सरल लोलक क्या है सरल लोलक के नियम को लिखे तथा उसका सत्यापन करें? - saral lolak kya hai saral lolak ke niyam ko likhe tatha usaka satyaapan karen?

सरल लोलक (Simple Pendulum in Hindi ) सरल लोलक का आवर्तकाल यहाँ सरल लोलक (Simple Pendulum in Hindi ) सरल लोलक का आवर्तकाल से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है। 

इस आर्टिकल में सरल लोलक (Simple Pendulum in Hindi ) सरल लोलक का आवर्तकाल से सम्बंधित परिभाषाये ,एक सरल आवर्त गति करने वाले सरल लोलक का आवर्तकाल व आवृति सरल लोलक का आवर्तकाल का व्यंजक ज्ञात कीजिए को समावेश किया है

सरल लोलक किसे कहते हैं ?

यदि किसी पदार्थ के भारी (लेकिन बिन्दु समान) कण को एक भारहीन, लम्बाई में न बढने वाली अतन्य डोरी के एक सिरे से बाँधकर किसी दूढ़ आधार से लटका दें, तो उसे सरल लोलक कहते हैं।

माना m द्रव्यमान के एक गोलक ( बिन्दु द्रव्यमान ) को । लम्बाई की डोरी लटकाया गया है । माध्य स्थिति से θ कोणीय विस्थापन की स्थिति में गोलक का रेखीय विस्थापन x है ।

सरल लोलक का चित्र-

एक सरल आवर्त गति करने वाले सरल लोलक का आवर्तकाल व आवृति

सरल लोलक का आवर्तकाल का सूत्र

T=2 \pi \sqrt{\frac{l}{g}}

और

v=\frac{1}{2 \pi} \sqrt{\frac{g}{l}}

सरल लोलक का आवर्तकाल का व्यंजक ज्ञात कीजिए

चित्र से –

गोलक पर कार्यरत प्रत्यानयन बल

कोण अत्यंत सूक्ष्म हो तब

\sin\theta=\theta=\frac{x}{l}

\frac{F}{m}=A=-\frac{g}{l} x.....(1)

सरल आवर्त गति करते कण का त्वरण

A=-\frac{k}{m} \cdot x.......(2)

समी (i) व (ii) से

\omega=\sqrt{\frac{k}{m}}=\sqrt{\frac{g}{l}}

अत: आवर्तकाल 

(T)=\frac{2 \pi}{\omega}=2 \pi \sqrt{\frac{m}{k}}

T=2 \pi \sqrt{\frac{l}{g}}

ऊर्जा विधि (Energy Method) 

माना θ विस्थापन पर कण का कोणीय वेग है। स्थिति A पर कण कुल यांत्रिक ऊर्जा

E=\frac{1}{2} I \omega^{2}+m g\left(h_{A}-h_{C}\right)

या

E=\frac{1}{2}\left(m l^{2}\right) \omega^{2}+m g l(1-\cos \theta)

E\space\space नियत \space है, \spaceअत: \frac{d E}{d t}=0

या

0=m l^{2} \omega\left(\frac{d \omega}{d t}\right)+m g l \sin \theta\left(\frac{d \theta}{d t}\right)

\frac{d \theta}{d t}=\omega, \frac{d \omega}{d t}=\alpha \space \spaceतथा \space \space\sin \theta \approx \theta

उपरोक्त व्यंजक में रखने पर

\alpha=-\left(\frac{g}{l}\right) \theta

T=2 \pi \sqrt{\frac{\theta}{\alpha}}

T=2 \pi \sqrt{\frac{l}{g}}

सरल लोलक के आवर्तकाल को प्रभावित करने वाले कारक

👉यदि l लम्बाई के लोलक का θ∘C पर आवर्तकाल T हो तथा तापमान △θ∘C बढ़ने पर आवर्तकाल T+△T हो, तो

\frac{\Delta T}{T}=\frac{1}{2} \alpha \cdot \Delta \theta

यहाँ, alpha रेखीय प्रसार गुणांक है। 

सेकण्ड लोलक आवर्तकाल 2 सेकण्ड होता है। जहाँ g=9.8 मी/से2 हो, वहाँ सेकण्ड लोलक की लम्बाई 0.9929 मी (लगभग 1 मी) होती है। 

👉यदि किसी सरल लोलक के गोलक का घनत्व ρ है तथा यह σ(σ<p) घनत्व वाले द्रव में दोलन करता है, तो वायु में आवर्तकाल की तुलना में द्रव में आवर्तकाल बढ़ जायेगा। द्रव में आवर्तकाल

T=2 \pi \sqrt{\frac{l}{g\left(1-\frac{\sigma}{\rho}\right)}}

👉यदि लिफ्ट की छत से कोई लोलक लटका है एवं लिफ्ट का ऊध्वाधर त्वरण a है, तो आवर्तकाल

T=2 \pi \sqrt{\frac{1}{(g \pm a)}}

यहाँ धनात्मक चिन्ह ऊपर की ओर त्वरण के लिये तथा ऋणात्मक चिन्ह नीचे की ओर त्वरण के लिये प्रयोग किया जाता है। 

👉यदि लिफ्ट मुक्त रूप से गिर रही हो, तो लोलक का आवर्तकाल अनन्त होता है। यदि लोलक के दोलक का द्रव्यमान m व आवेश q है तथा वह ऊर्ध्वाधर विद्युत क्षेत्र E में दोलन करता है, तो आवर्तकाल

T=2 \pi \sqrt{\frac{l}{\left(g \pm \frac{q E}{m}\right)}}

यहाँ धनात्मक चिन्ह = यदि E की दिशा ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर है तथा ऋणात्मक चिन्ह = यदि E की दिशा ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर है। 

👉यदि उपरोक्त लोलक क्षैतिज विद्युत क्षेत्र में दोलन करता है, तो आवर्तकाल 

T=2 \pi \sqrt{\frac{l}{g^{2}+\frac{q^{2} E^{2}}{m^{2}}}}

👉बहुत अधिक लम्बाई l→∞ के सरल लोलक का आवर्तकाल

T=2 \pi \sqrt{\frac{R}{g}}=84.6 मिनट

यहाँ, R= पृथ्वी की त्रिज्या

भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में सरल आवर्त गति को जानना बहुत जरूरी है क्योंकि सरल आवर्त गति की सहायता से ही किसी पिंड को समझा जाता है.

सरल आवर्त्त गति (simple harmonic motion):
1. आवर्त गति (periodic motion):
एक निश्चित पथ पर गति करती वस्तु जब किसी निश्चित समय -अंतराल के पश्चात बार-बार अपनी पूर्व गति को दोहराती है, तो इस प्रकार की गति को आवर्त गति कहते हैं.

2. दोलन गति (oscillatory motion): किसी पिंड की साम्य स्थिति के इधर-उधर करने को दोलन गति या कम्पनिक गति कहते हैं.
दोलन किसे कहते हैं-
(i) दोलन-
एक दोलन या एक कपंन: दोलन करने वाले कण का अपनी साम्य स्थिति के एक ओर जाना फिर साम्य स्थिति में आकर दूसरी ओर जाना और पुनः साम्य स्थिति में वापस लौटना, एक दोलन या कपंन कहलाता है.
(ii) आवर्त काल (time period):
एक दोलन पूरा करने के समय को आवर्त काल कहते है.

3. आवृत्ति (frequency): कंपन करने वाली वस्तु एक सेकंड में जितना कंपन करती है, उसे उसकी आवृत्ति कहते है. इसका S.I. मात्रक हर्ट्ज़(hertz) होता है.
यदि आवृत्ति n तथा आवर्त काल T हो, तो n = 1/T होता है.

(i) सरल आवर्त गति (simple harmonic motion): यदि कोई वस्तु एक सरक रेखा परमध्यमान स्थिति (mean position) के इधर-उधर इस प्रकार की गति करे कि वस्तु का त्वरण मध्यमान स्थिति से वस्तु के विस्थापन के अनुक्रमानुपाती हो तथा त्वरण की दिशा मध्यमान स्थिति की ओर हो, तो उसके गति सरल आवर्त कहलाती है.

सरल आवर्त गति की विशेषताएं :
(i)
उस पर कोई बल कार्य नहीं करता है.
(ii) उसका त्वरण शून्य होता है.
(iii) वेग अधिकतम होता है.
(iv) गतिज ऊर्जा अधिकतम होती है.
(v) स्थितिज ऊर्जा शून्य होती है.

4. सरल आवर्त गति करने वाला कण जब अपनी गति के अंत बिंदुओं से गुजरता है, तो

(
i)उसका त्वरण अधिकतम होता है.
(ii) उस पर कार्य करने वाला प्रत्यानयन बल अधिकतम होता है.
(iii) गतिज ऊर्जा शून्य होती है.
(iv) स्थितिज ऊर्जा अधिकतम होती है.
(v) वेग शून्य होता है.

5. सरल लोलक (simple pendulum): यदि एक भारहीन व लंबाई में न बढ़नेवाली डोली के निकले सिर से पदार्थ के किसी गोल परतु भारी कण को लटकाकर डोरी को किसी दृढ़ आधार से लटका दें तो इस समायोजन को 'सरल लोलक' कहते है. यदि लोलक (bob) को साम्य स्थिति से थोड़ा विस्थापित करके छोड़ दे तो इसकी गति सरल आवर्त गति होती है. यदि डोरी को प्रभावी लंबाई l एवं गुरुत्वीय त्वरण g हो, टी सरल

6. लोलक का आवर्त कार्य
T = 2π √l/g होता है.
इससे निम्न निष्कर्ष निकलते है:
(i)
T ∝ √l, अथार्त लंबाई बढ़ने पर T बढ़ जाएगा. यही कारण है कि यदि कोई लड़की झूल झूलते -झूलते खड़ी हो जाए तो उसका गुरुत्व केंद्र ऊपर उठ जायेगा और प्रभावी लंबाई घट जाएगी जिससे झूले का आवर्त काल घट जाएगा. अथार्त झूला जल्दी-जल्दी दोलन करेगा.
(ii) आवर्तकाल लोलक के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है, अतः झूलने वाली लड़की की लड़की आकर बैठ जाए तो आवर्तकाल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
(iii ) T = √l/g यानी किसी लोलक घड़ी को पृथ्वी तल से ऊपर या नीचे ले जाया जाए तो घड़ी काआवर्तकाल (T) बढ़ जाता है, अथार्त घड़ी सुस्त हो जाती है, क्योंकि पृथ्वी तल से ऊपर या नीचे पर 'g' का मान कम होता है.
(iv) यदि लोलक को उपग्रह पर ले जाएं तो वहां भारहीनता के कारण g = 0, अतः घड़ी का आवर्तकाल (T) अनंत ही जाएगा; अतः उपग्रह में लोलक घड़ी काम नहीं करेगी.

7. गर्मियों में लोलक की लंबाई (l) बढ़ जाएगी तो उसका आवर्तकाल (T) भी बढ़ जाएगा. अतः घड़ी सुस्त पड़ जाएगी. सर्दियों में लंबाई (l) कम हो जाने पर आवर्तकाल (T) भी बढ़ जाएगा और लोलक घड़ी तेज चलने लगेगी.

8. चंद्रमा पर लोलक घड़ी ले जाने पर उसका आवर्तकाल बढ़ जाएगा, क्योंकि चंद्रमा पर g का मान पृथ्वी के g के मान का 1/6 गुना है.

सरल लोलक क्या है सरल लोलक के नियम को लिखें तथा उसका सत्यापन करें?

सरल लोलक की गति सरल आवर्त गति (SHM) होती है क्योंकि गति करते समय लोलक के गोलक का त्वरण इसके अपनी माध्यस्थिति से विस्थापन के अनुक्रमानुपाती होता है तथा सदैव ही माध्य स्थिति की ओर दिष्ट होता है।

सरल सरल लोलक क्या है?

(simple pendulum in hindi) सरल लोलक क्या है , परिभाषा , उदाहरण , संरचना चित्र , सिद्धांत , समय अवधि : जब एक द्रव्यमान रहित और पूर्ण प्रत्यास्थ डोरी , जिसका एक सिरा दृढ आधार से बंधा हो और दुसरे सिरे पर यदि एक बिंदु द्रव्यमान को लटका दिया जाए तो इस प्रकार की व्यवस्था को सरल लोलक कहते है।

सरल लोलक क्या है सरल लोलक के लिए आवर्तकाल का सूत्र व्युत्पन्न कीजिए?

सरल लोलक के आवर्तकाल का सूत्र है T=2pisqrt(l/g) , जहाँ संकेतो के अर्थ सामान्य है l तथा T के बीच खींचा ग्राफ होगा

सरल लोलक क्या है इसके दोलन काल का सूत्र लिखकर उसमें प्रयुक्त संकेतों का अर्थ लिखिए?

यहाँ वस्तु किसी माध्य स्थिति के इधर-उधर गति करती है । दीवार-घड़ी का लोलक भी इसी प्रकार की गति करता है । इस प्रकार की अग्र-पश्च (आगे-पीछे) आवर्ती गति के प्रचुर उदाहरण हैं- नदी में डूबती - उतरती हुई नाव, वाष्प इंजन में अग्र और पश्च चलता हुआ पिस्टन आदि । इस प्रकार की गति को दोलन गति कहते हैं ।

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