आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से क्यों की गई है? - aadarsh kee tulana sone se aur vyaavahaarikata kee tulana taanbe se kyon kee gaee hai?

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए−
शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से क्यों की गई है?

शुद्ध सोने में किसी प्रकार की मिलावट नहीं की जा सकती। ताँबे से सोना मजबूत हो जाता है परन्तु शुद्धता समाप्त हो जाती है। इसी प्रकार व्यवहारिकता में शुद्ध आदर्श समाप्त हो जाते हैं। परन्तु जीवन में आदर्श के साथ व्यावाहारिकता भी आवश्यक है, क्योंकि व्यावाहारिकता के समावेश से आदर्श सुन्दर व मजबूत हो जाते हैं।

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निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए -
पाठ के संदर्भ में शुद्ध आदर्श क्या है?

पाठ के सन्दर्भ में शुद्ध आदर्श वह है जिसमें लाभ-हानि की गुंजाइश नहीं होती है। अर्थात् शुद्ध आदर्शों पर व्यावहारिकता हावी नहीं होती। जिसमें पूरे समाज की भलाई छिपी हुई हो तथा जो समाज के शाश्वत मूल्यों को बनाए रखने में सक्षम हो, वही शुद्ध आदर्श है।

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निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए -
शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग क्यों होता है?

शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग इसलिए होता है क्योंकि इसमें किसी प्रकार की मिलावट नही की जाती। यह पूरी तरह शुद्ध होता है गिन्नी के सोने में थोडा-सा ताँबा मिलाया होता है, इसलिए वह ज्यादा चमकता है और शुद्ध सोने से मजबूत भी होता है।  

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निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

जापानी में चाय पीने की विधि को क्या कहते हैं?

जापानी में चाय पीने की विधि को 'चा-नो-यू' कहते हैं जिसका अर्थ है - 'टी-सेरेमनी' और चाय पिलाने वाला 'चाजिन' कहलाता है। 

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निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए -
लेखक ने जापानियों के दिमाग में 'स्पीड' का इंजन लगने की बात क्यों कही है?

जापानी लोग उन्नति की होड़ में सबसे आगे हैं। वे महीने का काम एक दिन में करने का सोचते हैं। इसलिए लेखक ने जापानियों के दिमाग में स्पीड का इंजन लगने की बात कही है।

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निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए -
प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट किसे कहते हैं?

प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट उन्हें कहते हैं जो लोग आदर्श बनते हैं और व्यवहार के समय उन्हीं आर्दशों को तोड़ मरोड़ कर अवसर का लाभ उठाते हैं। 

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शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना तांबे से क्यों की गई है?

शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से क्यों की गई है? शुद्ध सोने में किसी प्रकार की मिलावट नहीं की जा सकती। ताँबे से सोना मजबूत हो जाता है परन्तु शुद्धता समाप्त हो जाती है। इसी प्रकार व्यवहारिकता में शुद्ध आर्दश समाप्त हो जाते हैं।

शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग अलग क्यों होता है?

शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग क्यों होता है? शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग होता है, क्योंकि गिन्नी के सोने में थोड़ा-सा ताँबा मिलाया जाता है इसलिए | वह ज्यादा चमकता है और शुद्ध सोने से मज़बूत भी होता है। शुद्ध सोने में किसी भी प्रकार की मिलावट नहीं होती

पाठ के संदर्भ में शुद्ध आदर्श क्या है?

पाठ के सन्दर्भ में शुद्ध आदर्श वह है जिसमें लाभ-हानि की गुंजाइश नहीं होती है। अर्थात् शुद्ध आदर्शों पर व्यावहारिकता हावी नहीं होती। जिसमें पूरे समाज की भलाई छिपी हुई हो तथा जो समाज के शाश्वत मूल्यों को बनाए रखने में सक्षम हो, वही शुद्ध आदर्श है।

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