आकलन को कितने वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है? - aakalan ko kitane vargon mein vargeekrt kiya jaata hai?

विषयसूची

  • 1 आकलन कितने प्रकार के होते है?
  • 2 सर्वेक्षण पृष्ठ पोषण पद्धति का जनक कौन है?
  • 3 निर्माणात्मक आकलन क्या है?
  • 4 किसी व्यक्ति की अक्षमता उसके सीखने को कैसे प्रभावित करती है किही दो अक्षमताओं के आधार पर लिखिए?
  • 5 निर्माणात्मक मूल्यांकन कब होता है?

आकलन कितने प्रकार के होते है?

आकलन के प्रकार (Types of Assessment)

  1. 1 निर्माणात्मक\ रचनात्मक आकलन (Formative Assessment)
  2. 2 योगात्मक\ संकलनात्मक आकलन (Summative Assessment)
  3. 3 निदानात्मक आकलन (Diagnostic Assessment)

अधिगम में आकलन क्या है?

इसे सुनेंरोकेंअधिगम के लिए आकलन, इसे शिक्षार्थी के ज्ञान, समझ, कौशल और मूल्यों को विकसित करने के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग करने में मदद करता है जिसे वे अपने व्यवहार में प्रतिबिंबित करने में सक्षम होते हैं। यह छात्रों की क्षमताओं, आवश्यकताओं और त्रुटियों को ध्यान में रखता है।

सर्वेक्षण पृष्ठ पोषण पद्धति का जनक कौन है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: माना जाता है कि, सामाजिक सर्वेक्षण पद्धति का सबसे पहले उपयोग जनसंख्या और सम्पति का अध्ययन करने के लिए प्रसिद्ध इतिहासकार HERODOTUS (हेरोडोटस) ने मिश्र नामक देश में आज से लगभग 300 साल पहले किया था।

सामयिक आकलन क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंसमस्या समाधान की कुशलता, या सीखी हुई दक्षताओं का प्रदर्शन भी एक तरीका हो सकता है जिसमें लिखित परीक्षा की जगह विषय की पृष्ठभूमि पर केंद्रित कोई प्रोजेक्ट दिया जाए। यदि संभव हो तो राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान की तर्ज पर विद्यार्थियों की मांग के आधार पर परीक्षा का आयोजन किया जाए।

निर्माणात्मक आकलन क्या है?

इसे सुनेंरोकेंनिर्माणात्मक आकलन का मतलब है प्रत्येक छात्र से विविध प्रकार की गतिविधियों से जानकारी एकत्र करना, जो उनके सीखने और प्रगति का आकलन करने में आपकी मदद करती है। इसलिए इससे आपको उन छात्रों की पहचान करने में मदद मिलेगी, जिन्हें कोई कठिनाई है और उनकी सहायता करने के लिए अपने शिक्षण को समायोजित करने में भी मदद मिलेगी।

योगात्मक मूल्यांकन कितने प्रकार का होता है?

योगात्‍मक मूल्‍यांकन से अभिप्राय है कि किसी पूर्व निर्मित शैक्षिक योजना या सामाग्री की समग्र वांछनीय को ज्ञात करने की प्रकिया से है ।…संरचनात्‍मक मूल्‍यांकन Formative Evaluation :-

  • वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न।
  • अति लघु उत्तरीय प्रश्न।
  • लघु उत्तरीय प्रश्न।
  • निबंधात्मक प्रकार के प्रश्न।

किसी व्यक्ति की अक्षमता उसके सीखने को कैसे प्रभावित करती है किही दो अक्षमताओं के आधार पर लिखिए?

डिस्लेक्सिया

  1. वर्णमाला अधिगम में कठिनाई
  2. अक्षरों की ध्वनियों को सीखने में कठिनाई
  3. एकाग्रता में कठिनाई
  4. पढ़ते समय स्वर वर्णों का लोप होना
  5. शब्दों को उल्टा या अक्षरों का क्रम इधर – उधर कर पढ़ा जाना, जैसे नाम को मान या शावक को शक पढ़ा जाना
  6. वर्तनी दोष से पीड़ित होना
  7. समान उच्चारण वाले ध्वनियों को न पहचान पाना
  8. शब्दकोष का अभाव

संकलनात्मक आकलन क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसंकलनात्मक मूल्यांकन से अभिप्राय पूरा कोर्स की समाप्ति के पश्चात किये जाने वाले समग्र मूल्यांकन से है। इस मूल्यांकन के लिए प्रयोग किए गए परीक्षणों को संकलनात्मक परीक्षण कहा जाता है। संकलनात्मक मूल्यांकन का मुख्य उद्देश्य किसी कोर्स की समाप्ति के बाद विद्यार्थियों की अधिगम उन्नति एवं उपलब्धियों को ज्ञात करना होता है।

निर्माणात्मक मूल्यांकन कब होता है?

इसे सुनेंरोकेंइन इकाइयों को विभिन्न उपविषयांे में बांट कर शिक्षण किया जाता है। प्रत्येक उपविषय अथवा इकाई की समाप्ति पर अध्यापक विद्यार्थियों का मूल्यांकन करता है। यह मूल्यांकन प्रतिदिन, प्रतिसप्ताह, प्रत्येक दो सप्ताहों में एक बार या मासिक रूप से किया जाता है।

आकलन से आप क्या समझते हैं छात्रों विद्यालय एवं समाज के लिए आकलन की आवश्यकता क्यों है?

इसे सुनेंरोकेंआकलन : आकलन से अभिप्राय है , सूचनाओं को एकत्रित करना | विधार्थियों के बारे में किसी विषय के बारे में निर्णय लेना | आकलन में विधार्थियों को अंक और ग्रेडिंग का फीडबैक दिया जाता है | आकलन से विद्यार्थी के बारे में जानकारी मिलती है , वह क्या जनता है? वह क्या समझता है? उसे क्या समझ में आ रहा है?

  • Assessment and Evaluation Notes For CTET
    • आकलन तथा मूल्यांकन (assessment and evaluation)
    • मूल्यांकन की परिभाषाएं (Evaluation definitions)
      •  मूल्यांकन की प्रकृति (Nature of assessment) 
        •  कुछ मुख्य मूल्यांकन प्रविधि इस प्रकार है। 
        • ये भी जाने: जेरोम ब्रूनर का संज्ञानात्मक सिद्धांत
      • आकलन के प्रकार (Types of Assessment)
        • (1)  निर्माणात्मक\ रचनात्मक आकलन (Formative Assessment)
        • रचनात्मक आकलन के उपकरण\उदाहरण ( tools\Examples of Formative assessment)
        • 2  योगात्मक\ संकलनात्मक आकलन (Summative Assessment) 
        • Tools\Examples of Summative assessment (योगात्मक आकलन के उपकरण\ उदाहरण)  
        • (3)  निदानात्मक आकलन (Diagnostic Assessment)

 इस पोस्ट में हम जानेंगे आकलन तथा मूल्यांकन (Assessment and Evaluation Notes For CTET) की प्रकृति तथा प्रविधियां एवं मूल्यांकन की परिभाषा तथा आकलन के प्रकार जो कि  TET परीक्षा जैसे CTET, KVS, DSSSB, TET की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। आकलन एवं मूल्यांकन से संबंधित प्रश्न इन परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए हमने आकलन तथा मूल्यांकन से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी आपके साथ साझा की है। आशा है यह आपके लिए उपयोगी साबित होगी। 

आकलन तथा मूल्यांकन (assessment and evaluation)

  • आकलन और मूल्यांकन दोनों का उद्देश्य बच्चों की क्षमता, अनुभूति तथा अधिगम का मापन करना होता है। 
  •  आकलन की प्रक्रिया मूल्यांकन करने के लिए की जाती है।  अर्थात आकलन, मूल्यांकन के दौरान होने वाली प्रक्रिया है। 
  •  आकलन एक संक्षिप्त प्रक्रिया है, और मूल्यांकन एक व्यापक प्रक्रिया है। 
  •  मूल्यांकन का अर्थ है- मूल्य का अंकन करना अर्थात किसी वस्तु का मूल्य निर्धारित करना। 
  • आकलन के बाद मूल्यांकन किया जाता है। 

 मूल्यांकन =  मापन  +  मूल्य निर्धारण

                   या ( आकलन)   

अर्थात मापन,  मूल्यांकन का ही एक भाग है, जो सदैव उसमें निहित रहता है। 
 NCERT की पुस्तक ‘Concept of Evaluation’ के अनुसार मूल्यांकन प्रक्रिया में मुख्यतः तीन बातों के संबंध में निर्णय लिया जाता है। 

1.  शिक्षण उद्देश्य की प्राप्ति किस सीमा तक हुई है?

2 .उद्देश्य स्पष्ट करने की विधि कितनी प्रभावी रही है?

3 . अधिगम अनुभव कितने प्रभावी रहे हैं?

मूल्यांकन की परिभाषाएं (Evaluation definitions)

 कोठारी कमीशन – “ मूल्यांकन एक क्रमिक प्रक्रिया है, जो की संपूर्ण शिक्षा प्रणाली का एक अंग है, जो शिक्षा के उद्देश्यों से घनिष्ठ रूप से संबंधित है।”

टारगेरसन एवं एडम्स – “मूल्यांकन का अर्थ है- किसी वस्तु या प्रक्रिया का मूल्य निश्चित करना।  इस प्रकार शैक्षिक मूल्यांकन से तात्पर्य  है-  शिक्षण- प्रक्रिया तथा सीखने कीक्रियाओं से उत्पन्न अनुभवों की उपयोगिता के बारे में निर्णय देना।”

 मूल्यांकन की प्रकृति (Nature of assessment) 

  • मूल्यांकन में गुणात्मक तथा परिणात्मक दोनों ही प्रकार के निर्णय किए जाते हैं। 
  • इसका क्षेत्र व्यापक है। 
  •  यह निरंतर चलने वाली, एक सतत प्रक्रिया है। 
  •  मूल्यांकन के द्वारा तीनों पक्षों (ज्ञानात्मक,भावनात्मक एवं क्रियात्मक)के उद्देश्यों का मापन किया जाता है। 

मूल्यांकन की प्रविधियां (Techniques of Evaluation)

उद्देश्य एवं विषय वस्तु की प्रकृति को ध्यान में रखकर ही मूल्यांकन की प्रविधि का चयन करना चाहिए।  मूल्यांकन की किसी एक प्रविधि को हम सभी उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए प्रयोग में नहीं ला सकते। 

 कुछ मुख्य मूल्यांकन प्रविधि इस प्रकार है। 

1.  लिखित परीक्षाएं (Written exams) –  इन परीक्षाओं में निबंधात्मक प्रश्न  तथा वस्तुनिष्ठ प्रश्न मुख्य है।  निबंधात्मकपरीक्षाओं में छात्र को विस्तारपूर्वक उत्तर लिखने होते हैं। 

2. मौखिक परीक्षाएं (Oral examinations) –  इन परीक्षाओं द्वारा छात्रों की उपलब्धियों के उन पक्षों का मूल्यांकन किया जाता है।  जिन्हें हम लिखित परीक्षाओं द्वारा नहीं माप सकते हैं। 

3. साक्षात्कार (Interview) – साक्षात्कार की विधि में परीक्षणकर्ता व्यक्ति से बातचीत करके सूचनाएं एकत्र  करता है।  साक्षात्कार द्वारा विद्यार्थियों के बौद्धिक स्तर, आत्मविश्वास, उपयुक्त दृष्टिकोण का मूल्यांकन किया जा सकता है।  मौखिक परीक्षा तथा साक्षात्कार के उद्देश्यों में अधिक अंतर नहीं है। 

4.  प्रयोगात्मक परीक्षाएं (Experimental examinations) –  गणित में ज्यामिति, त्रिकोणमिति आदि विषयों में प्रयोगात्मक कार्य द्वारा प्रत्यय एवं संकल्पनाओं (Concept and Hypothesis) का स्पष्टीकरण कराया जाता है।  

5. प्रेक्षण (Observation)-  इसमें व्यक्ति की स्वाभाविक दशा में घटित होने वाली व्यवहारगत घटनाओं तथा परिवर्तन का अभिलेख तैयार किया जाता है।  

6. पोर्टफोलियो (Portfolio) – इसके द्वारा छात्र के कौशलों का मूल्यांकन को संग्रह किया जाता है।  समय की एक निश्चित अवधि में विद्यार्थियों द्वारा किए गए कार्यों का संग्रह, यह रोजमर्रा के काम भी हो सकते हैं। 

 जैसे –  बच्चों के भाषा विकास –  क्रमिक प्रगति का रिकॉर्ड रखना। 

7. संचित अभिलेख (Comulative Record) – छात्रों की  व्यक्तित्व के विभिन्न पक्षों में आए व्यवहार परिवर्तनों एवं उपलब्धियों को एक ही प्रपत्र में लिखकर सुरक्षित रखा जाता है।  यह संचित अभिलेख पत्र कहलाता है। 

 उदाहरण-  बच्चों का शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, नैतिक, मनोवैज्ञानिक अभिलेख तैयार करना।  दूसरे शब्दों में बच्चों का सर्वांगीण  अभिलेख। 

8. निर्धारण मापनी (Rating Scale) – बच्चों की योग्यताओं व उपलब्धियों को इस तरह जांच ना कि वह किस स्तर की है।  इस बात का निर्धारण करने के लिए निर्धारण मापनी का प्रयोग किया जाता है। 

 उदाहरण-  ग्रेड देना. 

Assessment and Evaluation Notes For CTET

ये भी जाने: जेरोम ब्रूनर का संज्ञानात्मक सिद्धांत

आकलन के प्रकार (Types of Assessment)

आकलन के प्रकार-  इसका उपयोग विस्तृत रूप से विद्यालयों और शिक्षा पद्धति में किया जाता है।  शैक्षिक उद्देश्य से हम मूल्यांकन को तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं। 

1  निर्माणात्मक\ रचनात्मक आकलन (Formative Assessment)

2  योगात्मक\ संकलनात्मक आकलन (Summative Assessment)

3  निदानात्मक आकलन (Diagnostic Assessment)

(1)  निर्माणात्मक\ रचनात्मक आकलन (Formative Assessment)

  • रचनात्मक आकलन शिक्षकों को छात्र समझ, सीखने की जरूरतों और पाठ, इकाई या पाठ्यक्रम के दौरान अकादमिक प्रगति के मूल्यांकन के लिए किया जाता है। 
  • निर्माणात्मक\ रचनात्मक आकलन में अध्यापक पाठ को पढ़ाते समय यह जांच करता है, कि बच्चे  ने ज्ञान को कितना ग्रहण किया है। 
  •  रचनात्मक आकलन विद्यार्थियों को यह जानने का अवसर प्रदान करता है कि उसे कहां सुधार की आवश्यकता है। 
  • इस आकलन में छात्र और शिक्षक दोनों के लिए गुणात्मक प्रतिक्रियाएं शामिल होती है। 
  • रचनात्मक आकलन पाठ के बीच बीच में किया जाता है। 

 उद्देश्य-  इसके द्वारा शिक्षक अपनी शिक्षण प्रक्रिया में सुधार करके छात्रों के सीखने में सुधार करके सीखने की क्षमता मे वृद्धि कर सकते हैं। 

रचनात्मक आकलन के उपकरण\उदाहरण ( tools\Examples of Formative assessment)

  • मौखिक प्रश्न उत्तर
  •  वर्कशीट
  •  अवलोकन डायरी
  •  चेक लिस्ट
  •  वाद विवाद ( कक्षा में)
  •  उप समूह एवं व्यक्तिगत कार्य

2  योगात्मक\ संकलनात्मक आकलन (Summative Assessment) 

  • संकलनात्मक\ योगात्मक आकलन एक निश्चित अवधि के पश्चात विद्यार्थियों की ओवर ऑल परफॉर्मेंस निर्धारण करने के लिए किया जाता है।
  •  इस आकलन में छात्रों को ग्रेड या मार्क्स प्राप्त होते हैं, जो उनके प्रदर्शन के स्तर को इंगित करते हैं। 
  • संकलनात्मक\योगात्मक आकलन द्वारा यह माना जा सकता है कि हम अपने उद्देश्यों की पूर्ति में कितने सफल रहे। 

 उद्देश्य-  यह एक निश्चित अवधि में शिक्षक व छात्रों की संपूर्ण गतिविधियों के बारे में बताता है। 

Tools\Examples of Summative assessment (योगात्मक आकलन के उपकरण\ उदाहरण)  

  • अर्धवार्षिक परीक्षा
  • सेमेस्टर एग्जाम
  • साक्षात्कार
  • निबंध
  •  पोर्टफोलियो
  •  प्रोजेक्ट
  • प्रेजेंटेशन

NOTE –  रचनात्मक आकलन –  अधिगम के लिए आकलन (assessment for learning)

 योगात्मक आकलन –  अधिगम का आकलन (assessment of learning)

(3)  निदानात्मक आकलन (Diagnostic Assessment)

  • निदानात्मक आकलन के द्वारा शिक्षक, जो बच्चे असफल हो रहे हैं, उन बच्चों की असफलता का कारण ढूंढता है। 
  • इसके द्वारा छात्रों की कठिनाइयों का निदान किया जाता है। 
  •   निदानात्मक आकलन का प्रयोग छात्र में किसी प्रकार की अधिगम कठिनाई का पता लगाने के लिए किया जाता है। 

उद्देश्य –   असफल छात्रों की असफलता का पता लगाना, ताकि हम उन्हें उनकी क्षमता के अनुसार शिक्षण विधि का प्रयोग करके सफल बना सकें।

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ये भी जाने : 

  • शिक्षण विधियाँ एवं उनके प्रतिपादक/मनोविज्ञान की विधियां,सिद्धांत: ( Download pdf)
  • Theory of Intelligence Notes in Hindi (बुद्धि के सिद्धांत) 
  • Language and Thought Important Questions
  • बाल विकास एवं शिक्षा मनोविज्ञान के महत्वपूर्ण सिद्धांत NOTES for Teacher’s Exam
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  • संस्कृत व्याकरण नोट्स
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  • Child Development: Important Definitions 

आकलन को कितने वर्गों में वर्गीकृत किया गया है?

ये अन्योन्य क्रियाएँ बहुत से चरों द्वारा प्रभावित होती हैं जिनकी सबसे 2022-23 Page 2 2 भूगोल में प्रयोगात्मक कार्य, भाग - 2 अच्छी व्याख्या मात्रात्मक रूप में की जा सकती है। आज उन चरों का सांख्यिकीय विश्लेषण आवश्यक हो गया है।

आकलन के प्रकार कितने होते हैं?

आकलन कितने प्रकार के होते है?.
1 निर्माणात्मक\ रचनात्मक आकलन (Formative Assessment).
2 योगात्मक\ संकलनात्मक आकलन (Summative Assessment).
3 निदानात्मक आकलन (Diagnostic Assessment).

आकलन क्या है इसके वर्गीकरण का विवेचन कीजिए?

(Assessment) आकलन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा हमें यह ज्ञात होता है कि कोई बच्चा अधिगम को किस स्तर तक सीखा है या किस स्तर तक अधिगम को ग्रहण करने में समर्थ रहा है। देखा जाय तो मूल्यांकन और आकलन दोनों लगभग एक सामान ही प्रक्रिया है। आकलन कम पैमाने पर की जाती है वहीं मूल्यांकन वृहत पैमाने पर की जाती है।

मूल्यांकन के प्रकार कौन कौन से हैं?

मूल्यांकन के प्रकार (Types of Evaluation).
स्थापन मूल्यांकन (Placement Evaluation),.
निर्माणात्मक मूल्यांकन (Formative Evaluation),.
निदानात्मक मूल्यांकन (Diagnostic Evaluation),.
संकलनात्मक मूल्यांकन (Summative Evaluation)।.

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