दृष्टि के लिए कौन सा पाली महत्वपूर्ण है - drshti ke lie kaun sa paalee mahatvapoorn hai

आइए, पाली के प्रमुख आकर्षण और दर्शनीय स्थलों का अवलोकन करें। राजस्थान में सदैव कुछ अनूठा देखने को मिलता है।

  • रणकपुर जैन मंदिर

    प्राकृतिक सौन्दर्य के बीच, घाटियों से घिरा यह भव्य मंदिर, जैन समुदाय के लिए बड़ा तीर्थस्थल है। हीरे जैसे चमकते और तराशे गए यह मंदिर अलौकिक, अद्भुत और अद्वितीय हैं। एक जैन व्यापारी के पास दिव्य दृष्टि होने की मान्यता के बाद 15वीं शताब्दी में निर्मित, रणकपुर जैन मंदिर आदिनाथ को समर्पित है, जिन्हें जैन आध्यात्म विज्ञान में महत्वपूर्ण व्यक्तित्व माना जाता है। राज्य के शासक राणा कुंभा ने इन मंदिरों के निर्माण को प्रोत्साहन दिया। रणकपुर जैन मंदिर अरावली पहाड़ियों की एक श्रंखला में स्थित हैं। उल्लेखनीय है कि यह अनेक मंदिरों का एक परिसर है न कि मात्र एक मंदिर।

  • जवाई बांध

    लूणी नदी की उपनदी के पार निर्मित, जवाई बांध का निर्माण जोधपुर के महाराजा उम्मेद सिंह ने करवाया था। यह पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा बांध माना जाता है। जोधपुर शहर और पास पड़ौस के गाँवों के लिए पानी का एक प्राथमिक स्त्रोत होने के अलावा, सर्दियों में जवाई बांध प्रवासी पक्षियों, तेंदुए और मगरमच्छ के लिए स्वर्ग है।

  • परशुराम महादेव मंदिर

    एक गुफा में स्थित भगवान शिव को समर्पित परशुराम महादेव मंदिर के बारे में एक रोचक कथा प्रचलित है। मान्यता है कि भगवान विष्णु के अवतार परशुराम ने कुल्हाड़ी से गुफा बनाकर यहां भगवान शिव की पूजा की। समुद्र तल से 390 फीट से अधिक ऊपर, इस मंदिर में स्वाभाविक रूप से भगवान गणेश और भगवान शिव की प्रतिमाएं हैं।

  • निंबोका नाथ मन्दिर

    फालना और सांडेराव मार्ग पर भगवान शिव को समर्पित निंबोका नाथ मंदिर स्थित है। पौराणिक कथा के अनुसार पांडवों की मां कुंती भगवान शिव की पूजा करती थी और अपने निर्वासनकाल में अधिकांश समय उन्होंने महादेव की पूजा करते हुए बिताया था। पांडवों ने इस क्षेत्र में नवदुर्गा का निर्माण किया था। असीम शांति युक्त इस मंदिर में वर्ष भर पर्यटकों का तांता लगा रहता है। वर्ष पर्यन्त इस मंदिर में विभिन्न मेलों के आयोजन सम्पन्न होते हैं, जो लाखों श्रृद्धालुओं के साक्षी बनते हैं।

  • रणकपुर बाँध / सेतु ( डैम )

    रणकपुर डैम या बाँध पर्यटकों के लिए एक प्रसिद्ध गन्तव्य स्थल है, जहाँ आकर आप अपने कुछ फुर्सत के आरामदायक क्षण बिता सकते हैं। यह डैम एक शांतिपूर्ण, सुकून भरे गाँव में स्थित है जो कि ’रणकपुर’ कहलाता है और यह राजस्थान के पाली ज़िले में पड़ता है। रणकपुर के जैन मन्दिर के पास में स्थित यह डैम वास्तव में देखने लायक़ प्राकृतिक सुन्दरता का स्थान है जो कि शहर की कोलाहल भरी ज़िन्दगी से दूर, पूर्ण रूप से अवकाश बिताने की जगह है। यहाँ आने वाले और शांति खोजने वाले के लिए, साफ सुथरे पहाड़ों के बीच में इसका छलकता, मचलता पानी अपने मन को खींच कर बांधने के लिए काफी है। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय चारों तरफ हरियाली से घिरा यह डैम बहुत सुन्दर दिखाई देता है। आपकी चेतना को लुभाने के लिए और अपने व्यस्त समय में से चुपके से कुछ विलासपूर्ण क्षण चुका कर, इस जगह को अवश्य देखने आइए। आप डैम तक आसानी से पहुंच सकते हैं और प्रकृति के सब से उत्कृष्ट दृश्य, हसीन नज़ारे यहाँ देख सकते हैं।

  • समंद झील ( सरदार समंद )

    समंद झील जो कि ’सरदार समंद झील’ भी कहलाती है। जोधपुर से दक्षिण पूर्व की ओर लगभग 60 कि. मी. की दूरी पर, जोधपुर - पाली रूट से थोड़ा हट कर स्थित है। सन् 1933 में महाराजा उमेद सिंह द्वारा विकसित की गई यह झील, ’सरदार समंद लेक पैलेस’ ( महल ) के पास में ही स्थित है। इस झील की प्राकृतिक सुन्दरता को देखते हुए, इसे पक्षी पक्षियों का स्वर्ग कहलाने का श्रेय प्राप्त है। इस झील की ओर, स्थानीय के साथ साथ प्रवासी पक्षी भी आकर्षित होते हैं, जिन्हें यहाँ इकट्ठा होते देखकर बड़ा लुभावना दृश्य प्रतीत होता है। इस झील को जब आप देखने आएंगे तो आपपको यहाँ बहुत ही सुन्दर पक्षियों के झुंड क्षितिज की ओर उड़ते हुए या झील में तैरते हुए दिखाई देंगे, जैसे हिमालयन ग्रिफॉन ( हिमालयीय गिद्ध ), पीली टांगों वाले हरे कबूतर, डैलमेशियन ( चितकबरी हवासील / बत्तख ) और भी कई तरह की सुन्दर चिंिड़याँ। आइए, प्रकृति की प्राकृतिक और अद्भुत सुन्दरता को देखने के लिए आप समंद झील की यात्रा की योजना बनाइए। सरदार समंद लेक पैलेस के साथ में दिखाई देने वाली यह झील बहुत ही शांत और निर्मल दिखाई देती है। इस झील की तरफ आते हुए रास्ते में आपको एक वन्य जीव स्थल भी दिखाई देगा, जिसमें आप चिंकारा, नीलगाय और काले हिरण देख सकते हैं। इसके साथ ही आप यहाँ बिश्नोई समुदाय के गाँव भी देख सकते हैं जहाँ आप बिश्नोई जनजातीय समुदाय के लोगों को देख कर अपना अनुभव और अधिक समृद्ध कर पाएंगे।

  • सूर्य मन्दिर

    रणकपुर में स्थित सूर्य मंदिर एक बहुत प्रसिद्ध सूर्य मंदिर है, जो कि ’सूर्य नारायण मंदिर’ कहलाता है। पहली बार 13 वीं शताब्दी में बना यह मंदिर, पन्द्रहवीं शताब्दी मे पुनर्निर्मित करवाया गया था। इसका निर्माण ’नागारा’ स्टाइल में शोभायमान, सफेद चूना पत्थर से जटिल विस्तृत कला में करवाया गया है। इस मंदिर की सुसम्पन्न दीवारें इसे शानदार और विशाल रूप में स्थापत्य कला का बेमिसाल नमूना बनाती हैं। इस पवित्र स्थान में यह मंदिर पूर्व की ओर मुख किए हुए है तथा चिखारा के साथ ताज पहनाया हुआ है। मंदिर से पहले एक अष्टकोणीय मण्डप भी बना हुआ है। मण्डप के साथ बने हुए छः बरामदे, इस मण्डप की सुन्दरता को और बढ़ा देते हैं। जैसे ही आप मंदिर में क़दम रखेंगे, आपको सूर्य भगवान की शानदार मूर्ति एक रथ पर सवार दिखाई देगी। मंदिर की दीवारों पर शानदार नक़्काशी / संगतराशी में घोड़ों का विशाल समूह, खगोलीय पिण्डों की आकृतियों तथा योद्धाओं की आकृतियां नज़र आएंगी। गुज़रे ज़माने की कलात्मक उत्कृष्टता दर्शाते हुए, यह मंदिर स्थापत्य कला का और सुन्दरता का बेजोड़ नमूना है। रणकपुर का यह सूर्य मंदिर पूरे देश में असंख्य श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, जो कि सूर्य भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर में दर्शनार्थ आते हैं। इस मंदिर के पास के क्षेत्र में ही बने ’अम्बा माता मंदिर’ और रणकपुर के जैन मंदिर के दर्शन हेतु भी बहुत से श्रृद्धालु यहां आते हैं। इस मंदिर की देख रेख तथा प्रशासन, उदयपुर के राजसी परिवार के ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। आइए, यहां आकर इस मंदिर को अवश्य देखिए और इसके प्राचीन काल के वैभव तथा अद्भुत नक़्काशी / संगतराशी की महिमा और महत्व का आनंद लीजिए।

  • ओम बन्ना धाम

    जोधपुर शहर से लगभग 40 कि. मी. की दूरी पर स्थित एक पवित्र स्थान / समाधि है। ओम बन्ना जिन्हें ‘‘बुलेट बाबा’’ के नाम से भी जाना जाता है। उनके विषय में कहते हैं कि उनके पास एक 350 सीसी की रॉयल एनफील्ड बुलेट मोटर साईकिल थी। परन्तु इसी स्थान पर जहां पर समाधि बनी हुई है, एक एक्सीडेन्ट में उनका देहांत हो गया था। यह सन् 1988 की बात है। जब यह प्राणहर दुर्घटना घटित हुई तो पुलिस ने मोटर साईकिल अपने कब्जे में ले कर उसे पुलिस स्टेशन के अंदर पार्क कर दिया। लेकिन अगली सुबह कुछ असामान्य घटना घटित हुई। वह मोटर साईकिल फिर से उसी जगह मिली, जहाँ पर एक्सीडेन्ट हुआ था। पुलिस ने सोचा कि यह किसी की शरारत है और उन्होंने उस बाइक को दोबारा पुलिस स्टेशन में ले जाकर रख दिया। बार बार इस तरह की आसामान्य घटनाओं का क्रम देखने के बाद यहाँ के लोग विश्वास करने पर मजबूर हो गए कि यह सब ओम बन्ना की जादुई शक्तियों के कारण हो रहा है। आज आप उस मोटर साईकिल को यहाँ पर एक काँच के केस में रखी हुई देख सकते हैं और लोगों की भीड़ यहाँ पर पूजा करने के लिए आती रहती है। यदि आप इस समाधि को देखने आएंगे तो आप देखेंगे कि मोटर साईकिल पूरी तरह से उन श्रृद्धालुओं द्वारा बांधी गई मन्नत की डोरियों से पूरी तरह ढंक गई है जो कि श्रृद्धालु यहाँ आकर अपनी सुरक्षित यात्रा की कामना करने के लिए बांधने आते हैं। आइए, यहाँ तथा देखिए इस अद्भुत अनोखी समाधि को और कुछ अनोखा और विलक्षण महसूस कीजिए।

दृष्टि के लिए कौन सा लाभ महत्वपूर्ण है?

इसमें प्रकाशिक संकेतों को ग्रहण करने, उन्हें प्रसंस्कृत करने और उनके आधार पर क्रिया या प्रतिक्रिया करने की क्षमता प्रदान करती है। दृष्टि का मनुष्य के जीवन में बहुत बड़ा महत्व है। यह चारों ओर के पदार्थों के प्रत्यक्ष ज्ञान का साधन ही नहीं है वरन् मनुष्य के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है।

दूर दृष्टि दोष के लिए कौन सा लेंस का प्रयोग किया जाता है?

इस दोष का संशोधन आँखों के आगे उत्तल लेंस युक्त चश्मे के प्रयोग से किया जाता है।

अल्प दृष्टि के लिए कौन सा लेंस उपयुक्त है?

Detailed Solution. अल्प-दृष्टि दोष को निकट दृष्टि दोष कहा जाता है। अल्प-दृष्टि दोष के लक्षण दूर की वस्तुएं धुंधली दिखाई देती हैं, करीब की वस्तुएं सामान्य दिखाई देती हैं, सिरदर्द और आंखों में खिंचाव होता है। अवतल लेंस का उपयोग मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) को ठीक करने के लिए किया जाता है।

दृष्टि कितने प्रकार के होते हैं?

मुख्य रूप से तीन दृष्टिदोष होते हैं- (1) निकट दृष्टिदोष, (2) दूर दृष्टिदोष, (3) जरा-दृष्टिदोष.

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