भारत में बेरोजगारी दर को कौन मापता है? - bhaarat mein berojagaaree dar ko kaun maapata hai?

परिचय

रोजगार सृजन के साथ-साथ रोजगार – बेरोजगारी से जुड़े मुद्दों को सुलझाना सरकार की महत्‍वपूर्ण प्राथमिकताएं रही हैं। अनेक मंत्रालय/विभाग और एजेंसियां देश में विभिन्‍न स्‍वरूपों में रोजगार के डेटा को एकत्र करने के साथ-साथ उनका प्रचार-प्रसार करती हैं। इस कार्य में जो प्रमुख एजेंसियां संलग्‍न हैं उनमें सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई), श्रम एवं रोजगार मंत्रालय (एमओएलई) में श्रम ब्‍यूरो और गृह मंत्रालय (एमएचए) में भारत के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त शामिल हैं।

भारत में परिवारों के बीच रोजगार–बेरोजगारी सर्वेक्षण एमओएसपीआई के अधीनस्‍थ एनएसएस द्वारा, वार्षिक श्रम बल सर्वेक्षण एमओएलई द्वारा और जनगणना महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्‍त के कार्यालय द्वारा की जाती है। रोजगार-बेरोजगारी सर्वेक्षण (ईयूएस) परिवारों के बीच किए जाने वाला एक व्‍यापक सर्वेक्षण है जिससे भारत में श्रम बल से जुड़े आंकड़े प्राप्‍त होते हैं। इस तरह का पहला सर्वेक्षण वर्ष 1955 में राष्‍ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) के नौवें दौर में किया गया था। पंचवार्षिकी (पांच वर्षों की अवधि) सर्वेक्षणों का मौजूदा स्‍वरूप वर्ष 1972-73 के 27वें दौर में शुरू किया गया था जो एम.एल. दांतवाला समिति की रिपोर्ट पर आधारित है। उसके बाद से लेकर अब तक 8 पंचवार्षिकी सर्वेक्षण किए जा चुके हैं। इस आशय का अंतिम सर्वेक्षण वर्ष 2011-12 में किया गया था। रोजगार-बेरोजगारी सर्वेक्षण 12 महीनों की अवधि में किया जाता है, जिसमें रोजगार से जुड़े सीजनल बदलावों को ध्‍यान में रखा जाता है।

भारत की विकसित होती अर्थव्‍यवस्था और आवश्‍यकताओं को ध्‍यान में रखते हुए रोजगार-बेरोजगारी पर पारिवारिक डेटा की उपलब्‍धता के संबंध में कुछ परिवर्तन करने का निर्णय लिया गया। पहला निर्णय हर साल घरेलू या पारिवारिक सर्वेक्षण कराने के बारे में था, दूसरा निर्णय परिवार के सदस्‍यों के समय-व्‍यतीत करने के तरीकों का आकलन करने के लिए समय का उपयोग संबंधी सर्वेक्षण शुरू करने के बारे में था और तीसरा निर्णय ऐसी प्रौद्योगिकी का उपयोग शुरू करने को लेकर था जिससे कि डेटा संग्रह एवं प्रोसेसिंग की गति तेज हो सके और इसमें अपेक्षाकृत कम समय लग सके।

वर्ष 1996 से ही अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के विशेष डेटा प्रसार मानक (एसडीडीएस) को स्‍वीकार कर रहे भारत ने श्रम बाजार डेटा श्रेणी के लिए प्रासंगिक के रूप में एसडीडीएस के लचीलेपन का सहारा लिया था जो पांच साल में केवल एक बार उपलब्‍ध होता था। यह भी महत्‍वपूर्ण है कि श्रम बल से जुड़ा डेटा न केवल राष्‍ट्रीय नीति के लिए आवश्‍यक जानकारियां (इनपुट) उपलब्‍ध कराता है, बल्कि अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर तुलनीय भी बना रहता है। इसके अलावा, अंतर्राष्‍ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की अवधारणाओं, परिभाषाओं और वर्गीकरणों का उपयोग करते हुए एसडीडीएस के तहत श्रम बाजार (रोजगार, बेरोजगारी एवं वेतनमान/कमाई) के लिए प्रस्‍तावित किए जाने वाले तिमाही डेटा के प्रकार को ध्‍यान में रखते हुए एक ऐसी प्रणाली को स्‍थापित करना आवश्‍यक था जो न केवल राष्‍ट्रीय आवश्‍यकताओं, बल्कि आईएमएफ के एसडीडीएस की कुछ आवश्‍यकताओं को भी पूरा करने के लिए रोजगार डेटा सृजित कर सके।

अपेक्षाकृत अधिक निरंतर अंतराल पर श्रम बल के आंकड़ों की उपलब्धता की आवश्यकता को ध्‍यान में रखते हुए सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय ने वर्ष 2017-18 के दौरान आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) का शुभारंभ किया था जिसका उद्देश्‍य शहरी क्षेत्रों में श्रम बाजार के विभिन्‍न सांख्यिकीय संकेतकों के तिमाही बदलावों को मापने के साथ-साथ ग्रामीण एवं शहरी दोनों ही क्षेत्रों में श्रम बल संबंधी विभिन्न संकेतकों के वार्षिक अनुमानों को सृजित करना था। शहरी क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों के यहां चार बार आगमन सुनिश्चित किया गया और इसके साथ ही तीन तिमाहियों के लिए एक रोलिंग पैनल का गठन किया गया। इससे शहरी क्षेत्रों में सीजनल रोजगार में हुए होने वाले परिवर्तनों के साथ-साथ रोजगार से जुड़ी विशिष्‍टताओं का विश्‍लेषण करने में सुविधा हुई।

पीएलएफएस के तहत नमूने की संरचना

शहरी क्षेत्रों में नमूने (सैंपल) की संरचना तैयार करने वाले एक रोटेशनल पैनल का उपयोग किया गया है। इस रोटेशनल पैनल स्‍कीम में शहरी क्षेत्रों के प्रत्‍येक चयनित परिवार के यहां चार बार आगमन होता है। प्रथम आगमन कार्यक्रम के साथ इसकी शुरुआत की जाती है और बाद में पुनर्आगमन कार्यक्रम के साथ समय-समय पर तीन बार आगमन सुनिश्चित किया जाता है। शहरी क्षेत्रों में प्रत्‍येक स्‍तर के भीतर एक पैनल के लिए नमूने दरअसल दो स्‍वतंत्र उप-नमूनों के रूप में लिए गए। रोटेशन योजना के तहत यह सुनिश्चित किया जाता है कि प्रथम चरण वाली नमूना इकाइयों (एफएसयू) के 75 प्रतिशत का मिलान दो निरंतर आगमन के बीच हो जाए।

पीएलएफएस के तहत शहरी क्षेत्रों में एक रोटेशनल पैनल वाले स्‍वरूप का भी उपयोग किया गया है, ताकि श्रम बाजार के विभिन्‍न सांख्यिकीय संकेतकों के तिमाही बदलावों को मापा जा सके। श्रम बल के विभिन्‍न संकेतकों के वार्षिक अनुमान सृजित किए गए जो ग्रामीण एवं शहरी दोनों ही क्षेत्रों में प्रथम आगमन कार्यक्रम पर आधारित थे।

प्रथम वार्षिक रिपोर्ट उन आंकड़ों पर आधारित है जो जुलाई 2017-जून 2018 के दौरान पीएलएफएस के तहत एकत्रित किए गए थे। इसमें राष्‍ट्रीय एवं राज्‍य स्‍तरों पर रोजगार एवं बेरोजगारी के विभिन्‍न पहलुओं से संबंधित अनुमान पेश किए गए हैं। जहां तक तिमाही बुलिटेन का सवाल है, इसे दिसंबर 2018 में समाप्‍त तिमाही के लिए पेश किया गया है। इसमें केवल शहरी क्षेत्रों के महत्‍वपूर्ण रोजगार एवं बेरोजगारी संकेतक शामिल हैं।

नमूना लेने की विधि

वार्षिक रिपोर्ट के लिए ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में जुलाई 2017- जून 2018 के दौरान प्रथम दौरे या आगमन के लिए नमूने का आकार: जुलाई 2017- जून 2018 के दौरान अखिल भारतीय स्‍तर पर सर्वेक्षण के लिए आवंटित कुल 12800 एफएसयू (7024 गांव और 5776 शहरी फ्रेम सर्वे या यूएफएस ब्‍लॉक) में से 12733 एफएसयू (7014 गांव और 5779 शहरी ब्‍लॉक) का सर्वेक्षण पीएलएफएस कार्यक्रम (कार्यक्रम 10.4) के प्रचार के लिए किया जा सका। सर्वेक्षण में शामिल परिवारों की संख्‍या 1,02,113 (ग्रामीण क्षेत्रों में 56108 और शहरी क्षेत्रों में 46005) थी। इसी तरह सर्वेक्षण में शामिल लोगों की संख्‍या 4,33,339 (ग्रामीण क्षेत्रों में 246809 और शहरी क्षेत्रों में 186530) थी।

जुलाई 2017-जून 2018 की सर्वे अवधि की प्रत्‍येक तिमाही में शहरी क्षेत्रों में नमूने का आकार : शहरी क्षेत्रों में नमूने (सैंपल) की संरचना तैयार करने वाले एक रोटेशनल पैनल का उपयोग किया गया, जैसा कि पहले विस्‍तार से बताया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में केवल एक बार आगमन सुनिश्चित किया गया। सर्वेक्षण अवधि (जुलाई 2017-जून 2018) के दौरान प्रथम आगमन और फि‍र पुनर्आगमन कार्यक्रमों के अंतर्गत एकत्रित आंकड़ों का उपयोग रोजगार से आय अर्जित करने, कार्य की अवधि और अतिरिक्‍त कार्य के लिए उपलब्‍ध अवधि के अनुमानों को सृजित करने में किया गया।

तिमाही बुलिटेन

तिमाही बुलिटेन में अप्रैल-जून 2018, जुलाई-सितंबर 2018 और अक्‍टूबर-दिसंबर 2018 की तिमाहियों के लिए शहरी क्षेत्रों के अनुमान शामिल हैं। इन तीनों तिमाहियों के दौरान नमूने के आकार का उल्‍लेख नीचे किया गया है :

सर्वेक्षण की अवधि

यूएफएस ब्‍लॉक

परिवार

व्‍यक्ति

अप्रैल-जून 2018

5,739

44,697

1,80,808

जुलाई- सितंबर 2018

5,745

44,887

1,79,193

अक्‍टूबर-दिसंबर 2018

5,743

44,963

1,77,966

महत्‍वपूर्ण रोजगार एवं बेरोजगारी संकेतकों की अवधारणात्‍मक रूपरेखा : आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) में महत्‍वपूर्ण रोजगार एवं बेरोजगारी संकेतकों जैसे कि श्रम बल भागीदारी दरों (एलएफपीआर), कामगारों की संख्‍या का अनुपात (डब्‍ल्‍यूपीआर), आनुपातिक बेरोजगार (पीयू) और बेरोजगारी दर (यूआर) के अनुमान दिए गए हैं। इन संकेतकों को नीचे परिभाषित किया गया है:

  • श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर): एलएफपीआर को कुल आबादी में श्रम बल के व्‍यक्तियों (अर्थात कहीं कार्यरत या काम की तलाश में या काम के लिए उपलब्‍ध) के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया जाता है।
  • कामगारों की संख्‍या का अनुपात (डब्‍ल्‍यूपीआर): डब्‍ल्‍यूपीआर को कुल आबादी में रोजगार प्राप्‍त व्‍यक्तियों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया जाता है।
  • आनुपातिक बेरोजगार (पीयू) : इसे कुल आबादी में बेरोजगार व्‍यक्तियों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया जाता है।
  • बेरोजगारी दर (यूआर) : इसे श्रम बल में शामिल लोगों में से बेरोजगार व्‍यक्तियों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया जाता है।
  • कार्यकलाप की स्थिति- सामान्‍य स्थिति : किसी भी व्‍यक्ति के कार्यकलाप की स्थिति का निर्धारण निर्दिष्‍ट संदर्भ अवधि के दौरान उस व्‍यक्ति द्वारा किए गए कार्यों के आधार पर किया जाता है। जब सर्वेक्षण की तारीख से ठीक पहले के 365 दिनों की संदर्भ अवधि के आधार पर कार्यकलाप की स्थिति का निर्धारण किया जाता है तो इसे उस व्‍यक्ति के सामान्‍य कार्यकलाप की स्थिति के तौर पर माना जाता है।
  • कार्यकलाप की स्थिति – वर्तमान साप्‍ताहिक स्थिति (सीडब्‍ल्‍यूएस) : जबसर्वेक्षण की तारीख से ठीक पहले के सात दिनों की संदर्भ अवधि के आधार पर कार्यकलाप की स्थिति का निर्धारण किया जाता है तो इसे उस व्‍यक्ति की वर्तमान साप्‍ताहिक स्थिति (सीडब्‍ल्‍यूएस) के रूप में जाना जाता है।

वर्ष 2011-12 तक जो रोजगार-बेरोजगारी सर्वेक्षण (ईयूएस) कराए गए उनमें चयनित ब्‍लॉकों में रहने वाले परिवारों के प्रति व्‍यक्ति मासिक खर्च का उपयोग परिवारों के वर्गीकरण के लिए एक आधार के रूप में किया गया था। वर्ष 2017-18 से कराए जा रहे आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) में अंतिम स्‍तर पर वर्गीकरण के लिए एक पैमाने के रूप में शिक्षा स्‍तरों का उपयोग करने का निर्णय लिया गया। इसे पीएलएफएस के तहत नमूने की संरचना में शामिल किया गया है। इसके तहत नमूने में चयनित प्रत्‍येक आठ परिवारों में से 75 प्रतिशत परिवारों का कम से कम एक सदस्‍य ऐसा अवश्‍य था जिसने 10वीं कक्षा या उससे अधिक की पढ़ाई पूरी कर ली थी। इस निर्णय से जुड़ी दलील इस तथ्‍य पर आधारित थी कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम जैसे विभिन्‍न नीतिगत कदमों की बदौलत अर्थव्‍यवस्‍था में शिक्षा का स्‍तर बढ़ गया है, अत: एक वर्गीकरण आधार के रूप में इसका उपयोग कर रोजगार एवं बेरोजगारी के स्‍तर का आकलन करना आवश्‍यक होगा।

श्रम बल से जुड़े आंकड़ों पर गठित स्‍थायी समिति ने इस तरह के अंतर को नोट किया था और पीएलएफएस की वार्षिक रिपोर्ट में एक विश्‍लेषणात्‍मक नोट शामिल किया था, ताकि पूर्ववर्ती रोजगार एवं बेरोजगारी सर्वेक्षणों के निष्‍कर्षों से तुलना करते वक्‍त इन बदलावों से उपयोगकर्ताओं (यूजर) को अवगत कराया जा सके। अत: पीएलएफएस रोजगार एवं बेरोजगारी को मापने के लिए एक नया पैमाना उपलब्‍ध कराता है।

पीएलएफएस की नई विशेषताएं

प्रौद्योगिकी का उपयोग एनएसएस द्वारा पहली बार पीएलएफएस में शुरू किया गया एक अन्‍य महत्‍वपूर्ण कदम है। राष्‍ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षणों के तहत पारंपरिक रूप से कागजी कार्रवाई पूरी करके आंकड़ों को विभिन्‍न क्षेत्रों से एकत्रित किया जाता है और डेटा संग्रह का कार्य पूरा होने के बाद सर्वेक्षण के निष्‍कर्षों को उपलब्ध कराने में लगभग एक साल लग जाता है। एनएसएस ने पीएलएफएस के लिए उपयुक्‍त जानकारियों के साथ विश्व बैंक कंप्यूटर सहायता प्राप्‍त व्यक्तिगत साक्षात्कार (सीएपीआई) सॉल्‍यूशन प्‍लेटफॉर्म को अनुकूलित किया। टैबलेट के साथ-साथ अंतर्निहित डेटा सत्‍यापन प्रक्रिया से युक्‍त सीएपीआई सॉल्‍यूशन का उपयोग करके विभिन्‍न क्षेत्रों से पीएलएफएस के लिए डेटा संग्रह किया गया। यह परिवारों से प्राथमिक डेटा के संग्रह में काफी मददगार साबित हुआ और इसके साथ ही डेटा हस्‍तांतरण एवं सर्वेक्षण के निष्‍कर्षों की प्रोसेसिंग में कम समय लगा। एनएसएस में ऑनलाइन डेटा एंट्री प्रणाली का कार्यान्‍वयन एक चुनौतीपूर्ण कार्य था जिसका प्रभावशाली प्रबंधन गहन निगरानी के जरिए संभव हो पाया।

एनएसएस के क्षेत्र (फील्‍ड) संबंधी कर्मियों के लिए सीएपीआई सॉल्‍यूशन का उपयोग करने का अनुभव भी अनूठा था। एनएसएस के क्षेत्र परिचालन प्रभाग ने पीएलएफएस में सीएपीआई पर काम करने के लिए नियमित कर्मचारियों के अलावा लगभग 700 कर्मियों यथा फील्‍ड इन्‍वेस्टिगेटर (एफआई)/फील्‍ड ऑफि‍सर (एफओ) की सेवाएं लीं।

आगे की राह

पीएलएफएस को वार्षिक आधार पर रोजगार एवं बेरोजगारी को मापने की एक नई सीरीज के रूप में देखने की जरूरत है। इस बात को ध्‍यान में रखना आवश्‍यक है कि अर्थव्‍यवस्‍था में शिक्षा का स्‍तर बढ़ने के साथ-साथ परिवारों की आमदनी का स्‍तर भी बढ़ जाने से शिक्षित युवाओं की अपेक्षाएं भी बढ़ गई हैं। अत: ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि शिक्षित युवा कम कौशल या वेतन वाले श्रम बल या कार्य बल में शामिल होने के इच्‍छुक नहीं होंगे। पीएलएफएस से देश भर में शिक्षित एवं अशिक्षित व्‍यक्तियों वाले विभिन्‍न क्षेत्रों की तस्‍वीर उभर कर सामने आती है। जिनका उपयोग युवाओं का कौशल बढ़ाने के आधार पर किया जा सकता है, ताकि उन्‍हें उद्योग जगत के लिए और अधिक रोजगार पाने योग्‍य बनाया जा सके।  

ये रिपोर्ट (वार्षिक एवं तिमाही) //mospi.gov.inपर उपलब्‍ध है और इसके महत्‍वपूर्ण निष्‍कर्षों को संलग्‍न विवरणों में दर्शाया गया है।

विवरण  1: सभी उम्र के व्‍यक्तियों के लिए पीएलएफएस (2017-18) के दौरान सामान्‍य स्थिति (पीएस+एसएस)* में एलएफपीआर, डब्‍ल्‍यूपीआर और यूआर (प्रतिशत में) 

अखिल भारतीय

दरें

ग्रामीण

शहरी

ग्रामीण+शहरी

पुरुष

महिला

व्‍यक्ति

पुरुष

महिला

व्‍यक्ति

पुरुष

महिला

व्‍यक्ति

(1)

(2)

(3)

(4)

(5)

(6)

(7)

(8)

(9)

(10)

पीएलएफएस (2017-18)

एलएफपीआर

54.9

18.2

37.0

57.0

15.9

36.8

55.5

17.5

36.9

डब्‍ल्‍यूपीआर

51.7

17.5

35.0

53.0

14.2

33.9

52.1

16.5

34.7

यूआर

5.8

3.8

5.3

7.1

10.8

7.8

6.2

5.7

6.1

नोट: *(पीएस+एसएस) = (प्रमुख कार्यकलाप की स्थिति + सहायक आर्थिक कार्यकलाप की स्थिति)

प्रमुख कार्यकलाप की स्थिति ऐसे कार्यकलाप की स्थिति जिस पर किसी व्‍यक्ति ने सर्वेक्षण की तिथि से ठीक पहले 365 दिनों के दौरान अपेक्षाकृत लंबा समय (अवधि संबंधी प्रमुख पैमाना) व्‍यतीत किया था, उसे उस व्‍यक्ति के सामान्‍य प्रमुख कार्यकलाप की स्थिति माना गया। 

सहायक आर्थिक कार्यकलाप की स्थिति ऐसे कार्यकलाप की स्थिति जिसमें किसी व्‍यक्ति ने अपने सामान्‍य प्रमुख कार्यकलाप के अलावा सर्वेक्षण की तिथि से ठीक पहले 365 दिनों की संदर्भ अवधि के दौरान 30 दिन या उससे अधिक समय तक कुछ अन्‍य आर्थिक गतिविधि की थी, उसे उस व्‍यक्ति के सहायक आर्थिक कार्यकलाप की स्थिति माना गया। 

रोजगार की स्थिति से जुड़ी विस्‍तृत जानकारी प्राप्‍त करने के लिए अंग्रेजी का अनुलग्‍नक यहां क्लिक करें 

नोट : विस्‍तृत जानकारी www.mospi.gov.in पर उपलब्‍ध हैं।

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आर.के.मीणा/आरएनएम/एएम/आरआरएस/वीके–   

भारत में बेरोजगारी का मापन कौन करता है?

भारत में बेरोज़गारी का मापन राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) द्वारा किया जाता है। सामान्य स्थिति बेरोज़गारी (Usual Status Unemployment)- इस स्थिति में व्यक्ति को बेरोज़गार तब माना जाता है, जब वह वर्ष के व्यस्त भाग अर्थात् 183 दिनों के लिये काम करना चाहता है और उसे 183 दिनों का भी रोज़गार न मिले।

भारत में बेरोजगारी को कैसे मापा जाता है?

बेरोजगारी को मापने की कुछ विधियां.
1- सामान्य प्रमुख अवस्था बेरोजगारी (UPS).
2- सामान्य प्रमुख तथा सहायक अवस्था बेरोजगारी (UPSS ).
3-वर्तमान साप्ताहिक अवस्था बेरोजगारी (CWS).
4-वर्तमान दैनिक अवस्था बेरोजगारी (CDS).

भारत में वर्तमान में बेरोजगारी दर क्या है?

अगस्त में 8.3 फीसदी रही थी बेरोजगारी दर सीएमआईई ने सितंबर 2022 के रोजगार आंकड़े जारी करते हुए कहा कि अगस्त में बेरोजगारी दर 8.3 फीसदी के साथ एक साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई थी. लेकिन सितंबर के महीने में रोजगार परिदृश्य में सुधार होने से बेरोजगारी का आंकड़ा घटकर 6.43 फीसदी पर आ गया.

2022 में भारत की बेरोजगारी दर कितनी है?

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के आंकड़ों से पता चला है कि अक्टूबर 2022 में, भारत की बेरोजगारी दर सितंबर में 6.4 प्रतिशत से बढ़कर 7.8 प्रतिशत हो गई है।

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