भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा एवं लिखित संविधान है. भारत का संविधान विश्व के अन्य देशों के संविधान से बिल्कुल अलग है. क्योंकि भारतीय संविधान एक विस्तृत संविधान है. इसमें केन्द्र के साथ-साथ राज्य सरकारों के गठन एवं उनकी समस्त शक्तियों का विस्तार से वर्णन किया गया है.
भारतीय संविधान के एकात्मक लक्षण
भारतीय संविधान की बहुत सारी विशेषताएं हैं. जिसमे से एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है एकात्मकता की ओर झुका होना मतलब की केन्द्राभिमुख होना. संघात्मक होते हुए भी भारतीय संविधान के एकात्मक लक्षण परिलक्षित होते है.
भारतीय संविधान राज्यों का एक संघ होगा. ये भारत के संविधान के अनुच्छेद-1 में कहा गया है. जिसके तहत् संघात्मकता के लक्षण जैसे: संविधान की सर्वोच्चता, शक्तियों का विकेन्द्रीयकरण (विभाजन), स्वतंत्र न्यायपालिका इत्यादि गुण मौजूद होने के बावजूद भी कुछ विशेषताएं ऐसी हैं जो इसे एकात्म की प्रवृत्ति प्रदान करती है.
भारतीय संविधान के एकात्मक लक्षण: इकहरी (एकल) नागरिकता, नये राज्यों के निर्माण संबंधी शक्ति संसद के पास होना,अखिल भारतीय सेवाओं में केंद्र का एकाधिकार,राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा,राज्य सूची पर केन्द्र की विधि बनाने की शक्ति का होना, आपात कालीन उपबन्ध इत्यादि.
ये शक्तियां इसे एकात्मक लक्षण की ओर ले जाते हैं. परन्तु संघात्मक लक्षण होते हुए भी एकात्मक होने का सबसे बड़ा कारण देशहित का होना है. क्योंकि भारत की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करना हमारे भारतीय संविधान का मुख्य उद्देश्य है. इसलिए भारतीय संविधान संघात्मक होते हुए भी एकात्मकता के गुण को धारण किये हुए है.
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भारत एक संवैधानिक गणराज्य है । भारत के संविधान की’ प्रस्तावना को संविधान की आत्मा कहा जाता है । भारत में संघीय शासन व्यवस्था लागू है किन्तु संविधान में कहीं भी फेडरेशन (संघात्मक) शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है । संविधान में भारत को ‘राज्यों का संघ’ कहा गया है ।
- कें. सी. हेयर के अनुसार- ” भारत मुख्यत: एकात्मक राज्य है, जिसमें संघीय विशेषताएं नाममात्र की है । भारत का संविधान संघीय कम एकात्मक अधिक है । ”
- प्रो. पायली के अनुसार- ” भारत का ढाँचा संघात्मक है किन्तु. उसकी आत्मा एकात्मक है । ”
- प्रो. डी. डी. बसु के अनुसार- ” भारत का संविधान न तो शुद्ध रूप से परिसंघीय है और न शुद्ध रूप से ऐकिक है; यह दोनों का संयोजन है । ”
भारतीय संविधान में संघात्मक व्यवस्था के लक्षण
- संविधान की सर्वोच्चता ।
- केन्द्र राज्य में पृथक-पृथक सरकारें ।
- केन्द्र व राज्य के मध्य शक्तियों का विभाजन ।
- स्वतंत्र व सर्वोच्च न्यायालय ।
भारतीय संविधान में एकात्मक व्यवस्था के लक्षण
- एकीकृत न्याय व्यवस्था ।
- इकहरी नागरिकता ।
- शक्तियों का बंटवारा केन्द्र के पक्ष में ।
- संघ तथा राज्य के लिए एक ही संविधान।
- केन्द्र सरकार को राज्यों की सीमा परिवर्तन करने का अधिकार ।
- राज्यों में राज्यपालों की नियुक्ति ।
- राज्य सूची के विषय पर केन्द्र को कानून बनाने का अधिकार ।
- संविधान संशोधन सरलता से ।
- संकटकाल में एकात्मक स्वरूप ।
- राज्य विधानमंडलों द्वारा पारित कानूनों को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए आरक्षित रखने का राज्यपालों को अधिकार ।
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