उल्लू रात में क्यों जाते हैं? - ulloo raat mein kyon jaate hain?

बिल्ली एवं अन्य कई जानवर रात्रि एवं अंधेरे में आसानी से देख पाते हैं जबकि इंसान अंधेरे में एवं रात्रि के समय अच्छे से नहीं देख पाते, इसका कारण इंसानों एवं इन जानवरो की आंखो की संरचना में कुछ अंतर होना है।

आइए सबसे पहले उन कारणों को जानते हैं जिसके कारण उल्लू रात्रि के समय एवं अंधेरे में अच्छे से देख पाता है जबकि दिन के समय उसे देखने में दिक्कत आती है-


उल्लू रात के अंधेरे में देख पाता है क्यों 

  • पहला कारण उल्लू की आंखें बहुत बड़ी होती है जो उसके शरीर का 5% होती हैं इस कारण जी प्रकाश को अधिक मात्रा में ग्रहण करते हैं जिसके कारण यह अंधेरे में भी अच्छी तरह देख पाते हैं जबकि अधिक प्रकाश होने पर इनकी आँखों में चकाचौंध हो जाता है।


  • उल्लू की आँखों में Rods अधिक मात्रा मे जबकि Cones कम मात्रा में होते हैं चूंकि Rods रात में देखने में सहायक होता है और उल्लू की आंखों में या अधिक मात्रा में होता है इसलिए उल्लू रात्रि में अच्छे से देख पाता है जबकि तथा Cones जो रंग पहचानते हैं उल्लू की आंखों में कम मात्रा में पाए जाते हैं जिसके कारण यह रंगों को नहीं समझ पाता है

उल्लू की आंख की संरचना
Photo-DavidDarling Info

  • उल्लू की आँखों की पुतलियाँ (Pupils)भी हमारी आँखों की अपेक्षा बड़ी होती हैं, जो रात में कम से कम प्रकाश को भी पर्दे तक पहुँचा देती है, जिससे पर्दे पर साफ और बड़ा प्रतिबिम्ब बनता है और उल्लू रात में भी देख पाता है।



  • उल्लू की आंख के पीछे एक प्रकार का दर्पण होता है जिसे टेपेटम ल्यूसिडम (tapetum lucidum) कहा जाता है, जब प्रकाश Rods से होकर जाता है और दर्पण से टकराता है, तो प्रकाश वापस Rods पर परावर्तित होता है अर्थात उल्लू को प्रत्येक बिट प्रकाश को पकड़ने के लिए 2 मौके मिलते हैं।

 

 

आंखे किस प्रकार काम करती हैं -

सामान्यतः उल्लू की आंखें इंसानों की आंखों की तरह ही कार्य करती हैं।


  • प्रकाश आंख की पुतली(Pupil) में आता है और आंख के पीछे के रिसेप्टर्स (Receptors) द्वारा ग्रहण किया जाता है। इसके पश्चात कुछ जटिल प्रक्रियाएं होती है फिर नसें प्रकाश के बारे में जानकारी हमारे मस्तिष्क तक ले जाती हैं

    इसे सुनेंरोकेंइनके शरीर का 5 प्रतिशत भाग पुतलियां होती हैं. आंखों की पुतली लेंस के समान काम करती है. पुतलियों का साइज जितना छोटा होता है, प्रकाश में देखने की क्षमता भी उतनी ही होगी और पुतलियों की साइज जितना बड़ा होगा वह अंधेरे में उतना ही साफ देख पाता है. यही वजह कि उल्लू को रात में सबसे साफ दिखाई देता है.

    उल्लू को रात में कौन सा रंग दिखता है?

    इसे सुनेंरोकेंअंटार्कटिका को छोड़कर पूरी धरती पर पाए जाते हैं। उल्लू ही एकमात्र ऐसा पक्षी है जो नीले रंग को आसानी से देख सकता है। उल्लू अपनी गर्दन को 270 डिग्री तक घुमा सकता है।

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    उल्लू का घर में आना क्या होता है?

    इसे सुनेंरोकेंशकुन शास्त्र के अनुसार, उल्लू का दिखना कई जगह शुभ माना जाता है तो कई जगह अशुभ माना जाता है। जैसे, अगर आप किसी यात्रा पर जा रहे हैं और रास्ते में उल्लू दिख जाए तो यह धन प्राप्ति का संकेत होता है। वहीं अगर उल्लू घर आ जाए तो यह हानिकारक माना जाता है, इससे घर की उन्नति रुक जाती है।

    क्या उल्लू दिन में क्यों नहीं देख पाता?

    इसे सुनेंरोकेंउल्लू की आंख उसके पूरे वजन का मात्र 5 प्रतिशत होती है यानि बहुत बड़ी होती है। जिसकी वजह ये बहुत मात्रा में लाइट कैप्चर करता है। इसी वजह से दिन में सूर्य की तेज रोशनी के कारण उल्लू की आंखें चौधिया जाती हैं और वे देख नहीं पाता है।

    क्या उल्लू को दिन में दिखता है?

    इसे सुनेंरोकेंउल्लू दिन में देख तो सकता है परन्तु आंखें बड़ी होने के कारण लाइट के अधिक कैप्चर के कारण इसके आगे चंदिया जाती है दिन में स्कोर देखने में उल्लू कठिनाई होती है।

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    उल्लू को दिन में क्यों नहीं दीखता?

    इसे सुनेंरोकेंउल्लू की आंखों में रोडस से अधिक होते हैं और कोन्स कम होते हैं जिससे उल्लू रंगों को समझ नहीं पाता आंखों की बड़ी होने के कारण या लाइट अधिक कैप्चर करता है और ज्यादा प्रकाश से इसकी आंखों में चकाचौंध हो जाती है इसलिए दिन में कम निकलता है।

    उल्लू का मांस क्या काम आता है?

    इसे सुनेंरोकेंक्यों अहम है दिवाली की रात लक्ष्मी का वाहन उल्लू : पुलिस का कहना है कि तांत्रिक धन-वैभव विभिन्न तरह के दोषों को मिटाने के लिए और माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए इस जीव की बलि देते हैं। भारतीय वन्य जीव अधिनियम, 1972 की अनुसूची-एक के तहत उल्लू संरक्षित है। ये विलुप्त प्राय जीवों की श्रेणी में दर्ज है।

    रात में उल्लू और चमगादड़ को कौन सा रंग दिखाई देता है?

    इसे सुनेंरोकेंजो रात में सक्रिय होते हैं उन्हें निशाचर जानवर कहा जाता है। निशाचर जानवरों के उदाहरण: चमगादड़, रेगिस्तानी चूहे, रेगिस्तानी सांप, उल्लू आदि है। रेगिस्तान में रहने वाले जानवर आमतौर पर दिन में भीषण गर्मी से बचने के लिए रात का समय लेते हैं। जो जानवर रात में जागते हैं वे केवल काले और सफेद रंग में ही चीजों को देख सकते हैं।

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    उल्लू को संस्कृत में क्या कहते हैं?

    इसे सुनेंरोकेंउल्लू में संस्कृत – हिन्दी-संस्कृत शब्दकोश | Glosbe. ऊँ गणानां त्वा गणपति ँ हवामहे प्रियाणां त्वा प्रियपति ँ हवामहे निधीनां त्वा निधिपते ँ हवामहे।

    रात में उल्लू को क्यों दिखाई देता है?

    इनके शरीर का 5 प्रतिशत भाग पुतलियां होती हैं. आंखों की पुतली लेंस के समान काम करती है. पुतलियों का साइज जितना छोटा होता है, प्रकाश में देखने की क्षमता भी उतनी ही होगी और पुतलियों की साइज जितना बड़ा होगा वह अंधेरे में उतना ही साफ देख पाता है. यही वजह कि उल्लू को रात में सबसे साफ दिखाई देता है.

    घर में उल्लू आने का क्या मतलब होता है?

    शकुन शास्त्र के अनुसार, उल्लू का दिखना कई जगह शुभ माना जाता है तो कई जगह अशुभ माना जाता है। जैसे, अगर आप किसी यात्रा पर जा रहे हैं और रास्ते में उल्लू दिख जाए तो यह धन प्राप्ति का संकेत होता है। वहीं अगर उल्लू घर आ जाए तो यह हानिकारक माना जाता है, इससे घर की उन्नति रुक जाती है।

    उल्लू को रात में क्यों दिखता है दिन में क्यों नहीं दिखता?

    उल्लू की आंखों में रोडस से अधिक होते हैं और कोन्स कम होते हैं जिससे उल्लू रंगों को समझ नहीं पाता आंखों की बड़ी होने के कारण या लाइट अधिक कैप्चर करता है और ज्यादा प्रकाश से इसकी आंखों में चकाचौंध हो जाती है इसलिए दिन में कम निकलता है।

    उल्लू को रात में कौन सा रंग दिखता है?

    जो जानवर रात में जागते हैं वे केवल काले और सफेद रंग में ही चीजों को देख सकते हैं। उनकी आँखें को रात के दौरान दृष्टि बढ़ाने के लिए संशोधित होती हैं उनके पास बहुत बड़ी पुतलियाँ होती हैं जैसे, उल्लू

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