मुंगेलीः छत्तीसगढ़ का मुंगेली जिला भी नक्सल प्रभावित घोषित कर दिया गया है. बताया जा रहा है कि यहां पिछले कुछ दिनों में नक्सलियों के मूवमेंट की जानकारी सामने आई है. जिसके चलते छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले को 1 जुलाई से नक्सल प्रभावित जिले में शामिल किया गया है. खास बात यह है कि मुंगेली जिले की सीमा मध्य प्रदेश के डिंडौरी जिले से लगती है, कुछ दिनों पहले डिंडौरी जिले को भी नक्सल प्रभावित जिलों की सूची में शामिल किया गया था.
मुंगेली जिला अब
(SRE) की सूची में शामिल
छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले को सिक्योरिटी रिलेटेड एक्सपेंडीचर (SRE) जिलों की सूची में शामिल किया गया है. एसआरई स्कीम नक्सल प्रभावित जिलों के लिए बनाई गई है. एसआरई स्कीम के तहत इन जिलों के लिए अलग बजट, पुलिस वालों के लिए अलग से भत्ता और अन्य कई सुविधाएं दी जाती है. जबकि इन जिलों में तैनात पुलिसकर्मियों का नाम नक्सल प्रभावित जिलों में ड्यूटी करने वाले पुलिसवालों के नाम में शामिल रहता था. खास बात यह है कि इस स्कीम के तहत जिले को एक सुरक्षा प्रदान की जाती है. एसआरई
स्कीम पर होने वाला खर्चा राज्य सरकार द्वारा दिया जाता है, जबकि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा भी वित्तीय सहायता दी जाती है.
नक्सल प्रभावित जिलों से घिरा है मुंगेली
मुंगेली जिला छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिलों से लगा हुआ है. मुंगेली जिले की सीमा कवर्धा जिले से लगी है जो पहले से ही नक्सल प्रभावित है. पुलिस की तरफ से बताया जा रहा है कि
मुंगेली और कवर्धा जिले में पिछले कुछ दिनों में नक्सलियों की मूवमेंट देखने को मिली है. पिछले 10 सालों में कई ऐसे मौके आए हैं. जब पुलिस ने इलाके में सघन सर्चिंग अभियान तक चलाया है. हालांकि अब तक यहां कोई बड़ी घटना तो नहीं हुई है. लेकिन बताया जा रहा है कि पुलिस का दवाब बढ़ने के चलते नक्सली यहां के जंगलों में पहुंच जाते हैं.
MP से भी लगी है मुंगेली जिले की सीमा
मुंगेली जिले की सीमा मध्य प्रदेश के डिंडौरी जिले भी मिलती है. खास बात यह है कि पिछले दिनों मध्य
प्रदेश सरकार ने भी डिंडौरी जिले को नक्सल प्रभावित जिलों की सूची में शामिल किया था. क्योंकि डिंडौरी जिले से लगे बालाघाट और मंडला जिलों में भी लंबे समय से नक्सलियों की मूवमेंट देखी जा रही है. जिसके चलते डिंडौरी जिले को भी नक्सल प्रभावित माना गया है.
यह हैं छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभवित जिले
छत्तीसगढ़ में लाल आतंक आज भी देश की सबसे बड़ी परेशानियों में से एक हैं. छत्तीसगढ़ के 14 जिले नक्सल प्रभावित माने जाते हैं. बस्तर जिला सबसे ज्यादा लाल आतंक की चपेट में है.
बस्तर के अलावा नारायणपुर, कांकेर, कोंडागांव, सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर, राजनांदगांव, महासमुंद, धमतरी, गरियाबंद, बलरामपुर, कवर्धा और मुंगेली शामिल हैं.
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Ranchi: झारखंड में भले नक्सली कमजोर पड़ गए हैं और झारखंड पुलिस लगातार नक्सलियों के खात्मे की अभियान चला रही है. इसके बावजूद भी देश के 30 नक्सल प्रभावित जिलों में 13 जिले झारखंड के हैं, जो सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिलों की सूची में है. सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिले के मामले में झारखंड पहले स्थान पर है, तो वहीं छत्तीसगढ़ के 8 जिले सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिलों के साथ दूसरे स्थान पर है. वहीं इसबार होनेवाले लोकसभा चुनाव में 2014 लोकसभा चुनाव की तुलना में ज्यादा सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की जायेगी. लोकसभा चुनाव में झारखंड में 10 फीसदी अधिक सुरक्षा बल की तैनाती की जाएगी.
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झारखंड के सबसे ज्यादा जिले सर्वाधिक नक्सल प्रभावित
झारखंड के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिलों में खूंटी, गुमला, लातेहार, सिमडेगा, पश्चिम सिंहभूम, रांची, दुमका, गिरिडीह, पलामू, गढ़वा, चतरा, लोहरदगा और बोकारो है. सरायकेला,पूर्वी सिंहभूम, हजारीबाग,धनबाद, गोड्डा भी नक्सलवाद की समस्या से जूझ रहे हैं. वहीं कम संवदेनशील जिलों में कोडरमा,जामताड़ा, पाकुड़ और रामगढ़ है. जबकि देवघर-साहेबगंज नक्सल प्रभावित नहीं माना गया है.
दूसरे राज्यों के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिले
छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिले बस्तर, बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा, कांकेर, नारायणपुर, कोंडागांव और राज नंदगांव हैं. जबकि बिहार का औरंगाबाद, गया, जमुई, लखीसराय सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिलों की सूची में शामिल है. उड़ीसा के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिला मलकानगिरी, कोरापुट,नुआपदा, बोलांगीर और आंध्र प्रदेश का खम्मम जिला है.
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10 फीसदी ज्यादा सुरक्षा बल रहेंगे तैनात
इधर लोकसभा चुनाव की तारीख घोषणा होते ही झारखंड पुलिस शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव संपन्न कराने की तैयारियों में लग गई है. नक्सलवाद झारखंड में एक बड़ी समस्या है, ऐसे में शांतिपूर्वक तरीके से चुनाव कराने के लिए इस बार राज्य में सुरक्षाबलों की संख्या में बढ़ोत्तरी की गई है. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार दस फीसदी ज्यादा सुरक्षा बल झारखंड में तैनात रहेंगे. झारखंड पुलिस मुख्यालय के मुताबिक, 10 फीसदी अधिक सुरक्षा बलों की तैनाती के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपनी सहमति प्रदान कर दी है.
नक्सल प्रभावित जिलों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है
आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर नक्सल प्रभावित जिलों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है. पहले में सर्वाधिक नक्सल प्रभावित दूसरे में संवेदनशील और तीसरे में जनरल श्रेणी के तहत फोर्स तैनात किए जाएंगे. जिले के एसपी बूथों का भ्रमण कर यह निर्धारित करेंगे कि कौन सा बूथ अत्यंत संवेदनशील है. उसके बाद वहां पर सुरक्षाबल की तैनाती या फिर उनकी संख्या कितनी रहेगी, इसका निर्णय लिया जाएगा.
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