चोरी की बान में हौ जू प्रवीने पंक्ति कौन किस से कर रहा है? - choree kee baan mein hau joo praveene pankti kaun kis se kar raha hai?


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सुदामा चरित

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चोरी की बान में हौ जू प्रवीने।...

चोरी की बान में हौ जू प्रवीने। <br> इस कथन की पृष्ठभूमि स्पष्ट कीजिए।

लिखित उत्तर

Solution : जब श्रीकृष्ण को सुदामा अपनी पत्नी द्वारा भेजी गयी चावलों की पोटली छिपाकर न देने का प्रयास कर रहे थे। यह देखकर ही श्रीकृष्ण ने उनसे ऐसा कहा था।

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Solution : (क) उपर्युक्त पंक्ति श्रीकृष्ण अपने बालसखा सुदामा से कह रहे है। <br> (ख) अपनी पत्नी द्वारा दिए गए चावल संकोचवश सुदामा श्रीकृष्ण को भेंट स्वरूप नही दे पा रहे है। परन्तु <br> श्रीकृष्ण सुदामा पर दोषारोपण करते हुए इसे चोरी कहते है और कहते है की चोरी में तो तुम पहले से ही <br> निपुण हो। <br> (ग) बचपन में जब कृष्ण और सुदामा साथ-साथ संदीपन ऋषि के आश्रम में अपनी-अपनी शिक्षा ग्रहण <br> कर रहे थे। तभी एकबार जब श्रीकृष्ण और सुदामा जंगल में लकड़ियाँ एकत्र करने जा रहे थे तब<br> गुरुमाता ने उन्हें रास्ते में खाने के लिए चने दिए थे। सुदामा श्रीकृष्ण को बिना बताए चोरी से चने खा लेते <br> है। श्रीकृष्ण उसी चोरी का उपालंभ सुदामा को देते है।

3

चोरी की बान में हौ जू प्रवीने।

(क) उपर्युक्त पंक्ति में कौन, किससे कह रहा है?

(ख) इस कथन की पृष्ठभूमि स्पष्ट कीजिए।

(ग) इस उपालंभ (शिकायत) के पीछे कौन-सी पौराणिक कथा है?


(क) ‘चोरी की बात में हौ जू प्रवीने’ - यह श्री कृष्ण अपने बालसखा सुदामा से कह रहे हैं।

(ख) सुदामा की पत्नी ने उन्हें कृष्ण को देने के लिए थोड़े से चावल दिए थे, लेकिन कृष्ण के राजसी ठाट-बाट देखकर सुदामा उन्हें चावल देने में संकोच कर रहे थे। सुदामा चावल की पोटली को कृष्ण की नजरों से छुपाने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन कृष्ण ने उन्हें पकड़ लिया और कहा कि चोरी में तो तुम पहले से ही निपुण हो|

(ग) बचपन में श्रीकृष्ण और सुदामा साथ-साथ संदीपन ऋषि के आश्रम में शिक्षा ग्रहण करते थे। गुरुकुल में विद्यार्थियों को शिक्षा ग्रहण करने के साथ-साथ दूसरे काम भी खुद ही करने होते थे जैसे आश्रम की सफाई, गायों की देखभाल, लकड़ियां लाना आदि। एक दिन आश्रम में खाना बनाने के लिए लकड़ियां नहीं बची थी, तब गुरुमाता ने श्रीकृष्ण और सुदामा को जंगल से लकड़ियां लाने के लिए भेजा। गुरूमाता ने उन्हें साथ में रास्ते में खाने के लिए चने भी दिए थे। जब कृष्ण पेड़ से लकड़ियां तोड़ रहे थे तो तभी तेज बारिश होने लगी और कृष्ण पेड़ की डाल पर ही बैठ गए। नीचे बैठे सुदामा ने चुप चाप चने खाने शुरू कर दिए। दांतों के चबाने की आवाज सुनकर कृष्ण ने जब सुदामा से पूछा कि सुदामा तुम क्या खा रहे हो। सुदामा ने तुरंत जवाब देते हुए कहा कुछ भी तो नहीं खा रहा मैं। वो तो मेरे दांत सर्दी से किटकिटा रहे हैं और फिर सुदामा सारे चने खा जाते हैं। इसी घटना को याद करके श्री कृष्ण ने उक्त पंक्ति कही थी।


चोरी की बान में हौ जू प्रवीणे यह पंक्ति कौन किस से कह रहा है *?

(क) यह पंक्ति श्रीकृष्ण ने सुदामा से कही। (ख) जब श्रीकृष्ण कौ सुदामा अपनी पत्नी द्वारा भेजी गई चावलों की पोटली नहीं देते तै। उन्होंने कहा कि तुम चोरी करने में कुशल हो।

चोरी की बान में हौ जू प्रवीने इस शिकायत के पीछे कौन सी पौराणिक कथा है?

उस समय एक दिन वे जंगल में लकड़ियाँ एकत्र करने जाते हैं। गुरूमाता ने उन्हें रास्ते में खाने के लिए चने दिए थे। सुदामा श्रीकृष्ण को बिना बताए चोरी से चने खा लेते हैं। उसी चोरी की तुलना करते हुए श्रीकृष्ण सुदामा को दोष देते हैं।

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