फर्म के आकस्मिक समापन से क्या आशय है? - pharm ke aakasmik samaapan se kya aashay hai?

इसे सुनेंरोकेंWinding up of company (कंपनी का समापन)- कंपनी का समापन से आशय कंपनी को खत्म करने से है जिसमे कंपनी की सम्पतियों को कंपनी के लेनदारों को उनकी रकम वापस करने के बाद बची हुई संपत्ति से उनके मेंबर्स को बाट दिया जाता है। इसमे एक लिक्विडेटर की नियुक्ति की जाती है जो कंपनी का कार्य भाग देखता है।

कम्पनी के समापन से क्या आशय है?

इसे सुनेंरोकेंकंपनी का समापन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से कंपनी का जीवन समाप्त होता है और कंपनी की संपत्ति उसके सदस्यों और लेनदारों के लाभ के लिए प्रबंधित की जाती है।

सरकारी समापन कौन होता है?

इसे सुनेंरोकेंरजिस्ट्रार या केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत कोई अन्य व्यक्ति इस आधार पर ट्रिब्यूनल को समापन के लिए आवेदन कर सकता है। ट्रिब्यूनल निम्नलिखित आधारों पर समापन का आदेश दे सकता है ।

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अनिवार्य समापन क्या है?

इसे सुनेंरोकेंअनिवार्य समापन कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत पंजीकृत कोई भी कंपनी जिसने गैरकानूनी कार्य, धोखाधड़ी अधिनियम या यहां तक ​​कि अगर कंपनी ने कुछ धोखाधड़ी या गैरकानूनी गतिविधियों में किसी भी तरह की कार्रवाई में योगदान दिया है, तो ऐसी कंपनी को ट्रिब्यूनल द्वारा अनिवार्य रूप से खत्म करना होगा।

फर्म के आकस्मिक समापन से क्या आशय है?

इसे सुनेंरोकें(1) एक फर्म द्वारा किए गए किसी भी व्यवसाय या पेशे बंद कर दिया गया है या एक फर्म, भंग कर रहा है, जहां 60 [आकलन] ऐसी कोई समाप्ति या विघटन लिया था के रूप में यदि अधिकारी फर्म की कुल आय का आकलन करेगा जगह , और इस अधिनियम के किसी प्रावधान के तहत एक दंड या किसी भी अन्य राशि प्रभार्य की लेवी से संबंधित प्रावधानों सहित इस …

फर्म के विघटन से क्या आशय है?

इसे सुनेंरोकेंभारतीय साझेदारी अधिनियम, 1932 की धारा 39 के अनुसार, “फर्म के समस्त साझेदारों के बीच साझेदारी समाप्त हो जाने को फर्म का विघटन कहते हैं।” जब एक या कुछ साझेदारों के मध्य साझेदारी सम्बन्ध समाप्त होता है, अथवा एक या कुछ साझेदार फर्म से अलग हो जाते है तो साझेदारी का विघटन कहते हैं।

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10 फर्म के आकस्मिक समापन से क्या आशय है?

कंपनी के समापन की कौन कौन सी विधियां हैं?

कंपनी का समापन तीन प्रकार का हो सकता है :

  • (क) न्यायालय द्वारा अथवा अनिवार्य परिसमापन,
  • (ख) ऐच्छिक परिसमापन (voluntary winding up),
  • (ग) न्यायालय के निर्देशन के अंतर्गत परिसमापन (winding up under the supervision of the court)

फर्म के विघटन से आप क्या समझते हैं?

कंपनी का स्वैच्छिक समापन क्या है?

फर्म के समापन की कितनी विधियां है?

इसे सुनेंरोकेंसाझेदारी का विघटन निम्न प्रकार से हो सकता है: (1) साझेदारों के मध्य लाभ विभाजन अनुपात में परिवर्तन (2) नए साझेदार का प्रवेश; (3) साझेदार का अवकाश ग्रहण करना; (4) साझेदार की मृत्युः (5) साझेदार का दिवालिया होना; 2021-22 Page 2 230 लेखाशास्त्र – अलाभकारी संस्थाएँ एवं साझेदारी खाते (6) निर्दिष्ट कार्य का समापन, यदि …

एक कम्पनी का विघटन कब किया जा सकता है?

इसे सुनेंरोकें(2) की बैठक में निर्धारित किया जा सकता है के रूप में उप – धारा (1) में इस तरह के फार्म और तरीके में कंपनी समापक द्वारा बुलाया जाएगा करने के लिए भेजा. कंपनी परिसमापक की रिपोर्ट पर विचार करने के बाद कंपनी के सदस्यों के बहुमत कंपनी घाव किया जाएगा कि संतुष्ट हैं (3), वे उसके विघटन के लिए एक प्रस्ताव पारित हो सकता है.

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समापन से क्या आशय है?

इसे सुनेंरोकेंSamapan Meaning in Hindi – समापन का मतलब हिंदी में 1. समाप्त करने की क्रिया । खतम करना । पूरा करना ।

एक परिसमापक का अन्तिम विवरण खाता से क्या आशय है उनमें कौन कौन से मद शामिल किये जाते हैं प्रारूप देते हुए समझाइए?

इसे सुनेंरोकेंकंपनियों का परिसमापन (Liquidation or winding up) एक ऐसी कार्यवाही है जिससे कंपनी का वैधानिक अस्तित्व समाप्त हो जाता है। इसमें कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है तथा शेष धन का अंशधारियों के बीच वितरण कर दिया जाता है।

साझेदारी फर्म को विघटन से क्या आशय है? What is meant by dissolution of partnership firm?

साझेदारी फर्म को विघटन से क्या आशय है? कर्म के विघटन व साझेदारी के विघटन में क्या अन्तर है? साझेदारी फर्म के विघटन की परिस्थितियाँ रीतियों का वर्णन कीजिये।

अर्थ एवं परिभाषा – भारतीय साझेदारी अधिनियम, 1932 के अनुसार जब एक फर्म (सार्थ) के सभी साझेदार आपस में, पूर्व स्थापित सम्बन्ध विच्छेद कर लें तो इसे साझेदारी फर्म का विघट कहते हैं। एक फर्म के विघटन के बाद फर्म का व्यवसाय अनिवार्यतः समाप्त हो जाता है क्योंकि व्यवसाय समाप्त हुए बिना फर्म का विघटन नहीं हो सकता।

भारतीय साझेदारी अधिनियम, 1932 की धारा 39 के अनुसार, “फर्म के समस्त साझेदारों के बीच साझेदारी समाप्त हो जाने को फर्म का विघटन कहते हैं।”

जब एक या कुछ साझेदारों के मध्य साझेदारी सम्बन्ध समाप्त होता है, अथवा एक या कुछ साझेदार फर्म से अलग हो जाते है तो साझेदारी का विघटन कहते हैं। ऐसी दशा में शेष पुनर्गठन (नवीन समझौता) कर व्यवसाय चालू रख सकते हैं।

Contents

  • फर्म का विघटन एवं साझेदारी के विघटन में अन्तर-
  • साझेदारी फर्म के विघटन की परिस्थितियाँ ‘या’ ढंग-

फर्म का विघटन एवं साझेदारी के विघटन में अन्तर-

फर्म का विघटन होने पर साझेदारी का भी विघटन हो जाता है लेकिन साझेदारी का विघटन होने पर फर्म का विघटन होना आवश्यक नहीं है। किसी साझेदार के प्रवेश करने पर या अवकाश ग्रहण करने पर या किसी साझेदार की मृत्यु हो जाने पर साझेदारों के मध्य पूर्व में हुआ समझौता समाप्त हो जाता है तथा बाद में एक नया समझौता कर व्यवसाय जारी रखा जा सकता है। जबकि फर्म के विघटन में साझेदारी के अन्त के साथ व्यवसाय का भी अन्त हो जाता है।

साझेदारी फर्म के विघटन की परिस्थितियाँ ‘या’ ढंग-

साझेदारी फर्म के विघटन की परिस्थितियों को भारतीय साझेदारी अधिनियम, 1932 की धाराएं 40 से 44 तक स्पष्ट किया गया है जिनका वर्णन निम्नानुसार हैं-

(क) ठहराव द्वारा विघटन (Dissolution by Agreement) (धारा 40)-  फर्म के विघटन के लिए जब सभी साझेदार सहमत हो या साझेदारी संलेख में अथवा उनके बीच में ऐसा कोई अनुबन्ध हुआ हो।

(ख) अनिवार्य विघटन (Compulsory Dissolution or dissolution by the Operation of Law) (धारा 41 ) – निम्नलिखित परिस्थितियों के अन्तर्गत किसी फर्म का अनिवार्य विघटन हो जाता है:

  1. जब कोई ऐसी घटना हो जाये तो फर्म के व्यवसाय के संचालन को अवैधानिक बना दें।
  2. जब सब या एक को छोड़कर शेष साझेदार न्यायालय द्वारा दिवालिया घोषित (मान्य) कर दिये जायें।

(ग) आकस्मिक घटना के घटित होने पर विघटन (Dissolution on the happening of Unexpected Event) (धारा 42)- इसके अन्तर्गत निम्नलिखित दशाओं में से किसी भी दशा में फर्म का विघटन हो जाता है-

  1. यदि साझेदारी का गठन एक निश्चित अवधि के लिए हुआ है तथा वह अवधि समाप्त हो गयी है;
  2. यदि साझेदारी का गठन एक या कुछ उपक्रम अथवा उद्देश्य के लिए किया गया है तो उसके पूर्ण होने पर;
  3. किसी साझेदार के दिवालिया घोषित हो जाने पर;
  4. किसी साझेदार की मृत्यु होने पर।

(घ) सूचना द्वारा विघटन (Dissolution by Notice of Partnership at Will) (धारा 43)- यदि साझेदारी ऐच्छिक है तो कोई भी भी साझेदार अन्य साझेदारों को फर्म के विघटन से सम्बन्धित, अपने अभिप्राय की लिखित सूचना देकर फर्म का विघटन करा सकता है।

(ङ) न्यायालय द्वारा विघटन (Dissolution by Court) (धारा 44)- किसी साझेदार द्वारा वाद प्रस्तुत करने पर न्यायालय द्वारा निम्नलिखित परिस्थितियों में फर्म का विघटन सम्बन्धी आदेश पारित किया जा सकता है :

  1. जब कोई साझेदार अस्वस्थ मस्तिष्क का हो गया है।
  2. जब कोई साझेदार किसी कारण से साझेदार के रूप में अपने कर्तव्यों का निष्पादन करने में स्थायी रूप से अयोग्य हो गया है।
  3. जब कोई साझेदार ऐसे आचरण का दोषी हो जिससे व्यवसाय को क्षति पहुँचने की सम्भावना हो या हो रही हो।
  4. जब कोई साझेदार निरन्तर और जान-बूझकर आपसी समझौते या साझेदारी संलेख का उल्लंघन करता है।
  5. जब कोई साझेदार, फर्म में निहित अपने समस्त हितों को किसी तीसरे व्यक्ति (पक्षकार) को हस्तान्तरित कर दे।
  6. जब फर्म का व्यवसाय बिना हानि के चलाया जाना सम्भव न हो।
  7. जब किसी कारण से फर्म का विघटन न्यायालय के दृष्टिकोण से उचित एवं न्यायसंगत हो।

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Farm के आकस्मिक समापन से क्या आशय है?

(1) एक फर्म द्वारा किए गए किसी भी व्यवसाय या पेशे बंद कर दिया गया है या एक फर्म, भंग कर रहा है, जहां 60 [आकलन] ऐसी कोई समाप्ति या विघटन लिया था के रूप में यदि अधिकारी फर्म की कुल आय का आकलन करेगा जगह , और इस अधिनियम के किसी प्रावधान के तहत एक दंड या किसी भी अन्य राशि प्रभार्य की लेवी से संबंधित प्रावधानों सहित इस ...

फर्म के समापन से क्या अभिप्राय है?

फर्म के समापन का अर्थ फर्म के व्यवसाय का बंद होना होता हैं जब सभी साझेदारों का फर्म से संबंध टूट जाता है, इसका सामान्य अर्थ सभी साझेदारों के बीच साझेदारी की समाप्ति हैं। फर्म के विघटन पर फर्म की संपत्तियों को बेचा जाता है और दायित्वों का भुगतान किया जाता है।

सूचना द्वारा फर्म के विघटन से क्या आशय है?

(घ) सूचना द्वारा विघटन (Dissolution by Notice of Partnership at Will) (धारा 43)- यदि साझेदारी ऐच्छिक है तो कोई भी भी साझेदार अन्य साझेदारों को फर्म के विघटन से सम्बन्धित, अपने अभिप्राय की लिखित सूचना देकर फर्म का विघटन करा सकता है। जब कोई साझेदार अस्वस्थ मस्तिष्क का हो गया है।

फर्म से क्या आशय है?

वे व्यक्ति जो एक साथ मिलकर व्यवसाय करते है, उन्हें व्यक्तिगत रूप से 'साझेदारी' (पार्टनरशिप) और सामूहिक रूप से 'फर्म' कहा जाता है। जिस नाम से व्यवसाय किया जाता है उसे 'फर्म का नाम' कहते हैं। सुलतान एंड कंपनी, रामलाल एंड कंपनी, गुप्ता एंड कंपनी आदि कुछ फर्मों के नाम हैं।

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