HomeCool knowledgeचन्द्रमा हमें कभी छोटा कभी बड़ा दिखाई देता है, ऐसा क्यों?
चन्द्रमा हमें कभी छोटा कभी बड़ा दिखाई देता है, ऐसा क्यों?
Dear Readers,
Welcome to isfacts, चंद्रमा (moon) जो हमारी पृथ्वी से लगभग 3,84,000 km की दूरी पर स्थित है। जिसे हम अपनी सामान्य आंखों से देख सकते हैं और उसके बारे में सोच सकते हैं। चंद्रमा हमारी पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह और सौरमंडल का पांचवा सबसे बड़ा प्राकृतिक उपग्रह है, प्राकृतिक उपग्रह मतलब जो ग्रहों के चक्कर लगाते हैं, ये तो रही चांद के बारे में, but इस लेख में हम चांद घटता, बढ़ता है तथा किसी दिन छिप भी जाता है, ऐसा क्यूं होता है, इसके बारे में मिलकर discuss करने वाले हैं, तो चलिए इस लेख को शुरू करते हैं।
वास्तव में चंद्रमा घटता, बढता या छिपता नहीं है बल्कि हमें पृथ्वी से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है। चंद्रमा स्वयं प्रकाशमान उपग्रह नहीं है बल्कि सूर्य से प्रकाशित होकर वह प्रकाश को पृथ्वी पर परावर्तित करता है और हमें दिखाई देता है। सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी की परस्पर बदलती हुई स्थिति के कारण प्रकाशित चंद्रमा का कुछ भाग ही हमारी पृथ्वी पर परावर्तित हो पाता है जिसके कारण चंद्रमा कभी छोटा कभी बड़ा दिखाई देता है और जहां प्रकाश न के बराबर परावर्तित होता है वहां चंद्रमा बिलकुल नहीं दिखाई देता है यानी छिप जाता है।
सरल भाषा में कहे तो जब चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर घूमता है तब हम चांद के पूरे भाग को एक साथ नहीं देख पाते। जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के मध्य होता है तब चंद्रमा का प्रकाशित भाग पृथ्वी के दूसरी तरफ होता है, इस स्थिति में चंद्रमा पृथ्वी से बिलकुल दिखाई नहीं देता, जिसे हम 'अमावस्या' कहते हैैं। धीरे-धीरे चंद्रमा का प्रकाशित भाग दिखाई देना आरम्भ होता है और अमावस्या के 14 या 15 दिन बाद पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य के बीच में आ जाती है, जिससे अब हम चांंद केे पूूरे प्रकाशित भाग को देख सकते हैं और इसे ही हम 'पूर्णिमा' कहते हैं।
Conclusion ;
Finally, हमने यह जाना कि चांद का घटना, बढ़ना पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य की स्थिति (position) पर निर्भर करता है। अगर अभी भी आपको इस लेख सम्बंधित कोई सवाल या सुझाव है, तो आप हमसे comment करके पुछ सकते हैं, हम उसका reply जरूर देंगे, तबतक के लिए आप isfacts.com को visit करते रहे, धन्यवाद..!
कई बार बच्चे भी बड़ों से ऐसे सवाल (Question) पूछ लेते हैं जिन्हें समझाना बहुत मुश्किल होता है. कई बार बच्चे भी ऐसे सवाल पूछ लेते हैं जो उन्हें आसानी से समझ नहीं आ सकते. ऐसा है एक सवाल है कि चांद (Moon) रोज क्यों नहीं दिखाई देता और वह रोज ही पूरा गोल (Round) क्यों नहीं दिखाई देता है. या फिर यह रोज अलग आकार (Shape) का क्यों दिखाई देता है. यह अपने आप में जटिल सवाल है और इसका जवाब कुछ लंबा सा है. इसके लिए हमें पृथ्वी (Earth), सूर्य (Sun)और चंद्रमा के बीच के रिश्ते को समझना होगा.
पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य के बीच रिश्ता
इस सवाल के जवाब के लिए हमें कुछ मूल बातें समझनी होंगी. सबसे पहली बात पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य क्या हैं. ये तीनों गेंदों की तरह बहुत ही बड़ी वस्तुएं हैं जो अंतरिक्ष में स्थित हैं. सूर्य बहुत विशाल है और खुद का प्रकाश उत्सर्जित करता है. जबकि पृथ्वी और चंद्रमा बहुत छोटे हैं जैसे फुटबाल के सामने राई के दाने. वहीं चंद्रमा पृथ्वी के एक चौथाई के आकार जितना बड़ा है और दोनो का अपना प्रकाश नहीं होता.
चंद्रमा आखिर दिखता क्यों
है
चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है और दोनों मिल कर सूर्य के चक्कर लगाते हैं. सबसे पहल हम इस सवाल का जवाब देते हैं कि अगर चंद्रमा का अपना कोई प्रकाश नहीं है तो वह हमें दिखाई कैस देता है, वह भी चमकता हुआ? हमें चंद्रमा इस वजह से दिखाई देता है क्योंकि उस पर आने वाला सूर्य का प्रकाश प्रतिबिंबित हो कर पृथ्वी पर आता है. इस तरह चंद्रमा आइने का काम करता है.
चंद्रमा की पृथ्वी परिक्रमा
अब बात करें चंद्रमा के अलग-अलग आकार बदलने की. चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर 30 दिन में पूरा करता है. इस दौरान वह एक बार पृथ्वी और सूर्य के बीच में आता है तो एक बार पृथ्वी के पीछे और पूरे चक्कर के दौरान वह सूर्य और पृथ्वी से
अलग-अलग कोण बनाता है. जब चंद्रमा पृथ्वी के आगे आता है तब सूर्य से आने वाली किरणें प्रतिबिंबित हो कर पृथ्वी पर नहीं आती और वह दिखाई नहीं दे पाता. ऐसा रात अमावस की रात होती है.
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कब दिखता है पूरा गोल चंद्रमा
जब चंद्रमा पृथ्वी के पीछे होता है तो सूर्य
की किरणें चंद्रमा पर पड़कर पृथ्वी तक सीधे आ जाती हैं और चंद्रमा पूरा गोल दिखाई देता है. यह पूर्णिमा की रात होती है. वहीं महीने में दो बार सूर्य पृथ्वी और चंद्रमा समकोण बनाते हैं. ऐसे में चंद्रमा आधा दिखाई देता है. इसी तरह अलग अलग कोणों के कारण चंद्रमा के अलग आकार दिखाई देते हैं जिन्हें चंद्रमा की कलाएं कहते हैं और अंग्रेजी में फेजेज ऑफ द मून (Phases of the moon) कहते हैं, लेकिन चंद्रमा हमेशा पूरा का पूरा गोल ही रहता है.
सूर्यग्रहण का भी यही कारण
इस प्रक्रिया में चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण का रहस्य भी छिपा है. पहले सूर्यग्रहण को लें. जब
चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच में आता है तो चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर दिखाई देती है और इस दौरान उस छाया पड़ने वाले इलाके में सूर्य दिखाई नहीं देता इसे सूर्यग्रहण कहते हैं. इसीलिए सूर्यग्रहण हमेशा अमावस के रात वाले समय के आसापास दिन के वक्त होता है.
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और ऐसे होता है चंद्रग्रहण
वहीं जब पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच में आती है तो पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है और चंद्रमा पर सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंच पाता जिससे चंद्रमा का प्रतिबिंबित प्रकाश पृथ्वी पर नहीं आता और चंद्रमा अंधेरे में चला जाता है. यह समय चंद्र ग्रहण का होता है. चंद्रग्रहण हमेशा पूर्णिमा की रात को ही होता है.
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Tags: Earth, Research, Science, Space
FIRST PUBLISHED : September 26, 2020, 17:28 IST