1955 में गठित प्रथम राजभाषा आयोग के अध्यक्ष कौन थे? - 1955 mein gathit pratham raajabhaasha aayog ke adhyaksh kaun the?

1955 Me Gathit Rajbhasha Aayog Ke Pratham Adhyaksh Kaun The -

सम्बन्धित प्रश्न


Comments Shashi Prakash Singh on 13-09-2022

संसदीय राजभाषा आयोग के प्रथम अध्यक्ष कौन थे? इसका गठन 1976 मे राजभाषा अधिनियम की धारा 4 के अनुसार किया गया तथा पं गोविंद वल्लभ पंत का 1961 मे निधन हो गया था। अतः प्रथम अध्यक्ष वे नही थे।

Deepak on 22-01-2021

Jansanchar ka Kya Arth h

Pappu yadav on 25-07-2020

Hindi ka sabse pahle likhit praman kahan mila hai

Poonam on 13-07-2020

Bhartiya sanvidhan ki aathvi anusuchi mein Shamil bhashaon ki sankhya hai

Anshu on 10-12-2019

1st is dr. Daneshwar sharma

वर्ष 1955 ईस्वी में गठित प्रथम राजभाषा आयोग के अध्यक्ष कौन थे?...


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आपका सवाल है 1955 ईस्वी में गठित प्रथम राजभाषा आयोग के अध्यक्ष कौन थे तो 1955 में प्रथम राजभाषा आयोग का गठन किया गया था जिसके अध्यक्ष थे बीजी खेर प्रथम राजभाषा आयोग के अध्यक्ष थे बीजी खेर

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1 जवाब

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भारत के राष्‍ट्रपति ने भारत के संविधान के अनुच्‍छेद 344 (1) में प्रदत्‍त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 7 जून 1955 को श्री बी.जी. खेर की अध्‍यक्षता में निम्‍नांकित विषयों पर सिफारिशें करने के लिए राजभाषा आयोग का गठन किया –

  • (क) संघ के सरकारी कामकाज के लिए हिन्‍दी भाषा का क्रमशः अधिक से अधिक से प्रयोग,
  • (ख) संघ के सभी या कुछ सरकारी कामों के लिए अंग्रेजी भाषा के प्रयोग की मनाही,
  • (ग) संविधान के अनुच्‍छेद 348 में वर्णित सभी अथवा कुछ कार्यों के लिए किस भाषा का प्रयोग किया जाए,
  • (घ) संघ के किसी या किन्‍ही खास कार्यो के लिए प्रयोग में आने वाले अंकों का रूप,
  • (ङ) एक समग्र अनुसूची तैयार करना जिसमें ये बताया जाए कि कब और किस प्रकार संघ की राजभाषा तथा संघ एवं राज्‍यों के बीच और एक राज्‍य और दूसरे राज्‍यों के बीच संचार की भाषा के रूप में अंग्रेजी का स्‍थान धीरे-धीरे हिन्‍दी ले।

अपनी सिफारिशें करते समय आयोग को इस बात का ध्‍यान रखना था कि उन सिफारिशों से भारत की औद्योगिक, सांस्‍कृतिक और वैज्ञानिक प्रगति में किसी प्रकार की बाधा न पहुंचे और सरकारी नौकरियों के मामले में हिन्‍दीतर क्षेत्रों के लोगों के उचित अधिकार और हित सुरक्षित रहें। आयोग ने अपने विचारार्थ विषय के विभिन्‍न पहलुओं से आधुनिक भाषा, भारतीय भाषाओं का स्‍वरूप, पारिभाषिक शब्दावली, संघ की भाषा और शिक्षा पद्धति, सरकारी प्रशासन में भाषा, कानून और न्‍यायालयों की भाषा, संघ की भाषा , लोक सेवाओं की परीक्षाएं , हिन्‍दी और प्रादेशिक भाषाओं का प्रचार और विकास, राष्‍ट्रीय भाषा संबधी कार्यक्रम को कार्य रूप देने के लिए संस्‍थाओं आदि की व्‍यवस्‍था आदि के बारे में विस्‍तार से विवेचन तथा विचार विमर्श करने के पश्‍चात 31 जुलाई 1956 को अपना प्रतिवेदन राष्‍ट्रपति को प्रस्‍तुत किया।

आयोग की संस्तुतियाँ[संपादित करें]

इस आयोग ने 31 जुलाई, 1956 को अपना प्रनिवेदन राष्ट्रपति को प्रस्तुत किया। आयोग की संस्तुतियाँ ये थीं-

  • (1) भारत की जनतान्त्रिक पद्धति को ध्यान में रखते हुए अखिल भारतीय स्तर पर सामूहिक माध्यम के रूप में अंग्रेजी को स्वीकार करना संभव नहीं है। भारतीय भाषाओं के माध्यम से ही अनिवार्य शिक्षा देने की संभावनाओं पर विचार करना चाहिए। प्रशासन को सार्वजनिक जीवन एवं दैनिक कार्यकलापों में विदेशी भाषा का प्रयोग करना उचित नहीं है।
  • (२) बहुमत द्वारा बोली तथा समझी जाने वाली हिन्दी ही पूरे देश के लिए एक सुस्पष्ट भाषा माध्यम है।
  • (३) १४ वर्ष की उम्र तक के प्रत्येक विद्यार्थी को हिन्दी का उचित ज्ञान प्राप्त कराया जाना चाहिए।
  • (४) सारे देश में माध्यमिक शिक्षा के स्तर तक हिन्दी का शिक्षण अनिवार्य कर दिया जाए। हिन्दीभाषी क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए एक दूसरी दक्षिण भारतीय भाषा का ज्ञान अनिवार्य किया जाना आयोग को मान्य नहीं है।
  • (५) सभी विश्वविद्यालयों को चाहिए कि हिन्दी माध्यम से जो विद्यार्थी परीक्षा में बैठना चाहें उनके लिए वे उचित प्रबंध करें।
  • (६) वैज्ञानिक एवं तकनीकी शिक्षण संस्थाओं में यदि सब विद्यार्थी एक भाषायी वर्ग के हों तो उनकी भाषा के माध्यम से ही उन्हें शिक्षा दी जाए और यदि वे विभिन्न भाषायी क्षेत्रों के हों तो हिन्दी भाषा को ही उन सभी के लिए माध्यम के रूप में अपनाया जाए।
  • (७) प्रशासनिक कर्मचारियों के लिए हिन्दी का निश्चित अवधि में आवश्यक ज्ञान प्राप्त करने के लिए नियम लागू किए जाएँ और ऐसा न करने वालों को दंडित किया जाए।
  • (८) जनता से सीधा संबध रखने वाले विभागों और संगठनों में आंतरिक कार्यो में हिन्दी तथा जनता से व्यवहार हेतु क्षेत्रीय भाषा व्यवहार में लाई जाए।
  • (९) राज्य और संघ सरकार के अधिकारियों के लिए किसी स्तर का हिन्दी ज्ञान अनिवार्य किया जाय और इसके लिए उन्हें अधिकाधिक पुरस्कार देकर प्रोत्साहित किया जाय।
  • (१०) स्वीकृत सरकारी कानून हिन्दी में ही होने चाहिए, परंतु जनता की सुविधा केलिए क्षेत्रीय भाषाओं में उनके अनुवाद प्रकाशित किए जाने चाहिए।
  • (११) देश में न्याय, देश की भाषा में किया जाए, इसके लिए यह जरूरी है कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों की समस्त कार्यवाही तथा विलेखों, निर्णयों तथा आदेशों के आवश्यकतानुसार क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद भी संलग्न किए जाएं।
  • (१२) अखिल भारतीय सेवाओं और केंद्रीय सेवाओं हेतु कर्मचारियों के लिए हिन्दी की योग्यता रखना आवश्यक किया जाए। इन परीक्षाओं में हिन्दी का अनिवार्य प्रश्न-पत्र रखा जाए, परंतु अहिन्दीभाषी विद्यार्थियों की सुविधा की दृष्टि से उसका स्तर अति साधारण रहे।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • भारत की राजभाषा के रूप में हिन्दी

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • राजभाषा (विधिक) आयोग द्वारा निर्मित विधिक शब्दावली

प्रथम राजभाषा आयोग के अध्यक्ष कौन?

Rajbhasha Aayog Ke Pratham Adhyaksh Kaun The बी. जी. खेर को उस समय राजभाषा आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। इस आयोग ने 1956 में अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी थी।

प्रथम राजभाषा आयोग की स्थापना कब हुई थी?

Ans: (A) 7 जून 1955 भारतीय संविधान के अनुच्छेद 344 में प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 7 जून 1955 को राज्य भाषा आयोग का गठन किया गया .

राजभाषा हिंदी के प्रयोग की दृष्टि से भारतवर्ष को कितने भाषाई क्षेत्रों में बांटा गया है?

राजभाषा के प्रयोजन के लिए देश को 'क क्षेत्र', 'ख क्षेत्र' और 'ग क्षेत्र' - तीन क्षेत्रों में बांटा गया है।

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