Author: JagranPublish Date: Sun, 10 Feb 2019 06:15 PM (IST)Updated Date: Sun, 10 Feb 2019 06:15 PM (IST) सड़क हादसों में घायल होने वाले लोगों को तुरंत मदद नहीं मिल पाती, जिसके कारण उनकी मौत हो जाती है। लोगों की जागरुकता से लोगों की कीमती जानों को बचाया जा सकता है।सड़क दुर्घटना में घायलों की सही समय पर मदद से बच है जान
वासदेव परदेसी,नवाशहर
सड़क हादसों में घायल होने वाले लोगों को तुरंत मदद नहीं मिल पाती, जिसके कारण उनकी मौत हो जाती है। लोगों की जागरुकता से लोगों की कीमती जानों को बचाया जा सकता है। सड़क पर दुर्घटना के बाद सही समय पर मेडिकल सहायता न मिलने के कारण हजारों लोगों की जान चली जाती है।
घायलों की मदद के संकोच नहीं करना चाहिए : सरपंच बलजीत
मालेवाल के सरपंच बलजीत ने कहा कि सड़क हादसों में घायलों की मदद करने वालों के अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में एक कानून बनाया जिसे नाम दिया गया 'गुड सेमेरिटन लॉ'। इस कानून के तहत हादसे में मदद करने वालों को पुलिस कारवाई के तहत परेशान नहीं कर सकती, इसलिए लोगों को सड़क दुर्घटना में घायलों की मदद के संकोच नहीं करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने लागू किया है 'गुड सेमेरिटन लॉ'एक्ट : रा¨जदर ¨सह
जाडला के सरपंच रा¨जदर ¨सह ने कहा कि सड़क हादसे होते रहते हैं। हादसे के के दौरान घायल लोगों को कुछ लोग तत्काल अस्पताल लेकर जाते हैं, वहीं कुछ ऐसे भी लोग है जो ये सोचते है कि पुलिस के पचड़े में कौन पड़ेगा। इसी तरह के परेशानी से छुटकारा और लोगों की मदद के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सेव लाइफ फाउंडेशन की जनहित याचिका पर 'गुड सेमेरिटन लॉ'एक्ट लागू किया।
मददगार को अपनी पहचान और पता पुलिस को बताने की जरूरत नहीं : जीएस संधू
प्रो. जीएस संधू ने कहा कि एक्ट के तहत सड़क हादसे में अगर कोई व्यक्ति किसी घायल की मदद करता है तो कोई भी एजेंसी उसे पूछताछ या गवाही के नाम पर उसे परेशान नहीं करेगी। मददगार को अपनी पहचान और पता अस्पताल स्टाफ और पुलिस को बताने की जरूरत नहीं होती, इसलिए लोगों को सड़क दुर्घटनाओं लोगों को तुरंत मेडिकल सहायता उपलब्ध करवाने के लिए प्रयास करना चाहिए जिससे किसी की ¨जदगी को बचाया जा सके।
पुलिस नहीं पूछेगी घायलों की मदद करने वालों का नाम: जसबीर ¨सह
नंबरदार जसबीर ¨सह ने कहा कि कानून कहता है कि अगर कोई आपात स्थिति में हो और उसकी मदद के लिए कोई व्यक्ति पुलिस को फोन करे तो पुलिस उससे उसकी पहचान बताने को भी नहीं कहेगी। सड़क दुर्घटना में घायलों को तत्काल मेडिकल सहायता उपलब्ध कराने वाले मददगारों को नेक आदमी (गुड सेमेरिटन) कहते है। घायलों की मदद के लिए किसी प्रकार की देरी नहीं की जानी चाहिए।
अस्पताल ने 'गुड सेमेरिटन लॉ चार्टर'का बोर्ड नहीं लगाया: हरप्रभ महल
हरप्रभ महल ¨सह ने इस एक्ट को पारित हुए दो साल हो गए है लेकिन आज भी मंजर ये है कि लोगों को इस कानून के बारे में पता ही नहीं है। पुलिस अफसरों को इस कानून के बारे में उचित जानकारी ही नहीं है। वो मानते है कि सेमेरिटिन का निजी विवरण लिया जाता है। किसी भी अस्पताल ने अपने प्रवेश पर 'गुड सेमेरिटन लॉ चार्टर'का बोर्ड नहीं लगाया है।
Edited By: Jagran
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