- लोकतंत्रात्मक गणराज्य
- संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य
- संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य
- संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य
Answer (Detailed Solution Below)
Option 2 : संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य
सही उत्तर संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य है।
- भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।
26 जनवरी 1950 को, भारत को 'संप्रभु, लोकतांत्रिक, गणतंत्र' का संवैधानिक दर्जा प्राप्त था। अत: विकल्प 2 सही है।
'संप्रभु, लोकतांत्रिक, गणतंत्र' इसका उल्लेख भारत के संविधान की प्रस्तावना में किया गया था।
42वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा प्रस्तावना में 'समाजवादी' और 'पंथनिरपेक्ष' और अखंडता शब्द जोड़े गए।
प्रस्तावना दस्तावेज़ में एक परिचयात्मक कथन है जो दस्तावेज़ के दर्शन और उद्देश्यों की व्याख्या करता है।
एक संविधान में, यह इसके निर्माताओं के इरादे, इसके निर्माण के पीछे के इतिहास और राष्ट्र के मूल मूल्यों और सिद्धांतों को प्रस्तुत करता है।
प्रस्तावना निम्नलिखित चीजों/वस्तुओं का विचार देती है:
- संविधान का स्रोत
- भारतीय राज्य की प्रकृति
- इसके उद्देश्यों का विवरण
- इसके गोद लेने की तिथि
- भारत के संविधान की प्रस्तावना के पीछे के आदर्शों को जवाहरलाल नेहरू के उद्देश्य प्रस्ताव द्वारा निर्धारित किया गया था, जिसे 22 जनवरी, 1947 को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था।
- हालांकि अदालत में लागू करने योग्य नहीं है, प्रस्तावना संविधान के उद्देश्यों को बताती है और जब भाषा अस्पष्ट पाई जाती है तो लेखों की व्याख्या के दौरान सहायता के रूप में कार्य करती है।
- प्रस्तावना से संकेत मिलता है कि संविधान के अधिकार का स्रोत भारत के लोगों के पास है।
- प्रस्तावना भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करती है।
- प्रस्तावना में वर्णित उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता, समानता को सुरक्षित करना और राष्ट्र की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए बंधुत्व को बढ़ावा देना है।
- प्रस्तावना में तारीख का उल्लेख है जब इसे अपनाया यानी 26 नवंबर, 1949 गया था।
- केशवानंद भारती मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, संविधान की प्रस्तावना संविधान का हिस्सा है।
(A) लोकतंत्रात्मक गणराज्य
(B) संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य सरकार
(C) संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य
(D) संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य
Answer : संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य सरकार
Explanation : 26 जनवरी, 1950 को भारत की वास्तविक संवैधानिक स्थिति संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य की थी। उक्त कथन भारतीय संविधान की प्रस्तावना को संदर्भित करता है, जो संविधान के लागू होने के समय भारत की संवैधानिक स्थिति को प्रदर्शित करता है। वर्तमान में (वर्ष 1976 से) भारत की संवैधानिक स्थिति संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य की है। संविधान की प्रस्तावना में यह परिवर्तन 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 के द्वारा समाजवादी, पंथनिरपेक्ष शब्द जोड़कर किया गया। उल्लेखनीय है कि 42वें संशोधन द्वारा प्रस्तावना में अखंडता शब्द भी जोडा गया।....अगला सवाल पढ़े
Tags : संविधान प्रश्नोत्तरी
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ऊपर बाएं से दक्षिणावर्त क्रम से: सी.आई.एस.एफ. के मार्च करते सैनिक (2017); कर्नाटक की झाँकी (2010); एक C-17 ग्लोबमास्टर के साथ में 2 सुखोई Su-30 विमान (2018); टी-90 टैंक (2016); बी.एस.एफ. के साहसी सवार (2014); राजपथ के विहंगम दृश्य (2013)। |
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राष्ट्रीय अवकाश |
परेड, भाषण, विद्यालयों में मिठाइयों का वितरण एवम् सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि। |
26 जनवरी 1950[1] |
२६ जनवरी |
वार्षिक |
गणतन्त्र दिवस भारत का एक राष्ट्रीय पर्व है जो प्रति वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है। इसी दिन सन् 1950 को भारत सरकार अधिनियम (1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था। यह भारत के तीन राष्ट्रीय अवकाशों में से एक है, अन्य दो स्वतन्त्रता दिवस और गांधी जयंती हैं।
एक स्वतन्त्र गणराज्य बनने और देश में कानून का राज स्थापित करने के लिए 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा इसे अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था। इसे लागू करने के लिये 26 जनवरी की तिथि को इसलिए चुना गया था क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था।
इस दिन हर भारतीय अपने देश के लिए प्राण देने वाले अमर सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति राष्ट्र के नाम संदेश देते हैं। स्कूलों, कॉलेजों आदि मे कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। भारत के राष्ट्रपति दिल्ली के लाल किले पर भारतीय ध्वज फहराते हैं। राजधानी दिल्ली में बहुत सारे आकर्षक और मनमोहक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। दिल्ली को अच्छी तरह सजाया जाता है। राजपथ पर बड़ी धूम-धाम से परेड निकलती है जिसमें विभिन्न प्रदेशों और सरकारी विभागों की झांकियाँ होतीं हैं। देश के कोने कोने से लोग दिल्ली मे 26 जनवरी की परेड देखने आते हैं। भारतीय सेना अस्त्र-शस्त्रों का प्रदर्शन होता है। 26 जनवरी के दिन धूम-धाम से राष्ट्रपति की सवारी निकाली जाती है तथा बहुत से मनमोहक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
देश के हर कोने मे जगह जगह ध्वजवन्दन होता है और कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। विश्व भर में फैले हुए भारतीय मूल के लोग तथा भारत के दूतावास भी गणतंत्र दिवस को हर्षोल्लास के साथ मनातें हैं।
गणतंत्र दिवस मनाने का उद्देश्य[संपादित करें]
गणतंत्र दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि 26 जनवरी 1950 को पूरे 2 साल 11 महीने और 18 दिन लगा कर बनाया गया संविधान लागू किया गया था और हमारे देश भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया गया।
वेसे तो हमारा देश 15 अगस्त 1947 को अंग्रेज़ों के चंगुल से आज़ाद हो गया था परंतु इस आज़ादी को रूप 26 जनवरी को दिया गया। तब से अब तक हम इस दिवस को आज़ादी के दिन के रूप मे मनाते है आज हमे आज़ादी मिले हुए पूरे 73 साल हो चुके है
हमारे देश की आज़ादी किसी भी एक व्यक्ति के कारण नहीं हुई हमारे देश की आज़ादी बहुत सारे भगत सिंह, महात्मा गांधी आदि जैसे महान पुरूषो के बलिदान का परिणाम है। देश भक्त अपने देश को गुलामी की ज़नज़ीरो से बंधा ना देख सके अपने देश को आज़ाद कराने के लिए उन्होने अपने प्राण तक त्याग दिये उनके बलिदानों के कारण अंग्रेज़ों को अपने घुटने टेकने पड़े और उन्होने भारत को आज़ाद कर दिया।
गणतंत्र दिवस के दिन हम इन महान पुरुषों के बलिदान को याद करत और प्रेरणा लेते है कि हम भी इन्ही महान पुरुषों की तरह अपने देश के लिए अपने प्राण त्याग देंगे उसकी आन मान और शान की रक्षा के लिए हर समय तय्यार रहेंगे और दोबारा कभी अपने देश को गुलामी की ज़नज़ीरो में बंधने नहीं देंगे हम सब को इन देश भक्तो से प्रेरणा लेनी चाहिए और देश की हिफाज़त के लिए तय्यार रहना चाहिए। े है गणतंत्र दिवस को मनाने का एक उद्देश्यकि हम महान पुरुषों के बलिदान को याद करके उनसे प्रेरणा लेते है।
प्रत्येक भारत वासियों को भारत के शहीदों से प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने देश को ऊँचायो तक पहुंचाने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए और हर भारतीय का कर्तव्य बनता है कि वह देश के विकास के लिए अपना पूरा योगदान दे और देश की रक्षा के लिए हर समय खड़ा रहे।
इतिहास[संपादित करें]
सन् 1929 के दिसंबर में लाहौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में हुआ जिसमें प्रस्ताव पारित कर इस बात की घोषणा की गई कि यदि अंग्रेज सरकार 26 जनवरी 1930 तक भारत को स्वायत्तयोपनिवेश (डोमीनियन) का पद नहीं प्रदान करेगी, जिसके तहत भारत ब्रिटिश साम्राज्य में ही स्वशासित एकाई बन जाने उस दिन भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा की और अपना सक्रिय आंदोलन आरंभ किया। उस दिन से 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त होने तक 26 जनवरी स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा। इसके पश्चात स्वतंत्रता प्राप्ति के वास्तविक दिन 15 अगस्त को भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में स्वीकार किया गया। भारत के स्वतंत्र हो जाने के बाद संविधान सभा की घोषणा हुई और इसने अपना कार्य 9 दिसम्बर 1947 से आरंभ कर दिया। संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे। डॉ० भीमराव अम्बेडकर, जवाहरलाल नेहरू, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे। संविधान निर्माण में कुल 22 समितीयाँ थी जिसमें प्रारूप समिति (ड्राफ्टींग कमेटी) सबसे प्रमुख एवं महत्त्वपूर्ण समिति थी और इस समिति का कार्य संपूर्ण ‘संविधान लिखना’ या ‘निर्माण करना’ था। प्रारूप समिति के अध्यक्ष विधिवेत्ता डॉ० भीमराव आंबेडकर थे। प्रारूप समिति ने और उसमें विशेष रूप से डॉ. आंबेडकर जी ने 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन में भारतीय संविधान का निर्माण किया और संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को 26 नवम्बर 1949 को भारत का संविधान सुपूर्द किया, इसलिए 26 नवंबर दिवस को भारत में संविधान दिवस के रूप में प्रति वर्ष मनाया जाता है। संविधान सभा ने संविधान निर्माण के समय कुल 114 दिन बैठक की। इसकी बैठकों में प्रेस और जनता को भाग लेने की स्वतन्त्रता थी। अनेक सुधारों और बदलावों के बाद सभा के 284 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को संविधान की दो हस्तलिखित कॉपियों पर हस्ताक्षर किये। इसके दो दिन बाद संविधान 26 जनवरी को यह देश भर में लागू हो गया। 26 जनवरी का महत्व बनाए रखने के लिए इसी दिन संविधान निर्मात्री सभा (कांस्टीट्यूएंट असेंबली) द्वारा स्वीकृत संविधान में भारत के गणतंत्र स्वरूप को मान्यता प्रदान की गई। जैसा कि आप सभी जानते है कि 15 Aug 1947 को अपना देश हजारों देशभक्तों के बलिदान के बाद अंग्रेजों की दासता (अंग्रेजों के शासन) से मुक्त हुआ था। इसके बाद 26 जनवरी 1950 को अपने देश में भारतीय साशन और कानून व्यवस्था लागू हुई। भाईयो और बहनों ने इस स्वतन्त्रता को पाने में अपने देश की हजारों-हजारों माताओं की गोद सूनी हो गई थी, हजारों बहनों बेटियों के माँग का सिंदूर मिट गया था, तब कहीं इस महान बलिदान के बाद देश स्वतंत्र हो सका था। जिस तरह देश का संविधान है, ठीक उसी तरह परमात्मा का भी संविधान है, यदि हम सब देश की संविधान की तरफ परमात्मा के संविधान का पालन करें तो समाज अपराध मुक्त व सशक्त बन सकता है।[2]
गणतंत्र दिवस समारोह[संपादित करें]
अग्नि-२ मिसाइल का वर्ष २००४ की परेड में प्रदर्शन
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारतीय राष्ट्र ध्वज को फहराया जाता हैं और इसके बाद सामूहिक रूप में खड़े होकर राष्ट्रगान गाया जाता है। फिर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को सलामी दी जाती है। गणतंत्र दिवस को पूरे देश में विशेष रूप से भारत की राजधानी दिल्ली में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस अवसर के महत्व को चिह्नित करने के लिए हर साल राजपथ पर एक भव्य परेड इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन (राष्ट्रपति के निवास) तक राजधानी नई दिल्ली में आयोजित की जाती है। इस भव्य परेड में भारतीय सेना के विभिन्न रेजिमेंट, वायुसेना, नौसेना आदि सभी भाग लेते हैं। इस समारोह में भाग लेने के लिए देश के सभी हिस्सों से राष्ट्रीय कडेट कोर व विभिन्न विद्यालयों से बच्चे आते हैं, समारोह में भाग लेना एक सम्मान की बात होती है। परेड प्रारंभ करते हुए प्रधानमंत्री राजपथ के एक छोर पर इंडिया गेट पर स्थित अमर जवान ज्योति (सैनिकों के लिए एक स्मारक) पर पुष्प माला अर्पित करते हैं। इसके बाद शहीद सैनिकों की स्मृति में दो मिनट मौन रखा जाता है। यह देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए लड़े युद्ध व स्वतंत्रता आंदोलन में देश के लिए बलिदान देने वाले शहीदों के बलिदान का एक स्मारक है। इसके बाद प्रधानमंत्री, अन्य व्यक्तियों के साथ राजपथ पर स्थित मंच तक आते हैं, राष्ट्रपति बाद में अवसर के मुख्य अतिथि के साथ आते हैं।[3]
परेड में विभिन्न राज्यों की प्रदर्शनी भी होती हैं, प्रदर्शनी में हर राज्य के लोगों की विशेषता, उनके लोक गीत व कला का दृश्यचित्र प्रस्तुत किया जाता है। हर प्रदर्शिनी भारत की विविधता व सांस्कृतिक समृद्धि प्रदर्शित करती है। परेड और जुलूस राष्ट्रीय टेलीविजन पर प्रसारित होता है और देश के हर कोने में करोड़ों दर्शकों के द्वारा देखा जाता है। 2014 में, भारत के 72वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर, महाराष्ट्र सरकार के प्रोटोकॉल विभाग ने पहली बार मुंबई के मरीन ड्राईव पर परेड आयोजित की, जैसी हर वर्ष नई दिल्ली में राजपथ में होती है।[4]
गणतंत्र दिवस परेड के मुख्य अतिथि[संपादित करें]
भारतीय गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथियों की सूची:
वर्ष | पद और मुख्य अतिथि का नाम | सम्बंधित देश |
2021 | – | – |
2020 | राष्ट्रपति, जेयर बोल्सोनारो | ब्राजील |
2019 | राष्ट्रपति, सिरिल रामाफोसा | दक्षिण अफ्रीका |
2018 | सभी दस आसियान देशों के प्रमुख[5] | ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम |
2017 | क्राउन प्रिंस, मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान | अबु धाबी |
2016 | राष्ट्रपति, फ्रांस्वा ओलांद, राष्ट्रपति, मैत्रीपाल सिरिसेन | फ्राँस , श्रीलंका |
2015 | राष्ट्रपति, बराक ओबामा | यूएसए |
2014 | प्रधानमंत्री, शिंजो अबे | जापान |
2013 | राजा, जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक | भूटान |
2012 | प्रधानमंत्री, यिंगलक चिनावाट | थाईलैंड |
2011 | राष्ट्रपति, सुसीलो बाम्बांग युद्धोयोनो | इंडोनेशिया |
2010 | राष्ट्रपति, ली म्यूंग बक | कोरिया गणराज्य |
2009 | राष्ट्रपति, नूर्सुल्तान नाज़र्बायव | कज़ाकिस्तान |
2008 | राष्ट्रपति, निकोलस सरकोजी | फ्रांस |
2007 | राष्ट्रपति, व्लादिमीर पुतिन | रुस |
2006 | राजा, शाह अब्दुल्ला | सउदी अरब सऊदी अरब के राजा |
2005 | राजा, जिग्मे सिंगये वांगचुक | भूटान |
2004 | राष्ट्पति, लुइज़ इंसियो लूला दा सिल्वा | ब्राजील |
2003 | राष्ट्पति, मोहम्मद ख़ातमी | इरान |
2002 | राष्ट्पति, कसम उतेम | मॉरीशस |
2001 | राष्ट्पति, अब्देलाज़िज बुटेफ्लिका | अलजीरीया |
2000 | राष्ट्पति, ऑल्यूसगुन ओबसांजो | नाइजीरिया |
1999 | राजा बीरेंद्र बीर बिक्रम शाह देव | नेपाल |
1998 | राष्ट्रपति, ज़्याक शिराक | फ्रांस |
1997 | प्रधानमंत्री, बसदेव पाण्डे | त्रिनीनाद और टोबैगो |
1996 | राष्ट्रपति, लुइज़ इंसियो लूला दा सिल्वा | ब्राजील |
1995 | राष्ट्रपति, नेल्सन मंडेला | दक्षिण अफ्रिका |
1994 | प्रधानमंत्री, गोह चोक टोंग | सिंगापुर |
1993 | प्रधानमंत्री, जॉन मेजर | यूके |
1992 | राष्ट्रपति, मेरियो सोरेस | पुर्तगाल |
1991 | राष्ट्रपति, मॉमून अब्दुल गय्यूम | मालदीव |
1990 | प्रधानमंत्री, अनिरुद्ध जगन्नाथ | मॉरीशस |
1989 | नगुय वं लनं | वियतनाम |
1988 | राष्ट्रपति, जूनिअस रिचर्ड जयवर्धने | श्रीलंका |
1987 | राष्ट्रपति, एलन गार्सिया , राष्ट्रपति ,रॉबर्ट मुगाबे | पेरु , जिम्बाब्वे |
1986 | प्रधानमंत्री, एँड्रियास पपनड्रीयु | ग्रीस |
1985 | राष्ट्रपति, राउल अल्फोंसिन | अर्जेन्टीना |
1984 | राजा जिग्मे सिंगये वांगचुक , इंडोनेशियाई सेना के चीफ ऑफ स्टाफ , जनरल रुदिनी | भूटान , इंडोनेशिया |
1983 | राष्ट्रपति, सेहु शगारी | नाइजीरिया |
1982 | राजा, जॉन कार्लोस प्रथम | स्पेन |
1981 | राष्ट्रपति, जोस लोपेज़ पोर्टिलो | मेक्सिको |
1980 | राष्ट्रपति, वैलेरी गिसकर्ड डी 'ईस्टांग | फ्रांस |
1979 | प्रधानमंत्री, मैल्कम फ्रेजर | ऑस्ट्रेलिया |
1978 | राष्ट्रपति, पैट्रिक हिलरी | ऑयरलौंड |
1977 | प्रथम सचिव, एडवर्ड गिरेक | पौलैण्ड |
1976 | प्रधानमंत्री, ज़्याक शिराक | फ्रांस |
1975 | राष्ट्रपति, केनेथ कौंडा | जांबिया |
1974 | राष्ट्रपति, जोसिप ब्रौज टीटो | यूगोस्लाविया |
प्रधानमंत्री, सिरिमावो बन्दरानाइक | श्रीलंका | |
1973 | राष्ट्रपति, कर्नल जॉसेफ़ मोबूतो | जैरे |
1972 | प्रधानमंत्री, शिवसागर रामगुलाम | मॉरीशस |
1971 | राष्ट्रपति, जुलियस नीयरेरे | तंजानिया |
1970 | – | – |
1969 | प्रधानमंत्री, टॉड झिवकोव | बुल्गारिया |
1968 | प्रधानमंत्री, अलेक्सी कोसिजिन | सोवियत यूनियन |
राष्ट्रपति, जोसिप ब्रोज टीटो | यूगोस्लाविया | |
1967 | – | – |
1966 | – | – |
1965 | खाद्य एवं कृषि मंत्री, राना अब्दुल हामिद | पाकिस्तान |
1964 | – | – |
1963 | राजा, नोरोडोम सिहानोक | कंबोडिया |
1962 | – | – |
1961 | रानी, एलिज़ाबेथ द्वितीय | यूके |
1960 | राष्ट्रपति, क्लिमेंट वोरोशिलोव | सोवियत संघ |
1959 | – | – |
1958 | मार्शल ये जियानयिंग | चीन |
1957 | – | – |
1956 | – | – |
1955 | गर्वनर जनरल, मलिक गुलाम मोहम्मद | पाकिस्तान |
1954 | राजा, जिग्मे दोरजी वांगचुक | भूटान |
1953 | – | – |
1952 | – | – |
1951 | – | – |
1950 | राष्ट्रपति, सुकर्णो | इंडोनेशिया |
देश जिन्हें गणतंत्र दिवस परेड के लिए अतिथि के तौर पर बुलाया गया है। पहले का युगोस्लाविया (दो बार आमंत्रित) को नहीं दिखाया गया है।
[6]
चित्रदीर्घा[संपादित करें]
भारतीय वायु सेना की हवाई कलाबाजी प्रदर्शन टीम तिरंगा प्रदर्शित करते हुए।
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
- गणराज्य
- संविधान दिवस (भारत)
- स्वतंत्रता दिवस (भारत)
- भारतीय संविधान सभा
- भारतीय संविधान
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ "India Republic Day: जानिए गणतंत्र दिवस का इतिहास, महत्व और रोचक तथ्य". अभिगमन तिथि 24 January 2021.
- ↑ "गणतंत्र दिवस 2021: Gantantra Diwas पर जानिए गणतंत्र दिवस कैसे मनाना चाहिए!". S A NEWS (अंग्रेज़ी में). 2021-01-21. अभिगमन तिथि 2021-01-24.
- ↑ "गणतंत्र दिवस मनाने की परंपरा किसने शुरू की थी?". BBC News हिंदी. 2021-01-23. अभिगमन तिथि 2021-01-24.
- ↑ "दैनिक जागरण की गणतन्त्र दिवस के लिए कहानी चित्र भव्य होंगे गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम". दैनिक जागरण. मूल से 17 दिसंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 जनवरी 2016.
- ↑ "गणतंत्र दिवस परेड 2018: फिर नया इतिहास बनेगा और दुनिया देखेगी– News18 हिंदी". News18 India. २६ जनवरी २०१८. मूल से 25 जनवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २६ जनवरी २०१८.
- ↑ Praveen, Mishra. "गणतंत्र दिवस (Republic Day) 26 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है?". Gkidea News. Praveen Mishra. अभिगमन तिथि 12 जनवरी 2022.
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
- गणतंत्र दिवस पर निबंध
- गणतंत्र दिवस गणतंत्र दिवस पर विशेष
- 70 वें गणतंत्र दिवस पर विशेष
- गणतंत्र दिवस पर विशेष झांकियां