प्रश्न 1 : अब्बा ने क्या सोचकर आरिफ़ की बात मान ली?
उत्तर : अब्बा ने सोचा – “रोज़ हर आदमी बच्चों पर हुक्म चलाता है। अत: आज हुक्म चलाने का मौका इन्हें दिया जाए।” इसलिए उन्होंने आरिफ़ की बात मान ली।
प्रश्न 2: वह एक दिन बहुत अनोखा था जब बच्चों को बड़ों के अधिकार मिल गए थे। वह दिन बीत जाने के बाद इन्होंने क्या सोचा होगा–
• आरिफ़ ने • अम्मा ने • दादी ने।
उत्तर : वह एक दिन सबके लिए बहुत अनोखा था। वह दिन बीत जाने के बाद इन लोगों ने इस प्रकार का सोचा होगा –
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आरिफ़ ने– आरिफ़ ने सोचा होगा कि रोज़ ही ऐसा दिन आए।
• अम्मा ने– अम्मा ने सोचा होगा चलो आज बच्चों की बात मानकर उन्हें खुशी दे दी।
• दादी ने– दादी ने सोचा होगा आज बच्चे कितने खुश हैं, इसका मतलब रोज़ उन्हें कष्ट होता होगा।
प्रश्न 1: अगर तुम्हें घर में एक दिन के लिए सारे अधिकार दे दिए जाएँ तो तुम क्या-क्या करोगी?
उत्तर: अगर हमें एक दिन के लिए सारे अधिकार दे दिए जाएँ, तो हम अपने मन की सारी बातें पूरी करेगें। बड़ों पर रौब जमाएँगे और यही कोशिश रहेगी कि घर पर कोई गलत काम न हो।
प्रश्न 2: कहानी में ऐसे कई काम बताए गए हैं जो बड़े लोग आरिफ़ और सलीम से करने के लिए कहते थे। तुम्हारे विचार से उनमें से कौन-कौन से काम उन्हें बिना शिकायत किए कर लेने चाहिए थे और कौन-कौन से कामों के लिए मना कर देना चाहिए था?
उत्तर: आरिफ़ और सलीम को सुबह जल्दी उठना चाहिए और रात को समय पर सोना चाहिए। इन कामों के लिए उन्हें किसी को शिकायत का मौका नहीं देना चाहिए। यदि उन्हें गाने का मन और घर में रहकर खेलने का मन करे तो दूसरों के मना करने पर उन कामों को करना चाहिए।