फ़ादर बुल्के की स्मनत को ृ यज्ञ की पवित्र आग की आँ च ि क्यों क ा गया ै? - faadar bulke kee smanat ko r yagy kee pavitr aag kee aan ch i kyon ka aa gaya ai?

Solution :  लेखक ने फादर कामिल बुल्के की याद को .यज्ञ की पवित्र अग्नि. इसलिए कहा है क्योंकि लेखक फादर बुल्के अग्नि रूपी पवित्र ज्योति की याद में श्रद्धामत है, उनका सारा जीवन देश व देशवासियों के प्रति समर्पित था। जिस प्रकार यज्ञ की अग्नि पवित्र होती है तथा उसके ताप में उष्णता होती है उसी प्रकार फादर बुल्के को याद करना शरीर और मन में ऊष्मा, उत्साह तथा पवित्र भाव भर देता है। अतः फादर की स्मृति किसी यज्ञ की पवित्र आग और उसकी लौ की तरह आजीवन बनी रहेगी।

फादर बुल्के की याद को यज्ञ की पवित्र अग्नि क्यों कहा गया है कारण सहित स्पष्ट कीजिए?

Solution : लेखक ने फादर कामिल बुल्के की याद को . यज्ञ की पवित्र अग्नि. इसलिए कहा है क्योंकि लेखक फादर बुल्के अग्नि रूपी पवित्र ज्योति की याद में श्रद्धामत है, उनका सारा जीवन देश व देशवासियों के प्रति समर्पित था।

लेखक को फ़ादर संकल्प से सन्यासी क्यों लगते हैं?

फादर संकल्प से सन्यासी थे, मन से नहीं। इस पंक्ति के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि फादर बुल्के भारतीय सन्यासी प्रवृत्ति खरे नही उतरते थे। उन्होंने परंपरागत सन्यासी प्रवृत्ति से अलग एक नई परंपरा को स्थापित किया था। वह सन्यासियों जैसा प्रदर्शन नहीं करते थे, लेकिन अपने कर्मों से वह सन्यासी ही थे

फ़ादर को जहरबाद सेनहीं मरना चाहहए था लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?

लेखक क्यों कहते हैं कि फादर को जहरबाद से नहीं मरना चाहिए था? उत्तर-फादर बुल्के का पूरा जीवन दूसरों को प्यार, अपनत्व और ममता का अमृत बाँटते-बाँटते बीता। ऐसे मधुर एवं त्यागी व्यक्ति के शरीर में जहरीला फोड़ा होना उनके साथ अन्याय का ही सूचक है।

1 लेखक को ऐसा क्यों लगता था कि फादर कामिल बुल्के मन से संन्यासी नहीं थे?

उत्तरः लेखक को फ़ादर बुल्के मन से संन्यासी इसलिए नहीं लगते थे, क्योंकि वे रिश्ता बनाकर उसे हमेशा निभाते थे

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