भारत में सामुदायिक विकास योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है? - bhaarat mein saamudaayik vikaas yojana ka mukhy uddeshy kya hai?

विषयसूची

  • 1 सामुदायिक विकास कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य क्या था?
  • 2 सामुदायिक विकास कार्यक्रम का सार क्या था?
  • 3 विकास कार्यक्रम क्या है?
  • 4 सामुदायिक कार्य से आप क्या समझते है?

सामुदायिक विकास कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य क्या था?

इसे सुनेंरोकेंसामुदायिक विकास योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण जीवन का सर्वागीण विकास करना तथा ग्रामीण समुदाय की प्रगति एवं श्रेश्ठतर जीवन-स्तर के लिए पथ प्रदर्शन करना है। इस रूप में सामुदायिक विकास कार्यक्रम के उद्देश्य इतने व्यापक है कि इनकी कोई निश्चित सूची बना सकना एक कठिन कार्य है।

सामुदायिक विकास कार्यक्रम का सार क्या था?

इसे सुनेंरोकेंसामुदायिक विकास सम्पूर्ण समुदाय के चतुर्दिक विकास की एक ऐसी पद्धति है जिसमेंजन-सहभाग के द्वारा समुदाय के जीवन स्तर को ऊँचा उठाने का प्रयत्न किया जाता है। भारत में शताब्दियों लम्बी राजनीतिक पराधीनता ने यहाँ के ग्रामीण जीवन को पूर्णतयाजर्जरित कर दिया था।

सामुदायिक विकास कार्यक्रम की शुरुआत कब और कहां की गई?

इसे सुनेंरोकेंभारत में सामुदायिक विकास कार्यक्रम कब आरंभ हुआ? (a) 2 अक्टूबर, 1950 ई.

भारत में सामुदायिक विकास योजना कब प्रारंभ हुई?

इसे सुनेंरोकेंभारत में ‘सामुदायिक विकास योजना’ 2 अक्टूबर 1952 को प्रारम्भ हुई थी ।

विकास कार्यक्रम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंएक कार्यक्रम जिसके द्वारा संभावित उद्यमियों को प्रोत्साहित करने, उन्हें अपने अभिप्रेरण स्तर को समझने, उद्यमिता पर उनके प्रभाव को समझने जैसे उद्देश्यों को प्राप्त करने प्रयास किया जाता है, उसे उद्यमिता विकास कार्यक्रम कहा जाता है।

सामुदायिक कार्य से आप क्या समझते है?

इसे सुनेंरोकेंसमाज-कार्य (social work) या समाजसेवा एक शैक्षिक एवं व्यावसायिक विधा है जो सामुदायिक सगठन एवं अन्य विधियों द्वारा लोगों एवं समूहों के जीवन-स्तर को उन्नत बनाने का प्रयत्न करता है। ‘समाजसेवा’वैयक्तिक आधार पर, समूह अथवा समुदाय में व्यक्तियों की सहायता करने की एक प्रक्रिया है, जिससे व्यक्ति अपनी सहायता स्वयं कर सके।

समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम की शुरुआत कब हुई?

इसे सुनेंरोकेंसमन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम की संकल्पना का प्रस्ताव सर्वप्रथम 1976-77 के केन्द्रीय बजट में रखा गया और इसे कुछ सीमा तक लागू किया गया। 2 अक्टूबर 1980 से यह कार्यक्रम देश। के समस्त विकास खण्डों में लागू किया गया।

कौन भारत में सामुदायिक विकास के मुख्य निर्माता कहलाते हैं?

इसे सुनेंरोकेंग्रामीण विकास की इस योजना का नाम ‘सामुदायिकविकास योजना’ रखा गया तथा 1952 में ही महात्मा गॉधी के जन्म दिवस 2 अक्टूबर से 55विकास खण्डों की स्थापना करके इस योजना पर कार्य आरम्भ कर दिया गया।

विषयसूची

  • 1 सामुदायिक विकास क्या है इसके मुख्य उद्देश्यों की व्याख्या करें?
  • 2 सामुदायिक कार्यक्रम क्या होता है?
  • 3 भारत में सामुदायिक विकास योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
  • 4 सामुदायिक विकास योजना कब शुरू हुई?

सामुदायिक विकास क्या है इसके मुख्य उद्देश्यों की व्याख्या करें?

इसे सुनेंरोकेंसामुदायिक विकास योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण जीवन का सर्वागीण विकास करना तथा ग्रामीण समुदाय की प्रगति एवं श्रेश्ठतर जीवन-स्तर के लिए पथ प्रदर्शन करना है। इस रूप में सामुदायिक विकास कार्यक्रम के उद्देश्य इतने व्यापक है कि इनकी कोई निश्चित सूची बना सकना एक कठिन कार्य है।

सामुदायिक कार्यक्रम क्या होता है?

इसे सुनेंरोकें” संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार ”सामुदायिक विकास योजना एक प्रक्रिया है, जो सारे समुदाय के लिए उसके पूर्ण सहयोग से आर्थिक और सामाजिक विकास की परिस्थितियों को पैदा करती है और जो पूर्ण रूप से समुदाय की प्रेरणा पर निर्भर करता है।”

सामुदायिक सहभागिता कार्य क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसामुदायिक सहभागिता लोगों द्वारा अपनी मलाई के लिए किसी ऐसे कार्यक्रम की योजना बनाने, उसका कार्यान्वयन करने एवं निरीक्षण करने के लिए सक्रिय रूप से भाग लेना सामुदायिक सहभागिता है। सामुदायिक सहभागिता निम्नलिखित में सहायक है: » किसी भी सरकारी कार्यक्रम के सुचारू रूप से कार्य करने में। >

भारत में सामुदायिक विकास योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसामुदायिक विकास योजना के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं (1) ग्रामीण समुदाय का सर्वांगीण विकास करना । ( 2 ) ग्रामीण व्यक्ति में सामुदायिक भावना का प्रचार व प्रसार करना। (4) स्थानीय संस्थाओं को उत्साहित करना जिससे वे ग्रामीण पुनर्निर्माण के कार्य में सहायता कर सकें। (5) उत्पादन की पद्धतियों का विकास करना।

इसे सुनेंरोकेंसामुदायिक विकास योजना के उद्देश्य सामुदायिक विकास योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण जीवन का सर्वागीण विकास करनातथा ग्रामीण समुदाय की प्रगति एवं श्रेश्ठतर जीवन-स्तर के लिए पथ प्रदर्शन करना है। इस रूप में सामुदायिक विकास कार्यक्रम के उद्देश्य इतने व्यापक है कि इनकी कोर्इनिश्चित सूची बना सकना एक कठिन कार्य है।

सामुदायिक विकास योजना कब शुरू हुई?

इसे सुनेंरोकेंग्रामीण विकास की इस योजना का नाम सामुदायिक विकास योजना रखा गया तथा 1952 में ही महात्मा गॉधी के जन्म दिवस 2 अक्टूबर से 55 विकास खण्डों की स्थापना करके इस योजना पर कार्य आरम्भ कर दिया गया।

सामुदायिक विकास के मूल तत्व कितने है?

इसे सुनेंरोकें1 नियोजित कार्यक्रम जिसे समुदाय की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाया गया है। 2 विकास कार्यों में ग्रामीणों की सहभागिता और पहल। 3 विशेषज्ञ सामग्री और साधन के रूप में सहायता। 4 समुदाय की सहायता के लिए विभिन्न विशेषज्ञों और सामंजस्य जैसे कृषि पशुपालन, जन स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज सेवा आदि।

सामुदायिक विकास योजना के क्या लाभ हैं?

सामुदायिक विकास योजना के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं (1) ग्रामीण समुदाय का सर्वांगीण विकास करना । ( 2 ) ग्रामीण व्यक्ति में सामुदायिक भावना का प्रचार व प्रसार करना। (4) स्थानीय संस्थाओं को उत्साहित करना जिससे वे ग्रामीण पुनर्निर्माण के कार्य में सहायता कर सकें। (5) उत्पादन की पद्धतियों का विकास करना।

भारत में सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है?

सामुदायिक विकास कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों के विकास पर केंद्रित थे। समुदाय के सदस्य समुदाय से संबंधित किसी भी मुद्दे से संबंधित निर्णय लेने और हल करने में शामिल थे। कार्यक्रम ने संचार प्रणालियों में सुधार, देश के कृषि कार्यक्रम में पर्याप्त वृद्धि, ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता और शिक्षा आदि में सुधार प्रदान किया।

सामुदायिक विकास योजना की शुरुआत कब हुई?

सामुदायिक विकास कार्यक्रम ग्रामीण लोगों के समग्र विकास के उद्देश्य से शुरू किया गया एक बहु-परियोजना कार्यक्रम था। इसे 2 अक्टूबर 1952 को शुरू किया गया था। इसे भारत में पहली पंचवर्षीय योजना के दौरान लागू किया गया था। सामुदायिक विकास कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा शुरू की गई सबसे बड़ी ग्रामीण पुनर्निर्माण योजना थी।

भारत में सामुदायिक विकास कार्यक्रम का अंतिम उद्देश्य क्या था?

भारत में सामुदायिक विकास खण्डों के माध्यम से यह कार्यक्रम सन् 1977-78 से आरम्भ किया गया। इसका उद्देश्य रेगिस्तानी, बंजर तथा बीहड़ क्षेत्रों की भूमि पर अधिक से अधिक हरियाली लगाना, जल-स्रोतों को ढूंढकर उनका उपयोग करना, ग्रामों में बिजली देकर ट्यूब-वैल को प्रोत्साहन देना तथा पशु-धन और बागवानी का विकास करना है।

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