Har Ghar Tiranga : आजादी के 75 साल पूरे होने के अवसर पर भारत सरकार ने देश की जनता से अपने घरों में तिरंगा लगाने की अपील की है। अगर आप भी अपने घर में तिरंगा लगाने और फहराने जा रहे हैं तो आपको इससे जुड़े कायदे-कानून जान लेने चाहिए। इसके अपमान पर आपको जेल भी हो सकती है। भारत सरकार ने तिरंगा फहराने को लेकर कुछ नियम भी तय कर रखे हैं। राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के सम्मान के लिए इन नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है। 'फ्लैग कोड ऑफ इंडिया 2002' (भारतीय ध्वज संहिता) नाम के एक कानून में तिरंगे को फहराने के नियम निर्धारित किए गए हैं।
एडवाइजरी
1. खुले में 24 घंटे तक तिरंगा फहरा सकते हैं। जहां भी तिरंगा फहराया जाएगा, उसे पूरे सम्मान के साथ फहराएं। तिरंगे को पानी में नहीं भिगोना है, न ही किसी भी प्रकार इसे क्षति पहुंचानी है। ध्यान दें कि तिरंगे में केसरिया पट्टी सबसे ऊपर होनी चाहिए। तिरंगा आधा झुका, कटा और फटा नहीं होना चाहिए। इसे विधिवत ही फहराना होगा।
2. पहले, मशीन से बने और पॉलिएस्टर से बने राष्ट्रीय ध्वज को फहराने की अनुमति नहीं थी। लेकिन अब हाथ या मशीन से बना हुआ कपास/पॉलिएस्टर/ऊन/ रेशमी खादी से बना तिरंगा भी अपने घर पर फहराया जा सकता है।
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3. सरकार ने तिरंगे को किसी भी वक्त फहराने की अनुमति दे दी। अब इसे दिन रात 24 घंटे फहराया जा सकता है। इससे पहले तिरंगे को केवल सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराने की अनुमति थी।
4. झंडे का आकार आयताकार होना चाहिए।
5. इसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 का होना चाहिए।
6. अशोक चक्र का कोई माप तय नही हैं सिर्फ इसमें 24 तिल्लियां होनी आवश्यक हैं।
7. तिरंगा कभी भी फटा या मैला-कुचैला नहीं फहराया जाना चाहिए।
8. तिरंगे को किसी भी प्रकार के यूनिफॉर्म में प्रयोग में नहीं लाया जा सकता।
9. किसी भी स्थिति में तिरंगा जमीन को छूना नहीं चाहिए।
10. किसी अन्य झंडे को राष्ट्रीय ध्वज से ऊंचा नहीं रख या लगा सकते।
11. झंडे के किसी भाग को जलाने, नुकसान पहुंचाने के अलावा मौखिक या शाब्दिक तौर पर इसका अपमान करने पर तीन साल तक की जेल या जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
12. झंडे पर कुछ भी बनाना या लिखना गैरकानूनी है।
13. झंडा अगर फट जाए या फिर मैला हो जाए तो उसे एकांत में मर्यादित तरीके से नष्ट करना चाहिए।
14. तिरंगे को अपने पास पूरे सम्मान के साथ तह लगाकर रखना है। न फेंकना है न ही क्षति पहुंचानी है।
15. तिरंगा समय के साथ हवा से या किसी अन्य कारण गंदा हो जाए या फट जाए तो ऐसी स्थिति में निस्तारण बहुत ही सावधानी से करना है-
निस्तारण के दो तरीके
1.गाइडलाइन के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज के निस्तारण के दो तरीके हैं। एक दफन करना और दूसरा जलाना। बेहद गंदे या किसी कारण फट गए राष्ट्रीय ध्वज को दफन करने के लिए लकड़ी का ही बॉक्स लेना होगा। इसमें तिरंगे को सम्मानपूर्वक तह लगाकर रखना होगा। फिर बहुत ही साफ स्थल पर जमीन में दफन करना होगा। इसके बाद उस स्थान पर दो मिनट तक मौन खड़े रहना होगा।
2.दूसरा तरीका जलाने की है। इसके लिए साफ स्थान पर लकड़ी रखकर उसमें आग लगानी होगी। अग्नि के मध्य में इसे सम्मानपूर्वक तह लगाकर डालना होगा। किनारे से नहीं। नियम इसलिए बनाए गए हैं क्योंकि राष्ट्रीय ध्वज हमारा गर्व है।
Har Ghar Tiranga Camapaign: आजादी के 75वें साल पर के अवसर पर सरकार के द्वारा हर घर तिरंगा अभियान चलाया जा रहा है. ऐसे में घर पर राष्ट्रीय ध्वज नागरिकों को उसकी गरिमा और सम्मान के अनुरूप फहराना चाहिए. हमारा ध्वज राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है. उसके सम्मान और महत्व को ध्यान में रखते हुए उसे घरों, कार्यालयों, संगठनों/एजेंसियों और अन्य स्थानों पर फहराने के कुछ नियम हैं जिनका हमें पालन करना चाहिए.
भारतीय ध्वज संहिता 2002:
ध्वज संहिता के अन्तर्गत सभी नियमों, रिवाजों, औपचारिकताओं और निर्देशों को एक साथ लाने का प्रयास किया गया है. इसमें राष्ट्रीय ध्वज को अपने व्यक्तिगत प्रतिष्ठानों, घरों इत्यादि में फहराने से संबंधित नियम, कानून और परंपराओं का जिक्र है. यह संहिता 2002 में बनाई गई थी. इसमें संशोधन भी किया जा चुका है और अन्य प्रावधान जोड़े गए हैं.
घर में झंडा फहराने के नियम-
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घर में राष्ट्रीय ध्वज फहराते समय नागरिकों को राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा और सम्मान का पूरा ध्यान रखना चाहिए. इससे जुड़ी कुछ बातें हैं जिनका पालन करना करें-
- जब भी राष्ट्रीय ध्वज को प्रदर्शित किया जाता है,तो वह सम्मान की स्थिति में होना चाहिए.
- अगर राष्ट्रीय ध्वज क्षतिग्रस्त हो तो उसे प्रदर्शित नहीं किया जाना चाहिए.
- ध्वज पर कुछ भी लिखा या छपा नहीं होना चाहिए.
- किसी अन्य ध्वज या झंडे के साथ एक ही मास्टहेड(बराबर ऊंचाई)से झंडा ना फहरायें.
- ध्वज संहिता के भाग 3 की धारा IX में निहित प्रावधानों के अलावा किसी भी वाहन पर झंडा नहीं फहराया जाना चाहिए.
- जब राष्ट्रीय ध्वज को क्षैतिज रूप से प्रदर्शित किया जाता है,तो केसरिया रंग सबसे ऊपर होना चाहिए और जब लंबवत् (ऊर्ध्वाधर) प्रदर्शित किया जाता है तो केसरिया रंग की पट्टी दाईं ओर होनी चाहिए (यानी ध्वज के सामने खड़े व्यक्ति के लिए बाएं).
- जहां तक संभव हो ध्वज, इस संहिता के भाग-1 में निर्धारित विनिर्देशों के अनुरूप होना चाहिए.
- कोई अन्य झंडा राष्ट्रीय ध्वज से ऊपर और बराबर नहीं होना चाहिए. फूल, माला या प्रतीक सहित कोई भी चीज ना तो राष्ट्रीय के ऊपर और ना ही जिससे ध्वज फहराया जाता है उसके ऊपर रखी जानी चाहिए.
- महत्वपूर्ण राष्ट्रीय,सांस्कृतिक अवसरों और खेलों के दौरान जनता को कागज से बने ध्वज को लहराने की अनुमति है.
- समारोह समाप्त हो जाने के बाद कागज के झंडे को ना तो विकृत किया जाए और ना ही फेंका जाए. एकांत में पूरे सम्मान और मर्यादा के साथ उनका निपटान करें.