गौरेया बिहार की राजकीय पक्षी, बैल पशु
जागरण ब्यूरो, पटना : राज्य सरकार ने गौरैया को राजकीय पक्षी, बैल को राजकीय पशु, पीपल को राजकीय वृक्ष व गेंदा को राजकीय फूल घोषित किया है। अब सरकार इन्हें विशेष रूप से संरक्षित करेगी। मंगलवार को मंत्रिपरिषद की बैठक में इसे स्वीकृति दे दी गई।
विभाजन के बाद राज्य के वर्तमान भौगोलिक परिवेश, वनस्पति प्रजातियों तथा प्राणियों की उपलब्धता एवं उनके संरक्षण की जरूरत महसूस की गयी। खेती के यंत्रीकरण के चलते बैलों का उपयोग कम होता जा रहा है। इससे उनके अस्तित्व पर ही संकट खड़ा हो गया है। सरकार इन्हें संरक्षित व संवर्धित करने की जरूरत महसूस कर रही है। इसी तरह पर्यावरण में आए बदलाव के चलते गौरैया की संख्या में भी जबरदस्त गिरावट देखी जा रही है। लोगों के घरों में रहने वाले इस पक्षी के लिए आधुनिक घरों में जगह नहीं बची है। इस घरेलू पक्षी को संरक्षित करने के लिए इन्हें राजकीय पक्षी बनाने का निर्णय लिया गया है। पर्यावरण एवं वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार पीपल राज्य के सांस्कृतिक पक्ष के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। यह राज्य में ज्ञान व परंपरा का द्योतक भी है। गेंदे के फूल की लोकप्रियता ने इसे राजकीय फूल का दर्जा दिलाया है।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर
बिहार का राजकीय पशु क्या है?
By Brajendra|Updated : July 19th, 2022
0 upvote
0 commentsmore
बिहार का राजकीय पशु गौर है। गौर, जिसे भारतीय बाइसन के रूप में भी जाना जाता है, दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया का मूल निवासी है, और 1986 से आईयूसीएन रेड लिस्ट में कमजोर के रूप में सूचीबद्ध है।
Read Full Article
Summary:
बिहार का राजकीय पशु क्या है?
बिहार का राजकीय पशु गौर है। गौर, जिसे भारतीय बाइसन (Bison) के रूप में भी जाना जाता है।
Comments
write a comment
पटनाः Bihar Diwas 2022: बिहार राज्य अपने गठन के 110 साल पूरे कर रहा है. 22 मार्च 1912 को अंग्रेजों ने इसे बंगाल से अलग करके नई पहचान दी थी. तब से लेकर कई साल और आजादी के बाद तक बिहार की पहचान में काफी कुछ नया जुड़ता गया है. बिहार दिवस के मौके पर जानिए वे राजकीय प्रतीक चिह्न जो इस राज्य को उसकी पहचान देते हैं.
राजकीय चिह्न : बोधि वृक्ष
बिहार का राजकीय चिन्ह दो स्वास्तिक से घिरा हुआ बोधि वृक्ष है . बोधि वृक्ष के आधार पर उर्दू में बिहार खुद है. बिहार के गया जिले में महाबोधि मंदिर का पीपल वृक्ष बोधि वृक्ष कहलाता है. 531 ईसा पूर्व में इसके नीचे बैठकर भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था.
राजकीय पशु : बैल
बिहार का राजकीय पशु बैल है. पुराने दिनों में खेती बैल से ही होती थी, यह बिहार की कृषि प्रधानता का प्रतीक है. बिहार सरकार द्वारा 2013 में इसको संरक्षित करने के लिए बिहार के राजकीय पशु के रूप में अपनाया गया है.
राजकीय पक्षी : गोरैया
बिहार की राजकीय पक्षी गोरैया है. एक समय था जब लोगों की नींद गोरैया पक्षी की चहचहाट से खुलती थी. प्रदूषण और बढ़ती आबादी के कारण धीरे-धीरे इनकी संख्या में कमी आई है. बिहार सरकार ने इसके संरक्षण के लिए 2013 में इसे राजकीय पक्षी के रूप में अपनाया है. इससे पहले बिहार का राजकीय पक्षी नीलकंठ था.
राजकीय पुष्प : गेंदा
बिहार के राजकीय फूल का नाम गेंदे का फूल है. गेंदा का फूल एक ऐसा फूल है जो बिहार का लगभग हर घर मे पाया जाता है. इसकी लोकप्रियता के कारण ही बिहार सरकार ने 2013 में इसे बिहार के राजकीय पुष्प घोषित किया. इससे पहले राजकीय पुष्प कचनार का फूल था.
राजकीय वृक्ष : पीपल
बिहार के राजकीय वृक्ष का नाम पीपल का वृक्ष है. पर्यावरण और वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार पीपल राज्य के सांस्कृतिक पक्ष के साथ भी जुड़ा हुआ है. पीपल का वृक्ष बिहार में ज्ञान एवं परम्परा का प्रतीक है. इसी कारण पीपल बिहार का राजकीय वृक्ष है.
राजकीय खेल : कबड्डी
बिहार का राजकीय खेल कबड्डी है.कबड्डी टीम में खिलाड़ियों की संख्या 12 होती है लेकिन सिर्फ 7 खिलाड़ी खेलते हैं. बिहार के अलावा कबड्डी तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पंजाब, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश का भी राजकीय खेल है.
राजकीय भाषा (प्रथम) : हिन्दी
बिहार भारत का पहला ऐसा राज्य है जिसने हिंदी को सबसे पहले अपनी आधिकारिक भाषा घोषित किया. 1881 तक बिहार की आधिकारिक भाषा उर्दू थी. जिसके स्थान पर बिहार ने हिंदी को अपनाया और उर्दू को बिहार की द्वितीय राजकीय भाषा का दर्जा दिया गया.
राज्य गीत : मेरे भारत के कंठहार, तुझको शत्-शत् वंदन बिहार
बिहार का राज्य गीत मेरे भारत के कंठहार, तुझको शत्-शत् वंदन विहार है. यह गीत कवि सत्य नारायण ने लिखा है. इसका संगीत हरि प्रसाद चौरसिया और शिवकुमार शर्मा द्वारा दिया गया है. गीत को आधिकारिक तौर पर मार्च 2012 में अपनाया गया था.
राज्य प्रार्थना : मेरे रफ्तार पर सूरज की किरणें नाज करें
बिहार का राज्य प्रार्थना गीत मेरे रफ्तार पर सूरज की किरणे नाज करें. इस प्रार्थना गीत को मुजफ्फरपुर के MR Chisti ने लिखा है.
यह भी पढ़िएः Bihar Diwas: 110 साल का हुआ बिहार, 1912 में बंगाल से अलग होने के बाद बना अस्तित्व