पृथ्वी पर सबसे तेज दौड़ने वाला प्राणी चीता
| Updated: Feb 21, 2004, 3:40 PM
समस्त प्राणियों में चीते को सबसे तेज दौड़ने वाला प्राणी माना जाता है। चीते की गति इतनी अधिक होती है कि वह 40 सेकेंड में 700 गज की दूरी नाप सकता है
चीता 3 सेकेंड में उसकी अधिकतम गति प्राप्त कर लेता है, किंतु लम्बे समय तक यह गति बनाए रखने में सक्षम नहीं होता। चीते के शक्तिशाली पैरों के अतिरिक्त उसकी लचीली पीठ भी उसे दौड़ने में सहायता करती है, जो दौड़ते समय एक स्प्रिंग की भांति कार्य करती है।
अशोक वशिष्ठ
Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप
लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें
भोपाल: दुनिया में सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर चीता (Cheetah) 71 साल बाद फिर भारत के जंगलों में फर्राटे भरता दिखाई देगा. लंबे अर्से से चल रही कोशिशों के बाद इस साल नवंबर में इस शानदार जानवर की भारत में वापसी होने जा रही है.
कुनो नेशनल पार्क में रखा जाएगा
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के वन मंत्री विजय शाह ने बताया कि प्रायोगिक तौर पर अफ्रीका से एक चीते (Cheetah) को भारत लाया जा रहा है. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार से भी मंजूरी मिल गई है. इस चीता को प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में रखा जाएगा. वहां पर चीते का रहन-सहन देखने के बाद उसके जोड़ीदार को भी विदेश से लाने की कोशिश की जाएगी.
1947 में हो गया था विलुप्त
बताते चलें कि आजादी से पहले तक भारत चीतों (Cheetah) का घर हुआ करता था. लेकिन बढ़ते शिकार और घटते जंगलों की वजह से 1947 में छत्तीसगढ़ में आखिरी चीते ने भी दम तोड़ दिया. आजादी के बाद वर्ष 1952 में इस जानवर को भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया. इसी के साथ दुनिया में सबसे तेज दौड़ने वाला यह जानवर भारत में बस किताबो में पढ़ाया जाने वाला विषय बनकर रह गया.
सुप्रीम कोर्ट ने दी मंजूरी
वाइल्ड लाइफ इंस्टिटयूट ऑफ इंडिया (WII) पिछले कई सालों से इस जानवर को दोबारा से भारत में लाने की कोशिश में जुटा था. इसके लिए उसने प्रोजेक्ट तैयार किया. जिसे मध्य प्रदेश और केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा गया. वहां से मंजूरी के बाद प्रायोगिक तौर पर एक चीता (Cheetah) को अफ्रीका से भारत लाने का रास्ता साफ हो गया.
चित्रकायः शब्द से बना चीता
बताते चलें कि चीता शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द चित्रकायः से हुई है. जिसका अर्थ होता है बहुरंगी. यही शब्द बाद में अपभ्रंश होकर हिंदी में चीता बन गया. चीता जमीन पर रहने वाला दुनिया का सबसे तेज़ जानवर है. यह एक छोटी सी छलांग में ही 120 कि॰मी॰ प्रति घंटे क की गति प्राप्त कर लेता है और दौड़ने पर 460 मी. तक की दूरी तय कर सकता है.
ये भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय अभ्यारण्यों के लिए अफ्रीकी चीता लाने की इजाजत दी
3 सेकेंड में 103 किमी की स्पीड
यह मात्र तीन सेकेंड में ही अपनी रफ्तार में 103 कि॰मी॰ प्रति घंटे का इज़ाफ़ा कर लेता है, जो अधिकांश सुपरकार की रफ्तार से भी तेज़ है. हालिया अध्ययन से ये साबित हो चुका है कि धरती पर रहने वाला चीता सबसे तेज़ जानवर है.
LIVE TV
चीता एक ऐसा जानवर है जिसको देखने से ही इंसान की रूह कांप जाती है. इसे दुनिया की सबसे बड़ी बिल्ली कह कर भी बुलाया जाता है. दरअसल ये दिखने में बिलकुल बिल्ली जैसा ही लगता है, सिर्फ इसका आकार बिल्ली से बड़ा होता है. वहीं अब ये बड़ी बिल्ली एक बार फिर से भारत लौटने को तैयार है. इसकी खासियत है कि ये जमीन पर बाकी जानवरों में सबसे तेज दौड़ता है और अब ये विलुप्त होने के आधी सदी बाद भारत लौट रहा है. इस पर भारतीय वन्यजीव संस्थान के डीन यादवेंद्र देव झाला ने बताया कि उनके पास चीते को फिर से लाने के लिए संसाधन और रहने के लिए जगह है.
ये दुनिया में पहली बार हो रहा है कि एक बड़े मांसाहारी को संरक्षण के लिए एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में स्थानांतरित किया जाएगा. वहीं चीते की खासियत बताते हुए उन्होंने कहा कि चीते के शरीर पर काले धब्बे के निशान बने होते हैं और वो काफी चिकना होता है. चीता घास के मैदानों में शिकार को पकड़ने के लिए 70 मील प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ता है. वहीं इसे एक एथलेटिक जानवर कहा जाता है, जो शिकार करने के लिए डकिंग, डाइविंग तक कर लेता है.
मध्य प्रदेश और राजस्थान में रहेंगे चीते
जानकारी के मुताबिक आठ चीते मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में रहेंगे और जंगली सूअर का शिकार करेंगे. साथ ही वन्यजीव विशेषज्ञ ने बताया मध्य प्रदेश और राजस्थान में कुल तीन जगहों में से एक की पहचान राष्ट्रीय उद्यान और दो वन्यजीव अभयारण्यों के रूप में हुई है.
दक्षिण अफ्रीका में हैं ज्यादातर चीते
दुनिया के 7,000 चीतों में से ज्यादातर अब दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया और बोत्सवाना में पाए जाते हैं. वहीं भारत में 1967-68 में चीतों की संख्या काफी कम हो गई थी. वहीं 20 वीं शताब्दी में जानवरों को खेल के लिए आयात किया गया था, जिसकी वजह से चीते पूरी तरह भारत से गायब हो गए थे.
इसे भी पढ़ेंः
World Oceans Day 2021: क्या है इसका महत्व और क्यों मनाते हैं विश्व महासागर दिवस, जानिए
राज की बात: पीएम मोदी के नाम पर लड़ा जाएगा यूपी चुनाव, अमित शाह संभालेंगे जिम्मेदारी !