भारत की जनसंख्या में आदिवासियों का प्रतिशत कितना है? - bhaarat kee janasankhya mein aadivaasiyon ka pratishat kitana hai?

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आदिवासी समाज में नहीं है लिंगभेद

झारखंडका कुल क्षेत्रफल 79,714 वर्ग किलोमीटर (7,790,000 हेक्टेयर) है, जो भारत के कुल क्षेत्रफल का 2.4 प्रतिशत है। लेकिन 2011 की जनगणना के अनुसार इस राज्य की आबादी देश की आबादी का लगभग 2.72 प्रतिशत है। इस भौगोलिक और जनसांख्यिकीय असमानता के कारण राज्य की जनसंख्या का घनत्व राष्ट्रीय औसत की तुलना में बहुत अधिक है। देश की जनसंख्या का घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है, जबकि राज्य में यह 414 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। अर्थात देश की तुलना में इस राज्य में प्रति वर्ग किलोमीटर 32 व्यक्ति अधिक रहते हैं।

भूगोल और जनसंख्या के बीच का अंतर इस राज्य में आने वाले समय में और खराब होने वाला है, क्योंकि इस राज्य में जनसंख्या की वृद्धि दर देश की जनसंख्या की वृद्धि दर से काफी अधिक है। 2001 से 2011 के बीच देश की जनसंख्या में 17.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि राज्य मंे इस अवधि मंे यह 22.34 प्रतिशत से बढ़ी। यहां की जनसंख्या में इसी गति से वृद्धि होती रही तो तीन दशक में यह दोगुना हो जाएगा। 2011 की जनगणना के अनुसार झारखंड की जनसंख्या तीन करोड़, 29 लाख, 88 हजार है। राज्य में 2001 से 2011 के दौरान कुल 60 लाख, 42 हजार, 305 लोग बढ़े। 2001 की जनसंख्या दो करोड़, 69 लाख, 45 हजार, 829 थी।

आज विश्व की जनसंख्या सात अरब से भी ज्यादा है। भारत की जनसंख्या लगभग 1 अरब, 21 करोड़ है। भारत की पिछले दशक की जनसंख्या वृद्धि दर 17.64 प्रतिशत है। विश्व की कुल आबादी का आधा या कहें इससे भी अधिक हिस्सा एशियाई देशों में है। चीन, भारत और अन्य एशियाई देशों में शिक्षा और जागरूकता की कमी की वजह से जनसंख्या विस्फोट के गंभीर खतरे साफ दिखाई देने लगे हैं। स्थिति यह है कि अगर भारत ने अपनी जनसंख्या वृद्धि दर पर रोक नहीं लगाई तो वह 2030 तक दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन जाएगा। लोगों में जागरूकती की जरूरत है।

विश्व जनसंख्या दिवस प्रत्येक वर्ष 11 जुलाई को मनाया जाता है। अत्यधिक तेज गति से बढ़ती जनसंख्या के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से ही यह दिवस मनाया जाता है। यह जागरूकता मानव समाज की नई पीढ़ियों को बेहतर जीवन देने का संदेश देती है। बच्चों को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य, वातावरण सहित अन्य आवश्यक सुविधाएं भविष्य में देने के लिए छोटे परिवार की महती आवश्यकता निरंतर बढ़ती जा रही है। जरूरी हो गया है कि ‘विश्व जनसंख्या दिवस\\\' की महत्ता को समझा जाए। ‘विश्व जनसंख्या दिवस\\\' वर्ष 1987 से मनाया जा रहा है। 11 जुलाई, 1987 में विश्व की जनसंख्या 5 अरब को पार कर गई थी। तब संयुक्त राष्ट्र ने जनसंख्या वृद्धि को लेकर दुनिया भर में जागरूकता फैलाने के लिए यह दिवस मनाने का निर्णय लिया।

लोगों को जागरूक होना होगा

1987 से मनाया जा रहा है

अ. जनजाति आबादी का प्रतिशत

प्रतिशत जिला का नाम

0से 5 कोडरमा, चतरा

5 से 10 हजारीबाग, धनबाद, पलामू, गिरिडीह

10 से 15 देवघर, बोकारो

15 से 25 गढ़वा, रामगढ़, गोड्डा

25 से 30 साहेबगंज, पूर्वी सिंहभूम

30 से 36 जामताड़ा, सरायकेला- खरसावां, रांची

40 से 45 पाकुर, दुमका

45 से 60 लातेहार, लोहरदगा

60 से 70 पश्चिम सिंहभूम, गुमला

70 से ऊपर सिमडेगा, खूंटी

स्रोत:2011 की जनगणना

राज्य मे 32 जनजातियां रहती हैं, इनमें से संथाल सबसे बड़ा समूह है। पूरी आदिवासी आबादी का यह करीब एक तिहाई है। उरांव (19.66 प्रतिशत), मुंडा (14.86 प्रतिशत) और हो (10.63 प्रतिशत) है।

आदिवासी समूह की जनसंख्या

झारखंड और भारत की जनसंख्या

world population day

11 जुलाई को मनाया जाता है विश्व जनसंख्या दिवस

झारखंड में कम जमीन, ज्यादा जन

भारत झारखंड

मातृत्वमृत्यु दर (MMR) 178 219

शिशु मृत्यु दर (IMR) 42 36

कुल प्रजनन दर (TFR) 2.4 2.7

जन्म दर 21.4 24.6

मृत्यु दर 7 6.8

जनसंख्या का दशकीय वृद्धि दर 17.7 22.34

लिंग अनुपात 940 947

स्रोत:2011 की जनगणना

11%

अन्य

33%

संथाल

20%

उरांव

15%

मुंडा

11%

हो

खारवार, लोहरा, भूमीज खरिया

10%

झारखंड की सामाजिक संरचना

झारखंड की जनसंख्या में 26.2 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति, 12.1 प्रतिशत अनुसूचित जाति एवं 61.7 प्रतिशत अन्य का है। पश्चिम सिंहभूम, गुमला, सिमडेगा एवं खूंटी आदिवासी बहुल इलाके हैं, जबकि कोडरमा एवं चतरा जैसे जिलों में उनकी संख्या काफी कम हैं।

अ. जाति

12%

अ. जनजाति

26%

अन्य

62%

इन आदिवासियों को हिंदू कहलाने से गुरेज़

  • नीरज सिन्हा
  • रांची से, बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए

3 अक्टूबर 2015

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झारखंड के सरना आदिवासी ख़ुद को हिंदू कहे जाने का विरोध कर रहे हैं और अपने धर्म को मान्यता दिए जाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं.

यह समुदाय छोटानागपुर क्षेत्र में रहता है.

सरना आदिवासी समुदाय का कहना है कि वे हिंदू नहीं हैं. वे प्रकृति के पुजारी हैं. उनका अपना धर्म है 'सरना', जो हिंदू धर्म का हिस्सा या पंथ नहीं है. इसका हिंदू धर्म से कोई लेना देना नहीं है.

उनकी मुख्य मांग है कि उनकी गणना में उनके आगे हिंदू न लिखा जाय.

दिल्ली चलो

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करमा पूजा

इस मांग के समर्थन में छोटानागपुर में रैली, जुलूस, धरना, प्रदर्शन और बैठकों का दौर चल रहा है और आगामी छह अक्टूबर को वो दिल्ली कूच करने का भी इरादा बना रहे हैं.

दिवासी सरना महासभा के संयोजक शिवा कच्छप कहते हैं, "धर्म आधारित जनगणना में जैनियों की संख्या 45 लाख और बौद्ध की जनसंख्या 84 लाख है. हमारी आबादी तो उनसे कई गुना ज़्यादा है. पूरे देश में आदिवासियों की आबादी 11 करोड़ से ज्यादा है. फिर क्यों न हमारी गिनती अलग से हो?"

पूर्व विधायक देवकुमार धान का कहना है कि धर्म आधारित जनगणना में झारखंड की कुल जनसंख्या में 42 लाख 35 हजार 786 लोगों ने अन्य के कॉलम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है.

पुराना इतिहास

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प्रकृति पूजा

इस मांग को आदिवासी विषयों के जानकार और पत्रकार कोरनेलियुस मिंज भी सही मानते हैं.

वो कहते हैं, "सरना धर्म वालों का दावा मज़बूत हो रहा है. इनका इतिहास काफी पुराना है. लेकिन इस पर ख़तरे बढ़ रहे हैं कि इसे दूसरे धर्म में शामिल कर संख्या बढ़ा लिए जाएं. अधिकतर जनगणना में इन्हें हन्दिू में शामिल किया जाता रहा है."

एशिया पेसिफिक यूथ इंडिजिनेस पीपुल्स फोरम की अध्यक्ष मिनाक्षी मुंडा कहती हैं, "आदिवासियों की ये मांग पुरानी है और इसमें दम है. उनकी जनगणना अलग से होनी चाहिए. यह उनके अस्तित्व से जुड़ा सवाल है. आदिवासियों के जन्म, मृत्यु, विवाह, पर्व-त्योहार के रिति-रिवाज अलग हैं."

हालांकि धर्म से जुड़ा यह मुद्दा सरकार में आदिवासियों के प्रतिनिधित्व को लेकर अधिक है.

इनका तर्क है कि अकेले झारखंड में सरकारी आंकड़े के मुताबिक़ क़रीब 80 लाख आदिवासी हैं, जबकि हक़ीक़त में यह संख्या और ज़्यादा है.

झारखंड विधानसभा की 81 सीटों में से 28 सीटें और 14 लोकसभा में चार सीटें आदिवासियों के लिए सुरक्षित हैं और आदिवासी इलाक़ों के लिए अलग से ट्राइबल एडवाइज़री काउंसिल भी है.

उनकी यह मांग लंबे समय से रही है लेकिन अब यह आंदोलन की शक्ल ले रहा है.

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