ज्योतिष शास्त्र में हर ग्रह का व्यक्ति के जीवन पर प्रभाव पड़ता है. जब कोई ग्रह किसी व्यक्ति की कुंडली में कमजोर होता है, तो व्यक्ति के जीवन पर उसके प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिलते हैं. चंद्र ग्रह का संबंध व्यक्ति के मस्तिष्क से होता है. अगर किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा कमजोर स्थिति में होता है, तो उसे दिमाग में दबाव महसूस होता है और वह मानसिक रूप से कई बीमारियों का शिकार हो जाता है.
कमजोर चंद्रमा के लक्षण-
किसी जातक की कुंडली में कमजोर चंद्रमा पहले व्यक्ति के स्वभाव को कमजोर करता है. अगर चंद्रमा कमजोर होता है, तो व्यक्ति छोटी-छोटी बातों पर परेशान होने लगता है. जल्दी भावुक हो जाता है. गलत फैसले लेना कमजोर चंद्र की निशानी है. इस स्थिति में जातक सर्दी खांसी जुकाम से पीड़ित रहता है. ब्लड प्रेशर की तकलीफ शुरू हो जाती है. ऐसे में कमजोर चंद्रमा के कुछ उपाय बताए गए हैं. इन्हें करने से व्यक्ति के मन और मस्तिष्क को मजबूती निकलती है.
कुंडली में कमजोर चंद्रमा को मजबूत करने के उपाय
- नियमित रूप से बरगद के पेड़ की जड़ में पानी डालें और पूजा करें.
- ज्योतिष की सलाहनुसार मोती धारण कर सकते हैं.
- चंद्रमा को मजबूत करने के लिए हाथ में चांदी का कड़ा,अंगूठी, चांदी की चेन या चांदी की पायल भी धारण कर सकते हैं.
- चंद्रमा मजबूत करने के लिए देर रात तक न जागें. कुंडली में कमजोर चंद्रमा के लोगों को देर रात नहीं जागना चाहिए.
- पूर्णिमा के दिन शिव जी को खीर या रबड़ी का भोग लगाएं.
- घर की नींव बनवाते समय उसमें थोड़ा-सा चांदी का टुकड़ा दबाने से चंद्रमा मजबूत होता है.
- मान्यता है कि चारपाई या जिस पलंग पर आप सोते हैं, उसके चारों पैरों पर चांदी की कीले लगाने से भी लाभ होता है.
- मातृ पक्ष यानी मां, मामा द्वारा चांदी के बर्तन गिफ्ट में मिलने से लाभ होता है.
- सफेद चीजों जैसे पानी, दूध और चावल जैसी चीजों का दान करें.
- सोमवार के दिन बच्चियों को खीर खिलाएं. नौ बच्चियों को खीर खिलाने से चंद्र मजबूत होता है.
- रात के समय दूध और खीर का सेवन न करें.
- चांदी का चकोर टुकड़ा अपने पेट या पर्स में रखें.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
चंद्रमा के स्वामी भगवान शिव हैं, इसलिए शिव की पूजा की जाए तो हर विपरीत स्थितियां सुधर सकती हैं। सोमवार का व्रत करना, पूर्णिमा का व्रत करना, शंकर जी को दूध से स्नान कराना और सोमवार को सफेद वस्तुओं का दान करना चाहिए। इसके अलावा लाल किताब में वर्णित हैं कुछ आसान से उपाय... किसी जानकार से पूछकर जरूर आजमाएं....
1: वट वृक्ष की जड़ में पानी डालें
2: चारपाई के चारों पायों
पर चांदी की कीले लगाएं
3: शरीर पर चांदी धारण करें
4: व्यक्ति को देर रात्रि तक नहीं जागना चाहिए। रात्रि के समय घूमने-फिरने तथा यात्रा से बचना चाहिए।
5: पूर्णिमा के दिन शिव जी को खीर का भोग लगाएं
6: मकान की नीव में चांदी दबाएं
7: माता का आशीर्वाद लें
8: चांदी का कड़ा धारण करें
9 : पानी,दूध, चावल का दान करें
10: चांदी, चावल व दूध का कारोबार न करें
11:
माता से चांदी लेकर अपने पास रखें
12: घर में किसी भी स्थान पर पानी का जमाव न होने पाए
13 : ब्रह्मचर्य का पालन करें
14: बेईमानी और लालच ना करें, झूठ बोलने से परहेज करें
15: 11 सोमवार नियमित रूप से 9 कन्याओं को खीर का प्रसाद दें
16:
सोमवार को सफेद कपड़े में चावल, मिश्री बांधकर बहते पानी में प्रवाहित करें
17: श्मशान में पानी की टंकी या हैण्डपम्प लगवाएं
18:
चांदी
का चोकोर टुकडा अपने पास रखें
19:
रात के समय दूध ना पीयें
20:
माता-सास की सेवा करें।
सूर्य के बाद धरती के उपग्रह चन्द्र का प्रभाव धरती पर पूर्णिमा के दिन सबसे ज्यादा रहता है। जिस तरह मंगल के प्रभाव से समुद्र में मूंगे की पहाड़ियां बन जाती हैं और लोगों का खून दौड़ने लगता है उसी तरह चन्द्र से समुद्र में ज्वार-भाटा उत्पत्न होने लगता है।
जितने भी दूध वाले वृक्ष हैं सभी चन्द्र के कारण उत्पन्न हैं। चन्द्रमा बीज, औषधि, जल, मोती, दूध, अश्व और मन पर राज करता है। लोगों की बेचैनी और शांति का कारण भी चन्द्रमा है।
चन्द्रमा माता का सूचक और मन का कारक है। कुंडली में चन्द्र के अशुभ होने पर मन और माता पर प्रभाव पड़ता है। लाल किताब के अनुसार कुंडली में चन्द्र के दोषपूर्ण या खराब होने की स्थिति के बारे में विस्तार से बताया गया है। यहां जानिए संक्षिप्त जानकारी।
कैसे होता चन्द्र खराब? :
* घर का वायव्य कोण दूषित होने पर भी चन्द्र खराब हो जाता है।
* घर में जल का स्थान-दिशा यदि दूषित है तो भी चन्द्र मंदा फल देता है।
* पूर्वजों का अपमान करने और श्राद्ध कर्म नहीं करने से भी चन्द्र दूषित हो जाता है।
* माता का अपमान करने या उससे विवाद करने पर चन्द्र अशुभ प्रभाव देने लगता है।
* शरीर में जल यदि दूषित हो गया है तो भी चन्द्र का अशुभ प्रभाव पड़ने लगता है।
* गृह कलह करने और पारिवारिक सदस्य को धोखा देने से भी चन्द्र मंदा फल देता है।
* राहु, केतु या शनि के साथ होने से तथा उनकी दृष्टि चन्द्र पर पड़ने से चन्द्र खराब फल देने लगता है।
शुभ चन्द्र व्यक्ति को धनवान और दयालु बनाता है। सुख और शांति देता है। भूमि और भवन के मालिक चन्द्रमा से चतुर्थ में शुभ ग्रह होने पर घर संबंधी शुभ फल मिलते हैं।
कैसे जानें कि चन्द्र खराब है...
* दूध देने वाला जानवर मर जाए।
* यदि घोड़ा पाल रखा हो तो उसकी मृत्यु भी तय है, किंतु आमतौर पर अब लोगों के यहां ये जानवर नहीं होते।
* माता का बीमार होना या घर के जलस्रोतों का सूख जाना भी चन्द्र के अशुभ होने की निशानी है।
* महसूस करने की क्षमता क्षीण हो जाती है।
* राहु, केतु या शनि के साथ होने से तथा उनकी दृष्टि चन्द्र पर पड़ने से चन्द्र अशुभ हो जाता है।
* मानसिक रोगों का कारण भी चन्द्र को माना गया है।
चंद्र ग्रह से होती यह बीमारी:
* चन्द्र में मुख्य रूप से दिल, बायां भाग से संबंध रखता है।
* मिर्गी का रोग।
* पागलपन।
* बेहोशी।
* फेफड़े संबंधी रोग।
* मासिक धर्म गड़बड़ाना।
* स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है।
* मानसिक तनाव और मन में घबराहट।
* तरह-तरह की शंका और अनिश्चित भय।
* सर्दी-जुकाम बना रहता है।
* व्यक्ति के मन में आत्महत्या करने के विचार बार-बार आते रहते हैं।
चंद्र ग्रह के उपाय:
* प्रतिदिन माता के पैर छूना।
* शिव की भक्ति। सोमवार का व्रत।
* पानी या दूध को साफ पात्र में सिरहाने रखकर सोएं और सुबह कीकर के वृक्ष की जड़ में डाल दें।
* चावल, सफेद वस्त्र, शंख, वंशपात्र, सफेद चंदन, श्वेत पुष्प, चीनी, बैल, दही और मोती दान करना चाहिए।
* मोती धारण करना।
* दो मोती या दो चांदी के टुकड़े लेकर एक टुकड़ा पानी में बहा दें तथा दूसरे को अपने पास रखें।
* कुंडली के छठे भाव में चन्द्र हो तो दूध या पानी का दान करना मना है।
* सोमवार को सफेद वस्तु जैसे दही, चीनी, चावल, सफेद वस्त्र,1 जोड़ा जनेऊ, दक्षिणा के साथ दान करना और 'ॐ सोम सोमाय नमः' का 108 बार नित्य जाप करना श्रेयस्कर होता है।
* यदि चन्द्र 12वां हो तो धर्मात्मा या साधु को भोजन न कराएं और न ही दूध पिलाएं।
नोट : इनमें से कुछ उपाय विपरीत फल देने वाले भी हो सकते हैं। कुंडली की पूरी जांच किए बगैर उपाय नहीं करना चाहिए। किसी विशेषज्ञ को कुंडली दिखाकर ही उपाय करें।