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समाजीकरण में माता पिता की क्या भूमिका है?
इसे सुनेंरोकेंमाता पिता के बच्चे के साथ सम्बन्ध – माता – पिता जब बच्चों को उचित स्नेह देते हैं तो उनमें अच्छे सामाजिक गुण पैदा हो जाते हैं। और यदि बच्चों को माता – पिता का ऊचित प्यार और सुरक्षा नही मिलता है तो उनका समाजीक विकास अच्छे ढंग से नही होता। वे पूर्ण रूप से मामा-पिता पर निर्भर हो जाते है।
समाजीकरण में विद्यालय की क्या भूमिका है?
इसे सुनेंरोकेंविद्यालयों को समाज का एक लघु रूप स्वीकार किया जाता है। अतः विद्यालयों को चाहिए कि वह अपने यहां ऐसा सामाजिक वातावरण तैयार करें जो समाज की परिस्थितियों के अनुकूल हो और उसमें रहते हुए बालकों का समाजीकरण समाज की आवश्यकताओं के अनुकूल ही सम्भव हो सके। इससे बालकों के सही दिशा में समाजीकरण में सहायता मिलेगी।
समाजीकरण प्रक्रिया क्या है?
इसे सुनेंरोकेंसमाजीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जो नवजात शिशु को सामाजिक प्राणी बनाती है। इस प्रक्रिया के अभाव में व्यक्ति सामाजिक प्राणी नहीं बन सकता। सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत के तत्वों का परिचय भी इसी से प्राप्त होता है। सामाजीकरण से ने केवल मानव जीवन का प्रभाव अखण्ड तथा सतत रहता है, बल्कि इसी से मानवोचित गुणों का विकास होता है।
समाजीकरण कौन सी प्रक्रिया है?
इसे सुनेंरोकेंसामाजीकरण (Socialization) वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से मनुष्य समाज के विभिन्न व्यवहार, रीति-रिवाज़, गतिविधियाँ इत्यादि सीखता है। जैविक अस्तित्व से सामाजिक अस्तित्व में मनुष्य का रूपांतरण भी सामाजीकरण के माध्यम से ही होता है। सामाजीकरण के माध्यम से ही वह संस्कृति को आत्मसात् करता है।
बच्चे के समाजीकरण में विद्यालय कौन सा कारक है?
इसे सुनेंरोकेंविद्यालय समाजीकरण का एक प्राथमिक कारक है और समकक्षी समाजीकरण के द्वितीवक कारक हैं। समकक्षी समाजीकरण के प्राथमिक कारक हैं और परिवार समाजीकरण का एक द्वितीयक कारक है। परिवार एवम् जन-संचार दोनों समाजीकरण के द्वितीयक कारक है।
समाजीकरण की प्रक्रिया कब तक चलती है?
इसे सुनेंरोकेंजैसे-जैसे वह समाज के अन्य व्यक्तियों तथा सामाजिक संस्थाओं के सम्पर्क में आकर विभिन्न प्रकार की सामाजिक क्रियाओं में भाग लेता रहता है, वैसे-वैसे वह अपनी पाशविक प्रवृत्तियों पर नियंत्रण करते हुए सामाजिक आदर्शों तथा मूल्यों को सीखता रहता है। इस प्रकार, बालक के समाजीकरण की यह प्रक्रिया निरन्तर चलती रहती है।
इसे सुनेंरोकेंसमाजीकरण करने वाली संस्था के रूप में परिवार व माता-पिता का असाधारण महत्त्व है। यह कहा जाता है कि माँ के त्याग पिता की सुरक्षा में रहते हुए बच्चा जो कुछ सीखता है, वह उसके जीवन की स्थायी पूँजी होती है। बच्चा सबसे पहले परिवार में जन्म लेकर परिवार का सदस्य बनता है। उसका सबसे घनिष्ठ सम्बन्ध अपनी माँ से होता है।
बच्चों के समाजीकरण में विद्यालय क्या है?
इसे सुनेंरोकेंबालक के समाजीकरण में विद्यालय की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। शिशु के लिए विद्यालय जाने का अर्थ विकास करना है। घर में रहने वाला शिशु जब अपने साथियों को विद्यालय में जाते देखता है तो उस समय की प्रतीक्षा करने लगता है जब वह विद्यालय जायेगा। बच्चे विद्यालय के प्रति निष्ठावान होते हैं एवं यहाँ जाकर विविध दायित्वों को सीखते हैं।
समाजीकरण से आप क्या समझते हैं समाजीकरण में शिक्षा की भूमिका की चर्चा कीजिए?
इसे सुनेंरोकेंसरल शब्दों में हम कह सकते हैं कि समाजीकरण का अभिप्राय सीखने की उस प्रक्रिया से है जिसमें जन्म के बाद जीव क्रमशः सामाजिक गुणों को सीखने के परिणामरूवरूप एक सामाजिक प्राणी या मानव के रूप में परिवर्तित होने लगता है अर्थात् यह एक प्रकार का सीखना है जिसके द्वारा बालक उन मांगों के अनुरूप कार्य करता है जो उसके समाज में …
समाजीकरण में परिवार की क्या भूमिका है?
इसे सुनेंरोकेंसंक्षेप में कह सकते हैं कि बालक के समाजीकरण में बहुत से संस्थाएँ योगदान देती हैं फिर भी परिवार का योगदान सबसे ऊपर है क्योंकि समाजीकरण की पहली शिक्षा बच्चा परिवार के द्वारा ही सीखता है। परिवार के बाद बच्चा स्कूल द्वारा समाजीकरण करना सीखता है, परन्तु समजीकरण में शिक्षा में परिवार की महांत्वता को नकरा नहीं जा सकता।
बालक के विकास में विद्यालय की क्या भूमिका होती है?
इसे सुनेंरोकेंविद्यालय बालकों को जीवन की जटिल परिस्थितियों का सामना करने योग्य बनाता है। विद्यालय सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण करता है तथा उसे अगली पीढ़ी में हस्तांतरित करता है। विद्यालय, बालकों को घर तथा संसार से जोड़ने का कार्य करते हैं। व्यक्तित्व का सामंजस्य पूर्ण विकास करने में विद्यालय का महत्वपूर्ण योगदान है।