अलग-अलग मौसम का चमड़ी पर क्या असर होता है - alag-alag mausam ka chamadee par kya asar hota hai

 अलग-अलग मौसम हमारे शरीर पर अलग असर डालता है। लेक‍िन इस बात से इंकार नहीं क‍िया जा सकता क‍ि मौसम का अच्‍छा या बुरा असर हमारे शरीर पर पड़ता है। मौसम का असर द‍िमाग के साथ-साथ शरीर पर भी पड़ता है। हर मौसम की अपनी अलग चुनौत‍ियां होती हैं। मौसम चाहे गर्मी का हो या बरसात या कड़कड़ाती ठंड हमारा शरीर बीमार पड़ ही जाता है। मौसम बदलने के साथ हवा, रौशनी, हवा का दबाव, तापमान में बदलाव आता है ज‍िसका असर शरीर पर पड़ता है। मौसम बदलने से ब्रेन में कैम‍िकल इम्‍बैलेंस हो सकता है ज‍िसके कारण स‍िर में दर्द, तनाव, बुखार जैसी आम समस्‍याएं हो सकती हैं। इस लेख में हम अलग-अलग मौसम में होने वाली शार‍ीर‍िक समस्‍याओं पर चर्चा करेंगे। इस व‍िषय पर ज्‍यादा जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के केयर इंस्‍टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फ‍िजिश‍ियन डॉ सीमा यादव से बात की।

बार‍िश के मौसम में एलर्जी होने की आशंका बढ़ जाती है (Chances of skin allergy increases during rainy season)

बार‍िश के मौसम मे आपको ठंड लगने के अलावा इंफेक्‍शन का डर बढ़ जाता है। शरीर में रैशेज हो सकते हैं या नीम के कारण अन्‍य तरह का स्‍क‍िन इंफेक्‍शन का खतरा बढ़ जाता है। बार‍िश के मौसम में आंख में खुजली, नाक बहना, हाथ-पैर में खुजली या लालपन की समस्‍या हो सकती है। आप बार‍िश के मौसम में जब भी बाहर न‍िकलें अपने हाथ और पैरों को अच्‍छी तरह से कवर कर लें, बारिश के द‍िनों में लॉन्‍ग बूट्स पहनें ताक‍ि आपके पैरों में इंफेक्‍शन न हो। स्‍क‍िन से जुड़ी समस्‍याओं से बचने के ल‍िए त्‍वचा को साफ रखें और मॉइश्‍चराइज करते रहें। ऐसा नहीं है क‍ि मौसम में नमी ज्‍यादा है तो आपको स्‍क‍िन को मॉइश्‍चर देने की जरूरत नहीं है। आपको हर मौसम में स्‍क‍िन को हाइड्रेट रखना चाह‍िए। स्‍क‍िन को साफ और हाइड्रेट रखकर आप स्‍क‍िन रैशेज, एलर्जी, खुजली की समस्‍या से बच सकते हैं।

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गरम मौसम में होने वाली शारीर‍िक समस्‍याएं (Physical problems during hot weather)

ज्‍यादा तापमान का असर हार्ट रेट पर भी पड़ता है। ज‍िन लोगों को पहले से ही हाई कोलेस्‍ट्रॉल की समस्‍या है उन्‍हें तापमान बढ़ने से हार्ट पल्‍प‍िटेशन ऊपर-नीचे होना या द‍िल संबंधी समस्‍या हो सकती है। आपको गरम द‍िन में सीधा धूप में जाने से भी बचना चाहि‍ए, दोपहर के समय बाहर न‍िकलने से पहले खास खयाल रखें। गर्मी के द‍िनों में आपको घर पर खुद को बंद करने के बजाय रोजाना हरियाली के बीच समय ब‍िताना चाह‍िए, आप पार्क में घूमने जा सकते हैं या गार्डन‍िंग कर सकते हैं। गरम मौसम में बॉडी ड‍िहाइड्रेट जल्‍दी होती है, इस समस्‍या से बचने के लि‍ए आपको ताजे फल और सब्‍ज‍ियों का सेवन जरूर करना चाहि‍ए जैसे तरबूज, खीरा, ककड़ी आद‍ि। ड‍िहाइड्रेशन के कारण स‍िर का दर्द भी हो सकता है। गरम मौसम में मूड पर भी असर पड़ता है। ज्‍यादा सनलाइट यानी गर्मी ज्‍यादा होने के कारण च‍िड़च‍िड़ापन होता है। आपको गरम मौसम में मूड ठीक रखने के ल‍िए एक्‍सरसाइज जरूर करनी चाह‍िए।

मौसम ठंडा हो तो शरीर पर क्‍या असर पड़ता है? (Health problems in cold weather)

वहीं ठंडे मौसम की बात करें तो ठंड में हार्ट को ब्‍लड सर्कुलेट करने में थोड़ी परेशानी होती है ज‍िसके कारण आपको घबराहट की समस्‍या हो सकती है। ज‍िस द‍िन मौसम ज्‍यादा ठंडा या ज्‍यादा गरम हो उस द‍िन आपको ज्‍यादा काम करना या थकना अवॉइड करना चाह‍िए। ठंड के द‍िनों में ज्‍यादा ठंडी हवा होने से ब्रोन्‍कियल ट्यूब ड‍िहाइड्रेट हो जाती है ज‍िसके कारण सांस लेने में परेशानी हो स‍कती है। इसके अलावा ठंडे मौसम में सर्दी-जुखाम या बुखार की समस्‍या भी कॉमन होती है। कुछ लोगों को लगता है क‍ि ठंड के मौसम में पसीना कम आता है ज‍िसके चलते वो नहाने या रोजाना कपड़े बदलने से बचते हैं पर इंफेक्‍शन क‍िसी भी मौसम में हो सकता है इसल‍िए ठंड के द‍िनों में भी साफ-सफाई का ध्‍यान रखें। 

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मौसम में ज्‍यादा नमी बढ़ने से अस्‍थमा रोग‍ियों को परेशानी हो सकती है (Health problems in humid climate)

ज्‍यादा नमी वाले मौसम में अस्‍थमा के रोग‍ियों को परेशानी होती है। ज्‍यादा नमी के साथ-साथ बार‍िश, ज्‍यादा गर्मी या ज्‍यादा ठंड में भी अस्‍थमा रोग‍ियों को परेशानी होती है। कुछ मरीजों को अस्‍थमा अटैक भी आ जाता है इसल‍िए मौसम बदलने पर अस्‍थमा के मरीजों का खास खयाल रखना चाह‍िए खासकर बार‍िश या नमी वाले मौसम में जब हवा में नमी होती है ज‍िसके कारण सांस लेने में परेशानी होती है। हवा चलने के साथ पौधों से पोलन भी उड़कर ख‍िड़की या दरवाजे के जर‍िए आपके घर में आकर आपको बीमार कर सकते हैं। पोलन से कई तरह की एलर्जी शरीर में हो जाती है इसल‍िए ख‍िड़की-दरवाजों को बेवजह न खोलें।

मौसम में होने वाली शारीर‍िक समस्‍याओं से कैसे बचें? (How to prevent health problems in different seasons)

 

  • क‍िसी भी मौसम में फ‍िट रहने के ल‍िए आपको कसरत जरूर करनी चाह‍िए। 
  • मौसम बदलने का असर शरीर पर पड़ता है इसल‍िए साफ-सफाई का ध्‍यान रखें ताक‍ि इंफेक्‍शन का खतरा न हो। 
  • हर मौसम में फ‍िट रहने के ल‍िए सीज़नल फल और सब्‍ज‍ियों का सेवन जरूर करें। 
  • क‍िसी भी मौसम में बीमार‍ियों से बचने का आसान तरीका है सही मात्रा में पानी का सेवन करें। 
  • आपको मौसमी बीमार‍ियों और शरीर पर मौसम के असर से बचने के ल‍िए मानस‍िक स्‍वास्‍थ्‍य पर भी गौर करना चाह‍िए, मेड‍िटेशन की आदत डालें। 
  • मौसम बदलते समय थकान से बचें और नींद पूरी करें। रोजाना 7 से 8 घंटे की नींद आपके ल‍िए हर मौसम में जरूरी है। 
  • अगर मौसम के कारण आपके शरीर में दर्द है तो योगा जरूर करें। 

शरीर को हर मौसम में फ‍िट रखना है तो इन गलत‍ियों से बचें (Avoid these mistakes)

क‍िसी भी मौसम में खुद को फ‍िट रखने के ल‍िए इन गलत‍ियों से बचें- 

  • तबीयत ठीक न लगने पर डॉक्‍टर से सलाह ल‍िए बगैर दवाओं का सेवन न करें। 
  • अगर आपको बीमारी के लक्षण नजर आ रहे हैं तो उन्‍हें नजरअंदाज न करें। 
  • बाहर का खाना ज्‍यादा खाने की आदत छोड़ दें, खासकर बार‍िश के मौसम में आपको स्‍ट्रीट फूड से बचना चाह‍िए। 

किसी भी मौसम में बीमार‍ी के लक्षण को नजरअंदाज करने से पहले उसके पर‍िणाम को जान लें और कन्‍फ्यूजन होने पर डॉक्‍टर से सलाह लेना न भूलें। 

मौसमी एलर्जी क्या है?

मौसम बदलने पर हवा में संक्रमण बढ़ जाता है और हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है इसीलिए किसी भी तरह का संक्रमण हमें आसानी से अपनी गिरफ्त में ले लेता है। आंखों में जलन होना या बार - बार पानी आना। नाक बहना, छींकें आना, सांस लेने में तकलीफ होना, खुजली होना, दाने निकलना जैसी एलर्जी मौसम बदलने से हो जाती हैं।

पूरे शरीर में खुजली होने का क्या कारण है?

कॉन्टैक्ट डर्माटाइटिस, फंगल संक्रमण, चिकन पॉक्स, त्वचा का कैंसर, पित्ती, कीड़े के काटने, किडनी की बीमारियों और लिवर रोगों जैसी कई अंतर्निहित स्थितियों के कारण खुजली हो सकती है। वायरल रैशेज, यौन संचारित रोग, बवासीर, डर्मेटाइटिस हर्पेटिफोर्मिस और क्लोदिंग एक्जिमा भी खुजली के कुछ कारण हो सकते हैं।

शरीर में एलर्जी कैसे खत्म होगी?

कैसे करें इस्तेमाल- स्किन पर बेकिंग सोडा का इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले एक चम्मच बेकिंग सोडा लें और इसमें थोड़ा सा पानी मिलाएं। अब इसका एक स्मूद पेस्ट बना लें और इसे एलर्जी वाली जगह पर एप्लाई करें। 10 मिनट बाद इसे धो लें। एलर्जी से छुटकारा पाने के लिए दिन में 3 से 4 बार आप इसका इस्तेमाल कर सकतें हैं।

एलर्जी का पता कैसे चलता है?

स्किन प्रिक टेस्टिंग सबसे आम किये जाने वाले एलर्जी टेस्टों में से एक है। इस टेस्ट में आपकी बाजू या पीठ पर ऐसे तरल की एक बूँद डाली जाती है जिसमें एलर्जी बढ़ाने वाला तत्व मौजूद हो। इसके बाद उस बूँद के नीचे की त्वचा पर धीरे से चुभन दी जाती है, जो आपको नाखून से खरोंचे जाने जैसी महसूस होती है ।

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