अरुणाचल प्रदेश के लोग भारत के खम्बो पर घर क्यों बनते हैं? - arunaachal pradesh ke log bhaarat ke khambo par ghar kyon banate hain?

असम का बोगीबील पुल भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है

  • दिलीप कुमार शर्मा
  • बीबीसी हिंदी के लिए, गुवाहाटी से

25 दिसंबर 2018

इमेज स्रोत, Avik Chakraborty

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ब्रह्मपुत्र नदी पर बने देश के सबसे लंबे डबल डेकर रेल और रोड ब्रिज का उद्घाटन करेंगे.

असम के डिब्रूगढ़ शहर के पास बोगीबील में ब्रह्मपुत्र नदी पर बने इस पुल की लंबाई तक़रीबन 4.94 किलोमीटर है.

सुरक्षा रणनीति के नज़रिए से इस पुल को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. सुरक्षा जानकारों का मानना है कि ब्रह्मपुत्र के दोनों तरफ बसे लोगों की कनेक्टिविटी के अलावा असम के इस हिस्से को चीन की सीमा से सटे अरुणाचल प्रदेश से जोड़ना बेहद ज़रूरी था. ताकि बिना किसी दिक़्क़त के भारतीय फ़ौज अपने सामान के साथ सीमावर्ती प्रदेश के आख़िरी छोर तक कम समय में पहुंच सके.

दरअसल, 5,900 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से बनकर तैयार हुए बोगीबिल पुल के नीचे की तरफ़ दो रेल लाइन बिछाई गई हैं और उसके ऊपर तीन लेन की सड़क बनाई गई है, जिस पर भारी सैन्य टैंक आसानी से गुजर सकेंगे.

इस पुल के शुरू होने के साथ ही असम से अरुणाचल प्रदेश के बीच की यात्रा का समय चार घंटे कम हो जाएगा. जबकि दिल्ली से डिब्रूगढ़ के बीच ट्रेन यात्रा में तीन घंटे की कटौती होगी.

इसके अलावा इस पुल की वजह से धेमाजी से डिब्रूगढ़ की दूरी महज 100 किलोमीटर रह जाएगी, जो सिर्फ़ 3 घंटे में पूरी की जा सकेगी. जबकि इससे पहले दोनों शहरों का फ़ासला 500 किलोमीटर का था, जिसे पूरा करने में 24 घंटे का वक्त लगता था.

1962 युद्ध के बाद उठी थी मांग

बोगीबील पुल परियोजना को साल 1985 में हुए असम समझौते की शर्तों का एक हिस्सा बताया जा रहा है. सबसे पहले बोगीबील पर पुल बनाने की मांग 1965 में उठी थी. दरअसल 1962 में 'चीनी आक्रमण' के बाद डिब्रूगढ़ के समीप ब्रह्मपुत्र के इस हिस्से पर पुल बनाने की मांग उठाई गई थी.

इमेज स्रोत, Avik Chakraborty

डिब्रूगढ़ स्थित ईस्टर्न असम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष भूदेव फुकन ने बीबीसी से कहा,"चीनी आक्रमण के दौरान चीनी सेना असम के तेजपुर तक आ गई थी. चीनी सेना ने सरकारी कार्यालयों समेत स्टेट बैंक की शाखाओं में आग लगा दी थी. उस समय वहां का ज़िला प्रशासन ब्रह्मपुत्र के इस तरफ चला आया था. तभी यहां के लोगों ने ब्रह्मपुत्र पर पुल बनाने की मांग उठाई थी. साल 1965 में जब उस समय के केंद्रीय कृषि मंत्री जगजीवन राम डिब्रूगढ़ के दौरे पर आए तो ईस्टर्न असम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने ब्रह्मपुत्र पर पुल बनाने की मांग उठाई थी और उन्हें एक लिखित ज्ञापन भी सौंपा था."

इमेज स्रोत, Avik Chakraborty

  • एक पुल जिसने दो मुल्कों की तकदीर बदल दी
  • समंदर पर दुनिया के सबसे लंबे पुल का नज़ारा

हालांकि बोगीबील पुल के निर्णाम से जुड़ी परियोजना 1997-98 में स्वीकृत हुई थी. इस परियोजना की आधारशिला तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने 22 जनवरी, 1997 को रखी थी और इस परियोजना पर काम 21 अप्रैल, 2002 को यानी अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान शुरू किया गया.

इमेज स्रोत, Avik Chakraborty

डिब्रूगढ़ शहर से महज़ 17 किमी दूरी पर स्थित बोगीबील पुल ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिण तट को अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती धेमाजी ज़िले में सिलापथार के साथ जोड़ेगा. एक जानकारी के अनुसार, बोगीबील पुल, जिसकी सेवा अवधि यानी मियाद लगभग 120 वर्ष होगी. ये भारत का एकमात्र पूर्ण रूप से वेल्डेड पुल है जिसके निर्माण में देश में पहली बार यूरोपीय वेल्डिंग मानकों का पालन किया गया है.

इस पुल में 125 मीटर के 39 गर्डर्स और 33 मीटर स्पैन के 2 गर्डर्स हैं. गर्डर्स में रेलवे ट्रैक के लिए स्टील फ्लोर सिस्टम और सड़क के लिए कंक्रीट है. भारतीय रेलवे में इस प्रकार की संरचना का निर्माण पहली बार किया गया है.

इमेज स्रोत, Avik Chakraborty

पुल उत्तर पूर्व क्षेत्र के लिए एक जीवन रेखा के रूप में कार्य करेगा, जो न केवल डिब्रूगढ़ और अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर के बीच 150 किलो मीटर सड़क का फ़ासला कम करेगा बल्कि डिब्रूगढ़ से दिल्ली के बीच रेल यात्रा में कम से कम तीन घंटे का समय कम कर देगा.

  • क्या चीन सच में अरुणाचल तक पांव जमा चुका है?
  • अरुणाचल में हेलीकॉप्टर उड़ाना, जान हथेली पर?

सबसे अहम बात है कि भारतीय फौज को अब अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती हिस्सों में पहुंचने के लिए ये पुल मददगार साबित होगा. सैन्य सुरक्षा की रणनीति की समझ रखने वाले रूपक भट्टाचार्य कहते है," ये एक रणनीतिक परियोजना थी. इस पुल के बनने से सेना की लामबंदी और फ़ॉरवार्ड क्षेत्र में रक्षा आपूर्ति का काम आसान हो जाएगा. क्योंकि बोगीबील पुल पर बनी सड़क जब अरुणाचल प्रदेश की सड़कों से जुड़ जाएगी तो सेना सीमा की अंतिम छोर तक कम समय में पहुंच पाएगी. पहले इसमें काफ़ी वक्त लगता था."

जबकि बोगीबील पुल के उद्घाटन को लेकर अरुणाचल प्रदेश बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता डोमिनिक तादार का कहना है,"प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बोगीबील पुल का उद्घाटन चीन के लिए एक बड़ा जवाब होगा. इससे चीन का मुंह बंद होगा. अपने भारत के भीतर हम चाहे पुल बनाएं या फिर कोई अन्य विकास कार्य करें, उसमें चीन को बोलने का कोई हक़ नहीं है. इस पुल से भारतीय सेना की आवाजाही काफी सहज हो जाएगी."

इमेज स्रोत, Avik Chakraborty

लंबे समय से चीन का दावा रहा है कि अरुणाचल प्रदेश उसके क्षेत्र के अधीन है और उसे वो 'दक्षिणी तिब्बत' के तौर पर पुकारता है.

प्रधानमंत्री मोदीआज दोपहर करीब दो बजे बोगीबील पुल का उद्घाटन करेंगे. इसके साथ ही प्रधानमंत्री बोगीबील पुल से गुजरने वाली पहली यात्री रेलगाड़ी को हरी झंडी दिखाएंगे.

असम के तिनसुकिया और अरुणाचल प्रदेश के नाहरलगुन के बीच मंगलवार से शुरू होने वाली इंटरसिटी एक्सप्रेस सप्ताह में पांच दिन चलेगी. इससे पहले पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी ने असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच ब्रह्मपुत्र नदी पर निर्माण किए गए 9.15 किलोमीटर लंबे धोला-सादिया पुल का उद्घाटन किया था. ये देश का सबसे लंबा सड़क पुल है.

अरुणाचल प्रदेश के लोग अपने घर या बांस के खंभे क्यों बनाते हैं?

तुम जानते हो कि यहाँ बहुत अधिक वर्षा होती है। इस कारण जमीन पर हमेशा पानी बहता रहता है और सीलन बनी रहती है। इस नमी के कारण तरह-तरह के कीड़े मकोड़े, बिच्छू, साँप, चूहे और जोंक आ जाते हैं। इन सबसे बचने के लिए अरुणाचल के लोग खंभों पर घर बनाते हैं

अरुणाचल प्रदेश की संस्कृति क्या है?

"अरुणाचल प्रदेश समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और परंपरा की भूमि है जो विभिन्न जनजातियों, जो राज्य के मूल निवासी हैं, की उपस्थिति से उत्पन्न हुई है। एक बड़ी जनजाति 'अपतानी' है जो अपनी मछली और धान की संस्कृति सहित बेंत और बाँस शिल्प के लिए जानी जाती है।

अरुणाचल प्रदेश के लोग कैसे होते हैं?

भारत की जनगणना २०११ के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश की आबादी 1,382,611 और 83,743 वर्ग किलोमीटर (32,333 वर्ग मील) का क्षेत्रफल है। यह एक नैतिक रूप से विविध राज्य है, जिसमें मुख्य रूप से पश्चिम में मोनपा लोग, केन्द्र में तानी लोग, पूर्व में ताई लोग और राज्य के दक्षिण में नागा लोग हैं

अरुणाचल प्रदेश क्यों प्रसिद्ध है?

अरुणाचल प्रदेश को 1972 में एक केंद्र शासित केंद्र का दर्जा दिया गया जिसे 20 फरवरी 1987 को भारत के 24 वे राज्य के रूप में घोषित किया गया था। 2011 की जनगणना के अनुसार अरुणाचल प्रदेश की जनसंख्या 1,382,611 थी। अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर है। यह राज्य पूर्वोत्तर भारत के सेवन सिस्टर स्टेट्स का सबसे बड़ा राज्य है।

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग