निम्नलिखित में से कौन भारत के उपराष्ट्रपति को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाता है?
- प्रधानमंत्री
- उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
- राष्ट्रपति
- लोकसभा का अध्यक्ष
Answer (Detailed Solution Below)
Option 3 : राष्ट्रपति
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General Intelligence & Reasoning Practice Set
10 Questions 10 Marks 8 Mins
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 69 के अनुसार, उपराष्ट्रपति भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद और गोपनीयता की शपथ ग्रहण करते हैं।
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Last updated on Nov 24, 2022
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Solution
The correct option is C
भारत के मुख्य न्यायाधीश
व्याख्या:
भारत के संविधान के अनुच्छेद 60 के अनुसार, प्रत्येक राष्ट्रपति और राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने वाले प्रत्येक व्यक्ति या कार्यालय में प्रवेश करने से पहले राष्ट्रपति कार्यालय के कार्यों के निर्वहन की शपथ लेता है। शपथ के साथ-साथ संविधान की रक्षा, परिरक्षण, संरक्षण और प्रतिरक्षण करने की शपथ भी शामिल है। इस अर्थ में, राष्ट्रपति भारतीय संविधान के अभिभावक के रूप में शपथ लेते हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनके अनुपस्थिति में सर्वोच्च न्यायलय के वरिष्ठ न्यायाधीश द्वारा शपथ लेता है।
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प्रधानमंत्री उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रपति लोकसभा अध्यक्ष
Answer : C
Solution : भारतीय संविधान के अनुच्छेद 69 के अनुसार, राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाता है। राष्ट्रपति के पद के बाद, भारत के उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है। वह राज्य सभा का पदेन सभापति भी होता है।
भारत के प्रधानमन्त्री को क्या शपथ दिलाई जाती है?
भारत की आजादी से अब तक भारत में व्यक्तिगत तौर पर 16 लोग देश के प्रधानमन्त्री पद पर बैठ चुके हैं. देश के प्रधानमन्त्री का पद उसी नेता को दिया जाता है जो कि लोकसभा में बहुमत प्राप्त पार्टी का नेता होता है. प्रधानमन्त्री और उसकी कैबिनेट को पद ग्रहण करने से पहले राष्ट्रपति के द्वारा पद और गोपनीयता की शपथ दिलायी जाती है. आइये इस लेख में जानते हैं कि प्रधानमन्त्री को किस प्रकार की शपथ लेनी पड़ती है और क्यों लेनी पड़ती है?
Modi Ji Swearing in as the Prime Minister of India
भारत के संविधान में राष्ट्रपति को केवल रबर स्टाम्प के रूप में शासक माना गया है जबकि वास्तविक कार्यकारी शक्तियां जनता द्वारा चुने गए लोकसभा सदस्यों में बहुमत वाले दल के नेता अर्थात प्रधानमन्त्री में निहित होतीं हैं.
प्रधानमन्त्री और उसकी मंत्री परिषद् को पद ग्रहण करने से पूर्व भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई जाती है. प्रधानमन्त्री अपने साथ एक कैबिनेट का चयन भी करता है और उसकी सिफारिश पर ही राष्ट्रपति अन्य केन्द्रीय मंत्रियों को पद की शपथ दिलाता है. हालाँकि किस मंत्री को कौन सा मंत्रालय दिया जायेगा इसका फैसला प्रधानमन्त्री करता है.
आइये जानते हैं कि प्रधानमन्त्री को क्या शपथ दिलाई जाती है?
पद एवं गोपनीयता की शपथ लेते हुए मोदी जी कल इस प्रकार की शपथ प्रहण करेंगे;
1. मैं “नरेन्द्र भाई मोदी” भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूँगा.
2. मैं भारत की संप्रभुता एवं अखंडता अक्षुण्ण रखूँगा.
3. मैं श्रद्धापूर्वक एवं शुद्ध अंतरण से अपने पद के दायित्वों का निर्वहन करूंगा.
4. मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूंगा.
अर्थात प्रधानमन्त्री की शपथ का मूल सारांश यह होता है कि वह ईश्वर की शपथ खाकर कहता है कि यदि देश हित के विषय से सम्बंधित कोई भी जानकारी उसके समक्ष लायी जाएगी, या उसको ज्ञात होगी तो वह उसे सिर्फ उन्ही लोगों (जैसे मंत्रिपरिषद के सदस्यों या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े अधिकारियों इत्यादि) के साथ साझा करेगा जिनके साथ वह जानकारी साझा करने के लिए अधिकृत है.
प्रधानमन्त्री को शपथ क्यों दिलायी जाती है?
संविधान में इस प्रश्न के लिए कोई खास कारण नहीं लिखा है कि भारत के प्रधानमन्त्री को शपथ क्यों दिलाई जाती है? लेकिन शपथ को ध्यान से सुनने पर पता चलता है कि शपथ दिलाने के पीछे आस्तिक कारण है क्योंकि शपथ में प्रधानमन्त्री ईश्वर की शपथ लेता है कि वह संविधान के अनुसार बनाये गए नियमों का पालन करेगा और देश की संप्रभुता और अखंडता को बनाये रखने के लिए किसी भी दुश्मन व्यक्ति और देश के साथ कोई ख़ुफ़िया जानकारी साझा नहीं करेगा.
अर्थात यहाँ शपथ के पीछे यह मान्यता है कि कोई भी व्यक्ति ईश्वर की कसम खाकर कहता है कि वह देश के साथ गद्दारी नहीं करेगा और सभी के साथ न्याय करेगा.
नोट: नरेंद्र मोदी जी भारत के चौथे ऐसे प्रधानमन्त्री होंगे जो प्रधानमन्त्री के रूप में 2 कार्यकाल पूरा करेंगे. इसके साथ ही मोदी जी पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमन्त्री होंगे जो कि 2 कार्यकाल पूरा करेंगे.
सन 1980 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा था कि यह आवश्यक नहीं है कि कोई व्यक्ति पहले लोक सभा में बहुमत सिद्ध करे उसके बाद शपथ ग्रहण करे.
प्रधानमन्त्री का कार्यकाल निश्चित नहीं है तथा वह राष्ट्रपति की मर्जी तक ही अपने पद पर बना रह सकता है. लेकिन यदि उसे लोकसभा में बहुमत प्राप्त हो तो राष्ट्रपति भी उसे पद से नहीं हटा सकता है.
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