चालक के प्रतिरोध को प्रभावित करने वाले कोई दो कारक लिखिए - chaalak ke pratirodh ko prabhaavit karane vaale koee do kaarak likhie

धातु में इलेक्ट्रॉनों के विचरण से धारा बहती है। गतिशील इलेक्ट्रॉन एक दूसरे से तथा धातु चालक में उपस्थित धनात्मक आयनों से टकराते है। यह टक्करें इलेक्ट्रॉन की चाल को कम करने का प्रयास करती है और इस तरह से विध्युत धारा के प्रवाह का विरोध करती है।
चालक का वह गुणधर्म जिसके कारण वह उसमें से प्रवाहित होने वाली विध्युत धारा का विरोध करता है, प्रतिरोध कहलाता है।
प्रतिरोध अक्षर R से प्रदर्शित किया जाता है।
प्रतिरोध की SI इकार्इ ओम है। ओम ग्रीक अक्षर ओमेगा (Ω) से प्रदर्शित किया जाता है।
प्रतिरोध एक अदिश राशि है।
कारक जिस पर किसी चालक का प्रतिरोध निर्भर करता है।
चालक के प्रतिरोध पर लम्बार्इ का प्रभाव: चालक का प्रतिरोध लम्बार्इ के सीधे समानुपाती होता है। इस प्रकार, चालक का प्रतिरोध ∝ चालक की लम्बार्इ
चालक के प्रतिरोध पर अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल का प्रभाव
चालक का प्रतिरोध उसके अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है। इस तरह,
चालक का प्रतिरोध ;


* यदि चालक का अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल दुगुना किया जाता है तो, उसका प्रतिरोध आधा हो जाता है।
चालक के प्रतिरोध पर ताप का प्रभाव : सभी शुद्ध धातुओं का प्रतिरोध ताप में वृद्धि के साथ बढ़ता है। मिश्र धातुओं का प्रतिरोध ताप में वृद्धि के साथ बहुत कम बढ़ता है। धातुओं के लिए जब ताप बढ़ता है, प्रतिरोध बढ़ता है और अर्द्धचालकों के लिए जब ताप बढ़ता है प्रतिरोध कम होता है।
चालक के प्रतिरोध पर पदार्थ की प्रकृति का प्रभाव : कुछ पदार्थ निम्न प्रतिरोध रखते है, जबकि कुछ अन्य बहुत उच्च प्रतिरोध रखते है। सामान्यतया एक मिश्रधातु उन शुद्ध धातुओं जिनसे वह बनी है, से उच्च प्रतिरोध रखती है।
* कॉपर, चांदी, एलुमिनियम इत्यादि बहुत कम प्रतिरोध रखते है।
* नाइक्रोम, कोन्सटेनटन इत्यादि उच्च प्रतिरोध रखते हैं। नाइक्रकोम हीटर, टोस्टर, विध्युत र्इस्त्री इत्यादि के ऊष्मा देने वाले भाग बनाने में प्रयुक्त होता है।

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चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।

किसी भी चालक ने प्रभावित करने वाले कारक हैं वह लंबाई है क्षेत्रफल और पदार्थ की प्रकृति तथा ताप लंबाई पर जो तत्काल प्रभाव से लंबाई का प्रभाव है वह लंबे तार का प्रतिरोध तथा छोटे तार का प्रतिरोध कम होता है क्योंकि जो प्रतिरोध है वह और उसकी लंबाई के अनुसार बन पाती होता है क्षेत्रफल पर इसका प्रभाव होता है प्रतिरोध जो होता है क्षेत्रफल के भीतर मानुपाती होता है वह पदार्थ का पति को प्रकृति का रिलेशन है वह भी विक्रम अनुपाती होता है अत आप जो है इस चालक का प्रतिरोध जो है विक्रम अनुपाती ताप पर होता है

kisi bhi chaalak ne prabhavit karne waale kaarak hain vaah lambai hai kshetrafal aur padarth ki prakriti tatha taap lambai par jo tatkal prabhav se lambai ka prabhav hai vaah lambe taar ka pratirodh tatha chote taar ka pratirodh kam hota hai kyonki jo pratirodh hai vaah aur uski lambai ke anusaar ban pati hota hai kshetrafal par iska prabhav hota hai pratirodh jo hota hai kshetrafal ke bheetar manupati hota hai vaah padarth ka pati ko prakriti ka relation hai vaah bhi vikram anupati hota hai at aap jo hai is chaalak ka pratirodh jo hai vikram anupati taap par hota hai

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चालक के प्रतिरोध को प्रभावित करने वाला पहला कारण है उस चालक की लंबाई जितनी अधिक लंबाई होगी प्रतिरोध भी उतना ही अधिक होगा और दूसरा दूसरा कारण है उस चालक की मोटाई यानी अगर किसी तार की मोटाई जितनी अधिक होगी उसका प्रतिरोध भी उतना ही कम होगा और तीसरा है तापमान धातुओं का तापमान जितना अधिक होगा उनका प्रतिरोध उतना ही अधिक होगा और चौथा है उनका नेचर प्रतिरोध वस्तु के नेचर यानी उसकी प्रकृति पर निर्भर करता है

chaalak ke pratirodh ko prabhavit karne vala pehla karan hai us chaalak ki lambai jitni adhik lambai hogi pratirodh bhi utana hi adhik hoga aur doosra doosra karan hai us chaalak ki motai yani agar kisi taar ki motai jitni adhik hogi uska pratirodh bhi utana hi kam hoga aur teesra hai taapman dhatuon ka taapman jitna adhik hoga unka pratirodh utana hi adhik hoga aur chautha hai unka nature pratirodh vastu ke nature yani uski prakriti par nirbhar karta hai

चालक के प्रतिरोध को प्रभावित करने वाला पहला कारण है उस चालक की लंबाई जितनी अधिक लंबाई होगी

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चालक के प्रतिरोध को प्रभावित करने वाले कारक कौन कौन से हैं?

प्रतिरोध को प्रभावित करने वाले कारक.
लंबाई पर - : लंबे तार का प्रतिरोध अधिक तथा छोटे तार का प्रतिरोध कम होता है। ... .
क्षेत्रफल - : पतले तार का प्रतिरोध अधिक तथा मोटे तार का प्रतिरोध कम होता है। ... .
पदार्थ की प्रकृति पर - : किसी चालक का प्रतिरोध R उसमें मुक्त इलेक्ट्रॉन की संख्या के व्युतक्रमानुपाती होता है। ... .
ताप पर - :.

किसी चालक का प्रतिरोध क्या है इसे प्रभावित करने वाले कारकों को लिखिए?

Solution : किसी चालक का प्रतिरोध निम्नलिखित कारको पर निर्भर करता है: <br>(i ) तार की लम्बाई- किसी चालक का प्रतिरोध उसकी लम्बाई के समानुपाती है । <br> `R propto L` <br> (ii ) चालक के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल- किसी चालक का प्रतिरोध उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल का व्युत्क्रमानुपाती होता है ।

चालक की प्रतिरोध का क्या है?

यदि चालक के सिरों के बीच का विभवांतर V हो और उसमें प्रवाहित धारा I हो, तो ओम के नियम से v ∝ I या V =I R जहाँ R एक नियतांक है, जिसे चालक प्रतिरोध कहते हैं। किसी चालक का वह गुण जो उसमें प्रवाहित धारा का विरोध करता है, प्रतिरोध कहलाता है।

प्रतिरोध क्या है यह किन कारकों पर निर्भर करता है?

प्रतिरोध को एक कंडक्टर के माध्यम से विद्युत प्रवाह के प्रवाह के विरोध के रूप में परिभाषित किया गया है। एक चालक में प्रतिरोध को प्रभावित करने वाले चार कारक हैं। मोटाई (तार का पार अनुभागीय क्षेत्र), लंबाई और तापमान । चौथा कारक उपयोग की जाने वाली सामग्री की चालकता है।

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