हौसले पर शायरी सुविचार मैसेज इन हिंदी
हौसले के तरकस में कोशिश का वो तीर ज़िंदा रखो
हार जाओ चाहे ज़िंदगी में सब कुछ लेकिन
फिर से जीतने की उम्मीद ज़िंदा रखो ।
लाख दलदल हो पाँव जमाए रखिये,
हाथ खाली ही सही ऊपर उठाये रखिये,
कौन कहता है छलनी में पानी रुक नही सकता,
बर्फ बनने तक हौसला बनाये रखिये ।
अपने हौसले को ये खबर करते रहो, जिंदगी मंजिल नहीं सफर है, चलते रहो ।
हालात वो ना रखें
जो हौसलों को बदल दें
बल्कि हौसला वो रखो
जो हालातों को बदल दें
कोई काँधे पर हाथ रखता है तो आपका हौसला बढ़ता है पर
जब किसी का हाथ काँधे पर नहीं होता
आप अपनी
शक्ति खुद बन जाते हो और वही शक्ति ईश्वर है ।
हौसले जिनके चट्टान हुआ करते हैं
रास्ते उनके ही आसान हुआ करते हैं
ए-नादान न घबरा इन परेशानियों से
ये तो पल भर के मेहमान हुआ करते हैं ।
हौसलों के आगे कोई पर्दा नहीं होता,
कड़े परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता,
दिल में हो जज्बा कुछ कर दिखाने का,
तो जलते दिये को भी आँधियों का डर नहीं होता।
हौसले पर शायरी और पढ़ें – बुलंदी की उड़ान
हार कर भी ना तू हार. जब जिंदगी है तेरे साथ
कब किसने जीवन घेरा है, हर रात के बाद सवेरा है
हो अंधेरा कभी तो गम ना मनाना, एक दीपक जरा तुम भी तो जलाना
एक अकेला चिराग रोशनी ला सकता है, अंधेरी महफिल को भी जगमगा सकता है
जिंदगी में हर वक्त कामयाबी साथ नहीं होती,
कोई भी हार आपके हौसले से
बड़ी नहीं होती ।
मंजिल दूर दिखती है पर, पहुँचने की कोशिश करो,
मुश्किलें बहुत होती है पर हटाने की कोशिश करो,
हौसला कम न होने दो उसे हासिल करने की कोशिश करो,
उम्मीद खत्म न होने दो, हकीकत में बदलने की कोशिश करो ।
बुलंद हो हौसला तो मुट्ठी में हर मुकाम है,
मुश्किलें और मुसीबतें तो ज़िंदगी में आम हैं,
ज़िंदा हो तो ताकत रखो बाज़ुओं में लहरों के खिलाफ तैरने की,
क्योंकि लहरों के साथ बहना तो लाशों का काम है ।
जिनके हौसलों में शंका का बादल नहीं होता.
जिन्दगी में वो
कभी विफल नहीं होता..
और जिनकी ऐतबार ना ही अपने आप पर.
वो शख्स कभी उम्र भर सफल नहीं होता..
पत्थर नही उछालता कोई उन दरख्तों पर,
जिनकी शाखाें पर कोई फल नहीं होता.
हौसले को खुद से कभी तुम जुदा न करना।
हार कर भी तुम कोशिशें कम न करना।
एक दिन होगा तुम्हारा ये ऐतबार करना।
उस वक्त का तुम सब से इंतजार करना।
हौसले पर शायरी सुविचार पर और पढ़ें –
हौसले बुलंद कर
हौसला बुलंद शायरी, हौसला बढ़ाने वाली शायरी, हिम्मत शायरी
हौसले बुलंद कर रास्तों पर चल दे;
तुझे तेरा
मुक़ाम मिल जायेगा;
बढ़ कर अकेला तू पहल कर;
देख कर तुझको काफिला खुद बन जायेगा।
जिंदगी काँटों का सफर है,
हौसला इसकी पहचान है,
रास्ते पर तो सभी
चलते हैं,
जो रास्ते बनाए वही इंसान है।
ख्वाब भले टूटते रहे मगर “हौसले” फिर भी जिंदा हो,
हौसला अपना ऐसा रखो जहाँ मुश्किलें भी शर्मिंदा हो।
हौसला होना चाहिए
जिंदगी
तो कहीं भी शुरू हो सकती है।
दुनिया में कोई काम असंभव नहीं;
बस हौसला और मेहनत की जरूरत है…।
पहले मैं होशियार था;
इसलिए दुनिया बदलने चला था ।
आज मैं समझदार हूँ;
इसलिए खुद को बदल रहा हूँ…।
एक सपने के टूटकर
चकनाचूर हो जाने के बाद ,
दूसरा सपना देखने के
हौसले को
‘ज़िन्दगी कहते हैं।
आसमां इतनी बुलंदी पे जो इतराता है
भूल जाता है ज़मी से ही नज़र आता है ।
तेज हवाओं में उड़ते हैं जो
उन परिंदों के पर नहीं हौसले मजबूत होते
हैं।
अपने हौसलों को यह मत बताओ कि
तुम्हारी परेशानी कितनी बड़ी है,
अपनी परेशानी को ये बताओ कि तुम्हारा हौसला कितना बड़ा है।
जो सफर की शुरुआत करते हैं,
वे मंजिल भी पा लेते हैं.
बस, एक बार चलने का हौसला रखना जरुरी है.
क्योंकि, अच्छे इंसानों का तो रास्ते भी इन्तजार करते हैं।
तू रख यकीन अपने इरादों पर
तेरी हार तेरे हौसलों से बड़ी नहीं होगी ।
जुनून, हौसला और पागलपन आज भी वही हैं
मैंने जीने का तरीका बदला है तेवर नहीं ।
हौसला बुलंद शायरी पर और पढ़ें – हौसले के तरकस में कोशिश का वो तीर
जुनून है जहन में तो हौसले तलाश करो,
बहते हुये पानी की तरह रास्ते तलाश करो,
ये बैचेनी रगों में बहुत जरूरी है,
उठो
सफर के नये सिलसिले तलाश करो ।
तूफान में ताश का घर नहीं बनता,
रोने से बिगड़ा मुकद्दर नहीं बनता,
दुनिया को जीतने का हौसला रखो
एक हार से कोई फ़क़ीर और
एक जीत से कोई सिकन्दर नही बनता ।
लहरों को साहिल की दरकार नहीं होती,
हौसला बुलंद हो तो कोई दीवार नहीं होती,
जलते हुए चिराग ने आँधियों से ये
कहा,
उजाला देने वालों की कभी हार नहीं होती।
तू रख हौसला वो मंजर भी आयेगा
प्यासे के पास चलकर समंदर भी आयेगा
थक हार के न रुकना ए मंजिल के मुसाफिर
मंजिल भी मिलेगी मिलने का मजा भी आयेगा ।
बुलंद हो हौसला तो मुट्ठी में हर मुकाम है,
मुश्किलें और मुसीबतें तो ज़िंदगी में आम हैं,
ज़िंदा हो तो ताकत रखो बाज़ुओं में लहरों के खिलाफ तैरने की,
क्योंकि लहरों
के साथ बहना तो लाशों का काम है ।
हौसला मत हार गिरकर ए मुसाफिर
अगर दर्द यहाँ मिला है तो दवा भी यहीं मिलेगी ।
डर मुझे भी लगा फासला देखकर
पर मैं बढ़ता गया रास्ता देखकर
खुद-ब-खुद मेरे नजदीक आती गई
मेरी मंजिल मेरा हौसला देखकर ।
ऐसा नहीं कि राह में रहमत नहीं रही
पैरों को तेरे चलने की आदत नहीं रही
कश्ती है तो किनारा नहीं है दूर
अगर तेरे इरादों में बुलंदी बनी रही ।
यूं ही ठोकरों के डर से कभी सफर छोड़ा नहीं जाता
गर्दिशों में फंस कर भी अपनों को छोड़ा नहीं जाता
ज़िंदगी की राह में मुश्किलें मिलती हैं बेशुमार
पर
हालात से डर के कभी हौसला छोड़ा नहीं जाता ।
हौसला बुलंद शायरी पर और पढ़ें –
मुश्किल इस दुनिया में कुछ भी नहीं
कुछ अलग करना है तो