रीवा का केवटी जलप्रपात |
रीवा मध्य प्रदेश में स्थिति |
निर्देशांक: 24°32′N 81°18′E / 24.53°N 81.30°Eनिर्देशांक: 24°32′N 81°18′E / 24.53°N 81.30°E |
मध्य प्रदेश |
रीवा ज़िला |
विक्रमादित्य सिंह |
नगर निगम |
रीवा नगर निगम |
69 किमी2 (27 वर्गमील) |
146 किमी2 (56 वर्गमील) |
304 मी (997 फीट) |
2,35,654 |
हिन्दी |
भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
486001 HPO 486002, 486003 |
07662 |
IN-MP |
MP-17 |
www.rewa.nic.in |
रीवा (Rewa) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के रीवा ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है और राज्य की राजधानी, भोपाल, से 420 किलोमीटर (260 मील) पूर्वोत्तर में और जबलपुर से 230 किलोमीटर (140 मील) उत्तर में स्थित है। इस से दक्षिण में कैमूर पर्वतमाला है और इस क्षेत्र में विन्ध्याचल की पहाड़ियाँ भी स्थित हैं।[1][2]
विवरण[संपादित करें]
रीवा शहर मध्य प्रदेश प्रांत के विंध्य पठार का एक हिस्से का निर्माण करता है और टोंस,बीहर.,बिछिया नदी एवं उसकी सहायता नदियों द्वारा सिंचित है। इसके उत्तर में उत्तर प्रदेश राज्य, पश्चिम में सतना एवं पूर्व तथा दक्षिण में सीधी जिले स्थित हैं। इसका क्षेत्रफल २,५०९ वर्ग मील है। यह पहले एक बड़ी बघेल वंश की रियासत थी। यहाँ के निवासियों में गोंड एवं कोल ब्राह्मण विभिन्न क्षत्रिय वैश्य जाति के लोग भी शामिल हैं जो पहाड़ी भागों के साथ-साथ मुख्य नगर में रहते हैं। जिले में जंगलों की अधिकता है, जिनसे लाख, लकड़ी एवं जंगली पशु प्राप्त होते हैं। रीवा के जंगलों में ही सफेद बाघ की नस्ल पाई गई हैं। जिले की प्रमुख उपज धान है। जिले के ताला नामक जंगल में बांधवगढ़ का ऐतिहासिक किला है।
जब गुजरात से सोलंकी राजपूत मध्य प्रदेश आयें तो इनके साथ कुछ परिहार राजपूत एवं कुछ मुस्लिम भी आये परन्तु कुछ समय पश्चत सोलांकी राजा व्याघ्र देव ने सोलांकी से बघेल तथा परिहार से वरग्राही (श्रेष्ठता को ग्रहण करने वाला) वंश की स्थापना की। बघेल तथा वरग्राही परिहार आज बड़ी संख्या में संपूर्ण विंध्य मैं पाए जाते हैं जो प्रारंभ से एक दूसरे के अति विश्वस्त हैं। प्राचीन इतिहास के अनुसार रीवा राज्य के वर्ग्राही परिहारो ने रीवा राज्य के लिए अनेक युद्ध लड़े जिनमें नएकहाई युद्ध, बुंदेलखंडी युद्ध, लाहौर युद्ध, चुनार घाटी मिर्जापुर युद्ध, कोरिया युद्ध, मैहर युद्ध, कृपालपुर युद्ध, प्रमुख हैं।
बघेल वंश की स्थापना व्याघ्र देव ने की जिसके कारण इन्हें व्याघ्र देव वंशज भी कहा जाता है। चूँकि इन दोनों वंश की स्थापना होने के बाद इन दोनों राजपूतो का ज्यादा विस्तार नही हो पाया जिसके कारण इन वंशो के बारे में ज्यादा जानकरी प्राप्त नही हुई। इन्हें अग्निकुल का वंशज माना जाता है।
भूतपूर्व रीवा रियासत की स्थापना लगभग १४०० ई. में बघेल राजपूतों द्वारा की गई थी। मुग़ल सम्राट अकबर द्वारा बांधवगढ़ नगर को ध्वस्त किए जाने के बाद रीवा महत्त्वपूर्ण बन गया और १५९७ ई, में इसे भूतपूर्व रीवा रियासत की राजधानी के रूप में चुना गया। सन १९१२ ई. में यहाँ के स्थानीय शासक ने ब्रिटिश सत्ता से समझौता कर अपनी सम्प्रभुता अंग्रेज़ों को सौंप दी। यह शहर ब्रिटिश बघेलखण्ड एजेंसी की राजधानी भी रहा।यहाँ विश्व का सबसे पहला सफ़ेद शेर मोहन पाया गया। जिसकी मृत्यु हो चुकी है।
रीवा जिले के निकट 13 किलोमीटर (निपानिया-तमरा मार्ग) महाराजा मार्तण्ड सिंह बघेल व्हाइट टाइगर सफ़ारी एवं चिड़ियाघर मुकुंदपुर का निर्माण किया गया है जहाँ सफ़ेद शेरों को संरक्षण दिया जा रहा है।
रीवा जिले में बघेली एक प्रमुख भाषा है। हाल ही में यहाँ पर कृष्णा राज कपूर ऑडीटोरियम का निर्माण कराया गया है ।
यातायात[संपादित करें]
रेल[संपादित करें]
रीवा रेल मार्ग से देश के कई बड़े शहरों से जुड़ा है जिससे की रीवा आसानी से पंहुचा जा सकता है। जैसे- दिल्ली , राजकोट , सूरत,नागपुर,जबलपुर,कानपुर,ईलाहाबाद,इंदौर,भोपाल,मैहर,बिलासपुर इत्यादि। रीवा रेेेेल्वे स्टेशन हैं जहा सेे भोपाल, इंदौर,दिल्ली,जबलपुर,बिलासपुर,चिरमिरी,राजकोट,नागपुर केे लिए ट्रेन चलती हैै|
सड़क[संपादित करें]
रीवा सड़क मार्ग से निम्न शहरों से आसानी से पहुँचा जा सकता है। और नियमित बसों का संचालन:- भोपाल,इंदौर,जबलपुर,नागपुर,बिलासपुर,रायपुर,ग्वालियर,इलाहाबाद,बनारस,अमरकंटक.शहडोल,मैहर, सतना आदि शहरों से है।
वायु[संपादित करें]
रीवा में एक हवाईपट्टी है जहाँ से भोपाल के लिए फ्लाइट चलती है इसको हवाई अड्डा बनाने के घोषणा हो चुकी है जिससे विंध्य क्षेत्र भी व्यापार और पर्यटन स्थलों को टूटिस्ट आसानी से दर्शन कर सकेंगे।
रीवा गान[संपादित करें]
"रीवा गान" अरिन कुमार शुक्ला द्वारा लिखा गया गीत है। अरिन कुमार शुक्ला रीवा के ही निवासी है तथा उनकी उम्र 15 वर्ष है। अरिन कुमार शुक्ला इस छोटी उम्र मे भी 9 पुस्तकों का लेखन कर चुके है। उनकी सभी पुस्तके अमेज़न पर विक्रय हो रही है। रीवा गान -
बिछिया-बीहड़-महिरा की कल कल मे है,
घंटाघर-घोडा चौक की पल पल मे है।
बघेली की मीठी सी धानी मे है,
विंध्य की हस्ती, पुरानी राजधानी मे है।
चचाई-पुरवा-कयोटि की आबरू,
विंध्य की उचाइयों से हुई रूबरू।
और रीवा की तारीफ मे क्या कहूँ
क्या कहूँ।
महामृत्युंजय के मंत्रोंच्चारण मे है,
राम-हर्षण की स्तुति के कारण मे है।
गोविंदगढ़ी के घुमड़ते तालाबों मे है,
माँ मैहर मे उमड़ते सैलाबों मे है।
बीरबल ने पाया है जिसे,
तानसेन ने गाया है जिसे।
और रीवा की तारीफ मे क्या कहूँ
क्या कहूँ।
चिराहुलनाथ स्वामी की ध्वजा मे है,
चित्रकूट-गुप्त काशी की रजा मे है।
रानी तालाब की मस्त मस्ती मे है,
देउर कोठर की मिटती हस्ती मे है।
दहाड़ मोहन की हमेशा ज़िंदा रहे,
रीवा तारों मे हमेशा चुनिंदा रहे।
और रीवा की तारीफ मे क्या कहूँ
क्या कहूँ।
चित्र दीर्घा[संपादित करें]
रीवा का सफ़ेद बाघ ,कयोति जल प्रपात एवं बहुति जल प्रपात ।
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
- रीवा ज़िला
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ "Inde du Nord: Madhya Pradesh et Chhattisgarh Archived 2019-07-03 at the Wayback Machine," Lonely Planet, 2016, ISBN 9782816159172
- ↑ "Tourism in the Economy of Madhya Pradesh," Rajiv Dube, Daya Publishing House, 1987, ISBN 9788170350293