स्वर संधि के पांच भेद कौन कौन से होते हैं? - svar sandhi ke paanch bhed kaun kaun se hote hain?

स्वर संधि के कितने भेद होते हैं | स्वर संधि के कितने प्रकार होते हैं | swar sandhi ke kitne bhed hote hain – हिंदी व्याकरण हिंदी भाषा का एक महत्वपूर्ण अंग हैं. तथा हिंदी भाषा को शुध्द रूप से लिखने और बोलने के लिए हिंदी व्याकरण में विभिन्न नियम दीए गए हैं. जिसका प्रयोग कर के कोई भी व्यक्ति हिंदी भाषा को आसानी से सिख सकता हैं. इस आर्टिकल में हम हिंदी व्याकरण के एक महत्वपूर्ण पाठ स्वर संधि और स्वर संधि के भेद या प्रकार के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करने वाले हैं.

  • संधि किसे कहते हैं?
  • संधि कितने प्रकार की होती हैं?
  • स्वर संधि किसे कहते हैं?
  • स्वर संधि के कितने भेद होते हैं | स्वर संधि के कितने प्रकार की होती हैं | swar sandhi ke kitne bhed hote hain
  • दीर्घ स्वर संधि किसे कहते हैं
  • गुण स्वर संधि किसे कहते हैं
  • वृध्दि संधि किसे कहते हैं
  • यण संधि किसे कहते हैं
  • अयादी संधि किसे कहते हैं
  • निष्कर्ष

संधि किसे कहते हैं?

दो वर्णों के मिलने से जो विकार उत्पन्न होता है. उसे ही संधि कहां जाता है.

संधि का उदाहरण:

  • विधा + आलय = विधालय
  • भानु + उदय = भानूदय

संधि कितने प्रकार की होती हैं?

संधि तीन प्रकार की होती है. यह तीन प्रकार की संधि निम्नलिखित हैं:

  • स्वर संधि
  • व्यंजन संधि
  • विसर्ग संधि

संधि के कितने भेद होते हैं | संधि के कितने प्रकार होते हैं

स्वर संधि किसे कहते हैं?

दो स्वरों के मिलने से जो विकार उत्पन्न होता है. उसे स्वर संधि कहा जाता है.

स्वर संधि के उदाहरण:

  • पर + उपकार = परोपकार
  • पुस्तक + आलय = पुस्तकालय
  • विधा + आलय = विधालय

इन उदाहरनो में दो स्वरो को मिलाया गया हैं. जिससे एक अलग नया शब्द बना हैं. यह सभी स्वर संधि के उदाहरन हैं.

सर्वनाम के कितने भेद होते हैं – सर्वनाम के कितने प्रकार होते हैं – सर्वनाम की परिभाषा

स्वर संधि के कितने भेद होते हैं | स्वर संधि के कितने प्रकार की होती हैं | swar sandhi ke kitne bhed hote hain

स्वर संधि पांच प्रकार की होती हैं. इन पांच प्रकारों के नाम निम्न अनुसार हैं:

  • दीर्घ स्वर संधि
  • गुण स्वर संधि
  • वृध्दि स्वर संधि
  • यण स्वर संधि
  • अयादी स्वर संधि

दीर्घ स्वर संधि किसे कहते हैं

जब एक ही स्वर के ह्रस्व और दीर्घ रूपों को संधि में मिलाया जाता हैं. तो दीर्घ स्वर बन जाता हैं. इस प्रकार की संधि को दीर्घ स्वर संधि कहा जाता हैं.

जैसे अ स्वर का ह्रस्व रूप अ और दीर्घ रूप आ को मिलाया जाता हैं. तो आ बन जाएगा.

samas ke kitne bhed hote hain – samas ke kitne prakar hote hain

दीर्घ स्वर संधि के उदाहरण

अ (ह्रस्व) + आ (दीर्घ) = आ

  • युग + अंतर = युगांतर
  • दिव्य + अस्त्र = दिव्यास्त्र
  • हस्त + अंतरण = हस्तांतरण
  • ध्वंस + अवशेष = ध्वंसावशेष
  • आग्नेय + अस्त्र = आग्नेयास्त्र
  • दिवस + अंत = दिवसांत
  • राष्ट्र + अध्यक्ष = राष्ट्राध्यक्ष
  • लोहित + अंग = लोहितांग (मंगल ग्रह)
  • नयन + अभिराम = नयनाभिराम
  • उदय + अचल = उदयाचल
  • अस्त + अचल = अस्ताचल
  • उप + अध्याय (अधि + आय) = उपाध्याय

वचन बदलो क्या हैं? चिड़िया का बहुवचन (chidiya ka bahuvachan)

इ / ई + इ / ई = ई

  • प्राप्ति + इच्छा = प्राप्तीच्छा
  • अति + इंद्रिय = अतींद्रिय
  • कवि + इंद्र = कवींद्र
  • गिरि + इंद्र = गिरींद्र
  • रवि + इंद्र = रवींद्र
  • मणि + इंद्र = मणींद्र
  • मुनि + इंद्र = मुनींद्र
  • अभि + ईप्सा = अभीप्सा (इच्छा)
  • प्रति + ईक्षित = प्रतीक्षित
  • परि + ईक्षित = परीक्षित
  • योगिन् + ईश्वर = योगीश्वर (न का लोप)
  • हरि + ईश = हरीश
  • प्रति + इत = प्रतीत

उ / ऊ + उ / ऊ = ऊ

  • कटु + उक्ति = कटूक्ति
  • गुरु + उपदेश = गुरूपदेश
  • वधू + उक्ति = वधूक्ति
  • सरयू + ऊर्मि = सरयूमि
  • सु + उक्ति = सूक्ति
  • सिंधु + ऊर्मि = सिंधूमि (समुद्र की लहर)
  • लघु + ऊर्मि = लघूर्मि
  • लघु + उत्तम = लघूत्तम

क्रिया विशेषण के कितने भेद होते हैं? – क्रिया विशेषण की परिभाषा

गुण स्वर संधि किसे कहते हैं

गुण संधि में दो भिन्न स्वरों के मिलने से एक अन्य स्वर बनता हैं. जैसे अ और इ के मिलने से ए बनता हैं. यहा अ और इ दो भिन्न स्वर हैं. तथा इन दोनों के मिलने से अन्य स्वर ए का निर्माण हुआ हैं.

इसी प्रकार अ या आ स्वर के बाद इ या ई आने पर ‘ए’ बन जाता हैं. अ या आ स्वर के बाद उ या ऊ आने के बाद ‘ओ’ बन जाता हैं. और अ या आ के ऋ आने के बाद ‘अर’ बन जाता हैं.

  • अ / आ + इ / ई = ए
  • अ / आ + उ / ऊ = ओ
  • अ / आ + ऋ = अर

विशेषण के कितने भेद होते हैं – विशेषण कितने प्रकार के होते हैं

गुण स्वर संधि के उदाहरण

  • महा + उत्सव : महोत्सव  (आ + उ = ओ)
  • धन + उपार्जन : धनोपार्जन(अ + उ = ओ)
  • आत्मा + उत्सर्ग : आत्मोत्सर्ग(आ + उ = ओ)
  • सुर + इंद्र : सुरेन्द्र(अ + इ = ए)
  • महा + ऋषि : महर्षि(आ + ऋ = अर)
  • वीर + उचित = वीरोचित
  • पाठ + उपयोगी = पाठोपयोगी
  • रमा + ईश = रमेश
  • हित + उपदेश = हितोपदेश
  • वार्षिक + उत्सव = वार्षिकोत्सव
  • चन्द्र + उदय = चन्द्रोदय
  • समुद्र + ऊर्मि = समुद्रोर्मि
  • मृग + इन्द्र = मृगेन्द्र
  • मानव + उचित = मानवोचित
  • नर + ईश = नरेश
  • महा + इन्द्र = महेन्द्र

वर्ण के कितने भेद होते हैं – वर्ण के कितने प्रकार होते हैं

वृध्दि संधि किसे कहते हैं

जब संधि करते समय अ या आ के बाद ए या ऐ आए तो ‘ऐ’, अ या आ के बाद ओ या औ आए तो ‘औ’ हो जाता हैं. यहा ऐ और औ वृध्दि स्वर कहा जाता हैं. तथा इस संधि को वृध्दि संधि कहा जाता हैं.

वृध्दि संधि का उदाहरण

अ / आ + ए / ऐ = ऐ

  • पुत्र + एषणा = पुत्रैषणा
  • विश्व + ऐक्य = विश्वैक्य
  • विचार + ऐक्य = विचारैक्य
  • वित्त + एषणा= वित्तैषणा
  • वसुधा + एव (ही) = वसुधैव
  • तथा + एव = तथैव
  • लोक + एषणा = लोकैषणा
  • सदा + एव = सदैव
  • मत + ऐक्य = मतैक्य

अ / आ + ओ / औ = औ

  • जल + ओघ = जलौघ (जल का प्रवाह)
  • परम + ओजस्वी = परमौजस्वी
  • शुद्ध + ओदन (भोजन) = शुद्धोदन
  • बिंब + ओष्ठ = बिंबौष्ठ
  • अधर + ओष्ठ = अधरोष्ठ (अपवाद)
  • जल+ ओक = जलौक (जल की अंजलि)
  • दंत + ओष्ठ्य/औष्ठ्य = दंतोष्ठ्य (अपवाद)

रोला छंद का सरल उदाहरण – रोला छंद की परिभाषा – सम्पूर्ण जानकारी

यण संधि किसे कहते हैं

कुछ स्वरों को संधि करते समय आपस में मिलाने पर य और र में बदल जाते हैं. ऐसी संधि को यण संधि कहा जाता हैं. इस संधि में इ या ई के बाद कोई स्वर आए तो ‘य’ तथा उ या ऊ के बार कोई स्वर आए तो ‘व्’ में परिवर्तित हो जाता हैं.

यण संधि के उदाहरण

  • अति + अधिक : अत्यधिक (इ + अ = य)
  • प्रति + आघात : प्रत्याघात (इ + आ = या)
  • प्रति + अक्ष : प्रत्यक्ष (इ + अ = य)
  • अति + अंत : अत्यंत (इ + अ = य)
  • अति + आवश्यक : अत्यावश्यक (इ + आ = या)
  • रीति + अनुसार = रीत्यनुसार
  • अभि + अंतर = अभ्यंतर
  • अति + अल्प = अत्यल्प
  • आदि + अंत = आयंत
  • रीति + अनुसार = रीत्यनुसार
  • परि + अटन = पर्यटन
  • स्वस्ति + अयन = स्वस्त्ययन (कल्याण का मार्ग)
  • परि + अंक = पर्यंक (पलंग)
  • परि + अंत = पर्यंत
  • गति + अनुसार = गत्यनुसार
  • अधि + अक्ष = अध्यक्ष
  • परि + अवेक्षक (अव + ईक्षक) =पर्यवेक्षक

छन्द किसे कहते हैं? -छंद के भेद कितने होते हैं?

अयादी संधि किसे कहते हैं

संधि करते जब ए के बाद अन्य स्वर आए तो ‘अय’, ऐ के बाद कोई अन्य स्वर आए तो ‘आय’, ओ के बाद कोई अन्य स्वर आए तो ‘अव’, और औ के बाद कोई अन्य स्वर आए तो ‘आव’ हो जाता हैं. ऐसी संधि को अयादी संधि कहा जाता हैं.

अयादी संधि के उदाहरण

  • श्री + अन : श्रवण
  • पौ + अन : पावन
  • गै + अन = गायन
  • नै + इका = नायिका
  • नै + अक : नायक
  • पौ + अक : पावक

तुकांत शब्द किसे कहते हैं – तुकांत शब्दों के उदहारण

निष्कर्ष

इस आर्टिकल (स्वर संधि के कितने भेद होते हैं | स्वर संधि के कितने प्रकार होते हैं | swar sandhi ke kitne bhed hote hain ) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको स्वर संधि और स्वर संधि के भेद या प्रकार के बारे में सरल भाषा में ज्ञान देना हैं. इस आर्टिकल में हमने विभिन्न स्वर संधि शब्दों का समावेश किया हैं. जिससे पाठक को स्वर संधि और स्वर संधि के भेद या प्रकार समझने में सहायता मिलती हैं.

Kriya ke kitne bhed hote hain – क्रिया की परिभाषा

Pad kise kahate hain – पद परिचय कितने प्रकार / भेद के होते हैं

rachna ke aadhar par shabd ke kitne bhed hote – रचना के आधार पर शब्द भेद

आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हैं. यह हमे तभी पता चलेगा जब आप हमे निचे कमेंट करके बताएगे. यह आर्टिकल विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओ की दृष्टी से भी महत्वपूर्ण हैं. इसलिए इस आर्टिकल को उन लोगो और दोस्तों तक पहुचाए जो प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. क्योंकि ज्ञान बाटने से हमेशा बढ़ता हैं. धन्यवाद.

स्वर संधि के पांच भेद होते हैं कौन कौन?

(क) इ, ई के आगे कोई विजातीय (असमान) स्वर होने पर इ ई को 'य्' हो जाता है। (ख) उ, ऊ के आगे किसी विजातीय स्वर के आने पर उ ऊ को 'व्' हो जाता है। (ग) 'ऋ' के आगे किसी विजातीय स्वर के आने पर ऋ को 'र्' हो जाता है। इन्हें यण-संधि कहते हैं

स्वर संधि के कितने भेद हैं बताइए?

यदि इ , ई या उ ,ऊ और ऋ के बाद कोई अलग स्वर आये तो इ और ई का 'य्' , उ और ऊ का 'व्' और ऋ का 'र्' हो जाता है तो उसे यण संधि कहते हैं। यदि ए, ऐ और ओ, औ के बाद जब कोई स्वर आ जाता है तब “ए” के साथ मिल कर अय्, ओ के साथ मिल कर “अव”, ऐ के साथ मिल कर आय, तथा औ के साथ मिल कर आव, बन जाता है।

स्वर संधि के कितने भेद हैं class 8?

3. वृधि संधि – जब अ/आ के बाद ए/ऐ हो तो ऐ और ओ/औ हो; तो औ हो जाता है। इसे वृधि संधि कहते हैं। यदि अ, आ से परे ए/ऐ हो तो दोनों के मेल से 'ऐ' बन जाता है।

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग