15 August Special Guests: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) 15 अगस्त को पूरे भारतीय ओलंपिक दल को लाल किले में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित करेंगे. वे पूरे ओलंपिक दल के प्रत्येक सदस्य से अपने आवास 7 लोक कल्याण मार्ग पर व्यक्तिगत रूप से मिलेंगे और बातचीत भी करेंगे. पहली बार देश के इतिहास में ऐसा हो रहा हैं जब ओलंपिक खिलाड़ियों को लाल क़िले पर आमंत्रित किया जा रहा है. 15 अगस्त पर लाल क़िले की प्राचीर पर प्रधानमंत्री के अलावा केबिनेट के सदस्य, सेना के प्रमुख अफ़सर और देश के सर्वोच्च अधिकारी और उनके परिवार के सदस्य आमंत्रित किए जाते हैं. पहली बार हो रहा है जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परंपराओं को तोड़ कर खिलाड़ियों को लाल क़िले की प्राचीर पर आमंत्रित किया है.
प्रधानमंत्री मोदी ने ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों को लाल क़िले की प्राचीर पर आमंत्रित ही नहीं किया है बल्कि उन्हें अपने सरकारी आवास 7 लोक कल्याण मार्ग मुलाक़ात और बातचीत के लिए भी बुलाया है. प्रधानमंत्री अपने आवास पर सभी ओलंपिक खिलाड़ियों से व्यक्तिगत रूप से ना केवल मिलेंगे बल्कि बातचीत कर उनके अनुभव भी जानेंगे. पीएम उनसे ट्रेनिंग के दौरान ख़ासतौर पर कोरोना काल के दौरान आने वाली दिक़्क़तों और परेशानियों को भी जानेंगे.
आपको याद होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु से कहा था कि पदक जीत कर आओगी तो आइसक्रीम खाएंगे. इसके बाद जब सिंधु ने कांस्य पदक जीता तो उनके पिता पीवी रमन्ना ने कहा था कि अब हम पीएम मोदी के साथ आइसक्रीम खाने जाएंगे.
माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 अगस्त के दिन ओलंपिक खिलाड़ियों को लाल क़िले की प्राचीर पर आमंत्रित कर ना केवल खिलाड़ियों का सम्मान करना चाहते हैं बल्कि खेलो के प्रति लोगों में जागरूकता भी लाना चाहते हैं.
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Independence Day 2022: स्वतंत्रता दिवस (Swatantrata Diwas) को लेकर देशभर में तैयारियां जोरों पर हैं. इस साल का स्वतंत्रता दिवस खास है, क्योंकि देश की आजादी का यह 75वां साल है. इस मौके पर 'आजादी का अमृत महोत्सव' (Azadi Ka Amrit Mahotsav) के तहत देशभर में कई तरह के आयोजन किये जाने हैं.
Independence Day 2022: स्वतंत्रता दिवस (Swatantrata Diwas) को लेकर देशभर में तैयारियां जोरों पर हैं. इस साल का स्वतंत्रता दिवस खास है, क्योंकि देश की आजादी का यह 75वां साल है. इस मौके पर ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ (Azadi Ka Amrit Mahotsav) के तहत देशभर में कई तरह के आयोजन किये जाने हैं. सरकार ने ‘हर घर तिरंगा’ अभियान भी चलाया है. ‘हर घर तिरंगा अभियान’ (Har Ghar Tiranga Campaign) के लिए नियमों में भी बदलाव किये गए. बदलाव के बाद अब आप 13 से 15 अगस्त तक अपने घर में दिन या रात कभी भी तिरंगा फहरा सकेंगे. आजादी की सालगिरह के मौके पर कई पुराने किस्से भी सुनने को मिलते हैं. लेकिन क्या आप इस बात को जानते हैं कि स्वतंत्रता दिवस के लिए 15 अगस्त के दिन को ही क्यों चुना गया? आइये जानते हैं इसके पीछे की वजह क्या है..
(15 अगस्त को भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में क्यों चुना गया?) Why August 15 Was Chosen As India’s Independence Day
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू (First Prime Minister Of India) ने 15 अगस्त, 1947 को दिल्ली में लालकिले के लाहौरी गेट के ऊपर तिरंगा फहराया था. इसके बाद ये यह एक परंपरा है जिसका पालन हर साल प्रधानमंत्रियों द्वारा किया जाता है. झंडा फहराने के साथ-साथ लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संबोधन (Address To The Nation) भी होता है. तिरंगा झंडा यह दर्शाता है कि हम अब एक स्वतंत्र भारत में रहते हैं. आइए जानते हैं कि 15 अगस्त को भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में क्यों चुना गया?
स्वतंत्रता आंदोलन (Freedom Movement) के दौरान कई वर्षों और महीनों के संघर्ष, कठिनाई और अहिंसा अभियानों के बाद ब्रिटिश संसद ने आखिरकार लॉर्ड माउंटबेटन (Lord Mountbatten) को 30 जून, 1948 तक सत्ता हस्तांतरित करने का जनादेश दिया. हालांकि माउंटबेटन ने इसे संशोधित कर 15 अगस्त 1947 को सत्ता सौंपने की तारीख निर्धारित कर दी. 15 अगस्त 1947 ही वह भाग्यशाली दिन था जब भारत को ब्रिटिश उपनिवेशवाद से स्वतंत्र घोषित किया गया और नियंत्रण की बागडोर देश के नेताओं को सौंप दी गई.
स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी (Independent India’s First Indian Governor General C Rajagopalachari) ने कहा कि दिन को दिन को इसलिए बदला गया, क्योंकि माउंटबेटन यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि उस दिन कोई रक्तपात, दंगा या हिंसा ने हो… गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी ने कहा कि अगर लॉर्ड माउंटबेटन ने 1948 तक इंतजार किया होता, तो सत्ता को स्थानांतरित करने के लिए नहीं छोड़ा जाता. इसलिए माउंटबेटन ने तारीख को अगस्त 1947 में स्थानांतरित कर दिया.
माउंटबेटन द्वारा दी गई समीक्षा के ठीक बाद 4 जुलाई, 1947 को ब्रिटिश संसद के हाउस ऑफ कॉमन्स (British Parliament’s House Of Commons) में भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित किया गया था. 18 जुलाई 1947 को, भारत स्वतंत्रता अधिनियम 1947 को शाही स्वीकृति दी गई और यह लागू हो गया और इसने भारत में ब्रिटिश शासन (British Rule) का अंत किया.
फ्रीडम एट मिडनाइट (Freedom at Midnight) में लॉर्ड माउंटबेटन के हवाले से बताया गया कि उन्होंने भारत के स्वतंत्रता दिवस की तारीख के रूप में 15 अगस्त को ही क्यों चुना? किताब के अनुसार माउंटबेटन कहते हैं, ‘मैंने जो तारीख चुनी वो अचानक थी. मैंने यह तारीख एक सवाल के जवाब में चुना. मैं यह बताना चाहता था कि सबकुछ मेरे हाथ में है. उन्होंने जब मुझसे पूछा कि क्या मैंने कोई तारीख तय की है? तो मैं जानता था कि ये जल्दी होना चाहिए. मैंने तब तक कोई तारीख नहीं सोची थी, लेकिन मान रहा था कि ये अगस्त या सितंबर का महीना हो सकता है. इसके बाद मैंने 15 अगस्त कहा. क्योंकि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान के आत्मसमर्पण करने की ये दूसरी बरसी थी.’ इसके बाद ही भारत की आजादी के बिल में 15 अगस्त की तारीख तय की गई.
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