गांधी जी कई ऐसे काम भी करते थे, जिन्हें आमतौर पर नौकर-चाकर करते हैं। पाठ से तीन अलग-अलग प्रसंग अपने शब्दों में लिखो जो इस बात का प्रमाण हो।

आश्रम में गांधी कई ऐसे काम किया करते थे, जिन्हें आमतौर पर नौकर-चाकर करते हैं। ये कार्य हैं

  1. वे आश्रमवासियों के लिए रोज सुबह चक्की पर आटा पीसा करते थे। कभी-कभी वह चक्की ठीक करने के लिए घंटों मेहनत करते थे।
  2. सुबह की प्रार्थना के बाद गांधी जी रसोई में जाकर सब्जियाँ छीला करते थे।
  3. एक दिन तो वह रसोई में कालिख लगे बड़े-बड़े पतीले चमकाने बैठ गए।
  4. आश्रम के लिए गेहूं बीनने का काम भी गांधी जी किया करते थे।

Concept: गद्य (Prose) (Class 6)

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  • बापू की 17 घंटे की दिनचर्या बेहद अनुशासित थी, धूप में तेल से मसाज कराने का रूटीन भी तय था

महात्मा गांधी सिर्फ पेशे से कानून की वकालत करते थे, पर असल जिंदगी में वे सेहतमंद दिनचर्या के वकील थे। उनकी बहस का अक्सर विषय रहता था- कैसे खुद को स्वस्थ रखें? उनके कुदरती तर्कों में दूध से दूरी और फल-मेवे खाने की सलाह शामिल रहती थी। एलोपैथी और दूसरी पद्धतियों से विरोध नहीं था, लेकिन इनके अधिक पक्ष में भी नहीं थे।

बापू का मानना था, बीमारी इंसान की गलत आदतों का नतीजा होती है, और जो गलती करता है उसे भुगतना पड़ता है। तर्क था कि अगर आप जरूरत से ज्यादा खाएंगे तो अपच होगा। इसके इलाज के लिए उपवास करना पड़ेगा जो उसे याद दिलाएगा कि कभी जरूरत से ज्यादा नहीं खाना है। वे ज्यादातर समस्याओं का इलाज नेचुरोपैथी से करना पसंद करते थे। उनकी अनुशासित जीवनशैली ने उन्हें जीवट संघर्ष और अत्याचारों के बीच फिट बनाए रखा और खानपान में किए प्रयोगों ने पीढ़ियों को नई दिशा दी। राष्ट्रपिता की जयंती पर दैनिक भास्कर ऐप ने जाना कैसी थी बापू की 17 घंटे की दिनचर्या और विशेषज्ञों के मुताबिक उनके मायने क्या हैं?

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल की किताब गांधी एंड हेल्थ @ 150 और नेचुरोपैथी एक्सपर्ट डॉ. किरण गुप्ता के ज्ञान और अनुभव से उनकी दिनचर्या पर एक रिपोर्ट-

17 घंटे की दिनचर्या: 4 बजे उठना और रात 9 बजे तक सो जाना

  • सुबह 4 बजे : बिस्तर से उठ खड़े होते थे बापू

एक्सपर्ट व्यू :नेचुरोपैथी और आहार विशेषज्ञ डॉ. किरण गुप्ता के मुताबिक, सुबह 4 बजे वातावरण में ऑक्सीजन शुद्ध होती है। जब ये शरीर में पहुंचती है तो ऊर्जा का संचार होता है और हीमोग्लोबिन बढ़ता है। थकावट नहीं महसूस होती है। डिप्रेशन, अस्थमा जैसे रोग पास नहीं आते। यही बापू की खासियत थी। वह ऊर्जावान थे, थकते नहीं थे और उनका व्यक्तित्व सकारात्मक बना रहता था।

  • सुबह 4.20 बजे : सुबह की प्रार्थना, पत्राचार का काम

एक्सपर्ट व्यू : सुबह की प्रार्थना से मन को शांति मिलती है और यह आपके व्यवहार में भी दिखता है। मन जितना शांत होगा शब्द उतने ही प्रखर होंगे। बापू के पत्राचार की लेखनी में मौजूद हर शब्द के गहरे मायने होते थे।

जून-1945 को बॉम्बे के बिड़ला हाउस में अपना वजन कराते बापू।

  • सुबह 7.00 बजे : 5 किमी की सैर के बाद नाश्ता। आश्रम, बर्तन, शौचालय की सफाई। अनाज पीसना और सब्जियां काटना

एक्सपर्ट व्यू :सुबह की पैदल यात्रा शरीर और दिमाग दोनों सक्रिय करती है क्योंकि शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है। थकावट खत्म होती है और शरीर में ताजगी का अनुभव होता है। बापू को सुबह आश्रम में सफाई से लेकर सब्जियों को काटने की आदत थी जो उन्हें शारीरिक रूप से सक्रिय और फिट रखती थी।

  • सुबह 8.30 बजे : विशिष्ट लोगों से मुलाकात, लेखन कार्य या फिर पढ़ना

एक्सपर्ट व्यू : लोगों से मुलाकात, समस्याओं पर चिंतन और लिखने-पढ़ने का काम उनके दिमाग को सक्रिय रखता था। ऐसी छोटी-छोटी आदतें उनके व्यक्तित्व में दिन-प्रतिदिन निखार लाने का काम करती थीं।

  • सुबह 9.30 बजे : धूप में तेल से मसाज और स्नान

एक्सपर्ट व्यू : शरीर में कैल्शियम एब्जॉर्ब होने के लिए विटामिन-डी का होना जरूरी है। बापू हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए सुबह की धूप में तेल से मसाज कराते थे क्योंकि इससे विटामिन-डी मिलता था। वर्धा के सेवाग्राम की वो जगह जहां बापू सन बाथ लेते थे और मालिश कराते थे।

28 अक्टूबर, 1937 को ली गई गई गांधी जी की ईसीजी रिपोर्ट।

  • सुबह 11.00 बजे : दोपहर का खाना

एक्सपर्ट व्यू :नेचुरोपैथी में सूर्य की तीव्रता के मुताबिक, भोजन लेने की सलाह दी जाती है जैसे सुबह नाश्ते में कम खाना और दोपहर में पेटभर खाना लेना। 11 बजे खाना खाने से पाचनतंत्र मजबूत होता है, क्योंकि भोजन को पचने के लिए पर्याप्त समय मिल पाता है।

  • दोपहर 1 बजे : आम लोगों से मिलने का समय

एक्सपर्ट व्यू :दिनभर का एक लंबा समय वह लोगों से मिलने और बात करने में बिताते थे, संभवत: इसीलिए उन्होंने खाने का समय सुबह 11 बजे चुना।

  • 4.30 बजे : चरखा कातना

एक्सपर्ट व्यू :चरखा कातना उनके डेली रूटीन का हिस्सा था जो यह बताता है कि जीवन में नियम और परहेज के साथ अनुशासन का होना जरूरी है।

  • 5.00 बजे : शाम का नाश्ता

​​​​​​​एक्सपर्ट व्यू : लगातार लोगों से जुड़ने और उनसे संवाद के बाद ऊर्जा बनाए रखने के लिए वे शाम के नाश्ते में ज्यादातर फल और मेवा शामिल करते थे।

सेवाग्राम को वो हिस्सा जहां बापू धूप में बैठने के लिए आते थे।

  • 06.00 बजे : शाम की प्रार्थना और भाषण

एक्सपर्ट व्यू :प्रार्थना भी मानसिक ऊर्जा का स्रोत होती है। वह एक ओजस्वी वक्ता थे और उनके भाषण को लोग संजीदगी से सुनते थे।

  • 06.30 बजे : शाम की सैर

​​​​​​​एक्सपर्ट व्यू :दिनभर के काम निपटाने के बाद बापू जैसी शाम की चहलकदमी थकान दूर करने और ऊर्जा भरने का काम करती है।

  • 9.00 बजे : सोने की तैयारी

एक्सपर्ट व्यू : राष्ट्रपिता की दिनचर्या आदर्श है। नेचुरोपैथी और आयुर्वेद में भी सुबह जल्द उठने और सोने को बेहतर जीवनशैली का हिस्सा बताया है। वह अक्सर हफ्तेभर के अपने अधूरों कामों को सोमवार तक पूरा कर लेते थे।

गांधी चक्की पर क्या पीसते थे *?

जिस ज़माने में वे बैरिस्टरी से हज़ारों रुपये कमाते थे, उस समय भी वे प्रतिदिन सुबह अपने हाथ से चक्की पर आटा पीसा करते थेचक्की चलाने में कस्तूरबा और उनके लड़के भी हाथ बँटाते थे। इस प्रकार घर में रोटी बनाने के लिए महीन या मोटा आटा वे खुद पीस लेते थे। साबरमती आश्रम में भी गांधी ने पिसाई का काम जारी रखा ।

कभी कभी चक्की को ठीक करने में गांधीजी कितना समय लगा देते थे?

कभी-कभी वह चक्की ठीक करने के लिए घंटों मेहनत करते थे। सुबह की प्रार्थना के बाद गांधी जी रसोई में जाकर सब्जियाँ छीला करते थे। एक दिन तो वह रसोई में कालिख लगे बड़े-बड़े पतीले चमकाने बैठ गए। आश्रम के लिए गेहूं बीनने का काम भी गांधी जी किया करते थे

गांधी जी प्रतिदिन सुबह क्या किया करते थे?

उत्तर: गांधी जी अपने दैनिक जीवन का कार्य स्वयं करते थे। वे सुबह प्रार्थना के पश्चात चक्की पर आटा पीसते और रसोईघर में सब्जी छिलने आदि कार्य करते थे। उनका यह स्वावलंबी व्यवहार ही, सभी आश्रमवासियों को अपना-अपना कार्य करने की प्रेरणा देता था।

गांधी जी को क्या पसंद नहीं था?

गांधी जी को अपने काम के लिए दूसरों को परेशान करना पसंद नहीं था

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