उत्सर्ग की भावना दुर्लभ है इन शब्दों का अर्थ क्या है? - utsarg kee bhaavana durlabh hai in shabdon ka arth kya hai?

नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
एक पुलिया के ऊपर पहुँचे ही थे कि एक टायर फिस्स करके बैठ गया। वह बहुत जोर से हिलकर थम गई। अगर स्पीड में होती तो उछलकर नाले में गिर जाती। मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा। वह टायरों की हालत जानते हैं फिर भी जान हथेली पर लेकर इसी बस से सफर कर रहे हैं। उत्सर्ग की ऐसी भावना दुर्लभ है। सोचा, इस आदमी के साहस और बलिदान भावना का सही उपयोग नहीं हो रहा है। इसे तो किसी क्रांतिकारी आंदोलन का नेता होना चाहिए। अगर बस नाले में गिर पड़ती और हम सब मर जाते तो देवता बाँहे पसारे उसका इंतजार करते। कहते- “वह महान आदमी आ रहा है जिसने एक टायर के लिए प्राण दे दिए। मर गया, पर टायर नहीं बदला।”

‘उत्सर्ग की भावना दुर्लभ है’ इन शब्दों का क्या अर्थ है?

  • निरंतर आगे बढ़ने की चाह
  • मुश्किल से उद्देश्य पाना
  • कंपनी का बस के प्रति मोह न त्यागना और उस निरंतर चलाना
  • लोगों के प्रति सचेत न होना।

Solution

C.

कंपनी का बस के प्रति मोह न त्यागना और उस निरंतर चलाना

उत्सर्ग की भावना दुर्लभ है '

कहते- “वह महान आदमी आ रहा है जिसने एक टायर के लिए प्राण दे दिए। मर गया, पर टायर नहीं बदला।” 'उत्सर्ग की भावना दुर्लभ है' इन शब्दों का क्या अर्थ है? लोगों के प्रति सचेत न होना।

उत्सर्ग की ऐसी भावना दुर्लभ है ऐसा लेखक ने क्यों कहा?

उत्तर : “उत्सर्ग की ऐसी भावना दुर्लभ है।” लेखक ने यह बात बस कंपनी के हिस्सेदार के लिए कही है। हिस्सेदार बस के टायरों की हालत जानता था फिर भी उसने टायर नहीं बदलवाया और धन कमाने के चक्कर में बस को चलाता रहा।

उत्सर्ग की ऐसी भावना दुर्लभ है बस की यात्रा पाठ में इन पंक्तियों का क्या आशय है?

उत्सर्ग की ऐसी भावना दुर्लभ है। सोचा, इस आदमी के साहस और बलिदान भावना का सही उपयोग नहीं हो रहा है। इसे तो किसी क्रांतिकारी आंदोलन का नेता होना चाहिए। अगर बस नाले में गिर पड़ती और हम सब मर जाते तो देवता बाँहे पसारे उसका इंतजार करते।

इसे तो किसी क्रांतिकारी आंदोलन का नेता होना चाहिए बस कंपनी के हिस्सेदार के संबंध में लेखक ने ऐसा क्यों कहा?

बस के हिस्सेदार को क्रांतिकारी का नाम लेखक क्यों देना चाहता था? उसे बस में बैठे लोगों की चिंता न थी। जिस प्रकार क्रांतिकारी एक उद्देश्य से बढ़ते हैं वैसे ही बस का हिस्सेदार भी किसी की परवाह किए बिना केवल बस को चलाने व लाभ कमाने के उद्देश्य से प्रेरित था। वह अपने उद्देश्य के प्रति कटिबद्ध था।

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