भैंस को गाभिन कैसे किया जाता है? - bhains ko gaabhin kaise kiya jaata hai?

गाय और भैंस को गाभिन करने के लिए क्या करें

दुधारू पशुओं में बढ़ती प्रजनन समस्यायें आज-कल पशुपालकों के लिए एक गंभीर समस्या बन गई है क्योंकि पशुओं में दुग्ध उत्पादन व प्रजनन क्षमता में कमी होने से पशुपालक को सीधे आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है | अत: यह आवश्यक हो जाता है की पशुपालकों को पशु प्रजनन के सम्बन्ध में अधिकाधिक जानकारी हो ताकि वे स्वयं अपने स्तर से इन समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकें |

प्रथम गर्भधारण की अवधि :-

आमतौर पर संकर बछिया को अधिकतम 2.5 वर्ष, देशी बछिया को 3 वर्ष तथा पदीय को 3.5 वर्ष के अन्दर गर्भधारण कर लेना चाहिए | ब्याने के पश्चात् पुन: 3 – 4 महीने के अन्दर दुबारा गर्भित होकर इसी प्रक्रिया से गुजरना अच्छी प्रजनन क्षमता दर्शाता है | इस प्रकार एक ब्यानेसे दुसरे ब्यात का अंतराल 13 – 14 महीने का होता है लेकिन प्रजनन क्षमता पूर्ण न होने की दशा में यह अंतराल अधिक हो जाता है जिससे पशुपालकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है |

मद चक्र :-

गायों व भैंसों में मद चक्र की औसत अवधि 21 दिन है | गायों में मद 18 घंटे रहता है जबकि भैंसों में लगभग 24 घंटे | गायें अधिकतर सुबह 4:00 से दोपहर 12:00 बजे तक गर्मी में आती है जबकि भैंस शाम 6:00 से सुबह 6:00 बजे तक | भैंसे सर्दी के मौसम में ज्यादा प्रजनन करती है और रात्रि में गर्मी के लक्षण दिखाती है |

गर्भित कराने का उचित समय :-

  • पशु के गर्मी में रहने का समय 18 – 24 घंटे तक होता है और अंडा निकलने का समय मद काल के समापन के 10 – 12 घंटे बाद में होता है | अत: आवश्यक है कि पशु को गर्मी में आने के शुरुआत के करीब 10 – 12 घंटे बाद गर्भित करायें | पशु के मदकाल के आखिर एक तिहाई समय में गर्भित कराना ज्यादा उपयुक्त होता है | इससे गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है | एक ही समय में कई बार गर्भित कराना प्राय: निरर्थक है |
  • कुछ पशुओं में मदकाल अर्थात गर्मी की अवधि 18 – 24 घंटे से बढ़कर 3 या 4 दिन तक भी देखने को मिलती है एसे पशुओं को भी मदकाल के आखिरी अवस्था में गर्भित करना सार्थक होता है |
  • कुछ पशु समय से मद में नहीं आते, गर्भधारण नहीं करते अथवा बार – बार मद के लक्षण देते हैं ऐसे समस्याग्रस्त पशुओं के लिए पशुपालकों को निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए |

पशुपालक गाय या भैंस को गाभिन करवाने के लिए इन बातों का ध्यान रखें

  • अच्छे आहार के साथ – साथ 50 – 60 ग्राम उच्च गुणों वाला खनिज मिश्रण प्रतिदिन दें |
  • यदि पशु अन्त: कृमियों से ग्रसित है तो पशु – चिकित्सक की सलाह से कृमिनाशक दवा दें |
  • मद के लक्षण पहचान कर उचित समय पर गर्भित करायें |
  • अगर किसी कारणवश मद का समय निकल गया हो तो 21वें दिन विशेष ध्यान रखें और समय से गर्भित करायें |
  • यदि बच्चेदानी में कोई संक्रमण, सुजन, अंडाशय पर सिस्ट अथवा पशु में हारमोन सम्बन्धी विकार हो तो पशु – चिकित्सक से तुरन्त सम्पर्क करें |
  • मई से जुलाई माह का अत्याधिक तापमान संकर पशुओं एवं भैंसों में मद को बाधित करता है | अत: उच्च तापमान से बचाव के लिए पशुओं की पर्याप्त सुरक्षा करना चाहिए |
  • कभी – कभी सुविधानुसार मादा पशुओं को नर पशुओं के साथ रखना चाहिए | इससे उनकी प्रजनन क्रियाओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है |

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भैंस को गाभिन करने के लिए क्या करना चाहिए?

पशुपालक गाय या भैंस को गाभिन करवाने के लिए इन बातों का ध्यान रखें.
अच्छे आहार के साथ – साथ 50 – 60 ग्राम उच्च गुणों वाला खनिज मिश्रण प्रतिदिन दें |.
यदि पशु अन्त: कृमियों से ग्रसित है तो पशु – चिकित्सक की सलाह से कृमिनाशक दवा दें |.
मद के लक्षण पहचान कर उचित समय पर गर्भित करायें |.

भैंस को गाभिन होने के बाद क्या खिलाते हैं?

} गाभिन गाय या भैंस को साधारणतया 25 से 30 किलोग्राम हरा चारा, दो से चार किलोग्राम सूखा चारा, दो से तीन किलोग्राम दाना एवं 50 ग्राम नमक रोज दें। } गाभिन पशु के ब्याने के करीब दो सप्ताह पहले अन्य पशुओं से अलग कर दें।

भैंस को गर्मी में कैसे लाएं?

यदि गाय या भैंस गर्मी में नही आती है तो कुछ गर्म पदार्थ खिलाना चाहिए। जैसे बाजरा, भूसी, खली, मसूर, चुन्नी, अरहर, अण्डा कबूतर का मल इत्यादि। ये सब खिलाने से जानवर को अवश्य ही लाभ मिलेगा।

पशु को हीट में लाने के लिए क्या करना चाहिए?

पशुओं को गुड़ देना:- थोड़ी मात्रा में दिया गया गुड़ पशुओं के पेट में सूक्ष्मजीवों के बढ़ने और पाचन शक्ति बढ़ाने में सहायक होता है। इससे पशु की भूख बढ़ जाती है। गुड़ ऊर्जा देने के साथ साथ भूख भी बढ़ाता है इसलिए जरूरी तत्वों की पूर्ति में सहायक होता है जिससे पशु हीट में आ जाता है।

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