बच्चों को काबू में कैसे करें? - bachchon ko kaaboo mein kaise karen?

बच्चा है तो नखरा करेगा ही। उसके नखरों पर अपने बाल नोचने से बेहतर है कि नखरों से डील करने का तरीका विकसित किया जाए, बता रही हैं मोनिका अग्रवाल। कहीं आपका छोटा बच्चा भी बात-बात पर नाराज होकर, गुस्से में मुंह लाल कर,जोर-जोर से चीखना-चिल्लाना या फर्श पर लेटना तो शुरू नहीं कर देता? यह बच्चों के वो नखरे हैं जो विशेषकर 1 से 3 साल तक के बच्चे जरूर करते हैं। इस तरह के नखरे उनकी आदत में शुमार होते हैं।

दरअसल, उनको अपनी बात मनवाने के लिए इससे आसान रास्ता नजर नहीं आता। ये दूसरों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने की एक कोशिश होती है, जो इस उम्र के बच्चों में स्वाभाविक होती है। जब आपका बच्चा छोटी-छोटी चीजों पर बेतरतीब ढंग से बहुत ज्यादा गुस्सा दिखाने लगता है, तो आप यह मान लेते हैं कि वह आगे चलकर आपको काफी परेशान करने वाला है। पर, ऐसा कुछ भी नहीं है। हम वयस्कों की तरह, छोटे बच्चों को भी मूड स्विंग होता है। बच्चों के गुस्से से निपटने का तरीका सीखने से पहले यह जानने की जरूरत है कि छुटकू से बच्चे को आखिर गुस्सा आता क्यों है? 

बच्चों के नखरों की मीठी दुनिया-
बच्चों के नखरे के लिए बहुत-सी चीजें जिम्मेदार होती हैं, जिनमें भूख लगना, थकान, नींद न आना, असुरक्षित महसूस करना या अभिभावक को अपनी बात नहीं समझा पाना आदि प्रमुख हैं। तभी वह अपनी बात या जिद को अनसुना और अनदेखा करने पर पेरेंट्स का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए चीखना-चिल्लाना और गुस्सा जाहिर करना शुरू कर देता है। बच्चों के इन नखरों को समझना और उन्हें संभालना बहुत ज्यादा मुश्किल नहीं है। कम उम्र में बच्चों का मानसिक, भावनात्मक, शारीरिक और सामाजिक विकास हो रहा होता है। इस उम्र में बच्चों के नखरे उन्हें कुछ सिखाते भी हैं। पर, वह अपने नखरों से अच्छी आदतें विकसित कर रहा है या फिर बुरी, इस पर ध्यान देना हर मां के लिए जरूरी होता है। अगर लगातार बच्चे की जिद बढ़ रही है तो उसे नियंत्रित करने के लिए कदम जरूर उठाएं।

समझें बच्चे की जरूरत-
आपके लिए सबसे पहले बच्चे के गुस्से के पीछे की प्रमुख वजह को जानना और समझना जरूरी है। आपको समझना होगा कि किस कारण आपका बच्चा इतनी जिद कर रहा है? कहीं वह भूखा तो नहीं? या उसे नींद तो नहीं आ रही या किसी और वजह से वह परेशान तो नहीं हो रहा है? आपका मुख्य मकसद उसकी परेशानी का हल तलाशना होना चाहिए। अगर ऐसी कोई संभावना नजर नहीं आए, तो हो सकता है वह सिर्फ आपका समय चाहता हो। बच्चे के गुस्से को अनदेखा कर कुछ वक्त सिर्फ उसके साथ बिताएं। थोड़ी देर बाद वह खुद ही सामान्य हो जाएगा।

दें सकारात्मक प्रतिक्रिया-
जब बच्चा जिद करे तो उस पर चीखने-चिल्लाने की जगह उसकी जिद को शांत करने की कोशिश करें। यदि वह आपकी बात मान जाए तो इसके लिए उसे सराहें और उसे कुछ ईनाम भी दें। उदाहरण के लिए बच्चे को बुखार है,लेकिन वह आइसक्रीम खाने की जिद कर रहा है। आप ऐसे में प्यार से उसे ठंडी चीज खाने के नुकसान के बारे में बताएं। यदि बच्चा जिद छोड़कर आपकी बात मान ले तो उसे शाबाशी दें और कुछ उपहार दिलवाएं।

बच्चे का ध्यान भटकाएं-
आसान शब्दों में कहा जाए, तो बच्चे की जिद को खत्म करने के लिए उसको किसी दूसरे काम में व्यस्त कर दें। उदाहरण के लिए जैसे ही मेरी भांजी चॉकलेट खाने की जिद करती है और जिद ना पूरी होने पर, वह जब जोर-जोर से चिल्लाने लगती है तो चॉकलेट से उसका ध्यान हटाने के लिए मैं टीवी पर कोई अच्छा-सा कार्टून चला देती हूं। इससे बच्चे का ध्यान भटक जाता है और चॉकलेट को लेकर पिछले एक घंटे से चल रही उसकी जिद भी बंद हो जाती है। अपने बच्चे के नखरों पर काबू पाने के लिए आप भी ऐसी ही कोई तरकीब आजमा सकती हैं।

प्यार से लगाएं गले-
जब आपका बच्चा बहुत ज्यादा गुस्से में हो, तब उसे डांटने या झिड़कने से अच्छा है कि उसकी डिमांड को समझने की कोशिश करें। उसके गुस्से को अनदेखा करने से अच्छा है कि उसे प्यार से गले लगाएं । प्यार से समझाने की आपकी कोशिशों पर बच्चा हमेशा सकारात्मक प्रतिक्रिया दे, यह जरूरी नहीं है। पर, आपके ऐसा करने से उसे सुरक्षा जरूर महसूस होगी और वह जल्द ही अपना गुस्सा भूल जाएगा।

कभी हां-कभी ना-
ऐसा तो नहीं कि आप हर बात पर बच्चे को ना ही कहती हों? हर बात पर ‘ना’ कहने का आपका तरीका ठीक नहीं। बच्चे के साथ आपको थोड़ी ज्यादा समझदारी बरतने की जरूरत है। अपनी व्यस्त दिनचर्या में से कुछ वक्त सिर्फ बच्चे के लिए निकालें। मान लीजिए, बच्चा आपसे पार्क में जाने की जिद कर रहा है और आप नहीं जा रहीं, तो ऐसे में उसका चिड़चिड़ा होना स्वाभाविक है। पर, उसे सीधे मना करने की जगह आप प्यार से यह समझा सकती हैं कि अभी आपके पास बहुत ज्यादा काम है, आप बाद में उसे पार्क ले चलेंगी। बच्चे के मन में अपने प्रति भरोसा पैदा करें। आपकी कई परेशानियां कम हो जाएंगी।

(इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर में सीनियर साइकोलॉजिस्ट डॉ. शानू श्रीवास्तव और केजीएमयू लखनऊ में बाल मनोचिकित्सक डॉ. पूजा माहौर से बातचीत पर आधारित)

जब बच्चे बात न माने तो क्या करे?

आपकी बातचीत का तरीका हो पॉजिटिव बच्चों को अधिक रोकने-टोकने से वे और भी ज्यादा बदमाशियां करते हैं। अपनी मर्जी से वे जो भी करना चाहते हैं, थोड़ी देर के लिए ऐसा करने दें। जब उनका मन भर जाएगा, तो खुद ब खुद उस काम को करना बंद कर देंगे। उन्हें डांटने की बजाय प्यार से समझाएं।

बच्चे बहुत परेशान करे तो क्या करना चाहिए?

कोशिश करें की आपका बच्चा उस समय को एंजॉय करे। अच्छी मेंटल हेल्थ के लिए फिजिकल हेल्थ का सही होना बहुत जरूरी है। अपने बच्चे के साथ रोजाना फिजिकल एक्सरसाइज करें और उन्हें अच्छे से आराम करने और ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की सलाह दें। यह एक अच्छा तरीका है जिससे आप अपनी मेंटल हेल्थ और मूड को बूस्ट कर सकते हैं।

जिद्दी बच्चों को कैसे वश में करें?

बहस न करें अगर आप बात-बात पर बच्चों से बहस करते हैं, तो जिद्दी बच्चों को बहस करने की आदत हो जाती है. इससे वो बहस करने के लिए हर वक्त तैयार रहते हैं. इसलिए उनको बहस करने का मौका न दें और उनकी बात को ध्यान से सुनें. जब आप बच्चों की बात सुनने लगेंगे तो वो भी आपकी बात पर ध्यान देने की कोशिश करेंगे और जिद कम करेंगे.

बच्चों का गुस्सा शांत कैसे करें?

टीनएजर्स बच्चों के गुस्से को शांत करने के लिए करें ये उपाय.
बच्चों को मारें या डांटें नहीं.
बच्चे की जरूरत का ध्यान रखें.
उनकी बात सुनें, उनसे बात करें.
बच्चों को दें पर्सनल स्पेस.

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