उदाहरण की सहायता से क्या उत्पादन किया जाए - udaaharan kee sahaayata se kya utpaadan kiya jae

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[NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED] (पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न)

प्र० 1. अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याओं की विवेचना कीजिए।
उत्तर: अर्थव्यस्था की केन्द्रीय समस्याएँ इस प्रकार हैं-
(i) किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाए और कितनी मात्रा में प्रत्येक समाज को यह निर्णय करना होता है कि यह किन वस्तुओं का उत्पादन करे और कितनी मात्रा में। यदि एक प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन अधिक किया जाए तो अर्थव्यवस्था में दूसरी प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन कम हो सकता है तथा विपरीत।। एक अर्थव्यवस्था को यह निर्धारित करना पड़ता है कि वह खाद्य पदार्थों का उत्पादन करे या मशीनों का, शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर खर्च करे या सैन्य सेवाओं के गठन पर, उपभोक्ता वस्तुएँ बनाए या पूँजीगत वस्तुएँ। निर्णायक सिद्धान्त यह है कि ऐसे संयोजन का उत्पादन करें, जिससे कुल समाप्त उपयोगिता अधिकतम हो।
(ii) वस्तुओं का उत्पादन कैसे करें-सभी वस्तुओं का उत्पादन कई तकनीकों द्वारा हो सकता है किसी वस्तु के उत्पादन में श्रम प्रधान तकनीक का प्रयोग करें या पूंजी प्रधान तकनीक का, यह निर्णय लेना होता है। इसके लिए निर्णायक सिद्धान्त यह है कि ऐसी तकनीक का प्रयोग करें, जिसका औसत उत्पादन लागत उत्पादन न्यूनतम हो।
(iii) उत्पादन किसके लिए करें–अर्थव्यवस्था में उत्पादित वस्तुओं की कितनी मात्रा किसे प्राप्त होगी अर्थव्यवस्था के उत्पादन को व्यक्ति विशेष में किस प्रकार विभाजित किया जाए। यह आय के वितरण पर निर्भर करता है। यदि आय समान रूप से विभाजित होगी, तो वस्तुएँ और सेवायें भी समान रूप से विभाजित होंगी। निर्णायक सिद्धान्त यह है कि वस्तुओं और सेवाओं को इस प्रकार वितरित करो कि बिना किसी को बतर बनाये किसी अन्य को बेहतर न बनाया जा सके।

प्र० 2. अर्थव्यवस्था की उत्पादन संभावनाओं से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर: किसी अर्थव्यवस्था के संसाधनों का प्रयोग करके दो वस्तुओं के जिन भी संयोजनों का उत्पादन करना संभव है। वे उत्पादन संभावनाएँ कहलाती हैं।

प्र० 3. सीमान्त उत्पादन संभावना क्या है?
उत्तर: सीमान्त उत्पादन संभावना दो वस्तुओं के उन संयोगों को दर्शाती है, जिनका उत्पादन अर्थव्यवस्था के संसाधनों का पूर्ण रूप से उपयोग करने पर किया जाता है। यह एक वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई प्राप्त करने की अवसर लागत है।

प्र० 4. अर्थव्यवस्था की विषय वस्तु की विवेचना कीजिए।
उत्तर: अर्थव्यवस्था की विषय वस्तु बहुत व्यापक है। प्रो. रोबिन्स के अनुसार, “अर्थशास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जो दुर्लभ संसाधनों जिनके वैकल्पिक उपयोग हैं के विवेकशील प्रयोग पर केन्द्रित हैं।”
अर्थशास्त्र एक विषय वस्तु है जो दुर्लभ संसाधनों के विवेकशील प्रयोग पर इस प्रकार केन्द्रित है, जिससे कि हमारा आर्थिक कल्याण अधिकतम हो। अर्थशास्त्र के विषय वस्तु को दो भागों में वर्गीकृत किया गया है।
(क) व्यष्टि अर्थशास्त्र-यह आर्थिक समस्याओं तथा आर्थिक मुद्दों का अध्ययन व्यक्तिगत उपभोक्ता या व्यक्तिगत उत्पादक या उनके छोटे से समूह को ध्यान में रखकर करता है।
(ख) समष्टि अर्थशास्त्र-समष्टि अर्थशास्त्र संपूर्ण अर्थव्यवस्था के स्तर पर आर्थिक समस्याओं और आर्थिक मुद्दों को अध्ययन करता है।

प्र० 5. केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था तथा बाजार अर्थव्यवस्था के भेद को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: 

प्र० 6. सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर: सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण के अन्तर्गत हम यह अध्ययन करते हैं कि विभिन्न कार्यविधियाँ किस प्रकार कार्य करती हैं।
उदाहरणत: जब हम कहते हैं कि कीमत के बढ़ने से माँग की मात्रा कम हो जाती है और कीमत कम होने से माँग की मात्रा बढ़ जाती है तो यह सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण है।

प्र० 7. आदर्शक आर्थिक विश्लेषण से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर: आदर्शक आर्थिक विश्लेषण में हम यह समझाने का प्रयास करते हैं कि ये विधियाँ हमारे अनुकूल हैं भी या नहीं। उदाहरण के लिए जब हम कहते हैं कि सिगरेट और शराब की माँग कम करने के लिए उनके ऊपर कर की दरें बढ़ानी चाहिए तो यह आदर्शक विश्लेषण है।

प्र० 8. व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

[MORE QUESTIONS SOLVED] (अन्य हल प्रश्न)

I. बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

1. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है?
(क) हमारी आवश्यकताएँ सदा संसाधनों से अधिक होती हैं।
(ख) हमारे संसाधन सदा आवश्यकताओं से अधिक होते हैं।
(ग) संसाधनों के वैकल्पिक प्रयोग नहीं होते।
(घ) इच्छाओं के वैकल्पिक प्रयोग होते हैं।

2. उस भौतिक समस्या का नाम बताइये जिसके कारण अर्थशास्त्र अध्ययन की एक विषय सामग्री के रूप में उभरा है।
(क) निर्धनता
(ख) बेरोजगारी
(ग) ‘दुर्लभता
(घ) उपरोक्त सभी

3. निम्नलिखित में से किसे व्यष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत अध्ययन किया जायेगा?
(क) कपड़ा उद्योग
(ख) बेरोजगारी
(ग) प्राथमिक क्षेत्र
(घ) उपरोक्त सभी

4. निम्नलिखित में से किसे समष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत अध्ययन किया जायेगा?
(क) उपभोक्ता व्यवहार
(ख) राष्ट्रीय आय
(ग) कीमत सिद्धान्त
(घ) कल्याण अर्थशास्त्र

5. बाजार अर्थव्यवस्था में उत्पादन …………… के लिए किया जाता है।
(क) लाभ
(ख) समाज कल्याण
(ग) सेवा
(घ) सरकारी जिम्मेदारी

6. ” क्या उत्पादन किया जाए ” का निर्णय लेने के लिए सिद्धान्त क्या है?
(क) जहाँ समग्र उपयोगिता अधिकतम हो।
(ख) जहाँ बिना किसी को बतर किये किसी को बेहतर न किया जा सके
(ग) जहाँ लागत न्यूनतम हो
(घ) उपरोक्त सभी

7. ” कैसे उत्पादन किया जाए ” का निर्णय लेने के लिए सिद्धान्त क्या है?
(क) जहाँ समग्र उपयोगिता अधिकतम हो
(ख) जहाँ बिना किसी को बतर किये किसी को बेहतर न किया जा सके
(ग) जहाँ लागत न्यूनतम हो
(घ) उपरोक्त सभी

8. ” किसके लिए उत्पादन किया जाए ” का निर्णय लेने के लिए सिद्धान्त क्या है?
(क) जहाँ समग्र उपयोगिता अधिकतम हो।
(ख) जहाँ बिना किसी को बतर किये किसी को बेहतर न किया जा सके
(ग) जहाँ लागत न्यूनतम हो
(घ) उपरोक्त सभी

9. केन्द्रीय योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में केन्द्रीय समस्या का समाधान ………… द्वारा किया जाता है।
(क) कीमत तंत्र
(ख) सामाजिक तंत्र
(ग) सरकार द्वारा नियुक्त केन्द्रीय अधिकारी
(घ) इनमें से कोई भी

10. बाजार अर्थव्यवस्था में केन्द्रीय समस्या का समाधान …………. द्वारा किया जाता है।
(क) कीमत तंत्र
(ख) सामाजिक तंत्र
(ग) सरकार द्वारा नियुक्त केन्द्रीय अधिकारी
(घ) इनमें से कोई भी

11. PP वक्र बाईं ओर कब खिसकेगा?
(क) जब संसाधनों में वृद्धि हो
(ख) जब तकनीक में सुधार हो
(ग) जब संसाधनों का विनाश हो
(घ) जब संसाधनों का अल्प/अकुशल उपयोग हो रही हो।

12. एक अर्थव्यवस्था में शिक्षा का महत्व जानकर लोगों ने अपने बच्चों की शिक्षा पर बहुत ध्यान देना शुरू कर दिया। इससे उत्पादन संभावना वक्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
(क) PP वक्र दाँई ओर खिसकेगा
(ख) PP वक्र बाँई ओर खिसकेगी
(ग) PP वक्र से नीचे उत्पादन होगा
(घ) PP वक्र से ऊपर उत्पादन होगा

13. PP वक्र नतोदर क्यों होता है?
(क) अवसर लागत के कारण :
(ख) सीमान्त अवसर लागत के कारण
(ग) बढ़ती हुई सीमान्त अवसर लागत के कारण
(घ) उपरोक्त कोई भी

14. संसाधनों के कारण पूर्ण रोजगार के बावजूद एक अर्थव्यवस्था PP वक्र से नीचे कार्यशील हो सकती है यदि
(क) संसाधन प्राकृतिक हो
(ख) संसाधन मानवकृत हो
(ग) संसाधनों का कुशल प्रयोग न हो रहा हो
(घ) तकनीक पुरानी हो

प्र० 15-17 के उत्तर निम्नलिखित चित्र के आधार पर दें।


15. बिन्दु ‘A’ क्या दर्शाता है?
(क) संसाधनों का अल्प एवं अकुशल प्रयोग
(ख) संसाधनों का पूर्ण एवं कुशलतम प्रयोग
(ग) तकनीक में सुधार
(घ) अप्राप्य संयोग

16. बिन्दु ‘B’ क्या दर्शाता है?
(क) संसाधनों का अल्प एवं अकुशल प्रयोग
(ख) संसाधनों का पूर्ण एवं कुशलतम प्रयोग
(ग) तकनीक में सुधार
(घ) अप्राप्य संयोग

17. बिन्दु ‘U’ क्या दर्शाता है?
(क) संसाधनों का अल्प एवं अकुशल प्रयोग
(ख) संसाधनों का पूर्ण एवं कुशलतम प्रयोग
(ग) तकनीक में सुधार
(घ) अप्राप्य संयोग

उत्तर
1. (क)
2. (ग)
3. (क)
4 (ख)
5. (क)
6. (क)
7. (ग)
8. (ख)
9. (ग)
10. (क)
11. (ग)
12. (क)
13. (ग)
14, (ग)
15. (ख)
16. (घ)
17. (क)

II. (Short Answer Questions) (लघु उत्तरीय प्रश्न)

प्र० 1. बाजार अर्थव्यवस्था और केन्द्रीय योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: बाजार अर्थव्यवस्था और केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में अन्तर नीचे सारणी में दिया गया है-

प्र० 2. आर्थिक समस्या क्या है? यह क्यों उत्पन्न होती है?
अथवा
अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ क्यों उत्पन्न होती हैं?
उत्तर: अर्थव्यवस्था की आर्थिक समस्या संसाधनों की आबंटन की समस्या है। यह दुर्लभ संसाधनों के उपयोगों में चुनाव की समस्या है। प्रा. एरिक रोल के शब्दों में, “आर्थिक समस्या निश्चित रूप से चयन की आवश्यकता से उत्पन्न होने वाली समस्या है, जिसमें वैकल्पिक उपयोग वाले सीमीत संसाधनों का प्रयोग किया जाता है। यह संसाधनों के दोहन की समस्या है।”
आर्थिक समस्या उत्पन्न होने के कारण
(क) मानव की इच्छाएँ असीमीत हैं-मानव की इच्छाएँ गुणात्मक तथा मात्रात्मक दोनों रूप से असीमीत हैं। जैसे ही एक इच्छा पूर्ण होती है, एक अन्य इच्छा जन्म ले लेती हैं यदि इच्छाएँ सीमित होती तो एक समय ऐसा आता जब मनुष्य की सभी इच्छाएँ पूर्ण हो जाती, परन्तु ऐसा नहीं होता है क्योंकि इच्छाओं का कोई अन्त नहीं है, परन्तु सभी इच्छाएँ एक समान तीव्र नहीं होती हैं। कुछ इच्छाएँ अधिक तीव्र (जरूरी) होती हैं कुछ कम।
(ख) इच्छाओं की पूर्ति के साधन सीमीत हैं-इच्छाओं की तुलना में उनकी पूर्ति के साधन सीमीत होते हैं। यह बात एक व्यक्ति के लिए भी सत्य है तो एक संपूर्ण अर्थव्यवस्था के लिए भी। एक व्यक्ति की आय कितनी भी बढ़ जाये वह इतनी नहीं होती कि उसकी सभी इच्छाएँ पूर्ण हो सकें। इसी प्रकार अमीर से अमीर अर्थव्यवस्था में उत्पादन कारक-श्रम, पूंजी, भूमि एवं उद्यम इतने नहीं होते कि सभी वांछित वस्तुओं का उत्पादन किया जा सके।
(ग) साधनों के वैकल्पिक उपयोग हैं-साधन न केवल सीमीत हैं अपितु उनके वैकल्पिक उपयोग भी हैं। उदाहरण के लिए यदि एक श्रमिक है तो उसे कृषि में भी उपयोग किया जा सकता है तथा उद्योग में भी। इसी प्रकार यदि एक भूमि का टुकड़ा है तो उस पर स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, कृषि, उद्योग, घर आदि बन सकते हैं। एक प्रयोग करने पर हमें दूसरे प्रयोग का त्याग करना होगा। अतः साधनों के वैकल्पिक उपयोग होने के कारण हमें उनके सर्वोत्तम प्रयोग का चयन करना पड़ता है। अतः संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि इच्छाओं की तुलना में वैकल्पिक उपयोग वाले संसाधनों की दुर्लभता आर्थिक समस्या को जन्म देती है।

प्र० 3. अर्थव्यवस्था की तीन केन्द्रीय समस्याओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
अथवा
‘उत्पादन कैसे करें’ की केन्द्रीय समस्या का उदाहरण सहित व्याख्या करें।
अथवा
‘क्या उत्पादन किया जाए’ की समस्या स्पष्ट कीजिए।
अथवा
‘संसाधनों के आबंटन से संबंधित केन्द्रीय समस्याओं का संक्षेप में विवरण कीजिए।
अथवा
‘उत्पादन किसके लिए करें’ की केन्द्रीय समस्या स्पष्ट करें। (Delhi 2013, 14)
उत्तर:
1. क्या उत्पादन किया जाए – प्रत्येक अर्थव्यवस्था में असीमित मानव इच्छाओं तथा सीमित संसाधनों के कार यह निर्णय लेना पड़ता है कि क्या उत्पादन करें तथा कितनी मात्रा में उत्पादन करें। यदि एक अर्थव्यवस्था उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन अधिक करे तो वह पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन कम कर पायेगी। इसी प्रकार यदि आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन अधिक किया जाए, तो विलासिता की वस्तुओं का उत्पादन कम हो पायेगा। मार्गदर्शक सिद्धान्त–इसके लिए मार्गदर्शक सिद्धान्त यह है कि संसाधनों का आबंटन विभिन्न वस्तुओं के प्रयोग में इस प्रकार किया जाए, जिससे समस्त उपयोगिता अधिकतम हो।
2. उत्पादन कैसे किया जाए–प्रत्येक वस्तुओं का उत्पादन अनेक तकनीकों से किया जा सकता है। मुख्यतः दो प्रकार की तकनीकें हैं-श्रम प्रधान तकनीक तथा पूँजी प्रधान तकनीक। श्रम प्रधान तकनीक में श्रम अधिक तथा पूँजी कम प्रयोग होती है तथा पूँजी प्रधान तकनीक में पूँजी अधिक तथा श्रम कम प्रयोग होता है। यदि हमारी अर्थव्यवस्था में पूँजी अधिक है तो पूँजीप्रधान तकनीक का उपयोग करना चाहिए। यदि हमारी अर्थव्यवस्था में श्रम अधिक है, तो श्रम प्रधान तकनीक का प्रयोग करना चाहिए। मार्गदर्शक सिद्धान्त-मार्गदर्शक सिद्धान्त यह है कि ऐसी तकनीक का प्रयोग किया जाए जिससे प्रति इकाई उत्पादन लागत न्यूनतम हो।
3. किसके लिए उत्पादन करें-इस समस्या का संबंध उत्पादित पदार्थ व सेवाओं के वितरण की समस्या से है। जब ‘क्या उत्पादन करें’ तथा ‘कैसे उत्पादन करें’ की समस्या का समाधान हो जाता है तो प्रश्न उठता है कि इसका उपभोग कौन करेगा अर्थात् किसके लिए उत्पादन किया है। कार्ल मार्क्स (Karl Marx) के अनुसार, “प्रत्येक से क्षमता अनुसार, प्रत्येक को आवश्यकता अनुसार के आधार पर वितरण होना चाहिए।” अन्य विचारधारा के अनुसार उत्पादन का वितरण इस प्रकार हो, जिससे सभी को उपभोग की न्यूनतम मात्रा उपलब्ध हो सके। मार्गदर्शक सिद्धान्त-मार्गदर्शक सिद्धान्त यह है कि उत्पादन का वितरण इस प्रकार किया जाये कि किसी को बतर किये बिना किसी को बेहतर नहीं बनाया जा सकता।

प्र० 4. दुर्लभता और चयन का अटूट संबंध है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: यह कथन बिल्कुल सत्य है कि दुर्लभता और चयन का अटूट संबंध है। यदि संसाधन दुर्लभ न होते तो चयन की समस्या
जन्म ही न लेती। संसाधनों की दुर्लभता ही चयन की समस्या को मूल कारण है। संसाधन न केवल दुर्लभ हैं, बल्कि वैकल्पिक प्रयोग वाले हैं। इसीलिए अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करने के लिए व्यक्ति व समाज को संसाधनों के प्रयोग में चयन करना पड़ता है। इसीलिए यह कहा जाता है कि दुर्लभता ही सभी केन्द्रीय समस्याओं की जननी है।

प्र० 5. व्यष्टि अर्थशास्त्र तथा समष्टि अर्थशास्त्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: व्यष्टि अर्थशास्त्र तथा समष्टि अर्थशास्त्र में भेद नीचे दी गई तालिका में दिया गया है।

प्र० 6. अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ क्या हैं? इन समस्याओं को केन्द्रीय समस्या क्यों कहा जाता है?
उत्तर: अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ वे समस्याएँ हैं, जो प्रत्येक अर्थव्यवस्था में पाई जाती हैं चाहे वह विकसित हो, विकासशील हो या पिछड़ी हुई, चाहे बाजार अर्थव्यवस्था हो या केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था, चाहे अमीर अर्थव्यवस्था हो चाहे गरीब। ये समस्याएँ संसाधनों के आबंटन, संसाधनों के पूर्ण एवं कुशलतम प्रयोग तथा संसाधनों के विकास से संबंधित हैं। इन समस्याओं को केन्द्रीय समस्या कहा जाता है क्योंकि
(i) ये प्रत्येक अर्थव्यवस्था में देखने में आती हैं।
(ii) इसी के आधार पर अर्थव्यवस्था में अन्य समस्याएँ उत्पन्न होती हैं तथा हल किया जा सकता है।

प्र० 7. उत्पादन संभावना वक्र क्या है? एक उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: उत्पादन संभावना वक्र ऐसा वक्र है जो दो वस्तुओं के उन सभी संभव संयोजनों को प्रकट करता है, जिनका उत्पादन एक अर्थव्यवस्था उपलब्ध तकनीक और दिये हुए संसाधनों के पूर्ण व कुशलतम उपयोग द्वारा किया जा सकता है।
सीमित साधनों और दी गई तकनीक द्वारा दो वस्तुओं के उत्पादन की विभिन्न विधियां एक काल्पनिक अनुसूचि द्वारा दर्शायी गई हैं।


चूंकि संसाधन सीमित हैं, इसीलिए अर्थव्यवस्था संसाधनों के पूर्ण उपयोगों का चुनाव करने में एक वस्तु का उत्पादन बढ़ाने के लिए दूसरी वस्तु का उत्पादन कम करना होगा। यदि मशीनों का उत्पादन 0 हो तो गेहूं का उत्पादन 500 टन होगा। जैसे-2 मशीनों का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है, गेहूँ का उत्पादन कम होता है। यदि सभी संसाधन मशीनों के उत्पादन में लगा दें तो मशीनों का उत्पादन 4000 होगा, परन्तु गेहूं का उत्पादन शून्य होगा।

प्र० 8. उत्पादन संभावना वक्र की मान्यताओं का वर्णन करो।
उत्तर: उत्पादन संभावना वक्र की मान्यताएँ इस प्रकार हैं
(क) अर्थव्यवस्था में उपलब्ध संसाधनों की मात्रा निश्चित है।
(ख) सभी संसाधनों का पूर्ण एवं कुशलतापूर्वक प्रयोग किया जा रहा है।
(ग) उत्पादन तकनीक दी हुई है।
(घ) केवल दो वस्तुओं का उत्पादन हो रहा है।
(ड) संसाधनों की कुशलता सभी वस्तुओं के उत्पादन में एक समान नहीं है।

प्र० 9. उत्पादने संभावना वक्र नीचे की ओर ढालू क्यों होता है? (Foreign 2014)
उत्तर: उत्पादन संभावना वक्र नीचे की ओर ढालू होता है, क्योंकि अर्थव्यवस्था में दिये हुए संसाधनों के पूर्ण रोजगार होने पर तथा उनका कुशलतम प्रयोग की स्थिति में एक वस्तु का अधिक मात्रा में उत्पादन करना है, तो दूसरी वस्तु के उत्पादन की मात्रा में कमी करनी होगी। अन्य शब्दों में, एक वस्तु का उत्पादन बढ़ाने के लिए दूसरी अन्य वस्तु का उत्पादन कम करना होगा। जब अर्थव्यवस्था के सभी संसाधन पूर्णत: एवं कुशलतम रूप से उपयोग हो रहे हों, तो दोनों वस्तुओं के उत्पादन में एक साथ वृद्धि करना संभव नहीं, एक वस्तु का उत्पादन कम किये बिना भी दूसरे का उत्पादन बढ़ाना संभव नहीं है, अतः PP वक्र का आकार बाएं से दाएं नीचे की ओर ढालू होता है। इसे चित्र में दिखाया गया है।

प्र० 10. उत्पादन संभावना वक्र नतोदर क्यों होता है? (All India 2014)
उत्तर: सामान्यतः उत्पादन संभावना वक्र मूलबिंदु की ओर नतोदर होती है। कोई भी वक्र नतोदर तब होता है, जब उसका ढलान बढ़ रही हो। इसकी ढलान (slope) बढ़ती हुई सीमान्त अवसर लागत (Increasing marginal opportunity cost) है। दूसरे शब्दों में, जैसे जैसे—संसाधनों को एक वस्तु के उत्पादन से दूसरी वस्तु के उत्पादन में स्थानान्तरित किया जाता है तो वस्तु Y के उत्पादन की हानि के रूप में वस्तु X की प्रत्येक अतिरिक्त इकाई के उत्पादन की अवसर लागत में वृद्धि की प्रवृत्ति होती है ऐसा इसीलिए होता है, क्योंकि संसाधन प्रयोग विशिष्ट होते हैं। उदाहरणतः बिहार की भूमि आम की खेती के लिए अधिक उपयुक्त है तो उत्तर प्रदेश की भूमि गन्ने की खेती के लिए। एक व्यक्ति जो मशीनों के उत्पादन में सक्षम है, आवश्यक नहीं कि वह गेहूं के उत्पादन में भी उतना ही सक्षम हो। इसे चित्र द्वारा दर्शाया । गया है। प्रत्येक स्तर पर सीमान्त अवसर लागत या बढ़ती रूपान्तरण की सीमांत दर लगातार बढ़ रही है। इस बढ़ती सीमान्त अवसर लागत के कारण PP वक्र नतोदर हो जाता है।

प्र० 11. संसाधनों के अल्प उपयोग तथा संसाधनों के विनाश में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर: जब संसाधनों को अल्प उपयोग होता है तो यह बेरोजगारी को जन्म देता है। परिणामस्वरूप वास्तविक उत्पादन संभावित उत्पादन से कम होता है। इसे । दिए चित्र में बिन्दु ‘V’ से दिखाया गया है। संसाधनों के विनाश में PP वक्र पूर्णतः बाईं ओर खिसक जाता है इससे हैं अर्थव्यवस्था की उत्पादन क्षमता दोनों वस्तुओं के लिए कम हो जाती है। इसे नीचे दिये चित्र द्वारा दर्शाया गया है।


प्र० 12. नीचे दिये परिस्थितियों में PP वक्र पर पड़ने वाले प्रभावों को चित्र के माध्यम से दिखाइए।
(क) वस्तु x की उत्पादन तकनीक में सुधार
(ख) वस्तु y की उत्पादन तकनीक में सुधार
(ग) संसाधनों का विकास
(घ) अप्राप्य संयोग
उत्तर:


प्र० 13. अवसर लागत क्या है? एक संख्यात्मक उदाहरण की सहायता से समझाइए। (Delhi 2012, All India 2012)
उत्तर: अवसर लागत दूसरे अवसर की हानि के रूप में पहले अवसर को लाभ उठाने की लागत है। दूसरे शब्दों में, । “अवसर लागत को किसी साधन के उसके दूसरे सर्वश्रेष्ठ वैकल्पिक प्रयोग के मूल्य के रूप में परिभाषित कर सकते हैं।” उदाहरण के लिए जब हम वाणिज्य विषयों (Commerce subjects) को चुनते हैं तो हमें विज्ञान विषयों (Science subjects) का त्याग करना पड़ता है तो विज्ञान विषय हमारे वाणिज्य विषय चुनने की अवसर लागत हैं। इसी प्रकार यदि एक व्यक्ति ने M.A. (Economics) किया है तो वह शिक्षक बनकर 40000, किताबें लिखकर 50000 तथा अर्थशास्त्री बनकर 70000 कमा सकता है तो अर्थशास्त्री बनने के लिए उसे किताबें लिखने तथा शिक्षक बनने के अवसर को छोड़ना होगा, परन्तु उसकी अवसर लागत (Opportunity cost) 50000 है। क्योंकि यह दूसरा सर्वश्रेष्ठ वैकल्पिक प्रयोग है।

प्र० 14. सीमान्त अवसर लागत से आप क्या समझते हैं? एक काल्पनिक अनुसूचि द्वारा समझाओ। (CBSE 2012)
उत्तर: सीमान्त अवसर लागत जिसे रूपान्तरण की सीमान्त दर भी कहा जाता है, परन्तु x की प्रत्येक अतिरिक्त इकाई के लिए वस्तु y के उत्पादन का त्याग है।
बीजगणितीय रूप से, सीमान्त अवसर लागत = –
Δy = वस्तु के उत्पादन में वृद्धि
Δx = वस्तु x के उत्पादन में वृद्धि।
इसे दी गई अनुसूची द्वारा दर्शाया गया है।


A से B पर जाने के लिए वस्तु ख की 5 इकाइयों का त्याग करके वस्तु क की 1 इकाई उत्पादित हो रही है। इसी प्रकार B से C पर जाने के लिए वस्तु ख की 10 इकाइयों का त्याग करके वस्तु क की 1 इकाई उत्पादित हो रही है। इसी प्रकार संयोग F तक यह 25 : 0 हो गया है। इसीलिए PP वक्र को रूपान्तरण वक्र भी कहा जाता है।

III. (Long Answer Questions) (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)

प्र० 1. केन्द्रीय समस्याएं क्यों उत्पन्न होती हैं? संसाधनों के आबंटन की समस्या की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: केन्द्रीय समस्याएँ उत्पन्न होने के पीछे तीन मूलभूत कारण हैं
(क) मानव आवश्यकताएँ असीमीत हैं-मानव की आवश्यकताएँ असंख्य तथा असीमित हैं जैसे ही एक इच्छा पूर्ण होती है। एक अन्य इच्छा जन्म ले लेती है। यदि इच्छाएँ सीमित होती तो एक समय ऐसा आता है। जब मनुष्य की सभी इच्छाएँ पूर्ण हो जाती, परंतु ऐसा नहीं होता क्योंकि इच्छाओं का कोई अन्त नहीं है। परंतु सभी इच्छाएँ एक समान तीव्र नहीं होती। कुछ इच्छाएँ जरूरी होती हैं। कुछ कम जरूरी होती हैं। अतः इच्छाओं का प्राथमिकीकरण करना सहज हो जाता है।
(ख) सीमित साधन–इच्छाओं की तुलना में उनकी पूर्ति के साधन सीमित होते हैं। यह बात एक व्यक्ति के लिए भी सत्य है। तो एक संपूर्ण अर्थव्यवस्था के लिए भी एक व्यक्ति की आये कितनी भी बढ़ जाये वह इतनी नहीं होती कि उसकी सभी इच्छाएँ पूर्ण हो सके। इसी प्रकार अमीर से अमीर अर्थव्यवस्था में उत्पादन कारक-श्रम, पूँजी, भूमि एवं उद्यम इतने नहीं होते कि सभी आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन किया जा सके।
(ग) साधनों के वैकल्पिक उपयोग-साधन न केवल सीमित हैं अपितु उनके वैकल्पिक उपयोग भी हैं। उदाहरण के लिए यदि एक श्रमिक है तो उसे कृषि में भी उपयोग किया जा सकता है तथा उद्योग में भी। इसी प्रकार यदि एक भूमि का टुकड़ा है तो उस पर स्कूल, कॉलेज, व अस्पताल, कृषि, उद्योग, घर आदि बन सकते हैं। एक प्रयोग करने पर हमें दूसरे प्रयोग का त्याग करना होगा। अतः साधनों के वैकल्पिक उपयोग होने के कारण हमें उनके सर्वोत्तम प्रयोग का चयन करना पड़ता है। अतः संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि इच्छाओं की तुलना में वैकल्पिक उपयोग वाले संसाधनों की दुर्लभता आर्थिक समस्या को जन्म देती है।
संसाधनों के आबंटन की समस्या की व्याख्या इस प्रकार है-
(1) क्या उत्पादन करें?
(2) कैसे उत्पादन करें?
(3) किसके लिए उत्पादन करें?
(1) क्या उत्पादन करें – प्रत्येक अर्थव्यवस्था में असीमित भाव व इच्छाओं तथा सीमित व संसाधनों के कारण यह निर्णय लेना पड़ता है कि क्यों उत्पादन करें तथा कितनी मात्रा में उत्पादन करें। यदि एक अर्थव्यवस्था उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन अधिक करें तो वह पूँजीकृत वस्तुओं का उत्पादन कम कर पायेगी। इसी प्रकार यदि आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन किया जाए तो विलासिता की वस्तुओं का उत्पादन कम हो जायेगा।
(2) कैसे उत्पादन करें-प्रत्येक वस्तुओं का उत्पादन अनेकों तकनीकों से किया जा सकता है। मुख्यतः दो प्रकार की तकनीकें हैं (1) श्रम प्रधान तकनीक तथा (2) पूंजी प्रधान तकनीक। श्रम प्रधान तकनीक में श्रम अधिक तथा पूंजी कम प्रयोग होती है। तथा पूँजी प्रधान तकनीक में पूँजी अधिक तथा श्रम कम प्रयोग होता है। यदि हमारी अर्थव्यवस्था में पूँजी अधिक है तो पूँजी प्रधान तकनीक का उपयोग करना चाहिये। यदि हमारी अर्थव्यवस्था में श्रम अधिक है, तो श्रम प्रधान तकनीक का प्रयोग करना चाहिए।
(3) किसके लिए उत्पादन करें-इस समस्या का संबंध उत्पादित पदार्थ व सेवाओं के वितरण की समस्या से हैं, जब क्या उत्पादन करें तथा कैसे उत्पादन करें की समस्या का समाधान हो जाता है, तो प्रश्न उठता है कि इसका उपभोग कौन करेगा अर्थात किसके लिए उत्पादन किया है। कार्ल मार्क्स (Karl Marx) के अनुसार, “प्रत्येक से क्षमता अनुसार, प्रत्येक की आवश्यकता के अनुसार के आधार पर वितरण होना चाहिए।” अन्य विचारधारा के अनुसार उत्पादन का वितरण इस प्रकार हो, जो सभी को उपयोग की न्यूनतम मात्रा उपलब्ध हो सके।

प्र० 2. उत्पादन संभावना वक्र क्या है? इस वक्र का प्रयोग करके ‘क्या उत्पादन करें कि केंद्रीय समस्या को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: उत्पादन संभावना वक्र ऐसा वक्र है जो दो वस्तुओं के उन सभी संभव संयोजनों को प्रकट करता है, जिनका उत्पादन,
एक अर्थव्यवस्था उपलब्ध तकनीक और दिये हुए संसाधनों के पूर्ण व कुशलतम उपयोग द्वारा किया जा सकता है। सीमित साधनों और दी गई तकनीक द्वारा दो वस्तुओं के उत्पादन की विभिन्न विधियाँ एक काल्पनिक अनुसूची द्वारा दर्शायी गई है।


चूंकि संसाधन सीमित हैं इसीलिए अर्थव्यवस्था संसाधनों के पूर्ण उपयोगों का चुनाव करने में एक वस्तु का उत्पादन बढ़ाने के लिए दूसरी वस्तु का उत्पादन कम करना होगा। यदि मशीनों का उत्पादन 0 हो तो गेहूं का उत्पादन 500 टन होगा। जैसे 2 मशीनों का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है गेहूँ का उत्पादन कम होता छ है। यदि संसाधन मशीनों के उत्पादन में लगा दें, तो मशीनों का उत्पादन 4000 होगा। परंतु गेहूं का उत्पादन शून्य होगा।

प्र० 3. एक उत्पादन संभावना वक्र खींचिए और चित्र में निम्नलिखित स्थितियों को समझाइएः
(i) संसाधनों का पूर्ण तथा कुशल प्रयोग
(ii) संसाधनों को अल्प प्रयोग
(iii) संसाधनों की संवृद्धि।


उत्तर:
(i) नीचे दिये गये चित्र में बिन्दु A संसाधनों के पूर्ण तथा कुशल उपयोग को दर्शा रहा है। इस बिन्दु तक पहुंचने के बाद वस्तु क का उत्पादन बढ़ाने के लिए वस्तु ख छ का उत्पादन कम करना होगा तथा वस्तु ख का उत्पादन बढ़ाने के लिए वस्तु क हिं का उत्पादन कम करना होगा।

(i) संसाधनों का अल्प उपयोग-इसे नीचे दिये गये चित्र में बिन्दु 0 के द्वारा दर्शाया गया है। यदि एक अर्थव्यवस्था बिन्दु V पर है अर्थात् PP वक्र के भीतर किसी बिन्दु पर है तो वह अल्प उपयोग हो रहे साधनों का प्रयोग करके वस्तु क या वस्तु ख या दोनों उत्पादन बढ़ा सकती है।

(ii) संसाधनों की संवृद्धि-इसे नीचे दिये चित्र में PP वक्र के दाईं ओर P1P1 पर खिसकने के द्वारा दर्शाया गया है। यदि अर्थव्यवस्था में संसाधनों की संवृद्धि हो जाए तो उसे अर्थव्यवस्था में सभी वस्तुओं का उत्पादन पहले से अधिक हो सकता है। इससे PP वक्र P1P1 वक्र की तरह हो जायेगा।

IV. (Solved Numerical Questions) (संख्यात्मक हल प्रश्न)

प्र० 1. नीचे दी गई तालिका से सीमान्त अवसर लागत ज्ञात करें तथा उत्पादन संभावना वक्र के आकार पर टिप्पणी दें।
उत्तर:


उत्पादन संभावना वक्र एक सीधी रेखा होगा, क्योंकि सीमान्त अवसर लागत बराबर है।

प्र० 2. एक व्यक्ति एक स्कूल में अध्यापक के रूप में पढ़ा रहा है। उसे Ph.D. करने के लिए 2 साल की छुट्टी लेनी | पड़ी। उसकी मासिक आय ₹ 18,500 थी। Ph.D. की फीस 30,000 थी। बताइए P.hd करने की अवसर लागत क्या थी?
उत्तर:
अवसर लागत = (18500 x 12 x 2) + 30000 = (18500 x 24) + 30000
= 444000 + 30000 = 4,74000

V. (HOTS Questions) (उच्च स्तरीय चिंतन कौशल प्रश्न)

प्र० 1. संसाधनों तथा इच्छाओं की दो-दो विशेषताएं बताइए।
उत्तर: संसाधनों की दो विशेषताएँ इस प्रकार हैं|
(i) संसाधन इच्छाओं की तुलना में सीमित हैं।
(ii) संसाधनों के वैकल्पिक उपयोग हैं।
इच्छाओं की दो विशेषताएं इस प्रकार हैं
(i) इच्छाएं असीमित/असंख्य हैं।
(ii) इच्छाओं की तीव्रता में अन्तर है, कुछ इच्छाएं अधिक तीव्र होती हैं तो कुछ कम।

प्र० 2. निम्नलिखित का अध्ययन समष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत होगा या व्यष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत?
(i) राष्ट्रीय आय
(ii) श्रमिकों का वेतन निर्धारण
(iii) शिक्षा क्षेत्र
(iv) प्राथमिक क्षेत्र
(v) बैंक उद्योग
(vi) कल्याण अर्थशास्त्र
उत्तर:
(i) राष्ट्रीय आय → समष्टि अर्थशास्त्र
(ii) श्रमिकों का वेतन निर्धारण → व्यष्टि अर्थशास्त्र
(iii) शिक्षा क्षेत्र → समष्टि अर्थशास्त्र
(iv) प्राथमिक क्षेत्र → समष्टि अर्थशास्त्र
(v) बैंक उद्योग → व्यष्टि अर्थशास्त्र
(vi) कल्याण अर्थशास्त्र → व्यष्टि अर्थशास्त्र

प्र० 3. क्या यह आवश्यक है उत्पादन वक्र सदा नतोदर हो? व्याख्या करो।
उत्तर: नही, यह आवश्यक नहीं है कि उत्पादन संभावना वक्र सदा नतोदर हो।
(i) स्थिति एक-जब सीमान्त अवसर लागत बढ़ रही हो तो PP वक्र नतोदर होगा। इसे दी गई अनुसूची तथा चित्र द्वारा दिखाया गया है।


(ii) स्थिति दो-जब सीमान्त अवसर लागत समान रहे तो PP वक्र एक सीधी रेखा होगा। इसे नीचे दी गई अनुसूची तथा चित्र द्वारा दिखाया गया है।

(iii) स्थिति तीनः जब सीमान्त अवसर लागत बढ़ रही हो तो PP वक्र नतोदर होगा। यह नीचे दी गई तालिका तथा चित्र द्वारा दिखाया गया है।

प्र० 4. निम्नलिखित परिस्थितियों में अवसर लागत क्या होगी?
(i) एक नौकरी करने वाले के लिए उच्चतर अध्ययन की
(ii) भूमि के एक टुकड़े पर आम का बगीचा लगाने की
(iii) एक विद्यार्थी के CA करने के लिए B.Com (H) तथा B.Com (P) को छोड़ना
(iv) एक अध्यापिका जो स्कूल छोड़कर अपना कोचिंग सेंटर शुरू कर रही है।
उत्तर:
(i) वह वेतन की राशि जो वह नौकरी प्राप्त करके अर्जित कर सकता था।
(ii) उस फसल की कीमत जो वह उस भूमि के टुकड़े पर उगा सकता है।
(iii) B.com (H) छोड़ना जो दूसरा सर्वश्रेष्ठ विकल्प है।
(iv) स्कूल से जो वेतन वह पा रही थी।

प्र० 5. एक अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी के कारण इसका उत्पादन क्षमता से कम है। सरकार रोजगार देने वाली योजनाएँ शुरू करती है। उत्पादन संभावना वक्र की । सहायता से इसके प्रभाव की व्याख्या कीजिए। (Delhi 2013)
उत्तर: ये योजनाएं शुरू करने से पूर्व अर्थव्यवस्था PP वक्र से नीचे थी। इन योजनाओं के उपरान्त यदि रोजगार दिये गये मजदूरों को वस्तु X के उत्पादन है। में लगाया गया तो PP वक्र U से A की ओर जायेगा। यदि रोजगार दिये गये मजदूरों को वस्तु Y के उत्पादन में लगाया गया तो PP वक्र U से B की ओर जायेगा। यदि रोजगार दिये गये मजदूरों को दोनों वस्तुओं के उत्पादन वस्तु में लगाया गया तो PP वक्र U से A और B के मध्य में कहीं जायेगा जैसे बिन्दु C

VI. (Value Based Questions) (मूल्य-आधारित प्रश्न)

प्र० 1. बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए हमें उत्पादन संभावना वक्र को दाँई ओर खिसकाने की आवश्यकता है। इसके लिए हम क्या कर सकते हैं?
उत्तर:
(i) तकनीक में सुधार द्वारा
(ii) शिक्षा तथा प्रशिक्षण के विस्तार से श्रम की उत्पादकता बढ़ाकर
(iii) संसाधनों का विकास करके
(iv) नए संसाधनों के अन्वेषण द्वारा

प्र० 2. भारत एक श्रम प्रधान देश है। इसे पूँजी प्रधान और श्रम प्रधान उत्पादन की तकनीक में से कौन-सी तकनीक अपनानी चाहिए?
उत्तर: यदि भारत में श्रम प्रधानता है तो श्रम की लागत पूँजी की लागत से कम होगी, परन्तु पूँजी की उत्पादकता श्रम की उत्पादकता से कहीं अधिक है। अतः कुल मिलाकर पूँजी प्रधान तकनीक से प्रति इकाई लागत न्यूनतम हो सकती है। परन्तु साथ ही श्रमिकों को रोजगार देना भी आवश्यूक है। अतः एक ऐसा मार्ग ढूंढा जाना चाहिए, जिसमें श्रमिकों को रोजगार भी मिल जाए तथा प्रति इकाई लागत भी न्यूनतम हो।

प्र० 3. असीमित मानव इच्छाओं की तुलना में वैकल्पिक प्रयोग वाले सीमित संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग के लिए ती उपाय बताइए।
उत्तर:
(i) संसाधनों का किफायतीकरण किया जाये ताकि संसाधनों का यथासंभव सर्वोत्तम प्रयोग किया जा सके।
(ii) संसाधनों को कम उत्पादक प्रयोगों से हटाकर अधिक उत्पादक प्रयोगों में लगाया जाये।
(iii) उत्पादन की श्रेष्ठ तथा बेहतर तकनीक अपनायी जाए।

प्र० 4. संसाधनों के कुशलतम प्रयोग के बावजूद भी बाजार अर्थव्यवस्थाएँ आय वितरण में असमानता को प्रेरित करती हैं। इस अवलोकन का वर्णन करें।
उत्तर: यह बिल्कुल सत्य है कि बाजार अर्थव्यवस्था में संसाधनों के कुशलतम प्रयोग के बावजूद भी अर्थव्यवस्थाओं में आय वितरण में असमानता अधिक होती है क्योंकि
1. संसाधनों का आबंटन उन वस्तुओं के उत्पादन के लिए किया जाता है, जो उत्पादकों को अधिक लाभ दे। अतः लाभदायक वस्तुओं का उत्पादन मुख्यतः उन उपभोक्ताओं को ध्यान में रखते हुए किया जाता है, जो | अधिक लाभ दे सकें और वे धनी वर्ग में ही होते हैं।
2. तकनीक में भी पूंजी प्रधान तकनीक का उपयोग होता है और पूंजी का निवेश पूंजीपतियों द्वारा होता है। इससे सकल घरेलू उत्पाद में ब्याज घटक कम होता जाता है, जबकि लाभ घटक बढ़ता जाता है।

प्र० 5. एक अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी के कारण इसका उत्पादन क्षमता से कम है। सरकार रोजगार देने वाली योजनाएँ शुरू करती है। उत्पादन संभावना वक्र की सहायता से इसके प्रभाव की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: यदि एक अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी के कारण उत्पादन अपनी पूर्ण क्षमता से कम है तो अर्थव्यवस्था उत्पादन संभावना सीमा से नीचे कार्यशील होगी। ऐसे में यदि सरकार रोजगार देने वाली योजनाएँ शुरू करती है, तो अर्थव्यवस्था में उत्पादन बढ़ेगा और वह अपने कुशलतम स्तर पर कार्यशील होगी। इसे नीचे दिए गए हैं चित्र द्वारा दिखाया गया है। जब अर्थव्यवस्था अपनी उत्पादन क्षमता से कम पर : E थी तो वह बिन्दु E पर थी। जब रोजगार देने वाली योजनाएँ शुरू की जायेंगी । तो वह बिन्दु E से बिंदु A (यदि उन्हें वस्तु X के उत्पादन में लगाया जाए) या (यदि उन्हें वस्तु X के उत्पादन में लगाया जाए) या बिन्दु B (यदि उन्हें वस्तु Y के उत्पादन में लगाया जाए) या बिंदु (यदि उन्हें दोनों के उत्पादन में लगाया जाए) पर खिसक जायेगी।

प्र० 6. सरकार द्वारा किए गए उपायों से बेरोजगारी कम हो जाती है। उत्पादन संभावना सीमा के संदर्भ में इसका आर्थिक मूल्य बताइए।
उत्तर: उत्पादन संभावना सीमा दाईं ओर खिसक जायेगी।

प्र० 7. सरकार ने विदेशी पूँजी को प्रोत्साहित करना शुरू कर दिया है। उत्पादन संभावना सीमा के संदर्भ में इसका आर्थिक मूल्य क्या है?
उत्तर: इससे उत्पादन संभावना सीमा ऊपर की ओर खिसक जायेगा।

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उत्पादन कैसे किया जाए?

उत्पादन कैसे किया जाए–प्रत्येक वस्तुओं का उत्पादन अनेक तकनीकों से किया जा सकता है। मुख्यतः दो प्रकार की तकनीकें हैं-श्रम प्रधान तकनीक तथा पूँजी प्रधान तकनीक। श्रम प्रधान तकनीक में श्रम अधिक तथा पूँजी कम प्रयोग होती है तथा पूँजी प्रधान तकनीक में पूँजी अधिक तथा श्रम कम प्रयोग होता है।

किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाए और कितनी मात्रा में?

वस्तुओं का उत्पादन किया जाए और कितनी मात्रा में ? प्रत्येक समाज को निर्णय करना पड़ता है कि प्रत्येक संभावित वस्तुओं तथा सेवाओं में से किन-किन वस्तुओं और सेवाओं का वह कितना उत्पादन करेगा। अधिक खाद्य पदार्थों, वस्तुओं या आवासों का निर्माण किया जाए अथवा विलासिता की वस्तुओं का अधिक उत्पादन किया जाए?

आर्थिक समस्या उत्पन्न होने के कारण क्या है?

अलग-अलग आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सीमित संसाधनों का होना और उनमे चयन करने की समस्या को ही आर्थिक समस्या कहते हैं। असीमित मानवीय आवश्यकता, सीमित साधन और संसाधनों के चुनाव की समस्या आर्थिक समस्या के तीन मुख्य कारण हैं।

अर्थव्यवस्था के उत्पादन संभावनाओं से आपका क्या अभिप्राय है?

अर्थव्यवस्था की उत्पादन संभावनाओं से हमारा अभिप्राय वस्तुओं और सेवाओं के उन संयोगों से है, जिन्हे अर्थव्यवस्था में उपलब्ध संसाधनों की मात्रा तथा उपलब्ध प्रौद्योगिकीय ज्ञान के द्वारा उत्पादित किया जा सकता हैं।

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