9. लक्ष्मण ने अपना क्रोध रोककर परशुराम की कटुवाणी सहन करते रहने का क्या कारण बताया? - 9. lakshman ne apana krodh rokakar parashuraam kee katuvaanee sahan karate rahane ka kya kaaran bataaya?

अति लघु उत्तरीय प्रश्न
निम्नलिखित काव्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
1. बिहँसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी।।
पुनि-पुनि मोहि देखाव कुठारु। चहत उड़ावन फूँकि पहारू।।
इहाँ कुम्हड़बतियाँ कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं।।
देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना।।
भृगुसुत समुझि जनेउ बिलोकी। जो कुछ कहहु सहौं रिस रोकी।।
सुर महिसुर हरिजन अरु गाई। हमरे कुल इन्ह पर न सुराई।।
बधें पापु अपकीरति हारें। मारतहू पा परिअ तुम्हारे।।
कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा। व्यर्थ धरहु धनु बान कुठारा।।

प्रश्न (क)-काव्यांश में से कोई मुहावरा अथवा लोकोक्ति चुनकर उसके सौंदर्य पर टिप्पणी कीजिए। 
उत्तर: काव्यांश में ‘फूँक से पहाड़ उड़ाना’ मुहावरे का अत्यंत सार्थक प्रयोग किया गया है।

प्रश्न (ख)-लक्ष्मण ने अपने कुल की किस परपंरा का उल्लेख किया है ? 
उत्तर: लक्ष्मण ने अपने कुल (रघुकुल) की उस परपंरा का उल्लेख किया है जिसके अनुसार देवता, ब्राह्मण, भगवान के भक्त और गाय-इन चारों पर वीरता नहीं दिखाई जाती, क्योंकि उनका वध करना या उनसे हारना दोनों ही ठीक नहीं माने जाते। इनका वध करने से पाप का भागीदार बनना पड़ता है तथा इनसे हारने पर अपयश फैलता है।

प्रश्न (ग)-किस कारण से लक्ष्मण क्रोध को रोककर परशुराम के कटु-वचनों को सहन कर रहे हैं ?
उत्तर:
लक्ष्मण ने परशुराम के कटु-वचनों को इसलिए सहन कर लिया क्योंकि उन्हें पता चल गया कि परशुराम ब्राह्मण हैं (भृगु ऋषि के पुत्र हैं।) रघुकुल में ब्राह्मणों पर कटु-वचन व शस्त्र-प्रयोग वर्जित होता है।

अथवा

प्रश्न (क)-‘कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं’ का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर: लक्ष्मण भी कोई काशीफल का फूल नहीं है जो उनकी तरजनी देखकर ही मुरझा जाएगा अर्थात् वे इतने कमजोर नहीं हैं, जो उनकी बातों से भयभीत हो जाएँगे। 

प्रश्न (ख)-‘चहत उड़ावन फूँकि पहारू’ से लक्ष्मण का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जिस प्रकार फूँक से पहाड़ नहीं उड़ सकता वैसे ही मैं आपके फरसा दिखाकर डराने से डरने वाला नहीं हूँ।

प्रश्न (ग)-लक्ष्मण ने परशुराम पर क्या व्यंग्य किया?
उत्तर:
मुनिवर स्वयं को महान योद्धा मान रहे हैं। लक्ष्मण इसी वीरता प्रदर्शन पर व्यंग्य कर रहे हैं।

अथवा

प्रश्न (क)-‘कुम्हड़बतिया’ का उदाहरण क्यों दिया गया है ?
उत्तर: 
कुम्हड़बतिया (काशीफल का फूल) उँगली दिखाने से मुरझा जाता है अतः हम ऐसे नहीं है।

प्रश्न (ख)-लक्ष्मण के हँसने का क्या कारण है ?
उत्तर:
लक्ष्मण परशुराम की गर्व भरी बातों को सुनकर उनका उपहास करते हुए हँस रहे हैं।

प्रश्न (ग)-‘मुनीसु’ कौन हैं ? लक्ष्मण उनसे बहस क्यों कर रहे हैं ?
उत्तर:
मुनीसु-परशुरामजी है। उन्होंने शिव-धनुष तोड़े जाने पर राम को बुरा-भला कहा और बार-बार धनुष दिखाकर दंड देने की बात कही इसलिए लक्ष्मण उनसे बहस कर रहे हैं।

अथवा

प्रश्न (क) -भाषा-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए- चहत उड़ावन फूँकि पहारू। 
उत्तर: ‘फूँक से पहाड़ उड़ाना’ एक मुहावरा है जिसका अत्यंत सशक्त तथा सटीक प्रयोग किया गया है। फूँक से पहाड़ उड़ाने की कल्पना अत्यंत प्रभावशाली है जो परशुराम के बड़-बोलेपन पर करारा व्यंग्य है।

प्रश्न (ख)-प्रस्तुत काव्यांश की भाषा के सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए। 
उत्तर: प्रस्तुत काव्यांश की भाषा अत्यंत प्रभावशाली है जिसमें अवधी भाषा के साहित्यिक रूप का प्रयोग किया गया है। काव्यांश में अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश अलंकारों का सहज प्रयोग हुआ है तथा व्यंग्य को अत्यंत प्रभावी ढंग से उभारा गया है।

प्रश्न (ग)-‘भृगुसुत.......रोकी’ काव्य पंक्ति में लक्ष्मण के वाक् चातुर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर: 
लक्ष्मण अत्यंत वाक्-पटु थे ‘भृगुसुत समुझि जनेऊ विलोकी जो कुछ कहहु सहौं रिस रोकी’ पंक्ति में उनका वाक्-चातुर्य स्पष्ट रूप से मुखरित हो रहा है। उन्होंने परशुराम पर व्यंग्य भी किए अपनी वीरता का बखान भी किया, पर साथ ही अपने कुल की परम्परा का उल्लेख करके परशुराम को निरुत्तर कर दिया कि भृगु के पुत्र होने तथा जनेऊ धारण करने के कारण ही वे उनके क्रोध पूर्ण वचनों को सह रहे हैं।

अथवा

प्रश्न (क)-‘विहँसि’ पद के प्रयोग-सौन्दर्य पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
‘विहसि’ का प्रयोग अत्यन्त व्यंग्यात्मक है। लक्ष्मण द्वारा मुस्कुराकर परशुराम की गर्वोक्ति पर व्यंग्य करना अत्यंत चुभने वाला है।

प्रश्न (ख)-लक्ष्मण ने ‘कुम्हड़बतियाँ’ का उदाहरण देकर अपने व्यक्तित्व की किस विशेषता की ओर संकेत किया है ?
उत्तर: 
लक्ष्मण ने अपने लिए ‘कुम्हड़बतिया’ शब्द का प्रयोग इसलिए किया है कि वह भी वीर साहसी तथा निर्भीक हैं। वह कुम्हड़े के कच्चे फल की तरह दुर्बल नहीं है जो आपके डराने-धमकाने और फरसा दिखाने से भयभीत हो जाएँ।

प्रश्न (ग)-प्रस्तुत काव्यांश की प्रथम पंक्ति में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
काव्यांश की प्रथम पंक्ति में लक्ष्मण द्वारा परशुराम के बड़बोलेपन पर व्यंग्य किया गया है कि अरे! आप तो मुझे बार-बार फरसा दिखाकर उसी प्रकार डराने का प्रयास कर रहे हैं जैसे फूँक मारकर पहाड़ उड़ाना चाहते हों।

2. कौसिक सुनहु मंद येहु बालक। कुटिलु काल बस निज कुल घातक।।
भानुबंस राकेश कलंकू। निपट निरंकुस अबुध असूंक।।
कालकवलु होइहि छन माही। कहौं पुकारि खोरि मोहि नाहीं ।।
तुम्ह हटकहु जो चहहु उबारा। कहि प्रताप बल रोषु हमारा।।

प्रश्न (क)-‘कौसिक’ कौन हैं ? उन्हें क्या करने को कहा गया है ?
उत्तर:
कौसिक विश्वामित्र हैं। क्रोध के बारे में बताने के लिए कहा गया है।

प्रश्न (ख)-लक्ष्मण के लिए क्या-क्या कहा गया है ? 
उत्तर: लक्ष्मण को कुबुद्धि, कुटिल, कुलघातक, कलंकी, उद्दंड, मूर्ख आदि कहा गया है।

प्रश्न (ग)-काव्यांश की पृष्ठभूमि की घटना क्या थी ? यह कथन किसका है ? 
उत्तर: श्रीराम द्वारा शिवजी का धनुष तोड़े जाने और क्रोधित अवस्था में परशुराम जी के आने के बाद परशुराम और लक्ष्मण के संवाद का वर्णन किया गया है। यह परशुराम का कथन है।

3. कहेउ लखन मुनि सीलु तुम्हारा। को नहि जान बिदित संसारा।।
माता पितहि उरिन भये नीकें। गुररिनु रहा सोचु बड़ जी कें।।
सो जनु हमरेहि माथें-काढ़ा। दिन चलि गये ब्याज बड़ बाढ़ा।।
अब आनिअ ब्यवहरिआ बोली। तुरत देउँ मैं थैली खोली।।
सुनि कटु वचन कुठार सुधारा। हाय-हाय सब सभा पुकारा।।
भृगुबर परसु देखाबहु मोही। बिप्र बिचारि बचैं नृपद्रोही।।
मिले न कबहुँ सुभट रन गाढ़े। द्विजदेवता घरहि के बाढ़े।।
अनुचित कहि सबु लोगु पुकारे। रघुपति सयनहि लखनु नेवारे।।

प्रश्न (क)-‘माता पितहि उरिन भये नीकें’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: 
परशुराम पर व्यंग्य कर रहे हैं कि किस प्रकार वे माता-पिता के ऋण से मुक्त हुए।

प्रश्न (ख)-यहाँ किस गुरु-ऋण की बात हो रही है उसे चुकाने के लिए लक्ष्मण ने परशुराम को क्या उपाय सुझाया? 
उत्तर: परशुराम के गुरु शिव के ऋण की बात। वे किसी हिसाब-किताब करने वाले को बुला लें, तो लक्ष्मण अपनी थैली खोलकर उनका ऋण चुका देंगे। 

प्रश्न (ग)-लक्ष्मण ने परशुराम पर क्या व्यंग्य किया? 
उत्तर: आपके शील स्वभाव को कौन नहीं जानता। आप अपने माता-पिता के ऋण से तो भली-भाँति मुक्त हो गए हैं। अब गुरु-ऋण रह गया है, जो हृदय को दुःख दे रहा है। 

अथवा

प्रश्न (क)-उपर्युक्त काव्यांश के आधार पर परशुराम लक्ष्मण और राम के स्वभाव की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर: परशुराम अत्यंत उग्र स्वभाव के क्रोधी तथा अहंकारी हैं। लक्ष्मण अत्यंत निर्भीक, साहसी तथा वाकपटु हैं पर राम अत्यंत शांत एवं सौम्य स्वभाव के हैं।

प्रश्न (ख)-गुरु का ऋण चुकाने के लिए लक्ष्मण ने परशुराम को क्या युक्ति बताई ?
उत्तर: 
गुरु का ऋण चुकाने के लिए लक्ष्मण ने परशुराम से कहा कि काफी समय से गुरु का ऋण आप पर चढ़ा हुआ है अब तो उस पर ब्याज भी बहुत बढ़ गया होगा। अतः आप किसी हिसाब-किताब करने वाले व्यक्ति को बुला लीजिए। मैं थैली खोलकर आपके गुरु का ऋण चुकता कर दूँगा।

प्रश्न (ग)-‘कहेऊ लखन मुनि सील तुम्हारा, को नहि जान विदित संसारा’ पंक्ति द्वारा लक्ष्मण ने परशुराम पर क्या व्यंग्य किया?
उत्तर: 
उपर्युक्त पंक्ति द्वारा लक्ष्मण ने परशुराम पर करारा व्यंग्य किया है कि आपके शील स्वभाव को कौन नहीं जानता है, वह किसी से छिपा नहीं है। लक्ष्मण के कहने का आशय यही है कि आप कितने क्रोधी हैं तथा आपको अपनी वीरता पर कितना अहंकार है, यह किसी से छिपा नहीं है।

अथवा

प्रश्न (क)-काव्यांश से अनुप्रास अलंकार का एक उदाहरण छाँटकर लिखिए। 
उत्तर: ‘विप्र बिचारि बचैं नृपद्रोही’ अनुपास अलंकार। (‘ब’ वर्ण की आवृत्ति)

प्रश्न (ख)-‘रघुकुलभानु’ के सौंदर्य पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
श्रीराम रघुकुल के सूर्य के समान थे। उनकी गरिमा बढ़ाने के लिए उन्हें ‘रघुकुलभानु’ कहा गया है।

प्रश्न (ग)-‘जल सम वचन’ कथन में क्या सौंदर्य है ?
उत्तर:
‘जल सम वचन’ द्वारा श्री राम के मधुर वचनों की ओर संकेत किया गया है जो उन्होंने परशुराम के क्रोध को शांत करने के लिए कहे थे। जिस प्रकार जल से अग्नि शांत हो जाती है, उसी प्रकार श्रीराम ने परशुराम के क्रोध को शान्त करने के लिए शीतल वचन कहे। ‘जल सम वचन’ में उपमा अलंकार का प्रयोग हुआ है।

4. तुम्ह तौ कालु हाँक जनु लावा। बार बार मोहि लागि बोलावा।
सुनत लखन के बचन कठोरा। परसु सुधारि धरेउ कर घोरा।।
अब जनि देइ दोसु मोहि लोगू । कटुबादी बालकु बधजोगू।।
बाल बिलोकि बहुत मैं बाँचा। अब येहु मरनिहार भा साँचा।।

प्रश्न (क)-परशुराम क्यों क्रोधित हो गए ?
उत्तर: 
लक्ष्मण द्वारा बार-बार व्यंग्योक्तियों से उनके अभिमान को चोट पहुँचाने व उनका अपमान करने के कारण।

प्रश्न (ख)-परशुराम ने सभा से किस कार्य का दोष उन्हें न देने के लिए कहा ?
उत्तर:
यदि वे कटु वचन बोलने वाले बालक लक्ष्मण का वध कर दें तो सभा उन्हें इसका दोष न दे।

प्रश्न (ग)-लक्ष्मण के किस कथन से उनकी निडरता का परिचय मिलता है ? 
उत्तर: वध करने की धमकी सुन कर लक्ष्मण जब परशुराम से कहते हैं कि आप तो बार-बार काल को इस प्रकार आवाज लगा रहे हैं, मानो उसे मेरे लिए ही बुला रहे हैं।

लक्ष्मण ने अपना क्रोध रोककर परशुराम की कटु वाणी सहन करते रहने का क्या कारण बताया?

प्रश्न (ग)-किस कारण से लक्ष्मण क्रोध को रोककर परशुराम के कटु-वचनों को सहन कर रहे हैं ? उत्तर: लक्ष्मण ने परशुराम के कटु-वचनों को इसलिए सहन कर लिया क्योंकि उन्हें पता चल गया कि परशुराम ब्राह्मण हैं (भृगु ऋषि के पुत्र हैं।) रघुकुल में ब्राह्मणों पर कटु-वचन व शस्त्र-प्रयोग वर्जित होता है।

लक्ष्मण की बात पर क्रोधित होकर परशुराम ने क्या कहा?

“हे मुनि आप बिना बात के इतना क्रोध क्यों कर रहे हैं?” यह सुनते ही परशुराम ने क्रोधित होकर लक्ष्मण से कहा कि वह उन्हें कोई साधारण मुनि समझने की भूल न करें। साथ ही उन्होंने अपने बल, अपनी विजयों और यश का बखान करना आरम्भ कर दिया।

लक्ष्मण के हँसने का क्या कारण है Class 10?

लक्ष्मण के हँसने का कारण परशुराम की गर्व भरी बातें एवं खुद को परशुराम द्वारा हलके में लेना है । परशुरामजी मुनीसु हैं। उन्होंने शिव-धनुष के टूट जाने पर राम को बुरा-भला कहा और बार-बार धनुष दिखाकर दंड देने की बात कही, फलस्वरूप लक्ष्मण अपना पक्ष रखते हुए उनसे बहस कर रहे हैं।

परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन कौन से तर्क दिए हैं?

परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए? धनुष पुराना तथा अत्यंत जीर्ण था। राम ने इसे नया समझकर हाथ लगाया था, पर कमजोर होने के कारण यह छूते ही टूट गया। मेरी (लक्ष्मण की) दृष्टि में सभी धनुष एक समान हैं।

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