असाध्य वीणा के रचनाकार कौन है? - asaadhy veena ke rachanaakaar kaun hai?

'असाध्यवीणा' का संगीत सुनते ही राजा को क्या अनुभव हुआ?

  1. उन्हें अपनी महानता का बोध हुआ।
  2. उन्हें चारों ओर अपना जयघोष सुनाई दिया।
  3. उन्हें अपनी नश्वरता का बोध हुआ।
  4. उनका अहंकार नष्ट हो गया।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : उनका अहंकार नष्ट हो गया।

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10 Questions 20 Marks 12 Mins

'असाध्यवीणा' का संगीत सुनते ही राजा को अनुभव हुआ कि उनका अहंकार नष्ट हो गया

  • राजा को अपने वैभव पर गर्व था परंतु प्रियम्वद द्वारा वीणा को साधने पर जो ज्ञान उन्हें प्राप्त हुआ उससे उनका अहंकार नष्ट हो गया

Key Pointsअसाध्य वीणा-

  • रचनाकार -अज्ञेय 
  • प्रकाशन वर्ष -1961 ई.
  • यह कविता 'आंगन के पार द्वार' काव्य संग्रह में संकलित है।
  • विषय-
    • यह कविता पाश्चात्य कथा को भारतीय मूल में रूपांतरित करके रचित है
    • किरीटी नामक वृक्ष से यह वीणा बनायी गयी है
    • दरबार के समस्त कलावंत इसे बजाने में असमर्थ है
    • सभी की विद्या व्यर्थ हो जाती है क्योकि इस वीणा को केवल एक सच्चा साधक ही साध सकता है 
    • अन्त में इस ‘असाध्य वीणा’ को केशकम्बली प्रियंवद ने साधकर दिखाया।
    • जब केशकम्बली प्रियंवद ने असाध्य वीणा को बजाकर दिखाया तब उससे निकलने वाले स्वरों को राजा,रानी और प्रजाजनों ने अलग-अलग सुना।

Important Pointsअज्ञेय-

  • जन्म-1911-1987  ई.
  • तार सप्तक(1943 ई.) के प्रणेता है। 
  • प्रयोगवादी कवि है।
  • मुख्य रचनाएँ-
    • भग्नदूत(1933 ई.), चिंता(1942 ई.), इत्यलम्(1946  ई.), हरी घास पर क्षणभर(1949 ई.), इन्द्रधनुष रौंदे हुए ये(1957 ई.) आदि।

Additional Informationकविता का सार-

  • असाध्य वीणा जीवन का प्रतीक है, हर व्यक्ति को अपनी भावना के अनुरूप ही उसकी स्वर लहरी प्रतीत होती है। 
  • कला की विशिष्टता उसके अलग-अलग सन्दर्भों में , अलग-अलग अर्थो में होती है।
  • ‘असाध्य वीणा’ को वही साध पाता है जो सत्य को एवं स्वयं को शोधता है या वो जो परिवेश और अपने को भूलकर उसी के प्रति समर्पित हो जाता है।
  • बौद्ध दर्शन में इसे ‘तथता’ कहा गया है जिसमे स्वयं को देकर ही सत्य को पाया जा सकता है।

'असाध्य वीणा' अज्ञेय के किस कविता संग्रह में है? 

  1. बावरा अहेरी
  2. इन्द्रधनु रौंदे हुए
  3. अरी ओ करुणा प्रभामय
  4. आँगन के पार द्वार

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : आँगन के पार द्वार

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10 Questions 20 Marks 12 Mins

'असाध्य वीणा' अज्ञेय के आँगन के पार द्वार कविता संग्रह में है।

Key Points

  • आँगन के पार द्वार-काव्य संग्रह अज्ञेय द्वारा 1961ई. में रचित है।
  • अज्ञेय(1911-1987)-पूरा नाम:सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन 'अज्ञेय'।
  • तार सप्तक(1943) के प्रेणता,प्रयोगवादी कवि है।

Important Points

  • असाध्य वीणा-पूर्णतः प्रतीकात्मक कविता है।किरीटी तरु परम सत्य का प्रतीक है।उससे बनाई गई वीणा सत्य की उपलब्धि का साधन मार्ग है और वीणा से निकलने वाला संगीत परमात्मा की अभिव्यक्ति है।यह सत्य प्रत्येक व्यक्ति को अपनी भावनाओं के अनुसार उपलब्ध होता है।
  • मुख्य काव्य संग्रह-भग्नदूत(1933ई.),चिंता(1942ई.),इत्यलम(1946ई.),हरि घास पर क्षणभर(1954ई.),बावरा अहेरी(1954ई.), इंद्रधनुष रौंदे हुए ये(1957ई.),अरी ओ करुणा प्रभामय(1959ई.)आदि।

Additional Information

  • बच्चन सिंह-"वे अपनी सोच व तकनीक में आधुनिक हैं","अज्ञेय की प्रकृति प्रेम में एक विराटता,एकांत और सन्नाटा है।"
  • रामस्वरूप चतुर्वेदी-"आधुनिक साहित्य में मानवीय व्यक्तित्व व उसकी सर्जनात्मकता की सबसे गहरी चिंतना अज्ञेय के कृतित्व में मिलती है।"

Last updated on Nov 25, 2022

University Grants Commission (Minimum Standards and Procedures for Award of Ph.D. Degree) Regulations, 2022 notified. As, per the new regulations, candidates with a 4 years Undergraduate degree with a minimum CGPA of 7.5 can enroll for PhD admissions. The UGC NET Final Result for merged cycles of December 2021 and June 2022 was released on 5th November 2022.Along with the results UGC has also released the UGC NET Cut-Off.  With tis, the exam for the merged cycles of Dec 2021 and June 2022 have conclude. The notification for December 2022 is expected to be out soon. The UGC NET CBT exam consists of two papers - Paper I and Paper II. Paper I consists of 50 questions and Paper II consists of 100 questions. By qualifying this exam, candidates will be deemed eligible for JRF and Assistant Professor posts in Universities and Institutes across the country.

असाध्य वीणा का रचनाकार कौन है?

असाध्य वीणा अज्ञेय जी की एक लम्बी कविता है। इस कविता की रचना उन्होंने सनˎ1957-58 के जापान प्रवास के बाद 18-20 जून 1961 में अल्मोड़ा के कॉटेज में 321 पंक्ति वाली यह लंबी कविता लिखी थी। यह कविता उनके काव्य संग्रह 'आँगन के पार द्वार' में संकलित है, जो 1961 में ही प्रकाशित हुआ था।

वीणा किसकी रचना है?

'वीणा कविता संग्रह सुमित्रानंदन पंत का कविता संग्रह है।

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