सत्य के प्रयोग में प्रयुक्त गद्य विधा है - saty ke prayog mein prayukt gady vidha hai

सत्य के प्रयोग, महात्मा गांधी की आत्मकथा है। यह आत्मकथा उन्होने गुजराती भाषा में लिखी थी। हर 27 नवम्बर को 'सत्य का प्रयोग' के आधारित प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता हैं। ३० जनवरी १९४८ को महात्मा गाँधी की नाथुराम गोडसे द्वारा हत्या करने के दिन को ' शहीद दिवस ' के रुप में मनाया जाता हैं ।

उक्तियां[संपादित करें]

यहां कुछ उक्तियां है जो गांधी जी ने अपनी आत्म कथा - सत्य के प्रयोग -- में कही हैं। ये उनके जीवन दर्शन को दर्शाती है।

पिछले तीस सालों से जिस चीज को पाने के लिये लालायित हूं वो है स्व की पहचान, भगवान से साक्षात्कार, और मोक्ष। इस लक्ष्य के पाने के लिये ही मैं जीवन व्यतीत करता हूं। मैं जो कुछ भी बोलता और लिखता हूं या फिर राजनीति में जो कुछ भी करता हू वो सब इन लक्ष्यो की प्राप्ति के लिये ही है।

गाँधी जी का जन्म 1869 मे पोरबंदर मे हूआ।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

अन्य विकि परियोजनाओं में[संपादित करें]

बाहरी[संपादित करें]

सत्य के प्रयोग से क्या आशय है?

यह किताब दुनिया की सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली किताबों में से एक है. मोहनदास करमचंद गांधी ने 'सत्य के प्रयोग' अथवा 'आत्मकथा' का लेखन बीसवीं शताब्दी में सत्य, अहिंसा और ईश्वर का मर्म समझने-समझाने के विचार से किया था. गांधी जी ने 29 नवंबर, 1925 को इस किताब को लिखना शुरू किया था और 3 फरवरी, 1929 को यह किताब पूरी हुई थी.

सत्य के प्रयोग किसकी आत्मकथा है?

सत्य के प्रयोग, महात्मा गांधी की आत्मकथा है। यह आत्मकथा उन्होने गुजराती भाषा में लिखी थी।

सत्य का प्रयोग कैसे करें?

भूल करने में पाप तो है ही, परन्तु उसे छुपाने में उससे भी बड़ा पाप है. 7. जब तक गलती करने की स्वतंत्रता ना हो तब तक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है.

सत्य के साथ मेरे प्रयोगों की कहानी का विषय क्या है?

जिस गज से स्वयं मैं अपने को मापना चाहता हूँ और जिसका उपयोग हम सबको अपने-अपने विषय में करना चाहिए। —मोहनदास करमचंद गांधी राष्‍ट्रपिता महात्मा गांधी की आत्मकथा सत्य के साथ मेरे प्रयोग हम सबको अपने आपको आँकने, मापने और अपने विकारों को दूर कर सत्य पर डटे रहने की प्रेरणा देती है।

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