इस अध्याय के अंतर्गत गुरुत्वीय त्वरण क्या है इसका मान अधिकतम व न्यूनतम कहां होता है। एवं g के मान का परिकलन और पृथ्वी तल से ऊपर जाने पर एवं नीचे जाने पर के g मान में परिवर्तन का अध्ययन करेंगे।
गुरुत्व (gravity)
पृथ्वी द्वारा किसी वस्तु को अपने केंद्र की ओर आकर्षित करने को उसका गुरुत्व भी कहते हैं।
वास्तव में गुरुत्व,
गुरुत्वाकर्षण का ही एक विशिष्ट उदाहरण है।
गुरुत्वीय त्वरण
पृथ्वी की ओर मुक्त रूप से गिरती किसी वस्तु के वेग में प्रति सेकंड से होने वाली वृद्धि को पृथ्वी का गुरुत्वीय त्वरण (acceleration due to gravity in Hindi) कहते हैं। इसे g से प्रदर्शित करते हैं।
गुरुत्वीय त्वरण का मान वस्तु के आकार, द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है यह
केवल वस्तु के स्थान पर निर्भर करता है।
यदि किसी वस्तु का द्रव्यमान m हो तो उस पर आरोपित गुरुत्वीय बल
F = mg
जहां g गुरुत्वीय त्वरण है तो
\footnotesize \boxed { g = \frac{F}{m} }
अतः गुरुत्वीय त्वरण का मात्रक मीटर/सेकंड2 अथवा न्यूटन/किग्रा होता है। एवं विमीय सूत्र [LT-2] है गुरुत्वीय त्वरण एक सदिश राशि है।
पृथ्वी तल से ऊपर जाने पर गुरुत्वीय त्वरण g का मान
माना पृथ्वी का द्रव्यमान Me तथा त्रिज्या
Re है तो पृथ्वी तल पर गुरुत्वीय त्वरण
g = G \frac{M_e}{R_e^2} समी.①
यदि पृथ्वी तल से h ऊंचाई पर गुरुत्वीय त्वरण g’ है जैसा चित्र में दिखाया गया है तो
g’ = G \frac{M_e}{(R_e + h)^2} समी.②
समी.② को समी.① से भाग देने पर
\large \frac{g'}{g} = \frac{GM_e}{(R_e + h)^2} ×
\frac{R_e^2}{GM_e}
\large \frac{g'}{g} = \frac{R_e^2}{(R_e + h)^2}
\large \frac{g'}{g} = \frac{R_e^2}{R_e^2(1 + h/R_e)^2}
\large \frac{g'}{g} = \frac{1}{(1 + h/R_e)^2}
g’ = \frac{g}{(1 + h/R_e)^2}
अर्थात
\footnotesize \boxed { g' < g }
अतः समीकरण द्वारा स्पष्ट होता है कि पृथ्वी तल से ऊपर जाने पर गुरुत्वीय त्वरण g का मान घटता है।
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पृथ्वी तल से ऊपर जाने पर गुरुत्वीय त्वरण g का मान
माना पृथ्वी का द्रव्यमान Me तथा त्रिज्या
Re है तो पृथ्वी सतह पर गुरुत्वीय त्वरण
g = G \frac{M_e}{R_e^2} समी.①
यदि हम पृथ्वी में सुरंग बनाकर h गहराई नीचे चले जाते हैं तो यह पृथ्वी (Re – h) त्रिज्या की रह जाएगी। एवं पृथ्वी का द्रव्यमान M’e हो जाता है। यदि h गहराई पर गुरुत्वीय त्वरण g’ है तो
g’ = G \frac{M_e}{(R_e + h)^2} समी.②
समी.② को समी. ① से भाग देने पर
\large \frac{g'}{g} = \frac{GM'_e}{(R_e - h)^2} × \frac{R_e^2}{GM_e}
\large \frac{g'}{g} = \frac{M'_e R_e^2}{M'_e(R_e - h)^2}
यदि पृथ्वी का घनत्व ρ है तो
Me = \frac{4}{3} πRe3ρ
(चूंकि पृथ्वी गोल है इसलिए यह गोले का घनत्व है जहां Re त्रिज्या है।)
तथा
M’e = \frac{4}{3} π(Re – h)3ρ
अतः Me तथा M’e का मान रखने पर
\large \frac{g'}{g} = \frac{4/3π(R_e - h)^3ρ R_e^2}{4/3πR_e^3 ρ (R_e - h)^2}
\large\frac{g'}{g} = \frac{R_e - h}{R_e}
\large\frac{g'}{g} =
(1-\frac{h}{R_e})
g’ = g (1-\frac{h}{R_e})
अर्थात \footnotesize \boxed { g' < g }
अतः इस समीकरण द्वारा स्पष्ट होता है कि पृथ्वी तल से नीचे जाने पर गुरुत्वीय त्वरण g का मान घटता है।
गुरुत्वीय त्वरण के मान में परिवर्तन
- गुरुत्वीय त्वरण g का मान पृथ्वी के ध्रुवो़ पर अधिकतम होता है।
- गुरुत्वीय त्वरण g का मान भूमध्य रेखा पर न्यूनतम होता है।
- पृथ्वी के केंद्र पर गुरुत्वीय त्वरण का मान शून्य होता है।
- पृथ्वी सतह से नीचे तथा ऊपर जाने पर गुरुत्वीय त्वरण का मान घटता है।
गुरुत्वीय त्वरण संबंधी प्रश्न उत्तर
1. गुरुत्वीय त्वरण का न्यूनतम मान कहां होता है?
Ans. भूमध्य रेखा पर
2. गुरुत्वीय त्वरण का SI मात्रक क्या है?
Ans. मीटर/सेकंड2
3. गुरुत्वीय त्वरण का मान अधिकतम होता है?
Ans. ध्रुवों पर
दोस्तों इस प्रश्न में इतनी है कि जी का मान पृथ्वी तल से ऊपर जाने पर क्यों प्रकार बदलता है आप इस चित्र में दिख रहे हैं अभी यदि हम पृथ्वी को लेते हैं तो यदि पृथ्वी की ज्योति जा यहां पर आ रहे तब यहां पे हम देखते हैं कि यहां पर पृथ्वी की सतह पर यह पृथ्वी के तल पर यदि यहां पर जी का मान यहां पर जो गुरुत्व त्वरण है उसका मन क्या है आपने जी है तब हम देखते हैं यहां पृथ्वी तल से यदि हां पर एक ऊंचाई पर देखें ऊंचाई पर यहां पर कोई बिंदु कहते हैं तो यहां पर जोगूर्त वितरण यदि हाफिज जी ड्रेस है तो यहां पर जी देश का मान देखते हैं तो पृथ्वी तल से हम यहां पर यदि एक ऊंचाई पर जाते हैं तो इस प्रकार से यहां पर पृथ्वी तल से यदि हमें एक ऊंचाई पर गुरुत्वीय त्वरण देखते हैं तो यहां पर जी ड्रेस इसका यदि हम सूत्र देखे तो जी व्यास बराबर होता है यहां पर एक बटे यहां पर भी यहां पर जी बड़ा होता है एक धन एचबट ए आर का यहां पर पूरे का वर्ग होता है तो इस प्रकार से यदि हम यहां पर कुछ ऊंचाई पर पृथ्वी तल से ऊंचाई पर जाते हैं तो आप इस सूत्र के मदद से अधिक
यहां पर जोर जी डी एक्स का मान है वह क्या हो गया हां पर जो जिया था जो वहां पर पृथ्वी के तल पर जो गुजरी त्वरण है उसके मांस यहां कम होगा क्योंकि इस सूत्र में यहां पर यहां पर यहां पर वहां पर कुछ जो एक से बड़ी जनसंख्या है इस प्रकार से यहां पर अगर भाग लेते हैं तो यहां पर जी के मन में कमी आएगी इस प्रकार से यहां पर जो जी रह सकता जहां पर पृथ्वी तल से ऊंचाई पर भी हम देखें यहां पर जो कुछ भी तो नहीं उसके मन में क्या होती यहां पर कमी आती जाती है किस कलर से यहां पर क्या होगा जी की मांग है जैसे ऊपर जाते जाएंगे हमें अपनी जी के मन में कमी आती जाएगी तो इस प्रकार से हमें यही प्रश्न पूछा गया था कि जी का मन पृथ्वी तल से ऊपर जाने पर किस प्रकार से बदलता है तो यदि हम यहां पर जुट वितरण में से यहां पर जो एक ऊंचाई पर जो कुर्ती उतरन में उस में अंतर देखते हैं तो उसका जो मान है वह कहता है 2G एचबट है प्यार आता है तो इस प्रकार से यहां पर जो गुजरी तुरंत में जो कमी है एक ऊंचाई पर वह क्या वहां पर दोगुना यहां पर जुगत वितरण यहां पर तथा ऊंचाई तथा उसके नीचे में आप
आज करता जो पृथ्वी की त्रिज्या होती है पर आप यदि हम इस तरफ देखें तो कुछ भी तुरंत यहां पर आज ऊंचाई पर यहां पर यहां पर जो एक जो चाहिए वह यहां पर पृथ्वी की त्रिज्या से यहां पर बहुत कम होती है इस प्रकार से तो यहां पर यह भी हम गुरुत्वीय त्वरण का मान को देखिए कहां पर है जैसे हम ऊंचाई पर जाते जाते हैं पर गुरुत्वीय त्वरण का मान है इस प्रकार से यहां पर कम होते जाता है इस प्रकार से अपने आप पर देखा जो प्रश्न पूछा गया था किसी के मान पृथ्वी तल से ऊपर जाने पर किस प्रकार से बदलता है धन्यवाद