तिल के लड्डू में कितनी कैलोरी होती है? - til ke laddoo mein kitanee kailoree hotee hai?

आगे 5 मिनट के लिए गुड़ सिरप को उबाल लें। लाडू (हार्ड और सॉफ्ट) की बनावट गुड़ सिरप के स्थिरता पर निर्भर करती है।

  • अब गुड़ सिरप को पानी के कटोरे में छोड़ दें और गेंद बनाने की कोशिश करें। यदि गेंद बनाना और गुड़ को पानी में भंग करने में असमर्थ रहे, तो एक और 1 मिनट के लिए उबाल लें।

  • फ्लेम को बंद करें और भुना हुआ तिल के बीज जोड़ें।

  • इसके अलावा 2 टेबलस्पून मूंगफली, 2 टेबलस्पून काजू और ½ टीस्पून इलायची पाउडर जोड़ें।

  • सुनिश्चित करें कि सब कुछ अच्छी तरह से संयोजित है।

  • अब 5 मिनट के लिए या मिश्रण गाढ़ा होने तक ठंडा करें।

  • थोड़ी घी के साथ हाथ को ग्रीस करें और अपनी पसंद के आकार की गेंदों को तैयार करें।

  • अंत में, एक एयरटाइट कंटेनर में स्टोर करें और तिल लड्डू को सर्व करें और एक महीने के लिए इसका आनंद लें।

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    हमें अल्कोहल के सेवन से बचना चाहिए। अल्कोहल का अधिक मात्रा में सेवन करने से शरीर में इन्शुलिन अथवा ड्रग का प्रभाव बढ़ जाता है, जिससे शरीर में ब्लडशुगर कम होने के अवसर बढ़ जाते हैं। ब्लडशुगर कम होने से लीवर में ग्लूकोस का बनना भी कम हो जाता है। अल्कोहल के अत्यधिक सेवन के कारण कोलस्टेरोल तथा ट्राइग्लिसराइट की मात्रा बढ़ सकती है।

    स्वास्थ्य केन्द्र में Aspartame तथा Saccharine टेबलेट जैसे कृत्रिम स्वीटनर उपलब्ध हैं। ये टेबलेट सुरक्षित हैं तथा इनका कम मात्रा में सेवन किया जा सकता है।

    सूची सं. 8 के तहत दी गई सब्जियों में कम मात्रा में कैलोरी होती है और इन्हें इच्छानुसार खाया जा सकता है।

    ऐसे खाद्य पदार्थ जिनमें वसा एवं कोलेस्टेरोल की मात्रा अधिक होती है, उन्हें जहाँ तक हो सके नहीं खाना चाहिए।

    जैम, चॉकलेट, केक, मीठी क्रीम जैसे मीठे खाद्य पदार्थों को खाने से बचना चाहिए क्योंकि इन्हें खाने से ट्राइग्लिसराइड का लेवल बढ़ जाता है।

    सर्दी धीरे-धीरे कम हो रही है, संक्रांति भी आ गई है। इस मौके पर घर में तरह-तरह के पकवान बनते हैं। इन पकवानों में एक चीज कॉमन होती है और वो है तिल (Sesame Seeds)।

    मकर संक्रांति पर तिल के व्यंजनों का काफी महत्व होता है। तिल और गुड़ (Jaggery) को मिलाकर कई टेस्टी पकवान बनाए जाते हैं। गुड़ के साथ मिलकर तिल की न्यूट्रिशन वैल्यू और भी बढ़ जाती है। गुड़ खाने के फायदे (Healthy benefits of Jaggery) के बारे में जानने के लिए इस लिंक पर भी क्लिक कर सकते हैं।

    तिल सदियों से भोजन का एक अहम हिस्सा रहा है। कई लोग इसको टेस्ट के कारण तो कुछ इसके गुणों की वजह से इसका सेवन करते हैं। काफी लोगों को अभी भी इसके औषधीय गुणों (Medicinal properties) के बारे में जानकारी नहीं है। इसका सेवन शरीर को हेल्दी (Body healthy) रखने के साथ ही न्यट्रिशन संबंधी कई लाभ पहुंचाता है।

    कुछ लोग इन पारंपरिक फूड आयटम्स को बेकार मानते हैं। लेकिन उनको बताना चाहूंगा जब कोई मेडिसिन काम नहीं करती तो हमेशा घरेलू इलाज ही काम आते हैं। इसी तरह तिल भी एक घरेलू मेडिसिन की तरह ही काम करती है। उदाहरण के लिए देखें तो कोरोना महामारी के समय में जिन्होंने कभी जिंदगी में काढ़ा नहीं पिया था उन लोगों ने भी काढ़े का सेवन किया।

    जब कि हमारी दादा-नानी मेडिसिन की जगह ये देसी चीजों का सेवन करकेही अपने आपको फिट रखती थीं। 

    इसलिए आज इस आर्टिकल में मैं आपको तिल खाने के बेनिफिट्स के बारे में बताऊंगा, जिन्हें पढ़कर आप भी सर्दियों में इसे अपनी डाइट में शामिल करेंगे। सर्दियों में कौन से फूड्स खाने से शरीर गर्म बना रहता है इस बारे में जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं।

    तिल क्या है (What Is The Seasame Seeds / Til)

    तिल के लड्डू में कितनी कैलोरी होती है? - til ke laddoo mein kitanee kailoree hotee hai?
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    तिल मुख्यत: तीन रंग का होता है। सफेद, लाल एवं काला। 

    अधिकतर घरों में सफेद और काले तिल का इस्तेमाल किया जाता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में इसकी खेती होती है। इसका सेवन अधिकतर सर्दियों में किया जाता है। विदेशों में तिल का प्रयोग ताहिनी (Tahini) नाम के पेस्ट के रूप में किया जाता है।

    इसके पौधे में से तीखी महक आती है और यह लगभग 30-60 cm लंबा होता है। पौधे पर आने वाली फली के अंदर का बीज ही तिल होता है। अगस्त से अक्टूबर के बीच इसकी खेती उपयुक्त मानी जाती है।

    काला तिल सबसे अधिक, सफेद तिल मीडियम और लाल तिल सबसे कम फायदेमंद होता है।

    तिल यानी सीसेम सीड के फायदे (Benefits Of Seasame Seed / Til)

    1. न्यूट्रिशन और प्लांट प्रोटीन का है सोर्स

    तिल की न्यूट्रिशन वेल्यू काफी अधिक होती है इसलिए इसे काफी अच्छा माना जाता है।

    3 टेबल स्पून या 30 ग्राम तिल में लगभग 5 ग्राम प्रोटीन होता है। आपको तो अंदाजा है ही कि प्रोटीन शरीर के लिए कितना जरूरी होता है। प्रोटीन वेट लॉस और मसल्स गेन में  भी मदद करता है। (1)

    साथ ही तिल में फाइबर, ओमेगा 6, मोनोअनसैचुरेटेड फैट भी काफी मात्रा में होता है, जो इसे न्यूट्रिशन का कॉम्बो पैक बना देता है।

    28 gm तिल में ये न्यूट्रिशन होते हैं।

    • कैलोरी : 160 Cal
    • प्रोटीन : 5 gm
    • फाइबर : 3.3 gm
    • कॉपर : RDI का 57%
    • मैंगनीज : RDI का 34%
    • मैग्नीशियम : RDI का 25%
    • मोनोअनसैचुरेटेड फैट : 5.3 gm
    • ओमेगा 6, फैट: 6 gm

    RDI - Reference Daily Intake (रोजाना शरीर की जरूरत)

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    ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) की समस्या कई लोगों में देखने को मिलती है। इसका कारण होता है हड्डी कमजोरी होना।

    जानकारी के मुताबिक 35 साल की उम्र के बाद बोन मास कम होने लगता है और हड्डियां कमजोर होने लगती हैं।

    तिल को पका हुआ (Hulled) और बिना पका (Unhulled) खाने पर उसकी न्यूट्रिशन वेल्यू बदल जाती है। तिल में हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए निम्न न्यूट्रिशन पाए जाते हैं।

    • कैल्शियम (Calcium) : बिना पके हुए तिल में RDI का 22% और और पके हुए तिल में 1%
    • मैग्नीशियम (Magnesium) : बिना पके हुए तिल में RDI का 25% और पके हुए तिल में भी 25%
    • मैंगनीज (Manganese) : बिना पके हुए तिल में RDI का 19% और पके हुए तिल में भी 19%
    • जिंक (Zinc) : बिना पके हुए तिल में RDI का 21% और पके हुए तिल में 18%

    3. सूजन को कम कर सकता है

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    तिल के सेवन से कुछ हद तक सूजन में भी राहत मिल सकती है। लंबे समय तक रहने वाली सूजन से कई बीमारी भी हो सकती हैं। जैसे मोटापा (obesity), कैंसर (cancer), क्रोनिक कंडीशन (chronic conditions) और किडनी समस्या (kidney disease ) आदि। (3)

    स्टडी के मुताबिक यदि किडनी की समस्या में कोई इंसान 18 ग्राम फ्लेक्स सीड (flaxseed), 6 ग्राम तिल और कद्दू के बीज का सेवन 3 महीने तक करता है तो उसकी किडनी की समस्या 51 से 79 प्रतिशत तक कम हो सकती है। (4)

    आप चाहें तो डॉक्टर की सलाह पर इसका सेवन कर सकते हैं।

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    तिल में टाइरोसिन नाम का अमीनो एसिड होता है, जो सीधे सेरोटोनिन एक्टिविटी से जुड़ा होता है। सेरोटोनिन एक न्यूरोट्रांसमीटर है जो कि हमारे मूड को प्रभावित करता है। इसलिए इसके बैलेंस के लिए ऐसे फूड्स का सेवन करना चाहिए जो सेरोटोनिन में हाई होते हैं।

    ऐसे में तिल का सेवन करना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। और इसे आसानी से किसी भी विधि द्वारा खाया भी जा सकता है।

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    तिल के सेवन से इम्यूनिटी भी बढ़ सकती है। यह कई न्यूट्रीएंट्स का काफी अच्छा सोर्स है। इसमें जिंक, सेलेनियम, कॉपर, आयरन, विटामिन बी 6 और विटामिन ई अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं।

    शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं (white blood cells) को एक्टिव रखने और डेवलप करने के लिए जिंक की जरूर होती है। यह तिल में पाया जाता है। जिंक की कमी से भी आपकी इम्यूनिटी कमजोर हो सकती है।

    निष्कर्ष (Conclusion):

    अब आप समझ गए होंगे कि तिल और उससे बने फूड खाने के कितने फायदे हैं। तो देर किस बात की, आज से ही तिल और उससे बने फूड आदि को अपनी डाइट में किसी एक्सपर्ट से परामर्श लेकर शामिल करें। जिससे आपको इसके बेनिफिट्स मिल पाएं।

    (यह जानकारी विभिन्न रिसर्च और स्टडी के आधार पर दी गई है। किसी भी चीज का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।)

    तिल के लड्डू वजन घटाने के लिए अच्छे हैं?

    तिल के लड्डू खाने से भी आपको आसानी से वजन कम करने में मदद मिल सकती है क्योंकि इनमें फैट बर्निंग गुण होते हैं जो शरीर को टोन करने में मदद कर सकते हैं । अन्य लाभ यहां देखें। तिल के लड्डू जिंक से भरपूर होते हैं, जो कोलेजन निर्माण को बढ़ावा देते हैं और इस प्रकार एंटी-एजिंग और त्वचा की टोनिंग में मदद करते हैं।

    1 किलो लड्डू में कितनी कैलोरी होती है?

    एक मोतीचूर लड्डू की 204 कैलोरी देता है। जिसमें से कार्बोहाइड्रेट में 98 कैलोरी होती है, प्रोटीन में 15 कैलोरी होती है और शेष कैलोरी वसा से होती है जो 91 कैलोरी होती है। एक मोतीचूर लड्डू की 2,000 कैलोरी के एक मानक वयस्क आहार की कुल दैनिक कैलोरी आवश्यकता का लगभग 10 प्रतिशत प्रदान करता है।

    तिल के लड्डू खाने से क्या लाभ होता है?

    1 तिल्ली के लड्डू खाना पेट के लिए बहुत असरकारक होते हैं। ये कब्ज, गैस और एसिडटी को खत्म करते हैं और पेट साफ करने में भी काफी मददगार होते हैं। 2 ठंड के मौसम में खाने पर तिल्ली के लड्डू सर्दी के दुष्प्रभावों से बचाते हैं और शरीर में आवश्यक गर्माहट पैदा करने में विशेष रूप से मदद करते हैं।

    तिल के लड्डू में क्या पाया जाता है?

    तिल में जस्ता, कैल्शियम और फास्फोरस जैसे खनिज पाए जाते हैं जो शरीर की हड्डियों को मजबूत और जोड़ों के दर्द को कम करते हैं. तिल में सेसमीन और सेसमोलिन नाम के दो पदार्थ पाए जाते हैं जो कोलेस्ट्रॉल को काम करते हैं. तिल के लड्डू खाने से ही बीपी भी मेंटेन रहता है. काले तिल के लड्डू खाने से पाइल्स की समस्या दूर होती है.