वर्ण और जन्मजात जाति में क्या अंतर है? - varn aur janmajaat jaati mein kya antar hai?

नमस्कार दोस्तों…आज हम आपको बताने जा रहे हैं “जाति और वर्ण” के बारे में. जैसा कि हम सब जानते हैं कि आज के समय में लोगों के बीच में इतना जातिवादी को लेके विवाद होते हैं और मतभेद बने रहते हैं. लेकिन क्या ये सही मायने में ठीक है? जी नहीं दोस्तों. हम सब एक ही मिट्टी से जन्मे है और हम में कोई भेद नहीं. इसलिए हमे जाति का मतभेद भुला के एक दूसरे को गले लगा लेना चाहिए.

दोस्तों आज का हमारा टॉपिक भी जाति और वर्ण के ऊपर है. जिसमे हम ये तो जानते हैं कि हमारी जाति क्या है लेकिन क्या आपको पता है कि आपका वर्ण कौन सा है. और यदि पता है तो आपको क्या ये पता है कि आपकी जाति क्या है?. इन्ही सब सवालों के उत्तर लेके आज हम आये हैं अपने आलेख में. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक। जो आपको जाति और वर्ण का मुख्य रूप समझने में मदद करेगा और दोनों की भिन्नता भी समझयेगा.

  • वर्ण क्या है | What is Varna in Hindi !!
  • जाति क्या है | What is The Caste in Hindi !!
  • Difference between Caste and Varna in Hindi | जाति और वर्ण में क्या अंतर है !!

वर्ण क्या है | What is Varna in Hindi !!

वर्ण एक संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ है “गुण, रंग और प्रवत्ति” होता है. इन्हे चार भागों में बाटा गया है. ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। पहले के समय में मनुष्यों को उनके कार्य के अनुसार चार वर्गों में बाटा गया. जिसमे जो लोग पूजा-पाठ व अध्ययन-अध्यापन आदि करते थे उन्हें ब्राह्मण माना गया और शासन-व्यवस्था तथा युद्ध कार्यों में संलग्न थे उन्हें क्षत्रिय माना गया. और जो लोग व्यापार करते थे वो वैश्य की श्रेणी में आये और अंत में श्रमकार्य व अन्य कार्य करने वाले लोग शूद्र की श्रेणी में आये.

वर्ण को इसलिए बनाया गया जिसके द्वारा लोगों को उनके गुण, कर्म और स्वाभाव के आधार पे अधिकार दिया जा सके. वर्ण को वंस के अनुसार नहीं कर्म के अनुसार बनाया गया है. जिसका मतलब ये था कि जब कोई व्यक्ति शूद्र के घर में जन्म लेके भी वो कर्म से ब्राह्मण, क्षत्रिय या वैश्य है तो वो शूद्र नहीं बल्कि कर्म द्वारा बना वर्ग माना जायेगा.

जाति क्या है | What is The Caste in Hindi !!

जाति का अर्थ होता है जो दो लोग मिलके एक संतान को जन्म दे सकते हैं वो समान जाति के होते हैं. जाति का सीधा सीधा रिश्ता जन्म से जुड़ा है. उदाहरण: जैसे एक लोमड़ी और एक शेर मिल के एक बच्चा नहीं पैदा कर सकते। तो वो दोनों अलग अलग जाति के होते हैं. लोमड़ी की जाति अलग है और शेर की जाति अलग है. उसी प्रकार एक आदमी और एक औरत एक जाति के माने गए है. और जो लोग ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्र, आदि को जाति समझता है वो गलत है. और जाति का सही उच्चारण जात है.

# वर्ण हमारे कर्म, गुण और प्रवृत्ति के आधार पे बनाये गए हैं और जाति जन्म के आधार पे.

वर्ण हमारे कर्मों को बताता है जबकि जाति हमारे वंश को.

# जब कोई व्यक्ति शूद्र, वैश्य परिवार में जन्म लेता है और कर्म से वो ब्राह्मण या क्षत्रिय बनता है तो उसका वर्ण ब्राह्मण या क्षत्रिय माना जायेगा जबकि जाति यदि मानव की है तो उसे बदला नहीं जा सकता। अर्थात कभी कोई जानवर और कोई औरत मिल के संतान को जन्म नहीं दे सकती।

# एक जाति के दो लोग ही उस जाति की संतान को जन्म दे सकती है. जबकि अलग वर्ण का व्यक्ति दूसरे वर्ण का बन सकता है.

# कुत्ता-कुतिया, गधा-गधी, शेर-शेरनी, आदमी-औरत आदि सभी अलग अलग जाति के हैं. और वर्ण के केवल आदमी-औरत की जाति के लिए होता है.

उम्मीद है दोस्तों आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी काफी पसंद आयी होगी. और यदि कोई त्रुटि आपको हमारे ब्लॉग में दिखाई दे या कोई मन में सुझाव या सवाल हो तो आप हमे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर के बता सकते हैं. हम पूरी कोशिश करेंगे आप की उम्मीदों पे खरा उतरने की. धन्यवाद !!

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Ankita Shukla

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वर्ण और जन्म जाति जाति में क्या अंतर है?

वर्ण और जन्मजात जाति में क्या अंतर है? इसे सुनेंरोकेंवर्ण हमारे कर्मों को बताता है जबकि जाति हमारे वंश को. # जब कोई व्यक्ति शूद्र, वैश्य परिवार में जन्म लेता है और कर्म से वो ब्राह्मण या क्षत्रिय बनता है तो उसका वर्ण ब्राह्मण या क्षत्रिय माना जायेगा जबकि जाति यदि मानव की है तो उसे बदला नहीं जा सकता।

वर्ण और जाति का क्या अर्थ है?

ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र आदि वर्णो को जाति के नाम से जाना जाने लगा। ब्राह्मण को ब्राह्मण जाति, क्षत्रिय को क्षत्रिय जाति, वैश्य को वैश्य जाति तथा शूद्र को शूद्र जाति से जाना जाने लगा। वर्ण के जाति में परिवर्तित होने का Page 9 मुख्य कारण बना जन्म एवं वंशानुगत व्यवसाय।

हिंदू धर्म में कितने वर्ण होते हैं?

"शूद्रों को भी दो श्रेणियों में बांटा गया है अर्थात दो प्रकार के शूद्र होते हैं, एक अबहिष्कृत और दूसरा बहिष्कृत | अर्थात सछूत शूद्र तथा दूसरा अछूत शूद्र । सछूत शूद्र जो द्विजों के बर्तन छू सकता है तथा अछूत शूद्र जो द्विजों के बर्तन नहीं छू सकता । " पिछड़ा वर्ग शूद्र वर्ण का ही अंग है।

वर्ण व्यवस्था और जाति व्यवस्था में क्या अंतर है?

दरअसल जाति और वर्ण तथा वर्ग को लेकर मुख्यधारा की भारतीय राजनीति सदैव ऊहापोह में रहती है. इसकी वजह है भारतीय समाज की अपनी विविधता. भारत में जाति व्यवस्था को लेकर तमाम सारे मिथ हैं.

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