भारतीयों द्वारा दुनिया का चक्कर लगाने वाली नौका का क्या नाम था? - bhaarateeyon dvaara duniya ka chakkar lagaane vaalee nauka ka kya naam tha?

बीच समंदर में फंसे भारतीय नाविक को कैसे बचाया गया

24 सितंबर 2018

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अभिलाष टॉमी

पारंपरिक नौकाओं पर अकेले समुद्री यात्रा करते हुए पूरी दुनिया का चक्कर काटकर पूरी होने वाली रेस 'गोल्डन ग्लोब' में हिस्सा ले रहे एक भारतीय नाविक को बचा लिया गया है.

भारतीय नौसेना में कमांडर अभिलाष टॉमी इस रेस में भाग ले रहे थे मगर हिंद महासागर में भीषण तूफ़ान के कारण उनकी नौका क्षतिग्रस्त हो गई और वह ख़ुद भी घायल हो गए थे.

भारतीय नौसेना के मुताबिक उन्हें अब बचा लिया गया है.

अपने याट (पाल वाली नौका) पर अकेले सफ़र कर रहे अभिलाष टॉमी ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी तट से लगभग 3200 किलोमीटर दूर अकेले फंसे हुए थे.

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अभिलाष की नौका थूरिया ज़मीन से हज़ारों मील दूर बीच समंदर में है

क्या थे हालात?

उनके याट का मस्तूल (वह स्तंभ जिससे पाल बंधा रहता है) हिंद महासागर में आए भीषण तूफ़ान के कारण टूट गया था.

वह किसी तरह यह संदेश भेजने में क़ामयाब रहे कि उनकी कमर में गंभीर चोट आई है जिसकी वजह से वह चलने-फिरने और खाने-पीने में असमर्थ थे.

इस रेस के आयोजकों का कहना था कि टॉमी अपनी नौका के अंदर चारपाई पर मजबूर पड़े थे और मदद से इतनी दूर थे कि उनतक पहुंचना बेहद मुश्किल था. लेकिन कोशिशों के बाद उन तक पहुंच बनाई जा सकी और उन्हें सुरक्षित बचा लिया गया है.

उन्हें बचाए जाने से पहले ऑस्ट्रेलिया की मैरीटाइम सेफ़्टी अथॉरिटी के प्रवक्ता ने समाचार एजेंसी एएफ़पी को बताया था, "अपनी नौका के अंदर वो घायल पड़े हैं और संपर्क स्थापित नहीं कर पा रहे थे."

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अभिलाष की नौका थूरिया

बचाव अभियान

इसके बाद छलियों की निगरानी करने वाला एक जहाज़ उनकी ओर बढ़ रहा था, जो सोमवार को उन तक पहुंच सका.

ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड आर्मी कॉर्प्स (एएनज़ेडएसी) का एक युद्धपोत, जिस पर हेलिकॉप्टर भी था, अभिलाष की ओर बढ़ रहा था मगर आयोजकों का कहना था कि उसे यहां तक पहुंचने में कम से कम चार दिन लगेंगे.

भारत और ऑस्ट्रेलिया के एक-एक सैन्य विमान रविवार को अभिलाष के याट के ऊपर से उड़े ताकि उनकी हालत का जायज़ा लिया जा सके. मगर विमान क्रू के सदस्य अभिलाष से संपर्क करने में नाक़ामयाब रहे थे.

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गोल्डन ग्लोब रेस में अकेले ही पाल वाली नौका के सहारे समुद्री यात्रा करनी होती है (प्रतीकात्मक तस्वीर)

कौन हैं अभिलाष?

39 साल के भारतीय नेवी के कमांडर अभिलाष 2013 में समुद्री यात्रा के ज़रिये पूरी दुनिया का चक्कर लगाने वाले पहले भारतीय बने थे.

उनकी नौका का नाम थूरिया है जो 1968 में हुई पहली गोल्डन ग्लोब रेस के विजेता रॉबिन नॉक्स जॉनस्टन की नौका 'सुहैली' की प्रतिकृति है.

उनका सैटेलाइट फ़ोन टूट गया था, ऐसे में वह टेस्टिंग यूनिट के ज़रिये संपर्क साध रहे थे.

शनिवार को अभिलाष ने मेसेज भेजा था, "चलना बेहद मुश्किल है, स्ट्रेचर की ज़रूरत पड़ेगी, चल नहीं सकता, शुक्र है नाव के अंदर सुरक्षित हूं.... सैटलाइट फ़ोन ख़राब है."

टॉमी के पास एक और सैटलाइट फ़ोन था जो कि एक इमरजेंसी बैग में रखा गया था. मगर वो उस बैग तक पहुंच नहीं पा रहे थे.

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तूफ़ान के कारण 14 मीटर ऊंची लहरें उठी थीं (प्रतीकात्मक तस्वीर)

तूफ़ान से और लोग भी हुए प्रभावित

आयरलैंड के एक प्रतिभागी ग्रेगर मैकगकिन का याट भी तूफ़ान में टूट गया था मगर उन्होंने इसकी मरम्मत कर ली थी.

शुक्रवार को तूफ़ान के कारण 70 नॉट्स की तेज़ हवाएं चली थीं और 14 मीटर ऊंची लहरें उठी थीं. इसी कारण एक अन्य प्रतिभागी मार्क स्लैट्स की नौका दो बार पलट गई थी.

आयोजकों का कहना है कि 11 प्रतिभागी अभी भी रेस में बने हुए हैं. ये लोग उत्तर में थे इस कारण तूफ़ान से बच गए.

गोल्डन ग्लोब रेस एक ऐसी रेस है जिसमें अकेले ही 30 हज़ार मील का यात्रा तय करनी होती है. इसमें सैटेलाइट कम्यूनिकेशन के अलावा और किसी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया जाता.

प्रतियोगिता 01 जुलाई को फ्रांस से शुरू हुई थी. अब तक सात नावों को रेस से हटना पड़ा है.

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सेल पर निकलने से पहले नेवी की टीम ने पीएम मोदी से मुलाकात की. (फोटो- Twitter/indiannavy)

इंडियन नेवी की छह महिला ऑफिसर्स की एक टीम अगले महीने दुनिया की सैर पर निकलेगी. खास बात यह है कि यह टीम समुद्र के रास्ते ही अपना सफर पूरा करेगी. नेवी ऑफिसर लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी के नेतृत्व में यह टीम सितंबर में अपना सफर शुरू करेगी और अगले साल मार्च तक देश वापस लौटेगी.

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  • News18Hindi
  • Last Updated : August 18, 2017, 12:05 IST

    समंदर के रास्ते पूरी दुनिया की सैर करने का मिशन यानी 21600 नॉटिकल मील से ज्यादा की यात्रा. वह भी महज 55 फुट की एक छोटी सी नाव में सिर्फ हवाओं के भरोसे. ऐसे कठिन सफर की कल्पना ही रोमांचित कर देती है. मगर हौसला अगर आइएनएस तारिणी के क्रू जैसा हो और तैयारी भारतीय नौसेना की तो छह महिला अधिकारियों के लिए यह साहसिक सफर भी आसान काम बन सकता है.

    भारतीय नौसेना की 6 महिला अधिकारी सितंबर के पहले हफ्ते में धरती का चक्कर लगाने यानी “सरकम नेविगेशन” के सफर पर रवाना होंगी. इस मिशन को नाविका सागर परिक्रमा नाम दिया गया है. यह मिशन एशिया में महिलाओं द्वारा समुद्री मार्ग से धरती का चक्कर लगाने का पहला प्रयास होगा. इस मिशन की तैयारी दो साल से चल रही है.

    टीम की कमान कमांडर वर्तिका जोशी के हाथ में होगी. उनके अलावा इस मिशन में उनकी साथी हैं लेफ्टिनेंट कमांडर प्रतिभा जामवाल, पी स्वाती, लेफ्टिनेंट एस. विजया देवी, बी ऐश्वर्या और पायल गुप्ता. इस टीम को कमांडर दिलिप ढोंढे ने तैयार किया है जो समुद्र के रास्ते धरती का चक्कर लगाने वाले पहले भारतीय थे. उनके बाद भारतीय नौसेना के ही अधिकारी कमांडर अभिलाष टॉमी ने अप्रैल 2013 में बिना रुके धरती की सुमद्र परिक्रमा का मिशन पूरा किया था.

    कमांडर वर्तिका के मुताबिक उनकी टीम की योजना अगले आठ महीनों में इस मिशन को पूरा करने की है. आइएनएस तारिणी का सफर गोवा से शुरू होगा और गोवा में ही समाप्त होगा. इस दौरान वे चार जगह रुकेंगी जिसमें फ्रीमेंटल (ऑस्ट्रेलिया), लिटलटन (न्यूजीलैंड), पोर्ट स्टेनले (फॉकलैंड) और केप टाउन (साउथ अफ्रीका) शामिल हैं.

    इस मिशन पर टीम ने रवानगी से पहले बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस टीम से मुलाकात कर शुभकामनाएं दी. कमांडर वर्तिका जोशी के शब्दों में देश के प्रधानमंत्री से मुलाकात ही अपने आप में उत्साहवर्धक थी. साथ ही पीएम ने भरोसा दिया कि वह आइएनएस तारिणी की इस यात्रा के दौरान टीम के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग या फेस टाइम के जरिए संवाद बनाए रखने का भी प्रयास करेंगे. साथ ही पीएम ने टीम से भारत की ताकत औऱ क्षमता का संदेश पूरी दुनिया में बताने को भी कहा.

    भारतीय महिला सैनिकों के इस मिशन के लिए नौसेना ने कई खास इंतजाम भी किए हैं. भारतीय नौसेना के चीफ ऑफ पर्सनल वाइस एडमिरल अनिल कुमार चावला के मुताबिक इस बारे में सभी देशों में मौजूद भारतीय दूतावासों, मित्र देशों की नौसेनाओं और निर्धारित रेस्क्यू ज़ोन्स को सूचित कर दिया है. साथ ही हर समय भारतीय नौसेना का कमांड सेंटर भी उनके संपर्क में रहेगा. साथ कि किसी आपात स्थिति के लिए भी योजना बनाई है.

    कमांडर वर्तिका जोशी स्वीकार करती हैं कि इस मिशन में उनका हौसला और ट्रेनिंग ही हथियार है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि इस मिशन में महिला नौसेना अधिकारी अपने साथ कोई हथियार नहीं रखेगी.

    मिशन की सदस्य लेफ्टिनेंट पी स्वाती बताती हैं कि ट्रेनिंग के दौरान ही उनकी शादी नौसेना के मरीन कमांडो से हुई. शादी से पहले वह पति से इस मिशन के बारे में करार कर चुकी थीं लेकिन ससुराल वालों को कुछ महीने पहले ही बताया. स्वाती आखों में चमक के साथ बताती हैं कि अब इस मिशन को लेकर उनके ससुराल वाले भी अब बहुत उत्साहित हैं.

    इस मिशन पर निकालने से पहले इस टीम ने लंबा वक्त आइएनएस तारिणी पर बिताया. यह टीम के बीच एक बांड बनाने के लिए भी ज़रूरी था. वर्तिका बताती हैं कि एक छोटी से नौका में महीनों का समय बिताना भी एक चुनौती है. लिहाज़ा वो अपने साथ लैपटॉप, टीवी के अलावा कई फिल्में भी साथ ले जा रही हैं.

    टीम के द्रोणाचार्य कमांडर ढोंढे बताते हैं कि उन्होंने अपनी प्रशिक्षुओं को हर हाल में मानसिक रूप से मजबूत रहने की सीख दी है. कामयाब मिशन के लिए उनका मंत्र यही है कि सबसे पहले अपनी नौका पर ध्यान दें, फिर अपना ख्याल रखें. इसके बाद किसी भी चुनौती का मुकाबला करना मुश्किल नहीं है.
    आइएनएस तारिणी एक नजर में:
    - वजन: 23 टन
    - लंबाई: 17.1 मीटर
    - मस्तूल की उंचाई: 21 मीटर (जल सतह से)
    - पहली बार दुनिया का चक्कर लगानी वाली भारतीय नौका माधेही की तर्ज पर तारिणी को बनाया गया है.
    - नौका का निर्माण गोवा में किया गया.
    - नौका के सभी ट्रायल 30 जनवरी 2017 को तैयार हुए.
    - भारतीय नौसेना में आइएनएस तारिणी को 18 फरवरी 2017 को शामिल किया गया.
    - तारिणी सेटेलाइट संचार के आधुनिक उपकरणों से लैस है. साथ ही ​
    - आईएनएस तारिणी के साथ महिला अधिकारियों की टीम पहले गोआ से पोरबंदर और फिर मॉरीशस तक का भी सफर कर चुकी है.

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    FIRST PUBLISHED : August 18, 2017, 08:50 IST

    भारतीयों द्वारा दुनिया का चक्कर लगाने वाली नौका का नाम क्या था *?

    वह भी सिर्फ हवाओं के भरोसे महज 55 फुट की एक छोटी सी नाव में यह सफर पूरा होगा. ऐसे में कठिन सफर की कल्पना ही रोमांचित कर देती है. आपको बता दें कि भारतीय नौसेना की 6 महिला अधिकारी समंदर के रास्ते धरती का चक्कर लगाने यानी “सरकम नेविगेशन” के सफर पर रवाना हो गयी हैं. इस मिशन को नाविका सागर परिक्रमा नाम दिया गया है.

    अभियान वाली नौका का नाम क्या था?

    मुंबई वापसी प्रथम भारतीय नौका अभियान दल विश्व की परिक्रमा कर 54,000 किलोमीटर की दूरी मापकर 470 दिन की ऐतिहासिक यात्रा के बाद, 10 जनवरी, 1987 को 6.00 बजे मुंबई बंदरगाह पहुँचा।

    भारतीय सदस्यों ने कितने दिन नौका पर यात्रा किया?

    Answer: प्रथम भारतीय नौका अभियान दल विश्व की परिक्रमा के लिए गया। उसने 54,000 किलोमीटर की दूरी की परिक्रमा की। ये परिक्रमा 470 दिन में हुई।

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