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यहूदी कौन से भगवान को मानते हैं?
इसे सुनेंरोकेंयहोवा : यहूदी अपने ईश्वर को यहवेह या यहोवा कहते हैं. यहूदी मानते हैं कि सबसे पहले ये नाम ईश्वर ने हजरत मूसा को सुनाया था. ये शब्द ईसाईयों और यहूदियों के धर्मग्रंथ बाइबिल के पुराने नियम में कई बार आता है.
क्या यहूदी और ईसाई के बीच अंतर है?
इसे सुनेंरोकेंहज़रत मूसा के करीब दो हज़ार साल बाद हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम का जन्म हुआ जो खुद भी यहूदी जाति से थे। जैसा कि कुरआन में ज़िक्र है वह बिना बाप के कुँवारी माँ से पैदा हुए थे। यहूदियों ने उनका बहिष्कार औऱ उनको नही माना। जिन लोंगो ने हज़रत ईसा को प्रोफेट ऑफ गॉड माना और उनके अनुयायी बने वह ईसाई कहलाते हैं।
क्या यहूदी मुसलमान है?
इसे सुनेंरोकेंबताया जाता है कि याकूब ने 12 अलग-अलग जातियों को मिलाकर एक पूर्ण राष्ट्र इजरायल को बनाया था. याकूब के एक बेटे का नाम यहूदा था. उनके वंशज को आगे चल कर यहूदी कहलाए. दरअसल, हजरत अब्राहम को यहूदी, मुस्लिम और ईसाई तीनों ही अपना पितामह मानते हैं.
पारसी और यहूदी में क्या अंतर है?
इसे सुनेंरोकेंपारसी धर्म में, अग्नि (अतर), स्वच्छ जल (अवन) के साथ मिलकर, अनुष्ठान शुद्धता के कारक हैं। हिन्दू और यहूदी धर्म में क्या समानता है? यहूदी धर्म में सिर्फ यहोवा को ही ईश्वर मानते हैं। मुझे यहूदी धर्म अच्छा लगता है।
यहोवा क्या है?
इसे सुनेंरोकेंयाहवे (en:Yahweh) यहूदी धर्म में और इब्रानी भाषा में परमेश्वर का नाम है। यहूदी मानते हैं कि सबसे पहले ये नाम परमेश्वर ने मूसा को सुनाया था। ये शब्द ईसाईयों और यहूदियों के धर्मग्रन्थ बाइबिल के पुराने नियम में कई बार आता है।
यहूदियों के पूर्वज कौन थे?
इसे सुनेंरोकेंयहूदी धर्म की शुरुआत प्रॉफेट अब्राहम या अबराहम से मानी जाती है, जो ईसा से लगभग 2,000 वर्ष पूर्व हुए थे। पैगंबर अब्राहम के पहले बेटे का नाम हजरत इसहाक और दूसरे का नाम हजरत इस्माइल था। दोनों के पिता एक थे किंतु मां अलग-अलग थीं। हजरत इसहाक की मां का नाम सराह था और हजरत इस्माइल की मां हाजरा थीं।
मुसलमान पहले कौन थे?
इसे सुनेंरोकेंइस्लाम के पहले नबी, मुसलमानों के अनुसार, पहला आदमी, हजरत एडम (अरबी में, आदम) और बाइबल में उल्लेखित थे, उन्हें भी मुसलमानों को पैग़म्बर के रूप में माना जाता है, हजरत मुहम्मद साहब को इस्लाम के अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण पैग़म्बर के रूप में माना जाता है।
ईसाई यहूदियों से नफरत क्यों करते हैं?
यहूदियों के धार्मिक स्थल को मन्दिर व प्रार्थना स्थल को सिनेगॉग कहते हैं। ईसाई धर्म व इस्लाम का आधार यही परम्परा और विचारधारा है। इसलिए इसे इब्राहिमी धर्म भी कहा जाता है।…
Classification | इब्राहिमी धर्म |
Scripture | तनख़ |
Theology | Monotheistic |
Leaders | Jewish leadership |
क्या पारसी और मुस्लिम के बीच अंतर है?
इसे सुनेंरोकेंइस्लाम की उत्पत्ति के पूर्व प्राचीन ईरान में जरथुष्ट्र धर्म का ही प्रचलन था। 7वीं शताब्दी में तुर्कों और अरबों ने ईरान पर बर्बर आक्रमण किया और कत्लेआम की इंतहा कर दी। पारसियों को जबरन इस्लाम में धर्मांतरित किया गया और जो मुसलमान नहीं बनना चाहते थे उनको कत्ल कर दिया गया।
क्या पारसी मुस्लिम होते हैं?
इसे सुनेंरोकेंअंततः एक पारसी देश शिया मुस्लिम बहुल देश बन गया। हालांकि सऊदी अरब वाले अब भी खुद को वास्तविक मुसलमान मानते हैं। उन्हें लगता है कि ईरानी पारसी के मुस्लिम बने जिनकी मुसलमानों से शत्रुता थी और भारतीयों के बारे में मानते हैं कि वे हिन्दू से मुस्लिम बने हैं।
पारसियों का प्रमुख त्यौहार कौन सा है?
इसे सुनेंरोकेंप्रमुख पारसी त्योहार जिसमें से पहला है नौरोज़: नौरोज़ या नवरोज़ ईरानी नववर्ष का नाम है, जिसे फारसी नया साल भी कहा जाता है और मुख्यतः ईरानियों द्वारा दुनिया भर में मनाया जाता है। दूसरा है खोरदादसाल: ये भी पारसी धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का एक प्रमुख त्योहार है।
प्राचीन काल में प्राचीन एशिया में दो प्रमुख धर्मो का उदय हुआ| इन दोनों धर्मो ने विश्व इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई| इन धर्मो में एक यहूदी धर्म और दूसरा
ईसाई धर्म था| यहूदी धर्म यहूदियों अथवा हिब्रू लोगो का धर्म है| वे लोग एक देवता के रूप में यहेवा या जेहोवा को अपना भगवान मानते है| यहूदियों का विश्वास है कि स्वयं भगवान ने मूसा नामक व्यक्ति के माध्यम से दस उपदेश दिए थे| यहूदी धर्म के उपदेश में एक ईश्वर में आस्था प्रकट की गयी है| हिब्रू लोग अपने आप को विशिष्ट प्रजा कहते है| उनके जीवन को निर्देशित करने वाले नियमो के प्रति भी इन उपदेशो में आस्था प्रकट की गयी है| इस धर्म का निर्माण अनेक प्राचीन सभ्यताओ के प्रभाव में हुआ है| यह धर्म की बुनयादी शिक्षा एक
ईश्वर
में विश्वास है| और ईश्वर यहेवा है| यहेवा अपनी प्रजा से प्रेम करता है| किन्तु जब वे कुमार्ग पर चलते है तो उन्हें सजा देता है| यहूदियों के कुछ पिछले पैगम्बर का कहना था कि ईश्वर मानवमात्र से प्रेम करता है और जो मनुष्य अपने बुरे कर्मो के लिए पश्चाताप करता है उसे ईश्वर माफ कर देता है| इस धर्म में न्याय, दया और विनम्रता की शिक्षा देता है| इस को मानने वाले लोगो का विश्वास है कि पापियों को पवित्र करने और संसार को पांप और दुष्टता से छुटकारा दिलाने के लिए मसीहा एक दिन
धरती पर जरुर आयेगा| यहूदियों को विश्वास है कि मसीह का अभी तक जन्म नहीं हुआ है|यहूदी धर्म | Judaism
यहूदी धर्म के उपदेश
यहूदी धर्म के सिद्धांत
यहूदी धर्म कब शुरू हुआ
इस धर्म का जन्म, विकास और प्रसार फिलिस्तीन में हुआ था| इस धर्म का उदय फिलिस्तीन की राजधानी जरुसलम में हुआ था| आज भी यह धर्म वहाँ पर जीवित है| फिलिस्तीन 70 ई में रोमन साम्राज्य का एक प्रदेश बन गया| इस काल- अवधि में यहूदियों ने फिलिस्तीन छोड़ दिया और संसार के विभिन्न भागो में जा बसे| उनके साथ उनका यह धर्म भी गया|
यहूदी धर्म का महत्व
किसी भी धर्म की उत्पति विशेष परिस्थिति और विशेष कारणों से होती है| जा नैतिकता, भ्रष्टाचार और अंधविश्वास अपनी चरम सीमा पर पहुँच जाता है तब तत्कालीन धर्म में लोगो की आस्था नहीं रहती है| तब जन समुदाय एक ऐसे धर्म की खोज करने लगता है जो उसे चरित्र निर्माण की शिक्षा दे| ऐसे ही समय में यह धर्म का उदय फिलिस्तीन में हुआ| इस धर्म ने यहूदियों को एकता के सूत्र में बाँधा और उनमे नैतिकता का विकास हुआ|
यहूदी धर्म का पवित्र ग्रंथ
यहूदियों का दो पवित्र ग्रंथ है| “ओल्ड टेस्टामेंट” और “ऐपो कूफा” | इन पुस्तकों में यहूदियों का इतिहास है| और वह धार्मिक नैतिक नियमवाली है जिनका उन्हें पालन करना है| इन्म्र पुराण, आख्यान तथा कविताएँ है| इन ग्रंथो में चिकित्सा और ज्योतिष की बाते भी है| यह पुस्तक यहूदियों के लिए पूज्य है|
यहूदी धर्म की पवित्र पुस्तक का नाम तोरह (Torah) है, और इस धर्म का पूजा स्थल सिनेनंग है|
लेखक
डॉ॰प्रभुनाथ