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दूध खड़े होकर और पानी बैठकर ही क्यों पीना चाहिए? जानें क्या कहते हैं आयुर्वेद के नियम

आयुर्वेद के अनुसार खाने-पीने की चीजों को लेकर कई हैं, जिनका पालन न करने पर व्यक्ति को सेहत से जुड़ी कई समस्याएं पैदा होने लगती हैं। इन्हीं समस्याओं में से एक है पानी और दूध का गलत तरीके के सेवन। आइए ज

Manju Mamgainलाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीSat, 23 Jul 2022 11:07 AM

The right way to drink milk and water: अगर दूध पीने के बाद आपका भी पेट फूलने लगता है या आपको गैस बनने लगती है तो इसके पीछे दूध नहीं उसे पीने का गलत तरीका जिम्मेदार हो सकता है। जी हां, आयुर्वेद के अनुसार खाने-पीने की चीजों को लेकर कई हैं, जिनका पालन न करने पर व्यक्ति को सेहत से जुड़ी कई समस्याएं पैदा होने लगती हैं। इन्हीं समस्याओं में से एक है पानी और दूध का गलत तरीके के सेवन। आइए जानते हैं आखिर क्यों दूध खड़े होकर और पानी बैठकर पीने की सलाह दी जाती है।

दूध खड़े होकर क्यों पीना चाहिए?-
आयुर्वेद के अनुसार दूध ठंड, वात और पित्‍त दोष को बैलेंस करने का काम करता है। जो लोग बैठकर दूध पीते हैं उन्हें हाजमे की दिक्कत रहती है। यही वजह है कि आयुर्वेद में रात को सोने से पहले या शाम के भोजन के दो घंटे बाद दूध को हल्का गर्म करके खड़े होकर पीने की सलाह दी जाती है ताकि उसके पूरे लाभ व्यक्ति को मिल सके।

खड़े होकर दूध पीने के फायदे-
खड़े होकर दूध पीने से घुटने खराब नहीं होते हैं, मांसपेशियों के लिए फायदेमंद, कैंसर के खतरे को कम करता है, ह्वदय रोग व हाई ब्लड प्रेशर से सुरक्षा करता है साथ ही ये आपकी आंखों व स्किन के लिए भी गुणकारी होता है।

बैठकर क्यों पीना चाहिए पानी -
आयुर्वेद के अनुसार खड़े होकर पानी पीने से फूड और विंड पाइप में होने वाली ऑक्सीजन की सप्लाई रुक जाती है। जिसका असर न केवल फेफड़ों पर बल्कि दिल पर भी पड़ता है। इसके अलावा खड़े होकर पानी पीया जाए, तो पानी की अधिक मात्रा के कारण पेट के निचले हिस्से की दीवारों पर दबाव बनता है, जिससे पेट के आसपास के अंगों को बहुत नुकसान पहुंचता है। इस बुरी आदत के चलते कई लोगों को गठिया और हर्निया का शिकार होना पड़ता है। बिना रुके पानी पीने से एसिडिटी, गैस, डकारें आने जैसी समस्याएं भी होने लगती है। पानी कभी भी खड़े होकर मत पिएं। हमेशा बैठकर ही पानी पीना चाहिए।

बैठकर पानी पीने के फायदे-
अध्ययन के अनुसार पानी बैठकर पीने से पानी सही तरीके से पचकर शरीर के सभी सेल्स तक पहुंचता है। व्यक्ति की बॉडी को जितने पानी की अवश्यकता होती है उतना पानी सोखकर वह बाकी का पानी और टॉक्सिन्स यूरीन के जरिए शरीर से बाहर निकल देता है। बैठकर पानी पीने से खून में हानिकारक तत्व नहीं घुलते बल्कि ये खून साफ करते हैं। इसीलिए बैठकर पानी पीने को अच्छा माना जाता है।

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पानी पीने का भी एक तरीका होता है, चौंकिए मत, यह बिलकुल सच है। अब तक आपने सिर्फ क्या खाएं और कैसे खाएं के बारे में ही सोचा होगा, लेकिन क्या आपने कभी पानी पीने के सही तरीके के बारे में भी सोचा है। जी हां, ईटिंग हैबिट की तरह पानी पीने का सही तरीका अपनाना भी बेहद जरूरी है। पानी पीते वक्त हम ज्यादा सोचते नहीं हैं। जब हमें प्यास लगती है तब हम पानी के टेम्परेचर यानी कि ठंडा.गरम देखकर उसे झट से पी लेते हैं। घर में बड़े.बूढ़े अकसर ही कहते हैं कि खड़े होकर पानी नहीं पीना चाहिए, लेकिन हम उनकी इस हिदायत को हर बार नजरअंदाज करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि खड़े होकर पानी पीना आपके शरीर के लिए खतरनाक हो सकता है।

पेट की बीमारी

खड़े होकर पानी पीने से फूड पाइप के जरिए पानी तेजी से नीचे बह जाता है। इससे पेट के आस पास के अंगों को नुकसान पहुंचता है। इसकी वजह से पेट की बीमारी हो सकती है। खड़े होकर पानी पीने से प्यास पूरी तरह बुझ नहीं पाती है। और इसलिए आपको बार बार पानी पीने की इच्छा होती है। बेहतर होगा कि एक जगह बैठकर घूंट घूट पानी पिएं। इससे प्यास बुझ जाती है।

किडनी से जुड़ी समस्या 

किडनी का काम पानी को सही ढंग से छानना होता हैण् जब खड़े होकर पानी पीते हैं तो ये अपना कार्य ठीक तरह से नहीं कर पाती है। कारणवश, पानी सही तरह से छनता नहीं हैण् यूरीन साफ नहीं आता और गंदगी किडनी में ही रुक जाती है। इसके चलते किडनी की समस्या, यूरीन में इंफेक्शन और जलन महसूस होती है।

अर्थराइटिस 

खड़े होकर पानी पीने से पानी सीधा घुटनों में उतरता है, यानी जोड़ों में मौजूद तरल पदार्थों का संतुलन बिगड़ जाता है जिससे जोड़ों के दर्द की समस्या होने लगती है। दरअसल, इस आदत के चलते पानी का बहाव तेजी से आपके शरीर से होकर जोड़ों में जमा हो जाता है। जो बदले में हड्डियों और जोड़ों को खतरे में डाल सकता है। हड्डियों के जोड़ वाले हिस्से में तरल पदार्थ की कमी की वजह से जोड़ों में दर्द के साथ हड्डियां कमजोर होना शुरू हो जाती हैं। कमजोर हड्डियों के चलते व्यक्ति गठिया जैसी बीमारी से पीड़ित हो सकता है।

तनाव

तनाव बढ़ने की एक वजह आपका खड़े होकर पानी पीने की आदत है। दरअसल, खड़े होकर पानी पीया जाएए तो इसका सीधा असर तंत्रिका तंत्र पर पड़ता है। इस तरह से पानी पीने से पोषक तत्व पूरी तरह से बेकार हो जाते हैं और शरीर को तनाव का सामना करना पड़ता है।

जोड़ों में दर्द की शुरुआत 

आपने कई बार बड़ों को कहते सुना होगा कि खड़े होकर पानी पीने से घुटनों में दर्द होता है। यह सही है। इस आदत के चलते घुटनों पर दबाव पड़ने लगता है, जिससे आर्थराइटिस की समस्या हो सकती है।

बैठकर पानी पीने के फायदे

बैठकर पानी पीने से पानी सही तरीके से पचता है और सेल्स तक पहुंचता है, जितने पानी की शरीर को जरूरत होती है उसे सोखकर बाकी का पानी यूरीन के जरिए शरीर से बाहर निकलता है। इसमें शरीर के टॉक्सिन्स भी शामिल रहते हैं।

गरम पानी पीने से अतिरिक्त चर्बी नहीं बनती और वजन घटता है। पानी खून साफ करता है और घूंट.घूंटकर पानी पीते हैं तो इससे पेट में एसिड का स्तर नहीं बढ़ता बल्कि खराब एसिड शरीर से बाहर निकलता है।

दूध पीने से पहले जान लें कुछ जरूरी बातें

कमजोर पाचन, त्वचा संबंधी समस्याओं, खांसी, अपच और पेट में कीड़े जैसी समस्याओं से परेशान लोगों को दूध के सेवन से बचना चाहिए।

दूध को कभी भी भोजन के साथ नहीं पीना चाहिए क्योंकि यह जल्द हजम नहीं हो पाताण् इसे हमेशा अलग से गर्म करके पीना चाहिए।

आयुर्वेद के अनुसार रात को सोने से पहले दूध पीने के लिए जरूरी है कि आप शाम के भोजन के दो घंटे बाद ही इसे पिएं ताकि आपको रात को दूध पीने का लाभ मिल सके।

खड़े खड़े पिएं दूध

अक्सर बड़े बुज़ुर्ग लोग कहते है के पानी बैठ कर पियें और दूध खड़े होकर पीना चाहिए, इस से घुटने कभी खराब नहीं होंगे। इसलिए दूध को गर्म ही पियें और वो भी खड़े खड़े। दूध हम रोज पीते हैं लेकिन हमेशा बैठकर, जबकि इसका सही तरीका है खड़े होकर पीना। आयुर्वेद में बताया गया है कि दूध ठंडा, वात और पित्त दोष को बैलेंस करने का काम करता है। जो लोग बैठकर दूध पीते हैं उन्हें हाजमे की दिक्कत रहती है। इसीलिए आयुर्वेद के अनुसार रात को सोने से पहले दूध पीने के लिए जरूरी है कि आप शाम के भोजन के दो घंटे बाद ही इसे हल्का गर्म करके पिएं और खड़े होकर ताकि आपको रात को दूध पीने का लाभ मिल सके। खड़े होकर दूध पीने से घुटने खराब नहीं होते हैं।

बिना शक्कर मिला दूध

आमतौर पर लोगों की आदत होती है कि दूध में शक्कर मिलाकर पीते हैं। आयुर्वेद का मानना है कि यदि रात में बिना शक्कर मिला दूध पियेंगे तो वह अधिक फायदेमंद होगा। अगर हो सके तो दूध में गाय का एक या दो चम्मच घी भी मिला लेना चाहिए।

ताजा व जैविक दूध

इन दिनों हमारी जीवनशैली ऐसी है कि हम हर चीज पैकेट वाली इस्तेमाल करने लगे हैं। दूध भी अधिकतर लोग पैकेट वाला ही लेते हैं। पैकेट वाला दूध न ताज़ा होता है और न ही जैविक। आयुर्वेद के अनुसारए ताजाए जैविक और बिना हार्मोन की मिलावट वाला दूध सबसे अच्छा होता है। पैकेट में मिलने वाला दूध नहीं पीना चाहिये।

उबला दूध

कुछ लोगों को कच्चा दूध अच्छा लगता है। फ्रिज से दूध निकालकर बिना उबाले सीधे ही पी जाना सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता। आयुर्वेद मानता है कि दूध को उबालकर गर्म अवस्था में पीना चाहिए। अगर दूध पीने में भारी लग रहा हो तो उसमें थोड़ा पानी मिलाया जा सकता है। ऐसा दूध आसानी से पच भी जाता है।

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खड़े होकर क्यों पीना चाहिए?

खड़े होकर दूध पीने से घुटने खराब नहीं होते हैं, मांसपेशियों के लिए फायदेमंद, कैंसर के खतरे को कम करता है, ह्वदय रोग व हाई ब्लड प्रेशर से सुरक्षा करता है साथ ही ये आपकी आंखों व स्किन के लिए भी गुणकारी होता है। आयुर्वेद के अनुसार खड़े होकर पानी पीने से फूड और विंड पाइप में होने वाली ऑक्सीजन की सप्लाई रुक जाती है।

खड़े रहकर पानी पीने से क्या होता है?

कहा जाता है कि अगर आप खड़े होकर पानी पीते (Drinking Water) हैं तो ये सीधे आपको पांव में जाता है और इससे घुटने खराब होने का खतरा बढ़ जाता है. साथ ही खड़े होकर पानी पीना पेट के लिए भी खतरनाक माना जाता है.

खड़े होकर पानी क्यों नहीं पीना चाहिए?

खड़े होकर पानी पीने से पेट के निचले हिस्से की दीवारों पर दबाव बनता है, जिससे पेट के आसपास के अंगों को बहुत नुकसान पहुंचता है। इस बुरी आदत के चलते कई लोगों को हर्निया का शिकार होना पड़ता है। खड़े होकर पानी पीने की आदत की वजह से पानी का बहाव तेजी से आपके शरीर से होकर जोड़ों में जमा हो जाता है।

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