अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले पाठ के लेखक की माँ ने पूरे दिन रोजा क्यों रखा? - ab kahaan doosare ke dukh se dukhee hone vaale paath ke lekhak kee maan ne poore din roja kyon rakha?

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
लेखक की माँ ने पूरे दिन रोज़ा क्यों रखा?

लेखक के घर एक कबूतर का घोंसला था जिसमें दो अंडे थे। एक अंडा बिल्ली ने झपट कर तोड़ दिया, दूसरा अंडा बचाने के लिए माँ उतारने लगीं तो टूट गया। इस पर उन्हें दुख हुआ। माँ ने प्रायश्चित के लिए पूरे दिन रोज़ा रखा और नमाज़ पढ़कर माफी माँगती रहीं

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
कबूतर परेशानी में इधर-उधर क्यों फड़फड़ा रहे थे?

कबूतर के घोंसले में दो अंडे थे। एक बिल्ली ने तोड़ दिया था दूसरा बिल्ली से बचाने के चक्कर में माँ से टूट गया। कबूतर इससे परेशान होकर इधर-उधर फड़फड़ा रहे थे।

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
लेखक का घर किस शहर में था?

लेखक का घर पहले ग्वालियर में था और बाद में वे बम्बई में वर्सोवा नामक स्थान में रहने लगे।

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
अरब में लशकर को नूह के नाम से क्यों याद करते हैं?

अरब में लशकर को नूह नाम से याद करने का कारण यह है क्योंकि वे हमेशा दूसरों के दुःख में दुखी रहते थे। एक बार उन्होंने एक जख्मी कुत्ते को दुत्कार दिया था और इसी कारण वे उम्र-भर रोते रहे थे। नूह को पैगम्बर या ईश्वर का दूत भी कहा गया है। उनके मन में करूणा होती थी।

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
जीवन कैसे घरों में सिमटने लगा है?

लेखक के अनुसार एकल परिवारों का चलन होने के कारण जीवन डिब्बों जैसे घरों में सिमटने लगा है।

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे क्यों धकेल रहे थे? 

आबादी बढ़ने के कारण स्थान का अभाव हो रहा था, लगातार बढ़ती आबादी की आवास की समस्या से निपटने के लिए बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे धकेल रहे थे।

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लेखक की मां ने पूरे दिन का रोजा क्यों रखा था?

लेखक के घर एक कबूतर का घोसला था जिसमें दो अंडे थे। एक अंडा बिल्ली ने झपट कर तोड़ दिया, दूसरा अंडा बचाने के लिए माँ उतारने लगीं तो टूट गया। इस पर उन्हें दुख हुआ। माँ ने प्रायश्चित के लिए पूरे दिन रोज़ा रखा और नमाज़ पढ़कर माफी माँगती रहीं।

अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले पाठ में लेखक की माँ ने रोज़ा क्यों रखा था?

प्रश्न 8: लेखक की माँ ने पूरे दिन का रोजा क्यों रखा? उत्तर: लेखक की माँ को लगता था कि उनकी वजह से कबूतर के अंडे टूट गये थे। वे अपराध बोध से ग्रसित थीं। उन्होंने अपनी गलती की माफी मांगने के लिए पूरे दो दिन का रोजा रखा

अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले पाठ के लेखक का पुश्तैनी मकान कहाँ था?

फिर बम्बई के वर्साेवा में रहने लगा। पहले घर बड़े-बड़े होते थे, दालान आंगन होते थे अब डिब्बे जैसे घर होते हैं, पहले सब मिलकर रहते थे अब सब अलग-अलग रहते हैं, इमारतें ही इमारतें हैं पशु-पक्षियों के रहने के लिए स्थान नहीं रहे,पहले अगर वे घोंसले बना लेते थे तो ध्यान रखा जाता था पर अब उनके आने के रास्ते बंद कर दिए जाते हैं।

अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले पाठ के शीर्षक की सार्थकता पाठ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए?

इस पाठ का प्रतिपाद्य है-मनुष्य द्वारा प्रकृति के साथ निरंतर की जा रही छेड़छाड़ की ओर ध्यानाकर्षित कराना, प्रकृति के क्रोध का परिणाम दर्शाना तथा प्रकृति के गुस्से का परिणाम बताते हुए प्रकृति, सभी प्राणियों, पशु-पक्षियों समुद्र पहाड़ तथा पेड़ों के प्रति सम्मान एवं आदर का भाव प्रकट करना।

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